हिन्दी
भारत माँ के विशद भाल पर
यह जो शोभित बिंदी है
जिसकी आभा से सब जगमग
वह भाषा तो हिन्दी है ll
अपनी गरिमा है हिन्दी से
हिन्दी ही अपनाएंगे
आन बान सम्मान अस्मिता
इसकी सदा बढ़ाएंगे ll
सरस सुगम हृदयंगम भाषा
जन जन की हितकारी है
मोती सा हम गुँथे सूत्र में
हिन्दी की बलिहारी है ll
हमें गर्व है इस हिंदी पर
हिंदी को ना छोड़ेंगे
नित भारत के हर कोने को
हिंदी…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on September 14, 2018 at 9:34pm — 2 Comments
भारत माँ के विशद भाल पर
यह जो शोभित बिंदी है
जिसकी आभा से सब जगमग
वह भाषा तो हिन्दी है ll
अपनी गरिमा है हिन्दी से
हिन्दी ही अपनाएंगे
आन बान सम्मान अस्मिता
इसकी सदा बढ़ाएंगे ll
सरस सुगम हृदयंगम भाषा
जन जन की हितकारी है
मोती सा हम गुँथे सूत्र में
हिन्दी की बलिहारी है ll
हमें गर्व है इस हिंदी पर
हिंदी को ना छोड़ेंगे
नित भारत के हर कोने को
हिंदी से हम…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on September 14, 2018 at 9:00pm — 7 Comments
राखी
राखी धागा प्रेम का, कर लेना स्वीकार
केवल ये धागा नहीं,जनम जनम का प्यार ll
बहना तेरी खुश रहे,ऐसा करना काम
मान धर्म रखना सभी, होवे ना बदनाम ll
रिश्ता ये अनमोल है,समझो इसका मोल
पावन रिश्ते को कभी, पैसे से ना तोल ll
प्रेम झलकता एक दिन,फिर करते तकरार
दुख सहती बहना अगर, ये कैसा है प्यार ll
दिल से बहना को सभी, देना स्नेह दुलार
याद करे बहना कभी,मत करना इनकार…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on August 26, 2018 at 12:38pm — 10 Comments
आल्हा (वीर छन्द)
बरसे बादल उमड़ घुमड़ के,चहुँ दिशि गूँजे चीख पुकार
गाँव नगर सब डूब गया है,कुदरत की ऐसी है मार
विषम घड़ी आयी केरल में,बाढ़ मचाई है उत्पात
कांप उठा है कोना कोना, संकट से ना मिले निजात
भारी जन धन काल गाल में,कैसे सभी बचाएं जान
खेत सिवान झील में बदले,ध्वस्त हुए सारे अरमान
तहस नहस केरल की धरती,मची तबाही चारो ओर
नाव चले गलियों कूँचे में,काल क्रूर बन गया कठोर
जमींदोज सब भवन हो गए,आयी बाढ़ बड़ी…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on August 21, 2018 at 8:36pm — 14 Comments
श्रद्धांजलि
हिन्दी का जग सूना सूना,कवि नीरज के जाने से
मर्माहत साहित्य जगत है, यह हीरा खो जाने से
भूल नहीं पाएंगे हम सब,नीरज की कविताओं को
गीतों में ढाला है जिसने,नित मदमस्त फिजाओं को ll
देदीप्यमान अम्बरादित्य, बिन काव्यजगत ये रीता है
नीरज अब नीर विलीन हुआ, मन भ्रमर गमों को पीता है
मुखरित होता था प्रेम रुदन,सौंदर्य वेदना गीतों में
इक रूह झंकरित होती थी, उनके हर संगीतों में ll
कविता कानन का मन मयूर, ढूंढ…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on July 23, 2018 at 2:51pm — 6 Comments
नन्हीं चींटी
श्रमजीवी नन्हीं चींटी को
दीवारों पर चढ़ते देखा
रेखाओं सी तरल सरल को
बाधाओं से लड़ते देखा ll
श्रमित न होती भ्रमित न होती
आशाओं की लड़ी पिरोती
कभी फिसलती कभी लुढ़कती
गिर गिर कर पग आगे रखती ll
सहोत्साह नित प्रणत भाव से
दुर्धर पथ पर बढ़ते देखा ll
मन में नहीं हार का भय है
साहस धैर्य भरा निर्णय है
लाख गमों को दरकिनार कर
एक लक्ष्य जाना है ऊपर…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on May 29, 2018 at 8:51am — 6 Comments
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on May 5, 2018 at 7:44am — 8 Comments
मैं लिख नहीं सकता l
मैं लिख नहीं सकता
वाणी के पर खोलकर
अम्बुधि के उर्मिल प्रवाह पर
उत्कंठित भावभंगिमा से
नीरवता का भेदन करके
घन तिमिर बीच में बन प्रभा
मधुकरी सदृश गुंजित रव से
अविरल नूतनता भर देता
मैं लिख नहीं सकता l
भू अनिल अनल में
उथल पुथल
अनृत प्रवाद का मर्दन कर
इतिवृत्तहीन विपुल गाथा
मुख अवयव से
पुष्कल निनाद
हो अनवरुद्ध
झंकृत करता
मैं…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on April 25, 2018 at 12:31pm — 7 Comments
पर्यावरण (दोहा छन्द)
बढ़ा प्रदूषण इस कदर, त्राहिमाम हर ओर
जल थल नभ दूषित हुआ,मचा भयंकर शोर.1.
