2122 1212 22
1
एक बेहिस को दिल दिया हमने
कह के अपना उसे ख़ुदा हमने
2
रहके तुमसे खफ़ा खफ़ा हमने
ख़ुद को बर्बाद कर लिया हमने…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on July 15, 2021 at 7:12pm — 7 Comments
2122 1122 1122 22 /112
1
अच्छा महफ़िल में तमाशा बना मेरा कल शब
दिल मेरा तोड़ा गया कह के ख़िलौना कल शब
2
ज़ख़्मी दिल पर तेरा जब नाम उकेरा कल शब
हाय रब्बा मेरे तब होंठों से निकला कल शब
3
झूठ की सुब्ह तलक माँग है बाज़ारों में
और मैं एक भी सच बेच न पाया कल शब
4
मेरे हाथों की लकीरें भी बदल जाएँगी
ख़्वाब आँखों ने दिखाया मुझे ऐसा कल शब
5
उस तरफ़ चाँद सितारों की चमक थी "निर्मल"
इस तरफ़ था…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on April 4, 2021 at 7:00am — No Comments
212 1222
1
ज़ार ज़ार रोते हैं
जब वो होश ख़ोते हैं
2
ख़्वान ए इश्क वाले ही
तो फ़कीर होते हैं
3
लोग क्यों अदावत में
हाथ खूँ से धोते हैं
4
डोरी में वो सांसों की
आरज़ू पिरोते हैं
5
चाहतों की गठरी सब
उम्र भर सँजोते हैं
6
क्यों अज़ीज़ अपने ही
अश्कों में डुबोते हैं
7
ख़्वाब देखने वाले
रात भर न सोते हैं
मौलिक व अप्रकाशित
रचना…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 30, 2021 at 8:30pm — 2 Comments
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22
1
जो सह के ज़ुल्म हज़ारों भी उफ़ किया न करे
दुआ करो कि उसे ग़म कोई मिला न करे
2
मुझे बहार की रंगीनियाँ मिलें न मिलें
मगर ख़िज़ा ही रहे उम्र भर ख़ुदा न करे
3
मुझे वो बज़्म में चाहे मिले नहीं खुल कर
मगर मज़ाक में भी ग़ैर तो कहा न करे
4
मैं ज़र्द पत्ते सा घबरा के काँप जाता हूँ
कहे हवा से कोई तेज़ वो चला न करे
5
नशा किसी प महब्बत…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 21, 2021 at 8:30am — 7 Comments
16,11 मात्रा अंत मे गुरु लघु
1
ले राधा जैसी चंचलता, कृष्णा जैसा प्यार।
बरसाने में खेली जाए,होरी भी लठमार।
जोगिरा सा रा रारा रा,..
2
कृष्ण गए थे हँसी ठिठोली, करने राधा…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 19, 2021 at 3:00pm — 5 Comments
221--1221--1221--122
1
कैसे न सनम मचलें'गे जज़्बात हमारे
महफ़िल में अगर गाएंगे नग़्मात हमारे
2
दुनिया का वतीरा भी निभा सकते हैं लेकिन
इन सबसे अलहदा हैं ख़यालात हमारे
3
ईमान की बाज़ार में कीमत नहीं कुछ भी
किस तर्ह से फिर सुधरेंगे हालात हमारे
4
जल जल के बुझी जाती है उम्मीदों की शम्मा
दम तोड़ते हैं साथ सवालात हमारे
5
माज़ी को सिरहाने तले रख सोचते हैं हम
क्यों एक से रहते नहीं दिन रात…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 13, 2021 at 9:00am — 8 Comments
221 2122 221 2122
1
दरिया है आँसुओं का कूचे में बेवफ़ा के
जाना वहाँ से यारा दामन ज़रा बचा के
2
इक बात ये बता दे मेरे हसीन क़ातिल
लेता है जान कैसे तू यार मुस्कुरा के
3
पूछेगी इक न इक दिन तुमसे भी ज़िन्दगानी
हासिल हुआ तुम्हें क्या ईमान को गँवा के
4
उल्फ़त की वादियों से रूठे रहेंगे कब तक
देखें तो आप इक दिन दिल इनसे भी लगा के
5
पूछा है आसमाँ से कल रात छत पे आ कर
जीता है किस तरह वो…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 10, 2021 at 1:30pm — 12 Comments
221 2121 1221 212
