ठिठुरते हुए तारे
शांत माहौल
आँख मिचौली खेलता
बादलों के पीछे छिपा चाँद
जिसे निहारते हुए
एकाएक खुशबु लिए
एक हवा का झोंका
तुम्हारे स्पर्श सा
छू गया मुझे
पूस की वो रात
लेटते हुए
कभी इस करवट
कभी उस करवट
ह्रदय में हुआ कंपन
आँखों से छलका प्रेम
भिगो गया
मेरा तन बदन
मेरा मन
तन्हा गुजारते हुए
पूस की वो रात
तुम्हारी छूअन से
पूस की वो रात
आत्मीय हो उठती…
Added by Sarita Bhatia on February 2, 2014 at 12:00pm — 8 Comments
जब जब तुम्हें सोचती हूँ
मेरे ख्वाब खिल उठते हैं
सोचती हूँ रंग बिरंगी दुनिया
अपना सजीव होना|
जब जब तुमसे मिलती हूँ
बागों में फूलों का
बेमौसम खिलना होता है
पक्षी चहचहाने लगते हैं
नदिया में सागर में
जीवन बहने लगता है
तब सब से मिलती हूँ
उल्लास से|
जब जब तुमसे मिलती हूँ
जिन्दगी छलकती है
मेरी आँखों से
मेरे हाथ महकते हैं
मेंहदी के रंग से
तब मिलती हूँ जिन्दगी से
तब मैं मिलती हूँ
अपने आप…
Added by Sarita Bhatia on January 31, 2014 at 5:04pm — 17 Comments
दिल बड़ी अजीब शय है
खुश हो तो
बहकता है
चहकता है
महकता है
उछलता है
मचलता है
टूटता है तो
हो जाता बेदर्द
देता इंतहा दर्द
कर देता सर्द
खो जाता चैन
कर देता बेचैन
हर दिन हर रैन
.......................
मौलिक व् अप्रकाशित
Added by Sarita Bhatia on January 30, 2014 at 6:02pm — 15 Comments
बड़ी मुश्किल से कुछ 'अपने' मिले हमको ज़माने में
कहीं उनको न खो दूँ ख्वाहिशें अपनी जुटाने में /
बने जो नाम के अपने हैं उनसे दूरियाँ अच्छी
मिलेगा क्या भला नजदीकियां उनसे बढ़ाने में/
उजाले छोड़े हैं तेरे लिए रहना सदा रोशन
अँधेरे रास हैं आए वफ़ा तुझसे निभाने में /
हसीं यादों ने छोड़े हैं सफ़र में ऐसे कुछ लम्हे
रँगें हैं हाथ अपने अब निशाँ उनके मिटाने में /
दिलों को तोड़ते हैं जो विदा कर यार को ऐसे
जो थामे धडकनें तेरी न डर…
Added by Sarita Bhatia on January 24, 2014 at 3:30pm — 9 Comments
याद है मुझे
उसका वो पागलपन
लिखता मेरे लिए प्रेम कवितायेँ
जिनमें होते मेरे लिए कई प्रेम सवाल
उसमें ही छुपी होती उसकी बेपनाह ख़ुशी
क्योंकि जानता न था वो मेरे जवाब
वो उसकी आजाद दुनिया थी
जिसमें नहीं था किसी का दखल
उसके दिल के दरवाजे पर खड़ी रहती मैं
उस पार से उससे बतियाती
उसका पा न सकना मुझे
मेरा खिलखिला कर हँसना
और टाल देना उसका प्रेम अनुरोध
देता उसको दर्द असहनीय
जैसा आसमान में कोई तारा टूटता
और अन्दर टूट जाते उसके ख़्वाब…
Added by Sarita Bhatia on January 23, 2014 at 6:11pm — 4 Comments
दिलों को जो सुहाते हैं /
दिलों पे जाँ लुटाते हैं /
निगाहों से क़त्ल करके
मुझे कातिल बनाते हैं /
दिलों के हैं अजब रिश्ते
सदा अपने निभाते हैं /
यूँ पल पल मर रही हूँ मैं
मुझे जिन्दा बताते हैं /
सभी अपने तुम्हारे बिन
मुझे जीना सिखाते हैं /
सुना है ऐसे में अपने
भी दामन छोड़ जाते हैं /
.....................................
..मौलिक व् अप्रकाशित....
Added by Sarita Bhatia on January 20, 2014 at 5:30pm — 20 Comments
तू बहादुर बेटी है पंजाब की
तू शान आन और बान है हमारे घर की
तू झाँसी की रानी है
तुझे क्या डर अकेले
दुनिया के किसी भी कोने में जा सकती हो
हाँ
ऐसे ही तो कहते थे ना हमेशा
जब कहती थी
मेरे साथ कहीं चलने को
आज समझा रहे थे मुझे
पगली क्यों रोती है ?
तेरे अंग संग हूँ हमेशा
तेरे साथ अपनी दोनों भुजाएं
अपने दो बेटे छोड़ आया हूँ
तुम्हे जरुरत नहीं
किसी का मुँह ताकने की
दोस्त जो नहीं पूछते मत कर चिंता
जो साथ हैं उनका कर…
Added by Sarita Bhatia on January 16, 2014 at 10:01am — 10 Comments
कभी सोचा न था ...
कितनी कलरफुल थी
मेरी दुनिया
अब तुम्हारे बाद
ब्लैक एंड वाइट होकर रह जाएगी
कभी सोचा न था ...
अलमारी में पड़े
लाल गुलाबी कपड़े
मुंह चिड़ाएंगे और पूछेंगे
मुझसे कई सवाल
कभी सोचा न था ..
आइने के सामने आज
खड़े होने में डर लगेगा
क्योंकि
खो दूंगी वो अक्स
जो मुझे निहारा करता था
कभी सोचा न था ...
बड़ी बेपरवाह थी जिन्दगी
बस तुम्हे बताकर
दुनिया की परवाह किये बिना
स्वछन्द घूमा करती थी
अब घर…
Added by Sarita Bhatia on January 9, 2014 at 2:37pm — 13 Comments
जाने वाला साल सब सुख चैन ले गया
नयनों में है नीर दिल में दर्द दे गया /
क्या मनाएं साल उस बिन अब लगे न दिल
एक झटके में सभी अरमान ले गया /
मुस्कराएँ हम क्या तेरे बिन ओ साथी अब
खुशिओ का तू सारा ही सामान ले गया /
उसकी हर आहट का होता है मुझे गुमाँ
खुद को समझायें क्या वो संसार से गया /
याद आती उसकी है अब रात रात भर
यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया /
काटना है अब अकेले उस बिना सफ़र
जिन्दगी भर का गमे…
Added by Sarita Bhatia on January 7, 2014 at 10:00am — 17 Comments
1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2
कभी जीवन में अपने कुछ दुखद से पल भी आते हैं
सभी अपने हमेशा के लिए तब छोड़ जाते हैं /
समय अपना बुरा आया,तमस भी साथ ले आया
करीबी जो रहे अपने वही नजरें चुराते हैं /
किसे फुर्सत हमें देखे हमारा हाल वो जानें
हमें रुसवाइओं में तन्हा अक्सर छोड़ जाते हैं /
मिले ढूंढे नहीं कोई सहारा बन सके जो तब
मुसीबत में कहाँ अब लोग यूँ रिश्ते निभाते हैं /
भला कर तू भला होगा बुरा मत सोचना मन…
Added by Sarita Bhatia on January 5, 2014 at 8:30pm — 20 Comments
जब से उनका यहाँ आना जाना हुआ
दिल हमारा भी उनका दिवाना हुआ /
साथ तेरे का जो छूट जाना हुआ
तब से सबका यहाँ आना जाना हुआ /
माँग तेरी भरूं आ सितारों से मैं
ऐसा कह जो गया फिर न आना हुआ /
माँग सूनी हुई जो सितारों भरी
माथे की बिंदी छिनना बहाना हुआ /
राहतें अब कहाँ चैन दिल को कहाँ
मत कुरेदो जख्म ये पुराना हुआ /
याद आती रही रात भर थी मुझे
भूल वो अब गया इक जमाना हुआ /
उसके आने की टूटी है…
Added by Sarita Bhatia on January 2, 2014 at 7:30pm — 20 Comments
Added by Sarita Bhatia on December 27, 2013 at 4:21pm — 9 Comments
2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2
प्यार में होता सदा ही दर्द क्यों है ?
प्यार में अब चल रही यूँ कर्द क्यों है ?
यार को जो हैं समझते इक खिलौना
प्यार जाने हो गया अब नर्द क्यों है ?
है बिना दस्तक चला आता सदा जो
वो बना यूँ आज फिर हमदर्द क्यों है ?
छू रही है रूह मेरी आते जाते
यह तुम्हारी साँस इतनी सर्द क्यों है ?
अपनी यादों को समेटे जब गए हो
आज यादों की उठी फिर गर्द क्यों है ?
प्यार पर है जुल्म…
Added by Sarita Bhatia on December 5, 2013 at 6:00pm — 22 Comments
प्यार में होता सदा ही दर्द क्यों है ?
यह जमाना हो गया बेदर्द क्यों है ?
है बिना दस्तक चला आता सदा जो
वो बना यूँ आज फिर हमदर्द क्यों है ?
छू रही है रूह मेरी आते जाते
यह तुम्हारी साँस इतनी सर्द क्यों है ?
अपनी यादों को समेटे जब गए हो
आज यादों की उठी फिर गर्द क्यों है ?
प्यार पर करता जुल्म हर रोज है जो
वो समझता खुद को जाने मर्द क्यों है ?
तुम समझती हो मुहब्बत जिसको सरिता
वो बना…
ContinueAdded by Sarita Bhatia on December 2, 2013 at 5:40pm — 16 Comments
लक्ष्मी है तू गेह की, तू मेरा सम्मान
सबको देना मान तू ,भाई पिता समान /
बेटी है तो क्या हुआ तू है घर की लाज
हमारा तू गुरूर है, मेरी तू आवाज /
बनना मत तू दामिनी,सहकर अत्याचार
लेना दुर्गा रूप तू ,करना तू संहार /
मत घबराना तू कभी, जो हो जग बेदर्द
तू है दुर्गा कालिका ,मत सहना तू दर्द /
जिसका तुझसे हो भला,उसके आना काम
अबला नारी जो दिखे ,उसको लेना थाम /
..............मौलिक व अप्रकाशित .......
Added by Sarita Bhatia on December 1, 2013 at 11:30am — 14 Comments
अपनी क्रिकेट टीम के क्या कहने क्या ठाट
सचिन विरासत दे गए रोहित शिखर विराट /
सचिन आम इन्सान से, बने आज भगवान
तुम हो भारत देश की, आन बान औ' शान /
बोल खेल को अलविदा,चौबीस साल बाद
पाए आशीर्वाद हैं , सदा रहो आबाद /
पाकर भारत रत्न को, तूने पाया मान
आज सलाम तुझे करें,क्रिकेटर तू महान /
विश्वभर के क्रिकेट का, सचिन है धूमकेतु
पीढ़ियों को जोड़ सचिन बना मजबूत सेतु /
एक दिवसीय मैच में ,दोहरा शतक…
Added by Sarita Bhatia on November 20, 2013 at 2:00pm — 24 Comments
मंगल मंगल को उड़ा ,बनकर मंगल यान
मंगल को कर कामना ,बढ़े देश की शान |
बढ़े देश की शान , नित्य ही उन्नति पायें
भारत मंगल गान , सभी दुनियां में गायें
सरिता कहे पुकार ,बढ़ो दुनियां में हरपल
हनुमन्ता का वार ,कामना करलो मंगल||
.................................................
.......... मौलिक व अप्रकाशित ..........
Added by Sarita Bhatia on November 6, 2013 at 11:31am — 10 Comments
1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2
लबों से आज गायब हो गई मुस्कान है
अजब सी अब परेशानी लिए इन्सान है /
कभी तो दिन भी बदलेंगे ,मिलेगा चैन तब
दुखों का अंत होगा तब यही अनुमान है /
गिले शिकवे यूँ अब हावी हुए रिश्तों पे हैं
लगा अब दांव पर परिवार का सम्मान है /
किसे अपना कहें किसको पराया हम कहें
यहाँ हर चेहरे की अब छुपी पहचान है /
रचे हैं साजिशें गहरी मगर अब सोचते
जफ़ा पाकर खुदी का डोलता ईमान है…
Added by Sarita Bhatia on October 29, 2013 at 1:45pm — 18 Comments
रावण अंतस में जगा ,करता ताण्डव नृत्य
दमन करें इसका अगर फैले नहीं कुकृत्य/
फैले नहीं कुकृत्य ,सख्त कानून बनायें
पूजनीय हो नार,इसे सम्मान दिलायें
करना ऐसे काम ,धरा हो जाए पावन
अंतरमन हो शुद्ध, नहीं हो पैदा रावण //
...................................................
..........मौलिक व अप्रकाशित...............
Added by Sarita Bhatia on October 26, 2013 at 6:00pm — 6 Comments
रावण जितने देश में घूम रहे हैं आज
हर बाला सहमी हुई, फैला रावण राज
फैला रावण राज, माँ बहनों को बचाओ
कपटी, नेता, भ्रष्ट ,जेल इन्हें पहुँचाओ
नहीं जमानत होय, बेल लें पापड़ कितने
घूम रहे हैं आज देश में रावण जितने //
.............मौलिक व अप्रकाशित ........
Added by Sarita Bhatia on October 25, 2013 at 1:38pm — 15 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |