काफिया :आरे , रदीफ़ दोस्त
२१२२ २१२२ २१२२ २१२ (+१)
जिंदगी में है विरल मेरे निराले न्यारे’ दोस्त
हो गए नाराज़ देखो जो है’ मेरे प्यारे’ दोस्त |
एक जैसे सब नहीं बे-पीर सारी दोस्ती
किन्तु जिसने खाया’ धोखा किसको’ माने प्यारे’ दोस्त |
दोस्ती है नाम के, मैत्री निभाने में नहीं
वक्त मिलते ही शिकायत, और ताने मारे’ दोस्त |
कृष्ण अच्छा था सुदामा से निभाई दोस्ती
ऐसे’ इक आदित्य ज्यो हमको मिले दीदारे’…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on December 28, 2017 at 4:49pm — 2 Comments
2122 2122 212
मैं न कहता था, कि मैं निर्दोष था
दोष मुझ पर किन्तु मैं निर्घोष था |
दोष मढने के लिए था चाहिए
देखना इसमें जो’ भी गुणदोष था |
दोष संस्थापन कभी होता था नहीं
पुष्टि वह कानून का उद्घोष था |
किन्तु उनका दोष भी ज्यादा नहीं
शत्रु का तो दृष्टि का वह दोष था |
जान कर भी दोस्त सब रहते तने
मित्र गण भी बोलते दुर्घोष था |
अब तलक थे मानसिक सब कष्ट…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on December 24, 2017 at 2:30pm — 4 Comments
काफिया : आत ; रदीफ़ : चाहिए
बहर : २२१ २१२१ १२२१ २१२
मतभेद दूर करने’ मकालात चाहिए
कैसे बने हबीब मुलाक़ात चाहिए |
वादा निभाने’ में तुझे’ दिन रात चाहिए
हर क्षेत्र में विकास का’ इस्बात चाहिए |
आतंकबाद पल रहा’ है सीमा’ पार में
जासूसी’ करने’ एक अविख्यात चाहिए |
तू लाख कर प्रयास नही पा सकेगा’ रब
भगवान को विशेष मनाजात चाहिए…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on December 22, 2017 at 9:00am — 5 Comments
सूरते जान जो'रौनक वो, कही' नूर नहीं
यह अलग बात है दुनिया में' वो मशहूर नहीं
प्यार करता हूँ’ मैं’ पागल की’ तरह पर क्या’ करूँ
हर समय प्यार जताना उसे’ मंज़ूर नहीं |
सांसदों में अभी’ दागी हैं’ बहुत से नेता
दाग धोना बड़ा’ दू:साध्य है’, नासूर नहीं |
चाह ऐसी कि सज़ा सबको’ मिले जो दोषी
पर सज़ा सबको’ मिले ऐसा’ भी’ दस्तूर नहीं |
लोक सरकार अभी, राज है’ जनता का यह
हैं सभी स्वामी’ यहाँ ,कोई’ भी’ मजदूर नहीं…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on December 18, 2017 at 8:30am — 14 Comments
काफिया आनी : रदीफ़ :मुझे
बह्र :२१२२ २१२२ २१२२ २१२
राह सब दुर्गम, लिखाई में है’ आसानी मुझे
यार दुनिया-ए-सुख़न ही अब है अपनानी मुझे' |
'राज़ की हर बात पर्दे में छुपी थी राज़दाँ
फिर भी जाने क्यों लगी दुश्नाम उरियानी मुझे'|
'मैं नहीं था जानता, ईमान क्या है देश में
ज़ीस्त ने नक़ली बनाया है बलिदानी मुझे'||
अच्छा था वो शाह का शासन, मुकद्दर और था
जीस्त मेरी पलटी खाई, सख्त हैरानी मुझे…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on December 13, 2017 at 10:30am — 4 Comments
काफिया :आब ; रदीफ़ ;था
बह्र :२१२२ २१२२ २१२२ २१२
दिल को’ जिसने बेकरारी दी वही ऐराब था
जिंदगी के वो अँधेरी रात में शबताब था |
मेरे जानम प्यार का ईशान था, महताब था
चिडचिडा मैं किन्तु उसमे तो धरा का ताब था |
स्वाभिमानी मान कर खुद को, गँवाया प्यार को
सच यही, मैं प्यार में उनके सदा बेताब था |
आग को मैं था लगाता, बात छोटी या बड़ी
आग को ठंडा किया करता, निराला आब था |
शब कटी बेदारी’…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on December 8, 2017 at 3:30pm — 10 Comments
काफिया : आद ,रदीफ़ : नहीं
बहर : १२१२ ११२२ १२१२ ११२ (२२)
अभी किसी को’ भी’ नेता पे’ एतिकाद नहीं
प्रयास में असफल लोग नामुराद नहीं |
किये तमाम मनोहर करार, सब गए भूल
चुनाव बाद, वचन रहनुमा को’ याद नहीं |
गरीब सब हुए’ मुहताज़, रहनुमा लखपति
कहा जनाब ने’ सिद्धांत अर्थवाद नहीं |
जिहाद हो या’ को’ई और, कत्ल धर्म के’ नाम
मतान्ध लोग समझते हैं’, उग्रवाद नहीं |
कृषक सभी है’ दुखी दीन, गाँव…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on December 6, 2017 at 10:21am — 9 Comments
काफिया : अर ; रदीफ़ : नहीं हूँ मैं
बहर : २२१ २१२१ १२२१ २१२ (२१२१)
तारीफ़ से हबीब कभी तर नहीं हूँ’ मैं
मुहताज़ के लिए कभी’ पत्थर नहीं हूँ’ मैं |
वादा किया किसी से’ निभाया उसे जरूर
इस बात रहनुमा से’ तो’ बदतर नहीं हूँ’ मैं |
वो सोचते गरीब की’ औकात क्या नयी
जनता हूँ’ शाह से कहीं’ कमतर नहीं हूँ’ मैं |
जनमत ने रहनुमा को’ जिताया चुनाव में
हर जन यही कहे अभी’ नौकर नहीं हूँ’ मैं…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on December 3, 2017 at 4:39pm — 8 Comments
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