1
हमसे शगुफ़्तगी की तमन्ना करे कोई
अब और दर्द देने न आया करे कोई
2
आकर क़रीब इश्क़ जताया करे कोई
सच्चा नहीं तो झूठा ही वादा करे कोई…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 2, 2021 at 7:08pm — 14 Comments
1222 1222 122
1
हमारे वारे न्यारे हो रहे हैं
सनम को जाँ से प्यारे हो रहे हैं
2
बसा कर दिल में शोहरत की तमन्ना
फ़लक के हम सितारे हो रहे हैं
3
नवाज़ा है खुदा ने हर खुशी से
बड़े अच्छे गुज़ारे हो रहे हैं
4
गिला शिकवा नहीं है अब किसी से
सभी दिल से हमारे हो रहे हैं
5
तुम्हारी आँखों के इन मोतियों से
समंदर ख़ूूूब ख़ारे हो रहे हैं
6
भरी महफ़िल में 'निर्मल' आज कैसे
निगाहों से इशारे हो रहे…
Added by Rachna Bhatia on February 19, 2021 at 9:30pm — 12 Comments
221 2121 1221 212
1
हैं आजकल के तिफ़्ल भी यारो कमाल के
रखते नहीं हैं दिल ज़रा अपना सँभाल के
2
जाने लुग़त कहाँ से ले आए निकाल के
लिक्खे जहाँ प माइने उल्टे विसाल के
3
अपनी शराफ़तों ने ही मजबूर कर दिया
वरना जवाब देते तुम्हारे सवाल के
4
नाज़ुक ज़रूर हूँ नहीं कमज़ोर मैं मगर
अल्फ़ाज़ लाइएगा ज़ुबाँ पर सँभाल के
5
कुछ तो जनाब बोलिए इस बेयक़ीनी पर
कहिए तो हम दिखा दें दिल अपना निकाल…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on February 14, 2021 at 11:20am — 8 Comments
2122/1212/22
1
साँप बनकर जो डस रहा है मुझे
दोस्त कह कर पुकारता है मुझे
2
उसका लहज़ा बता रहा है मुझे
अब न पहले सा चाहता है मुझे
3
दिल के चैन ओ सुकून की खातिर
ख़ुद को ख़ुद में ही ढूँढना है मुझे
4
हर घड़ी जिसको दिल में रखता हूँ
वो ही अंजान कह रहा है मुझे
5
क्यों पराया हुआ मैं अपनों में
यह सवाल अब भी सालता है मुझे
6
मय-कदे से उठा वो यह कह कर
घर भी 'निर्मल' सँभालना है मुझे
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Rachna Bhatia on February 13, 2021 at 10:46am — 12 Comments
2122 1212 22
1
खा के क़समें वफ़ा नहीं मिलती
ज़ख़्मी दिल की दवा नहीं मिलती
2
बाँध ले बात गाँठ तू यारा
दर्द देकर दुआ नहीं मिलती
3
गाँव की तरह् शह्र में हमको
यार बाद-ए-सबा नहीं मिलती
4
साँस फेरेगी आँख ख़ुद ही सनम
चाहने से कज़ा नहीं मिलती
5
वस्ल की रात ओढ़कर घूँघट
आजकल क्यों हया नहीं मिलती
6
गुनगुना ले जो धड़कनों के सुर
ऐसी नग़्मा-सरा नहीं…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on January 25, 2021 at 3:54pm — 6 Comments
212 212 212 212
1
एक आवाज़ कानों में आती रही
रूह के पार मुझको ले जाती रही
2
ख़्वाब आँखों को हर पल दिखाती रही
ज़िन्दगी उम्र भर बरगलाती रही…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on January 16, 2021 at 10:38pm — 17 Comments
1222/1222/122
1
महकता वो चमन लाऊँ कहाँ से
जुदा जिसका तसव्वुर हो ख़िज़ाँ से
2
कभी पूछा है तुमने कहकशाँ से
हुए गुम क्यों सितारे आसमाँ से
3
न जाने क्या मिलाया था नज़र में
न चल पाए क़दम इक भी वहाँ से
4
सँभलने के लिए कुछ वक़्त तो दो
अभी उतरा ही है वो आसमाँ से
5
किसी सूरत बहार आए गुलों पर
उड़ी है इनकी रंगत ही ख़िज़ाँ से
6
हटा दे तीरगी जो मेरे दिल की
दिया वो लाऊँ…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on January 6, 2021 at 7:08pm — 3 Comments
2122 2122 212
.
