For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,998)

कैसे कर लेते हो

दबा कर आँखों में आँसू यूं मुस्कुरा जाते हो तुम 

देकर खुशियाँ अपने हिस्से की हमें ग़म भुला जाते हो तुम 

कैसे अपने एहसासों को ज़ुबां पर आने नहीं देते 

दिल के बवंडर को क्यों बह जाने तुम नहीं देते 

कैसे हर बार तुम हीं अपने अरमानो को दबाते हो …

Continue

Added by AMAN SINHA on June 10, 2023 at 6:47am — No Comments

नग़्मा (टूटते यक़ीन तार-तार देखते रहे)

रिश्ते सब बिखर गये

दोस्त उज़्र कर गये 

वक़्त की हवा में रुख़ों से नक़ाब उतर गये 

हम तो बस वफ़ाओं का मज़ार देखते रहे 

टूटते यक़ीन तार-तार देखते रहे 

ग़म की धूप धीरे-धीरे सब नमी चुरा गई

पत्तियों का नूर और कली का रूप खा गई

मेरे आशियाँ पे कोई बर्क़-सी गिरा गई

ख़ाक भी न मिल सकी कि इस तरह जला गई

ज़ख़्म हो गए हरे

खिल गए, जो थे भरे 

दब चुके तमाम दर्द फिर उभर-उभर गये 

हम तो बस अचेत-से 

मुट्ठियों की…

Continue

Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 9, 2023 at 1:16am — No Comments

पुकार

कैसी ये पुकार है? कैसा ये अंधकार है 

मन के भाव से दबा हुआ क्यों कर रहा गुहार है? 

क्यों है तू फंसा हुआ, बंधनों में बंधा हुआ 

अपनी भावनाओं के रस्सी में कसा हुआ 

त्याग चिंताओं को अब चिंतन की राह धरो

स्वयं पर विश्वास कर दृढ़ हो…

Continue

Added by AMAN SINHA on June 3, 2023 at 7:26pm — No Comments

कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः

दुर्दशा हुई मातृ भूमि जो, गंगा ...हुई... .पुरानी है

पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता-कथा सुनानी है !

दोहा ..सोरठा ..सवैया तज, कवि मुक्त काव्य लिखता है ।

सिद्ध छंद छोड़ काव्य वह अब, भार गिरा कर पढ़ता है ।।

ग़ज़ल उसे बहुत भाती रही, याद ,.,कविता.. दिलानी है ।

कविता का ..मर्म नहीं.. जाने , घुट्टी ..उन्हें ...पिलानी है ।।

पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता - कथा.. सुनानी है !

माँ शारदे .. सुन, वरदान दे, दास काव्य का..बन…

Continue

Added by Chetan Prakash on June 1, 2023 at 7:35am — 1 Comment

दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

जलते दीपक कर रहे, नित्य नये पड्यंत्र।

फूँका उन के  कान  में, तम ने कैसा मंत्र।१।

*

जीवनभर  बैठे  रहे, जो  नदिया  के तीर।

भाँणों ने उनको लिखा, मझधारों के वीर।२।

*

करती हो पतवार जब, दुश्मन सा व्यवहार।

कौन  करे  उम्मीद  फिर, नाव  लगेगी पार।३।

*

दुख के अपने रंग हैं, दुख की अपनी चाल।

जिसके चंगुल में हुए, जग में सभी निढाल।४।

*

लूले-लँगड़े सुख  सकल, साध  रहे  नित मौन।

आगे बढ़कर फिर भला, दुख को कुचले कौन।५।

*

दुख के जनपद हैं बहुत, सुख…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 30, 2023 at 10:25pm — 2 Comments

मोल रोटी का उसी को - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२/२१२

*

अब न काली रातों में ही चूमती फिरती है लब

भोर में भी यह  उदासी  चूमती  फिरती है लब।१।

*

वो जमाना और था  जब प्यार था पर्दानशीं 

आज तो हर बेहयायी चूमती फिरती है लब।२।

*

जेब खाली की न घर में  पूछ होती आजकल

धन मिले तो स्वर्ग दासी चूमती फिरती है लब।३।

*

मोल रोटी का उसी को  हम  से  बढ़कर ज्ञात है

नित्य जिसके सिर्फ बासी चूमती फिरती है लब।४।

*

हर थकन से  मुक्ति  पाती  देह  जर्जर आज भी

जब गले लग झट से बच्ची…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 29, 2023 at 11:00am — 2 Comments

