1212 1122 1212 22
ये न्यूज़ वाले कहानी को मोड़ देते हैं
यहाँ की बात वहाँ ला के जोड़ देते हैं
ख़राब आज को करते नहीं हैं उसके लिए
जो कल की बात है कल पे ही छोड़ देते हैं
बड़े ही प्यार से माँ बाप पालते जिनको
उमीद उनकी वो बच्चे ही तोड़ देते हैं
दिखाते फिरते नहीं ज़ख़्म अपने दुनिया को
हम अपना दर्द ग़ज़ल में निचोड़ देते हैं
जो आइना तुझे घूरे अधिक समय तक तो
उस आइने की भी आँखों को फोड़ देते हैं
उठा के …
ContinueAdded by नाथ सोनांचली on April 4, 2023 at 1:56pm — 4 Comments
2122 2122 2122 212
तुम हमारे दौर के इक रहनुमा हो तो हँसों।
नाच कठपुतली का जग में हो रहा देखो हँसों।1
इश्क़ वालों ने किसी भी दौर में पाया न चैन,
सूखी आँखों से सभी की दास्तां लिक्खो, हँसों।2
मुझको दिल से है ज़रूरत अपने घर की छांव की,
मेरे पथ में बिछ चुके हर खार को देखो,हँसों।3
घर किसी का तोड़ने फिर आ गई है वो मशीन,
खूब दिल से ये तमाशा देखने वालों हँसों ।4
चूर हो जाओगे तुम टकरा के इन…
ContinueAdded by मनोज अहसास on April 1, 2023 at 12:04am — 2 Comments
रोशनी उस पार बेढब नित दिखाती खिड़कियाँ
काश नन्ही भोली चिड़िया खोल पाती खिड़कियाँ/१
*
है नहीं कोई उबासी सोच पर हावी सनम
ताजगी का एक झोंका नित्य लाती खिड़कियाँ/२
*
दूर पथ पर चाँद बढ़ता हसरतों से देखना
याद का झोंका लिए यूँ याद आती खिड़कियाँ/३
*
इस हवा को बात कोई कर रही बेचैन क्या
द्वार के ही साथ जो ये खटखटाती खिड़कियाँ/४
*
ढूँढ लेना छाँव पन्छी पेड़ की इक डाल पर
दोपहर की धूप से जब कुम्हलाती खिड़कियाँ/५
*
कर दिया जर्जर समय ने ओढ़ ली हर…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 31, 2023 at 10:24pm — No Comments
आ जाती हैं तितलियाँ, होते ही नित भोर
सब को इनकी सादगी, खींचे अपनी ओर।१।
*
मधुवन में जब तितलियाँ, बहुत मचाती धूम
पीछे - पीछे भागता, हर्षित बचपन झूम।२।
*
फूलों से अठखेलियाँ, कलियों से कर बात
तन–मन में जादू जगा, तितली सोये रात।३।
*
मधुबन में जब बैठते, बच्चे , वृद्ध, जवान
सबकी देखो तितलियाँ, हरती लुभा थकान।४।
*
छोटे -छोटे पंख से, रचकर मृदु संगीत
कलियों से तितली कहे, फूल बने हैं मीत।५।
*
नापे नभ को तितलियाँ,…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 31, 2023 at 10:02pm — 2 Comments
१२२/१२२/१२२/१२२
*
अँधेरों से जब जब डरी रोशनी है
बड़ी मुश्किलों में पड़ी जिन्दगी है।१।
*
कहीं आदमी खुद लगे देवता सा
कहीं देवता भी हुआ आदमी है।२।
*
सहेजी न हम से गयी यार पुरवा
कहो मत कि अब हर हवा पश्चिमी है।३।
*
हमें यूँ न रंगीन सपने दिखाओ
हमारे हृदय में बसी सादगी है।४।
*
समझ कौन पाया रही एक औषध
कहन आपकी जो लगी नीम सी है।५।
*
वही लोक में नित हुए देवता हैं
जिन्हें नार केवल रही उर्वसी है।६।
*
मौलिक /…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 30, 2023 at 4:57am — 2 Comments
चन्द्रगुप्त का पौत्र, जो बिन्दुसार का पुत्र था
बौद्ध धर्म का बना अनुयायी
जो धर्म-सहिष्णु सम्राट हुआ||
माता जिसकी धर्मा कहलाती, सुशीम नाम का भाई था
इष्ट देव शिव-शंकर पहले
ज्ञान-विज्ञान का बड़ा जिज्ञासु हुआ||
परोपकार की भावना जिसमें, उत्सुक जो अभिलाषी था
महेंद्र-संघमित्रा का पिता न्यारा
सदा पुत्र-पुत्री का साथ मिला||
बेहतरीन अर्थव्यवस्था ग़ज़ब सुशासन, जिसका…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on March 28, 2023 at 4:27pm — 1 Comment
2122 2122 2122 212
ज़िन्दगी बेशक ज़रा छोटी हो पर ऐसी न हो।
जिसमें अपने पास सुनने वाला भी कोई न हो।
तुम ज़रा कह दो उसे पापा सुबह तक आएंगे,
मेरी बेटी आज फिर जिद में अगर सोई न हो।
फासलों का क्या भरोसा वक़्त की सब बात है,
वो शिकायत मत सुना जो दिल से खुद तेरी न हो।
अब यहाँ से लौट कर जाना तो मुमकिन है नहीं,
वो जगह भी देख ले जो आज तक देखी न हो।
आपके होने से इतना तो भरोसा है मुझे,
एक तो शै है जो…
Added by मनोज अहसास on March 25, 2023 at 7:08pm — 2 Comments
जिस दौर से हम-तुम गुजरे है,
वो दौर ज़माना क्या जाने?
हम दोनों हीं बस किरदार यहाँ के,
कोई अपना अफसाना क्या जाने
रंगमंच के पर्दे के पीछे
चरित्र सभी गढ़े जाते है
जो कहते है जो करते है
वो बोल सभी लिखे जाते है
हम दोनों अपने किरदार में थे
अपनी बेचैनी कोई क्या जाने?
जिस दौर से हम तुम गुजरे है,
वो दौर जमाना क्या जाने?
है एक लम्हे का साथ सही,
पर साथ पुराना लगता है
तुम कंधे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 23, 2023 at 10:03am — No Comments
1222×4
एक ताज़ा ग़ज़ल प्रस्तुत है मित्रों इसमें यह सुझाव देने की कृपा करें कि यदि तक की जगह भी कर दिया जाए तो कैसा रहेगा
वफ़ा के रास्ते पे कोई रहबर तक नहीं आता
किसी का ज़िक्र क्या वो अपना होकर तक नहीं आता
मैं अपनी जिंदगी उस रास्ते पर छोड़ आया था
जहाँ से अब कोई रास्ता मेरे घर तक नहीं आता
तुम्हारा दुख वहीं चौखट पे लग के रोता रहता है
सौ जमघट देख कर वो दिल के भीतर तक नहीं…
Added by मनोज अहसास on March 22, 2023 at 11:00pm — No Comments
नित्य तुम्हारे चन्द्र रूप को, मन चाहा शृंगार लिखूँ ।
मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक, केवल तुमको प्यार लिखूँ।।
छुईमुई हो पीर सयानी,
सुख की नूतन रहे कहानी।।
अँखियों में चंचलता खेले,
सिर पर ओढ़े चूनर धानी।।
मुस्कानों की हर गठरी पर, यौवन का उपहार लिखूँ।
मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक, केवल तुमको प्यार लिखूँ।।
*
छमछम पायल ओट बजाना
फिर साँसों की सुधि भरमाना।।
भौंरों जैसी अठखेली पर,
छुईमुई सा झट शरमाना।।
बालापन सी …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 22, 2023 at 9:05am — 2 Comments
माना नज़र है तेरी ख़रीदार की तरह
लेकिन न लूट तू मुझे बाज़ार की तरह
रिश्ते बिगड़ते देर तनिक भी नहीं लगे
गर आपकी ज़ुबान हो तलवार की तरह
वो तो चुनाव जीत के परधान बन गया
जो घूमता था गाँव में बेकार की तरह
वादा तो कीजिये नहीं और कर दिए अगर
वादा खिलाफी हो नहीं सरकार की तरह
देते हैं भाव नेता चुनावों के वक़्त पर
और फेंक देते बाद में अख़बार की तरह
शाइर …
ContinueAdded by नाथ सोनांचली on March 21, 2023 at 7:49pm — 6 Comments
1222×4
ज़रा सा और मैं दुनिया के ग़म में चूर हो जाता
हमारे बीच का ये फासला भरपूर हो जाता
मैं जैसे रोज जलता हूँ तेरी यादों की बारिश में
किसी दिन तू भी मुझसे मिलने को मजबूर हो जाता
मैं अपने आप से लड़कर भी अक्सर हार जाता हूँ
ज़माने से अगर लड़ता तो चकनाचूर हो जाता
इसी डर ने मुझे तुझ तक पहुँचने से सदा रोका
मेरे साये से तेरा नाम ही बेनूर हो जाता
तेरी बातें बहुत दिन बाद इक हमदर्द से की तो
मुझे…
Added by मनोज अहसास on March 17, 2023 at 11:16pm — 5 Comments
Added by AMAN SINHA on March 14, 2023 at 10:12am — 1 Comment
हर पीड़ा जब पतझड़ ढोता, तब हँसता सन्सार वसंती।
पतझड़ से मत घबराना मन, हर पतझड़ आधार वसन्ती।।
*
सुमन नहीं इसके हिस्से में,
केवल पत्ते, वही बिछाता।
एक यही तो ऋतुराज की,
करने को अगवानी आता।
है इसका हर त्याग अबोला, खिलता जिससे प्यार वसन्ती।
पतझड़ से मत घबराना मन, हर पतझड़ आधार वसन्ती।।
*
मत कोसो इसको नीरस कह,
इस ने हर नीरसता लूटी।
झाड़े इसने तन से कणकण,