1
अपनी हर लग़्ज़िश छिपा ली जाएगी
हाँ क़सम झूठी भी खा ली जाएगी
2
जिंदगी की शान-ओ-शौकत के लिए
बात कुछ भी अब बना ली…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on December 11, 2020 at 11:30am — 10 Comments
2122-1212-22
1
आदमी कब ख़ुदा से डरता है
अपनी हर बात से मुकरता है
2
जब सर-ए-शाम ग़म सँवरता है
आइना टूटकर बिखरता है
3
आज का काम आज ख़त्म करें
वक़्त किसके लिए ठहरता है
4
ताबिश-ए-ख़्वाब के लिए दिलबर
रंग मेरे लहू से भरता…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on November 20, 2020 at 12:00pm — 4 Comments
212 212 212 212
1
दोस्तों के बिना ज़िन्दगी दोस्तो
इक कहानी उदासी भरी दोस्तो
2
बीच में फ़ासले ला के दौलत के क्यों
आज़माने लगी दोस्ती दोस्तो
3
हाथ में हाथ डाले खड़ी दोस्ती
गर्दिश-ए-दौराँ से लड़ के भी दोस्तो
4
कारवाँ अज़्म का रोके रुकता नहीं
राह चाहे हो मुश्किल भरी दोस्तो
5
हार बैठे हैं दिल कू-ए-उल्फ़त में हम
अब न खेलेंगे बाजी नई दोस्तो
6
सुब्ह होते ही बेहिस जहाँ के सितम
ढूँढ लेंगे हमारी गली…
Added by Rachna Bhatia on November 9, 2020 at 1:00pm — 7 Comments
,12122 12122 12122 12122
1
लगा के ठोकर वो पूछते हैं उठा के सर क्या चला करेंगे
पलट दी बाजी ये कह के हमने ख़ुदा के दम पर बढ़ा करेंगे
2
सजा के महफ़िल मेरी तबाही की पूछते हैं कि क्या करेंगे…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on October 31, 2020 at 3:47pm — 3 Comments
" माँ,रोटी पर मक्खन तो रखा नहीं।हाँ,देती हूँ।"
बेटे की रोटी पर मक्खन रखते हुए अचानक बर्तन माँजती बारह साल की बेटी छुटकी को देख सुधा के हाथ पल को ठिठके और फिर चलने लगे।वापसी में छुटकी की पीठ थपथपा काम में लग गई ।
माँ बेटी अभी थाली लेकर बैठीं थी कि पति की आवाज़ आई,
" कहां हो?पानी तो पिलाओ।खाने का कोई समय है कि नहीं जब तब थाली लिए बैठ जाती हो।यही छुटकी सीख रही है।"
पिता की आवाज़ सुनते ही छुटकी ने जल्दी से थाली वापिस सरका दी।
सुधा ने भी जवाब के लिए तैयार होठों…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on October 27, 2020 at 11:00pm — 6 Comments
122 122 122 12
रिदा से ही जब पा बड़ा हो गया
ख़ुदा मेरा मुझसे ख़फा हो गया
मेरे साथ गम का चले कारवाँ
अकेला मैं फ़िर क्यों बता हो गया
जिसे छूना तुमको न मुमकिन लगे
समझ लो वही अब ख़ुदा हो गया
नहीं ज़िन्दगी ज़िन्दगी सी रही
सफ़र यह भी अब बदमज़ा हो गया
सुख़न शाइरी भी अजब शै हुई
तसव्वुर का इक आसरा हो गया
अँधेरों की आदत बना लीजिए
ज़िया से अधिक फ़ासला हो…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on October 14, 2020 at 10:41am — 7 Comments
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