कौन बाँधे तू बता, बिल्ली ...घंटी आज ।
चूहों की बारात है, गधों के सर स्वराज।।
ग़ज़ल की बज़्म है सजा, चूहों.. का दरबार ।
कहते कलाम... शोहदे, होते ....हाहाकार ।।
रोबोट हो गये सखा, सच के पैरोकार ।
शेर हथेली पीटते, करते हैं जयकार ।।
अब तो शिकार हो रहे, शायर मंच विकार ।
रीमोट, सिद्ध बन गये, ग़ज़ल कहें..दरबार ।।
बनते मूर्ख बुद्ध यहाँ, फँसे हैं वाग्जाल ।
कौन यहाँ है पूछता, मरहूम…
Added by Chetan Prakash on August 3, 2023 at 12:00pm — No Comments
पास आ गया है बेहद
जब से चुनाव फिर संसद का
राजनीति की चिमनी जागी
धुँआँ उठा है नफ़रत का
आहिस्ता-आहिस्ता
सारी हवा हो रही है जहरीली
काले-काले धब्बों ने …
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 2, 2023 at 8:26pm — 4 Comments
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दफ़्तर में तू पहला दिख
काम न कर पर करता दिख.
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ये बाज़ार का मंतर है
सस्ता बिक पर महँगा दिख.
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कर व्यवहार परायों सा…
Added by Nilesh Shevgaonkar on July 31, 2023 at 11:05am — 8 Comments
कोई भी नेता हमारा वादे का सच्चा नहीं
घोषणा करता मगर कुछ लोक को देना नहीं।१।
*
हर बहस के पीछे केवल कुर्सियों की टीस है
शेष सन्सद में हमारे हित कोई झगड़ा नहीं।२।
*
बस चुनावी वक्त में ही रात दिन चर्चा में हम
शेष वर्षों में हमीं को उन का दिल धड़का नहीं।३।
*
लोक को बाँटा है ऐसे इस सियासत ने यहाँ
भीड़ में भी बोलिए तो कौन अब तन्हा नहीं।४।
*
विष घुली नदिया सा जीवन कर के नेता चैन में
लोक उनके आचरण को क्यों भला समझा…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 30, 2023 at 5:48am — 4 Comments
कभी दिलबर बताते हो, कभी रहबर बताते हो
ये मर्ज़ी है बस तेरी, जो मर्ज़ी बताते हो
कभी सुनते हमारी बात, कबसे जो दबी दिल में
हमें अपना बताकर तुम, बड़ा दिल को जलाते हो
जीवन है सफर लंबा, मगर जो तुम हो तो कट जाए
राह है जो सदियों की, वो पल भर में सिमट जाए
बिना तेरे ना चल पाएं, कदम दो चार भी हम तो
थाम कर हम तेरा दामन, चलो उस पार हो…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 29, 2023 at 10:20pm — No Comments
यह तन जो साँसों का घर है।
टूटेगा ही, जब नश्वर है।।
*
साँस महज है पवन डोलती।
तन रहने तक समय तोलती।।
केवल मन की हमजोली बन,
तन को उकसा द्वार खोलती।।
*
कच्ची स्याही, कच्चा कागज,
मिटने वाला हस्ताक्षर है।
*
अभिलाषा पर अभिलाषा गढ़।
मन बढ़ जाता, तन सीने चढ़।।
उस पर भी कर सीनाजोरी,
सब दोषों को तन पर दे मढ़।।
*
मन के कर्मों का अपराधी,
तन हो जाता यूँ ऊसर है।।
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सतरंगी चञ्चलता मन की।
सह ना पाती जड़ता तन…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 26, 2023 at 5:52pm — 2 Comments
ढूँढता हूँ कब से मुझमे मुझसा कुछ तो हो
सोच हो, आवाज़ हो, अंदाज़ हो, ना कुछ सही सबर तो हो
क्यूँ करूँ परवाह खुद की संग क्या ले जाना है
बिन बुलाये आए थे हम बिन बताए जाना है
क्यूँ बनाऊ मैं बसेरा डालना कहाँ है डेरा
जिस तरफ मैं चल पड़ा हूँ उस गली है बस अंधेरा
क्या करूँ तालिम का मैं बोझ सा है पड गया
है सलिका खूब इसमे, पर, सर पर मेरे चढ़…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 23, 2023 at 7:55am — 2 Comments
दोहा पंचक. . . ( क्रोध )
क्रोध मूल है बैर का, करे बुध्दि का नाश ।
काट सको तो काट दो ,क्रोध रास का पाश ।।
रिश्तों को पल में करे, खाक क्रोध की आग ।
जीवन भर मिटते नहीं, इन जख्मों के दाग ।।
क्रोध पनपता है वहाँ , होता जहाँ विरोध ।
हरदम चाहे आदमी , लेना बस प्रतिशोध ।।
घातक होते हैं बड़े, क्रोध जनित परिणाम ।
जीवित रहते शूल से, अंतस में संग्राम ।।
मित्र क्रोध से क्रोध का, मुश्किल है…
ContinueAdded by Sushil Sarna on July 21, 2023 at 2:07pm — 2 Comments
१२१२ ११२२ १२१२ २२ (११२)
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नशे में लाख रहूँ पर बहक नहीं सकता
लबों से तल्ख़ियाँ दिल की मैं बक नहीं सकता.
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मुझे ये डर है बयाबान में न खो जाऊं
मैं अपने आप में ज़्यादा भटक नहीं सकता.
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कभी लगे है…
Added by Nilesh Shevgaonkar on July 19, 2023 at 3:22pm — 4 Comments
एक चेहरा जो याद नहीं, एक चेहरा जो मैं भूल गया
तस्वीर भला मैं क्या खिंचू, तस्वीर बनाना भूल गया
एक लम्हा जो ना लौटा फिर, वो एक लम्हा जो मैं भूल गया
यादें अब समेटूँ कैसे मैं, जो यादें बनाना भूल गया
एक गली जो कभी फिर मिली नहीं, वही गली जो मैं भूल…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 16, 2023 at 12:16am — 3 Comments
उषा अवस्थी
नेताओं के ड्राइवर बने हैं मालिक आप
ठेगें पर रखते नियम,इन्हे न पश्चाताप
दूजे घर के सामने गाड़ी करते पार्क
टोके तो दें चुनौती, शर्म न कोई लाज
घर के मालिक स्वयं ही उनको देते छूट
लाते ब्राण्डेड गाड़ियाँ, जश्न मनाते खूब
सारे नियम क़ायदे रख समाज के, ताक़
विधि -विधान, दस्तूर सब स्वयं बनाते घाघ
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on July 15, 2023 at 12:08pm — No Comments
22 - 22 - 22 - 2
उम्र मिरी यूँ रही गुज़र
कोई परिंदा ज्यूँ बे-पर
तपती रेत के सहरा में
ढूंढ रहा हूँ आब-गुज़र
हद्द-ए-नज़र वीराना है
कोई साया है न शजर
ग़म के लुक़्मे खाकर मैं
पी लेता हूँ अश्क गुहर
ढूँड रहा हूँ ख़ुद को ही
बेकल दिल बेताब नज़र
जूँ-जूँ रात गुज़रती है
दूर हुई जाती है सहर
तन्हा और बेबस हूँ मैं
देख मुझे भी एक…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 13, 2023 at 11:52pm — 2 Comments
2112 1212 2112 1212
आइना सामने रखा तुमने कमाल कर दिया
हो गए ला-जवाब वो ऐसा सवाल कर दिया
उनको गुरूर था बहुत जीत पे अपनी कल तलक
ख़ौफ़-ए-शिकस्त ने उन्हें आज निढाल कर दिया
तेज़ हवा ने यक-ब-यक जिस्म से खींच ली कबा
खुल गए ज़ख्म दुनिया को वाक़िफ़-ए-हाल कर दिया
ज़ोर चला है वक़्त पर कब किसी का बताइए
शम्स को भी तो वक्त ने पल में हिलाल कर दिया
जड़ दिए एक एक कर मेरे हुरूफ़ में गुहर
सागर-ए-इश्क़ ने मुझे…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on July 13, 2023 at 9:21am — 4 Comments
2121 2122 21 21 2122
हम को कौन जानता था तेरी बन्दगी से पहले
चाल - ढाल खो चुके थे हम तो आशिक़ी से पहले
बन सँवर गये नहींं हम तेेरी दोस्ती से पहले
कब था ये सलीका हमको अपनी गुमशुदी से पहलेे
कूद-फाँद की बहुत पर थाह हो नहीं सकी जाँ
ज़िन्दगी के गुर न पाये हम भी ख़़ुदक़शी से पहले
खो सको जुनूूँ-मुहब्बत आना इस डगर को यारो
अन्यथा कहोगे मरना अच्छा हर सती से पहले
खूब मयकशी की हमने साथ साक़ी थी वो…
ContinueAdded by Chetan Prakash on July 12, 2023 at 10:41am — No Comments
2×15
कोशिश इतनी भी मत कीजे यादों को झुठलाने में ।
आँखों मे आँसू भर जायेगे ज्यादा मुस्काने में।
और भी कोई चीज़ बची है क्या तेरे मैखाने में,
सारे ग़म तो मिला दिए तूने मेरे पैमाने में।
बरस हज़ारों बीत गए हो जैसे तुझको देखे बिना,
बीस साल की गिनती तो मैं गिनता हूँ अनजाने में।
कोई फैसला लिखने बैठेगा तो उससे पूछूगा,
सारी गवाही पूरी हैं या देर है उनके आने में।
इतना पता मिल जाता बस वो सही सलामत रहते हैं,
अब तो…
Added by मनोज अहसास on July 12, 2023 at 12:02am — No Comments
1222 1222 1222 1222
वही इक ख्वाब तो अपनी निगाहों ने भी देखा था।
हमारे पास कोशिश थी,तुम्हारे पास पैसा था।
तुम्हारे हक़ में आया फैसला तो कैसा अचरज हो,
मेरी आँखों में मिन्नत थी, तेरे कदमों का रुतबा था।
कहीं से भी नहीं लगता तेरी हस्ती से अब संगदिल,
यही वो शख्स है मैं जिसके ख़्वाबों में भी रहता था।
तेरा रुख ऐसा होगा ये अगर महसूस हो जाता,
कभी भी मैं नहीं कहता तू मुझसे प्यार करता था।
रिहाई जाने कब…
ContinueAdded by मनोज अहसास on July 10, 2023 at 1:06am — 2 Comments
मैं चाँद तू चकोरा मेरे बिन तू अधूरा
जो तू मिल जाए मुझसे मैं हो जाऊँ पूरा
तेरे बिन जीने में है क्या बात मितवा
बस तुझको दिल मेरा दे आवाज़ मितवा
तू भी भागे मेरी ओर मैं भी भागूं तेरी ओर
बांधे तुझको मुझको है कोई अनदेखी सी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 8, 2023 at 5:59am — No Comments
221 2122 221 2122
सावन हवा सुहानी आँखों कहीं नमी है
अब आ भी जाओ जानाँ तुम बिन नहीं खुशी है
छोड़ो भी दिल्लगी अब तन्हाई मारती है
बढ़ती है अब उदासी बदहाल ज़िन्दगी है
बादल बुझा रहा है सुन प्यास इस ज़मीं की
तू भी बसा मेरी दुनिया जो नहीं सजी है
ताउम्र तुमको चाहा मेरा जहाँ तुम्हीं हो
जाँ दिल मलो कि अब तो बेदर्द सी ग़मी है
अलमस्त जी रहे थे हम साथ-साथ जानाँ
ऐसा हुआ वो क्या हमसे जो ये बेदिली…
Added by Chetan Prakash on July 7, 2023 at 1:34pm — 1 Comment
221 - 2122 - 221 - 2122
आया है चाट वाला ले कर गली में ठेला
आते ही लग गया है बच्चों का जैसे मेला
अम्मा से पैसे लेके दौड़ी जो बिटिया रानी
सुनकर ही आ गया है चच्ची के मुँह में पानी
भाभी भी हो रहीं ख़ुश भय्या मँगा रहे हैं
खाते नहीं मगर वो सबको खिला रहे हैं
टन-टन तवा बजाता कर्छी से चाट वाला
कहता है आओ बाजी आओ जी मेरी ख़ाला
गर्मा-गरम पकौड़े चटनी है खट्टी-मीठी
रगड़ा-मसाला खा के मुँह से…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 6, 2023 at 8:53pm — 4 Comments
२२१-२१२१-१२२१-२१२
लड़ते झगड़ते रहते हैं यारो सभी से हम
मिलते हैं दुश्मनों से बड़ी सादगी से हम(१)
चक्कर लगाता रहता है दुनिया का एक शख़्स
आगे निकल न पाए तुम्हारी गली से हम (२)
कैसे बिताएँ वक़्त ज़रा सा भी उनके साथ
वो हैं नये समय के पुरानी घड़ी से हम (३)
मिलना है जिसका हक़ उसे धेला नहीं मिला
बाँटे गए हैं मुफ़्त में ही रेवड़ी से हम (४)
जब भी छुपाई हमने कहीं पर तुम्हारी बेंत
पीटे गए हमेशा हमारी छड़ी से हम…
Added by सालिक गणवीर on July 5, 2023 at 5:23pm — 2 Comments
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