तब जाकर नव कोंपल फूटी।।
चलो सराहो इसकी कोशिश, जिस ने जोड़ा तार…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 13, 2023 at 8:11pm — 3 Comments
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कहूँ सच आपका कोई नहीं है
जहाँ में आश्ना कोई नहीं है
सबूतों बात ये कह दी अभी से
वो दुनिया में मिरा कोई नहीं है
ये सब माया उसी की जो छुपा है
सिवा उसके ख़ुदा कोई नहीं है
अकेलापन बड़ी सबसे सज़ा है
अभागा अन्यथा कोई नहीं हैं
किया जो ज़ुर्म उसने वो भरेगा
वो मेरा मुँहलगा कोई नहीं है
मुखौटा कब कोई पहना है मैंने
बहस ये मुद्दआ कोई नहीं है
जो है इनसान का…
ContinueAdded by Chetan Prakash on March 12, 2023 at 7:44pm — 2 Comments
शिकवों के दौर थे काफी,
साथ ना तेरे आने को,
पर एक वज़ह जिंदा थी बाकी,
तेरा साथ निभाने को।
अल्फाज़ों का शोर बहुत था,
तुझे दगा बताने को।…
ContinueAdded by Dr. Geeta Chaudhary on March 11, 2023 at 10:28pm — 10 Comments
माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी
गाज़ियाबाद। इंदिरा चौधरी ने 85 साल की उम्र में जिस इकलौते बेटे की पैरवी करके जमानत कराई, उसे उन्होंने अकेले पाँच वर्ष की उम्र से पाला था। वह जब जेल से बाहर आया तो मां को साथ रखने के बजाय वृद्धाश्रम में छोड़ गया। वह बताती हैं कि वह वाराणसी में बेटे-बहू के साथ ही रह रही थीं। एक दिन अचानक बेटा बहू और पोते को लेकर लापता हो गया। पता चला कि वह जिस कंपनी में काम करता था, वहीं गबन कर गया। कंपनी के केस दर्ज कराने के बाद पुलिस ने उसे तिहाड़ जेल में…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 9, 2023 at 10:17am — 5 Comments
2122 1212 22
1
सोये जज़्बे जगा रहा है कोई
दिल प हौले से छा रहा है कोई
2
नज़रों से मय पिला रहा है कोई
मुझको मुझसे चुरा रहा है कोई
3
चाँद तारो न उम्र भर जाना
मेरे घर आज आ रहा है कोई
4
चन्दा कुछ देर ओढ़ ले बदरी
छत प मुझको बुला रहा है कोई
5
मुस्कुराहट सजा के होटों पर
इश्क करना सिखा रहा है कोई
6
लौटना अपना मुस्तरद*करके
मेरा ओहदा बढ़ा रहा है…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 8, 2023 at 8:17pm — 4 Comments
लुकछिप आना झील किनारे, लेकर गोरी रंग।
बरसों बाद मनायें होली, फिर से हम तुम संग।।
*
सुनते सब से गाँव तुम्हारे, यौवन भरी बहार।
फागुन में लचकी है चहुँदिश, फूलों वाली डार।।
फूल पलासी भरना थोड़े, आँचल अबकी बार।
हम सूखे पतझड़ के वासी, मानेंगे उपकार।।
**
पा लेगा उन फूलों से ही, जीवन नयी उमंग।
बरसों बाद मनायें होली, फिर से हम तुम संग।।
**
प्यासी बंजर धरती जैसे, हैं मन के हालात।
रूठ गयी है हर एक बदली, हवा न करती बात।।
कर बैठा …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 8, 2023 at 7:13am — 8 Comments
नहीं जो था होना वो सब हो रहा है
निज़ाम-ए-ख़ुदा में ग़ज़ब हो रहा है.
.
इबादत में कैसा शग़ब हो रहा है शग़ब- कोलाहल
धड़क-कर ये दिल बे-अदब हो रहा है.
.
ज़रूरी नहीं कोई मक़सद हो अपना…
Added by Nilesh Shevgaonkar on March 2, 2023 at 5:44pm — 12 Comments
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