है ज़हर आज हवाओं में, दिल दहलते हैं

1212 1122 1212 22

है ज़हर आज हवाओं में, दिल दहलते हैं

मुनाफ़िकों की है बस्ती कि वो टहलते हैं

के चार सू यहाँ मरते हैं लोग तनहाई

बुझे- बुझे से हैं बूढ़े कहीं निकलते हैं

कि ख़ौफनाक है मंज़र ये नफ़रतों दुनिया

ये ज़ालिमों की है बस्ती खला बहलते हैं

वो शर्म मर गयी आँखों की ग़मज़दा हम हैं

करें भी क्या अदब वाले यहाँ से चलते हैं

गुलाम देते सलामी वो शाह भी खुश हैं

कि मार डाले हैं दुश्मन जहाँ जो…

Continue

Added by Chetan Prakash on May 29, 2023 at 7:30am — No Comments

ख्बाब केवल ख्बाब

ख्बाब केवल ख्बाब



ख्बाब था मेहनत के बल पर , हम बदल डालेंगे किस्मत

ख्बाब केवल ख्बाब बनकर, अब हमारे रह गए हैं



कामचोरी ,धूर्तता ,चमचागिरी का अब चलन है

बेअर्थ से लगने लगे है ,युग पुरुष जो कह गए हैं



दूसरो का किस तरह नुकसान हो सब सोचते है

त्याग ,करुना, प्रेम ,क्यों इस जहाँ से बह गए हैं



अब करा करता है शोषण ,आजकल बीरों का पौरुष

मानकर बिधि का विधान, जुल्म हम सब सह गए है



नाज हमको था कभी पर आज सर झुकता शर्म से

कल तलक जो थे… Continue

Added by Madan Mohan saxena on May 23, 2023 at 11:06am — No Comments

ग़ज़ल नूर की



बारहा साहिल की जानिब लह’र क्यूँ आती रही


सर पटकती पाँव पड़ती रोती चिल्लाती रही.

.

ओस में भीगे हुए इक गुल को नज़ला हो गया

देर तक तितली लिपटकर उस को गर्माती रही.

.

इक नदी की चाह में रोया समुन्दर ज़ार…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on May 22, 2023 at 1:08pm — 4 Comments

तीन जन्म नारी के

एक जीवन मे नारी का तीन जन्म होता है 

लेकिन हर जनम मे उसका कर्म अलग होता है 

पहला रूप है पुत्री का, पिता के घर वो आती है 

संग में अपने मात-पिता का स्वाभिमान भी लाती है 

यहाँ कर्म हैं मात-पिता की सेवा निशदिन करते रहना …

Continue

Added by AMAN SINHA on May 21, 2023 at 6:00am — No Comments

ग़ज़ल - मुझे ग़ैरों में शामिल कर चुका है

2122 2122 2122

1

वो ज़रा-सा सिरफ़िरा कुछ मनचला है

जो महब्बत के सफ़र पर चल पड़ा है

2

मेरे दिल ने जो कहा मैंने किया है

काम फिर चाहे वो अच्छा या बुरा है

3

अक़्स आँखों में हमारी जो छिपा है

इस जहाँ के सबसे प्यारे शख़्स का है

4

है महब्बत एक चिंगारी कुछ ऐसी

दिल लगाने वाला ही इसमें जला है

5

बाद मुद्दत के मिला उससे तो जाना

वो मुझे ग़ैरों में शामिल कर चुका है 

6

कुछ कहे बिन और…

Continue

Added by Rachna Bhatia on May 17, 2023 at 11:30am — 7 Comments

ग़ज़ल ( दिनेश कुमार )

2122--1122--1122--22

मेरी क़िस्मत में अगरचे नहीं धन की रौनक़

सब्र-ओ-तस्लीम से हासिल हुई मन की रौनक़



एक दूजे की तरक़्क़ी में करें हम इमदाद

भाई-चारा ही बढ़ाता है वतन की रौनक़



किसको फ़ुर्सत है जो देखे, तेरी सीरत का जमाल

हर तरफ़ जल्वा-नुमा अब है बदन की रौनक़



मुश्किलें कितनी भी पेश आएं तेरी राहों में

जीत की शक्ल में चमकेगी जतन की रौनक़



ये परखते हैं ग़ज़लगो के तख़य्युल की उड़ान

सामईन अस्ल में हैं बज़्म-ए-सुख़न की…

Continue

Added by दिनेश कुमार on May 17, 2023 at 10:30am — 4 Comments

क्या रंग है आँसू का

क्या रंग है आँसू काकैसे कोई बतलाएगा
सुख का है या दु:ख का है ये कोई कैसे समझाएगा
 
कभी किसी के खो जाने से, कोई कभी मिल…
Continue

Added by AMAN SINHA on May 14, 2023 at 8:30am — 1 Comment

मातृ दिवस के दोहे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"



माँ का आँचल बाल को, सदा सुरक्षा ढाल

टलता जिसकी छाँव में, आया संकटकाल।१।

*

हीरे, मोती, स्वर्ण का, रख कितना भी तोल

माँ की ममता का नहीं, पास किसी के मोल।२।

*

माँ के आँचल के तले, मिलती ऐसी छाँव

हर्षित होकर नाचता, हर दुखियारा गाँव।३।

*

चाहे मन  से हो  स्वयं, माँ  यूँ बहुत उदास

बच्चों को देती मगर, सदा खुशी की आस।४।

*

अपने सब दुख भूलकर, देती सबको हर्ष

माता  जीवन  नींव  है, माता  ही  उत्कर्ष।५।

*

रग-रग में माँ के भरे, ममता, करुणा,…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 13, 2023 at 10:10pm — 2 Comments

क्या बात करें ?

गुफ़्तगु तो बहुत हैं मगर क्या बात करें,

ग़म ए ज़िंदगी बहुत है, मगर क्या बात करें।

कहते हैं दुःख बांटने से कम हो जाता है ,

मगर शब्द ही मुंह से न निकलें , फिर क्या बात करें।

ज़िंदगी ने सिखाया कि रोना नहीं है ,

मगर अश्क़ ही न थम पाएं , फिर क्या बात करें।

आप उनकी ख़ातिर मर-मर के जिये हैं ,

वो फिर भी न समझ पाएं , फिर क्या बात करें।

है बड़ी कुंद सी मेरी ये ज़िन्दगी ,

झूठे ही मुस्कुराये ,फिर क्या बात करें।

नाहक़ ही उन्हें कोई कुछ भी ना बताये,…

Continue

Added by Sudhir Thakur on May 12, 2023 at 12:20pm — 1 Comment

धूल में खेले हुए (गज़ल)

धूल में खेले हुए, कितने ज़माने हो गए।

ये पता ही ना चला, कब हम सयाने हो गए।।

अब मुहल्ले में नई, दास्तान हैं बनने लगीं।

इश्क़ के किस्से सभी मेरे, पुराने हो गए।।

शब्द कुछ यूँ ही पिरोकर, इक बहर में रख लिए।

आपके होंठों से…

Continue

Added by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on May 10, 2023 at 10:19pm — 5 Comments

ज़हरीला परिवेश

बाहर तपती धूप है , हवा चले , ले रेत

मनुज न फिर भी चेतता,होता जीव अचेत

भीषण बाढ़ें कर रहीं घर संग फसल तबाह

मेहनतकश किसान का,किस विधि हो निर्वाह?

शब्दों कर्मों में नहीं दिखता सामंजस्य

धरती जो है उर्वरा, कहते ऊसर व्यर्थ

उस पर वह बनवा रहे सुखद, मनोरम 'स्यूट'

बिल्डर , माननीय मिल,जमकर करते लूट

अभिभाषण में कह रहे पर्यावरण बचाव

कटवाएँ खुद तरु,विटप, देते नित्य सुझाव

कथनी करनी में बड़ा अन्तर…

Continue

Added by Usha Awasthi on May 9, 2023 at 4:00pm — 1 Comment

मेरी खूबसूरती श्राप है

मेरी खूबसूरती श्राप है 

मेरे पूर्व जन्म का पाप है 

जितनों को मैंने छला होगा 

ये उन सबका अभिशाप है 

घर से निकल ना पाऊँ मैं 

रास्ते पर चल ना पाऊँ मैं  

कपड़े गहनों की बात हीं…

Continue

Added by AMAN SINHA on May 7, 2023 at 6:39am — 1 Comment

पाँच दोहे - संगत

दोहा पंचक

विषय : संगत



संगत सच्चे मित्र की, उन्नत करे चरित्र ।

ऐसे मित्रों के सदा, पूजे जाते चित्र ।।

ओछी संगत के  सदा, ओछे होते रंग ।

कटे सदा फिर जिंदगी, बदनामी के संग ।।

अच्छे बुरे हर कर्म का, संगत है आधार ।

संगत के अनुरूप ही, जीव करे व्यवहार ।।

कहाँ निभा है  आज तक, केर बेर का संग ।

संगत सज्जन की सदा, मन में भरे उमंग ।।

भला बुरा हर आचरण , संगत के आधीन ।

जैसी संगत जीव की, वैसी बजती  बीन…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 4, 2023 at 1:51pm — 4 Comments

मैं जिया हूँ दो दफा

मैं जिया हूँ दो दफा और दो दफा हीं मैं मरा हूँ

पर अधूरी ख्वाहिशो संग हर दफा हीं मैं रहा हूँ

चाह मेरी जो भी थी वो मेरे पास थी सदा

पर मेरे पहुँच से देखो दूर थी वो सर्वदा

 

राह जो चुनी थी मैंने पूरी तरह सपाट थी

पर मेरे लिए हमेशा बंद उसकी कपाट थी

मैंने जो गढ़ी इमारत दीवार जो बनाई थी

उसकी नींव में हमेशा हो रही खुदाई थी

 

मैं चला था साथ जिसके मंज़िलों के प्यास में

वो रहा था पास मेरे किसी दूसरे के आस में

साथ…

Continue

Added by AMAN SINHA on May 1, 2023 at 5:30am — 2 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service