अपने मन का सब करे,काटे वन दिन रात
दैत्य प्रदूषण दन्त से, कैसे मिले निजात.2.
धुँवा धुँवासा हो रहा ,नहीं समझते लोग
अस्पताल में भीड़ है,घर घर बढ़ता रोग.3.
धरती का छेदन करे, पानी तल से दूर
कृषक हाल बेहाल है,मरने को मजबूर.4.
घर आँगन में वृक्ष लगे, सुंदर हो परिवेश
शुद्ध हवा सबको…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on April 17, 2018 at 8:56am — 5 Comments
बदल रही परिवेश बेटियां,करके अद्भुत काम
विश्व पटल पर आगे आकर,रोशन करती नाम ll
श्रम के बल से जीत रही हैं,स्वर्ण पदक हर बार
निज प्रतिभा से कर जाती हैं, सारी बाधा पार ll
सुरम्य धरती का हर कोना , बेटी से गुलजार
स्नेह भावमय जग को करती,सदा लुटाती प्यार ll
अंगारों पर चलना सीखी , बेटी बनी जुझार
कठिन घड़ी जब भी आती है,जमकर करती वार ll
सीख सको सीखो बेटी से, जीवन का हर सार
दया धर्म समता ममता की ,…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on April 11, 2018 at 7:09pm — 6 Comments
गौरैया की चीं चीं बोली, सबको बड़ी सुहाती है
प्रातः काल मधुर बेला में, गीत मनोहर गाती है
फुदक फुदक कर दाने चुगती, मन को बड़ी लुभाती है
खिड़की और झरोखों से नित, हर पल आती जाती है ll
खेत बाग वन घर आँगन को, गौरैया चहकाती है
घरों और चौबारों में नित, अपना नीड़ बनाती है
घर की शोभा उजड़ गयी है, गौरैया के जाने से
नव युग का मानव वंचित है, गौरैया के गानें से ll
विकास की अंधी दुनिया मे, पंछी गुम हो जाते हैं
बढ़ा…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on March 25, 2018 at 4:48pm — 5 Comments
होली
समता ममता प्यार मुहब्बत, हिलमिल बाँटे होली में
समरसता औ सत्य अहिंसा,छलके मीठी बोली में
होली की सतरंगी आभा,कण कण में फैलाएंगे
वैर भाव का बीज कहीं पे,हरगिज नहीं उगाएंगे
कूड़े का अम्बार उठाकर,दहन करेंगे होली में
कटुता और विषमता का मिल,हवन करेंगे होली में
रंग गुलाल भाल पर शोभित,प्रेम सहित हो होली में
सहिष्णुता का पाठ पढ़ाएं,करें सभी हित होली में
सब मिलकर हुड़दंग मिटाएँ,मचे रार ना होली में
ताना बाना बुने कर्म का,जुड़े तार इस होली…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on March 2, 2018 at 10:57pm — 5 Comments
सबक
देश खोखला होता जाता,आज यहाँ मक्कारों से
सदा कलंकित होता भारत, भीतर के गद्दारों से
लाज शर्म है नहीं किसी को, अपना नाम डुबाने में
मटियामेट करे इज्जत को, देखो आज जमाने में
देश धरा के जो हैं दुश्मन, सबको नाच नचाते हैं
सारी अर्थव्यवस्था को वे, तितर वितर कर जाते हैं
अपनी मर्जी के हैं मालिक, अपना हुक्म चलाते हैं
लूट लूट कर भरे तिजोरी, फिर ये गुम हो जाते हैं
आज व्यवस्था जमीदोज है, हर जुर्मी हैवानों से
कैसे मुक्ति मिले भारत को, इन पाजी…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on February 25, 2018 at 9:21am — 10 Comments
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on November 27, 2017 at 6:57pm — 7 Comments
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on November 13, 2017 at 5:51pm — 12 Comments
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on October 31, 2017 at 12:23pm — 18 Comments
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on October 25, 2017 at 3:31pm — 9 Comments
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on October 18, 2017 at 4:33pm — 9 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |