बरसों से पति का शराब पीकर मारने की आदत सह रही थी वो , लेकिन कल रात उसका पीकर आने के बाद बेटी का हाथ पकडना अखर गया था ।
सुबह अंगीठी के साथ वह भी सुलगती रही. क्षोभ , घृणा , मोह और कुंठाओं को सिलबट्टे पर बरसों से संचित आँखों का नमकीन पानी डाल - डाल कर जोर - जोर से पीसती जा रही थी । आज वह कुछ तय कर बैठी थी ।
कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित
Added by kanta roy on July 14, 2015 at 11:00pm — 4 Comments
Added by kanta roy on July 13, 2015 at 1:30pm — 18 Comments
Added by kanta roy on July 12, 2015 at 1:33pm — 10 Comments
Added by kanta roy on July 11, 2015 at 9:00am — 4 Comments
अनुष्ठान में पंडितों का जमावड़ा , हवन और मंत्रों के जाप से सम्पूर्ण वातावरण पवित्र और सुवासित हो उठा था । प्राँगण में महिलाओं का समूह बैठकर बडे उत्साह से ढोल मंजीरे लिये भजन गा रहा था ।
एक पंडित ने अनुष्ठान के आमदनी पर सवाल उठाये कि मंदिर कार्यकर्ताओं में खलबली मच गई ।
पल भर में ही देव सारे विलुप्त हो गये अनुष्ठान में सिर्फ दानवों का अधिपत्य हो गया ।
कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित
Added by kanta roy on July 7, 2015 at 9:30pm — 10 Comments
Added by kanta roy on July 5, 2015 at 9:35pm — 13 Comments
Added by kanta roy on July 4, 2015 at 1:08pm — 16 Comments
Added by kanta roy on July 2, 2015 at 2:30pm — 10 Comments
Added by kanta roy on June 27, 2015 at 10:56am — 4 Comments
तैयार होकर रीता आॅफिस के लिए निकलने ही वाली थी कि नील कह उठे कि आज वो ही उसे आॅफिस छोड़ आयेंगे ।
उसे समझते देर ना लगी कि , आज फिर नील पर शक का दौरा पड़ चुका है ।
थे तो वे आधुनिक व्यक्तित्व के धनी ही । पत्नी का कामकाजी होना , उनकी उदारता का परिचय है समाज में । इसी कारण वे स्त्री विमर्श के प्रति बेहद उदार मान पूजे जाते है समाज में ।
"मै चली जाऊँगी , आप नाहक क्यों परेशान होते हो ! आपके आॅफिस का भी तो यही वक्त है । " - उसके आँखों में दुख से आँसू छलछला आये ।
"क्यों , तुम मुझे…
Added by kanta roy on June 25, 2015 at 7:00am — 16 Comments
तुम महान
अद्भुत स्वप्नद्रष्टा
स्वप्न कैसा
साकार किया है
व्यास प्रकाश
पुंज से अपने
जीवन का
महाकाव्य दिया है
तमस तम को
काट ज्ञान से
शुभ्र अमर
संदेश दिया है
तुम दूर दृष्टा हो
मै अज्ञानी
जन्म साकार
यह मूर्त दिया है
मस्तक पर तुम
चंदन हो स्वामी
यह हमने
स्वीकार किया है
तुम मेरे गुरू
गोविंद ब्रह्मज्ञानी
तुममें ईश्वर का
साक्षात्कार किया है
कान्ता राॅय…
Added by kanta roy on June 24, 2015 at 10:30am — 7 Comments
Added by kanta roy on June 22, 2015 at 10:00am — 24 Comments
"तुमने जन्म देकर कोई एहसान नहीं किया है ..! क्या हमनें कहा था कि हमें इस दुनिया में लाओ ..? एक ब्रांडेड टी - शर्ट के लिए तो तरसते है हम .... अगर परवरिश करने की ताकत नहीं थी तो पैदा करने से पहले सोचना था ना ... अब हमारा क्या ...? "
"इसलिए तो सब घरबार बेचकर तुम्हारा एडमिशन इतने बडे़ काॅलेज में करवाया है कि तुम अपने बच्चों को वो सब दो जो हम ना दे सकें तुम्हें । "
"कितना शर्मिंदा होता हूँ वहाँ कालेज में इन साधारण कपडों में ... कितना अच्छा होता कि मै पढ़ाई ही नहीं करता ..! "…
Added by kanta roy on June 18, 2015 at 11:00am — 14 Comments
" मंजू के यहाँ आज बडी़ वाली एल ई डी भी आ गई । पिछले ही महिने उसने गाड़ी भी ली थी । और एक आप है ...!!!"
" मै क्या ....? क्या कहना चाहती हो तुम ?"
वहीं पास के विडियो गेम में लगे बेटे ने भी कंधे को उचका कर पिता की ओर देख फिर अपने गेम में व्यस्त हो गया ।
" मै क्या कहूँगी भला आपसे .! आपकी ही आॅफिस का बाबू है वो ..और आप अधिकारी होकर भी किसी काम के नहीं ..! "
" किसी काम का नहीं मै ....? "- मन में रह - रह कर एक ही बात अब घुम रही थी कि वे क्या किसी काम के नहीं है सच में ..? कल…
Added by kanta roy on June 17, 2015 at 1:30pm — 22 Comments
Added by kanta roy on June 11, 2015 at 11:55pm — 7 Comments
Added by kanta roy on May 23, 2015 at 6:36pm — 15 Comments
वो कहना चाहती थी कि वो देवी नही है वो तो मुन्नी है । उसे रानो और शन्नो के साथ खेलने जाना था बाहर ।
"ये लोग चुनरी ओढाय उसे कहाँ बिठाय दिये हैं । माँ , मै देवी नही रे , तेरी मुन्नी हूँ .. काहे ना चिन्हत मोरा के । "
दर्शन की रेलम पेल , मां -बापू चढावे के रकम की खनक समेटने में लगे हैं । गाँव के माइक वाले ,पंडित ,हलवाई सबके भाग सँवर गये ।
"अब तो देवी का समाधिस्थ होना परम जरूरी हो गया है ।" -बिसेसर गहरी सोच में डूबा हुआ था ।
मौलिक और अप्रकाशित
कान्ता राॅय
भोपाल
Added by kanta roy on May 18, 2015 at 5:30pm — 2 Comments
"समीर जी , क्या रूतबा है भई आपका ...!!! जहाँ भी जाते हो ..यार , छा जाते हो ! " --- अजय को गर्व था अपने दोस्त पर । समीर का जलवा तो उसके हर अंदाज़ से ही झलकता था। उसकी बातों से ही मंत्रालय में उसकी पद प्रतिष्ठा का अनुमान चल जाता है। जब साले साहब को मंत्रालय में जरूरी काम करवाने की जरूरत आन पडी तो अजय बडे गर्वित हो साले साहब के साथ मंत्रालय की ओर निकल लिए ।आजतक मंत्रालय के दर्शन भी नही किये थे उसने । दोस्त की मेहरबानी से यहाँ तक आने का अवसर भी प्राप्त हुआ । मन गदगद हुआ जा रहा था । मंत्रालय के…
ContinueAdded by kanta roy on May 14, 2015 at 12:30pm — 20 Comments
मजदूरी करके जितना भी कमाता , आधी से ज्यादा बेटे के पढ़ाई के लिये लगाता । पिता के फर्ज़ से वह उरिन होना चाहता था । गरीबी सदा जिंदगी को जटिल बनाने के लिये अपना मोर्चा संभाले रहती है । बेटे का मन आस पडोस के लडकों में रमा रहता । फिर भी पिता अपनी आस को रबड़ के भाँति खींच कर पकडे़ हुए था ... कि एकदिन बेटा बडा होकर उसका मर्म जान पायेगा । आज दसवीं का रिजल्ट आने वाला था । पूजा घर में माँ बेटे के लिए प्रार्थना में लगी रही सुबह से । रिजल्ट आते ही घर में सब जकड़न टुट गई । विजय ने अपनी हार का ठीकरा पिता…
ContinueAdded by kanta roy on May 12, 2015 at 8:30pm — 26 Comments
धरा में कम्पन होते हुए एक सैलाब सा उमड़ पड़ा। सामने से आती उत्ताल नदी का वेग फट पड़ा था जमीन पर .....
धरा का हृदय विभक्त हो उठा दो किनारों में । धरा का खुद के अंश से अलगाव सहना ...!!
धरा का रूदन अब कौन सुने ..?
उन्मुक्त नदी अपनी ताव में जमीन की छाती चीरती हुई बढ़ चली थी ।
उसे क्या परवाह थी कि किसने चोट खाई .... !
बेबस थे दोनों किनारे ....बरसों,जो रहे थे एक दुसरे में समाहित ... वो आज .... !!
अब जीवन भर देखते ही रहना है एक दुसरे को.....यूँ ही ।
किनारे नदी की…
Added by kanta roy on May 11, 2015 at 10:00pm — 21 Comments
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