For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sarita Bhatia's Blog (98)

दिले नादान आ जाना [ गजल ]

दिले नादाँ  पिया आना
दिले महफिल सजा जाना /

दिलों के जख्म सीले हैं
उन्हें मरहम लगा जाना /


सनम यह बेरुखी क्यों है ?
जरा आकर बता जाना /

सनम मुझसे खफा क्यों हो ?
वो हाले दिल सुना जाना /

नहीं तकरार करना अब
करें इज़हार आ जाना /

अभी मजबूरियां क्या हैं ?
कहे सरिता बता जाना //

..................................

    मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Sarita Bhatia on October 15, 2013 at 1:30pm — 16 Comments

गजल

2 1 2 2  2 1 2 2   2 2 1 2 

तेरी मैं परछाई , तुम हो मेरी पिया

अब कहीं लागे नहीं तुम बिन यह जिया/

आसमाँ से है उँचा,सागर से गहन

ऐसा सच्चा प्यार हमने तुमको किया/

चाँद तुम मेरे अगर, मैं हूँ चाँदनी

ऐसा है अपना मिलन ओ मेरे पिया/

आइना तुम हो अगर मैं तस्वीर हूँ

अक्स तुझमें मेरा ही है दिखता पिया

तुम अगर दीया हो तो 'बाती' हूँ तेरी

हैं अधूरे एक दूजे बिन ओ पिया/

मैं समाई सिन्धु में जैसे…

Continue

Added by Sarita Bhatia on October 10, 2013 at 11:30am — 9 Comments

कुण्डलियाँ [ माँ ]

मैया दस्तक दे रही ,खोलो मन के द्वार

मात कृपा से हो सदा ,हर सपना साकार //

हर सपना साकार ,जा कर द्वार पर कर लो

देती माँ आशीष , झोलियाँ खाली भर लो

सरिता करे पुकार ,तार माँ सबकी नैया

दे दर्शन चढ़ शेर ,सदा जगदम्बे मैया//

तेरे दर पर हूँ खड़ी,नतमस्तक कर जोड़

सर पर रखना हाथ माँ, दुख जाएँ दर छोड़

दुख जाएँ दर छोड़ ,हो साकार हर सपना

रहे न पारावार दो आशीष माँ अपना

भेंट करो स्वीकार, कब से लगाती फेरे

दर्शन देदो मात ,दर पर खड़ी मैं तेरे…

Continue

Added by Sarita Bhatia on October 8, 2013 at 11:01am — 16 Comments

कुण्डलियाँ [मेरा परिचय]

कहते सब सरिता मुझे ,बढती हूँ निष्काम
जीवन के पथ हैं कठिन, चलते रहना काम
चलते रहना काम, नहीं रोके रुक पाती
शत्रु सामने देख , सहज दुर्गा बन जाती
मेरा शील स्वभाव , भाव हैं मुझमें बहते
मैं जीवन का स्रोत मुझे सब सरिता कहते //

....................................................

        मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Sarita Bhatia on October 6, 2013 at 10:01am — 23 Comments

बागबां [लघुकथा]

साथ वाले सहगल साहिब यश जी से बोले घई जी के पिता हस्पताल में हैं यश जी ने कहा कल तो मेरे पास बैठे थे बेचारे परेशान थे ,पूछ रहे थे मुझे यहाँ आए हुए कितने दिन हो गए मैंने कहा मालूम नहीं उन्होंने फिर जिद्द करके पूछा फिर भी अंदाजा मुझे आए हुए कितना समय हो गया है ,मैंने कहा लगभग एक महीना हुआ होगा तो बोले फिर वो [छोटा बेटा] मुझे लेने क्यों आ रहा है? अभी दो महीने तो नहीं हुए हैं यह क्यों भेज रहे हैं मुझे इसी उधेड़बुन में शायद वो सुबह तक उठ ही नहीं पाए ,उनके एक हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था और…

Continue

Added by Sarita Bhatia on October 5, 2013 at 11:30pm — 20 Comments

सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले

1 2 2 2  1 2 2 2  1 2 2 2  1 2 2  2

चढा दी हसरतें सूली किसी ईनाम से पहले//

नमन है उन शहीदों को सदा आवाम से पहले//



बने आजाद परवाने कफ़न को सिर पे बांधा था

वतन पर जान देते थे किसी अंजाम से पहले //



भुला सकते न कुर्बानी वतन पर मर मिटे हैं जो

ज़माना सर झुकाएगा खुदा के नाम से पहले//

शहादत व्यर्थ उनकी यूँ नहीं अब तुम करा देना

नसीहत मानना उनकी किसी कुहराम से पहले//



वफ़ा कैसे निभानी सीखलो अपने वतन से तुम …

Continue

Added by Sarita Bhatia on October 3, 2013 at 8:00pm — 24 Comments

कुण्डलियाँ [ जीवन ]

जीवन के पथ हैं सरल ,अगर सही हो सोच
जीवन की इस दौड़ में ,आती रहती मोच /
आती रहती मोच ,बैठ कर रुक मत जाना
आगे की लो सोच लक्ष्य जल्दी यदि पाना
अगर सारथी कृष्ण दौड़ते जीवन रथ हैं
यदि हौंसले बुलंद, सरल जीवन के पथ हैं//

..........................

मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Sarita Bhatia on October 1, 2013 at 11:30am — 16 Comments

कुण्डलियाँ

देना युवकों को सभी ,देश की अब कमान
ये हैं भविष्य देश का, इनसे ही है शान
इनसे ही है शान, जानलो इनको प्रहरी
करते नव निर्माण बात यह समझो गहरी
उज्जवल हो भविष्य, सभी से सम्मति लेना
करके मार्ग प्रशस्त ,साथ है इनका देना //

............मौलिक व अप्रकाशित............

Added by Sarita Bhatia on September 30, 2013 at 9:00am — 7 Comments

माँ [कुण्डलियाँ]

माँ के आंचल में मिले ,ममता की ही छाँव 

शुभाशीष पाओ मधुर, नित्य दबाकर पाँव 

नित्य दबाकर पाँव , आशीर्वाद तुम लेना

माँ से बड़ा न स्वर्ग ,उसे दुख कभी न देना 

मिट जाते दुख-दर्द , पास में माँ के जा के

ममता के ही फूल ,मिलें आंचल में माँ के 

............मौलिक व अप्रकाशित ...........

Added by Sarita Bhatia on September 25, 2013 at 5:30pm — 6 Comments

तुम्हारे ही भरोसे हूँ

 1 2 2 2   1 2 2 2

कभी यूँ पास आ जाना

किया वादा निभा जाना /



गजब की यह फकीरी है

इसे तुम अब हटा जाना /



गरीबी हो अमीरी हो

कसम अपनी निभा जाना /



तुम्हारी आस आने की

जरा दिल में जगा जाना /

तुम्हारे ही भरोसे हूँ

भरोसा यह बढ़ा जाना /



दिलों को खोल कर अपने

गिले शिकवे मिटा जाना /

नहीं तकरार करना अब

हमें झट से मना जाना /



तुम्हें हम कह नहीं सकते

दिलों को अब मिला जाना…

Continue

Added by Sarita Bhatia on September 20, 2013 at 9:42am — 20 Comments

कुण्डलिया [ प्यार ]

कर लो सब से दोस्ती, छोड़ो अब तकरार
जिंदगानी दो दिन की बांटो थोड़ा प्यार //
बांटो थोड़ा प्यार, यही है दौलत असली
प्यार स्नेह को मान ,बाकी सभी है नकली
धन दौलत सब छोड़ ,जीवन में प्यार भर लो
रहे कोई न गैर ,सब से दोस्ती कर लो //

................मौलिक व अप्रकाशित..........

Added by Sarita Bhatia on September 19, 2013 at 7:00pm — 13 Comments

कुण्डलिया [ हिंदी दिवस]

शान है मातृभूमि की, देश का स्वाभिमान ,
हिंदी बिंदी मात की, यह मेरा अभिमान //
यह मेरा अभिमान, अधिकार है यह सबका ;
दो इसको विस्तार, है कर्तव्य जन जन का ;
हिंदी दिन को आज, देना यह सम्मान है
अपनाओ सब मीत ,इसमें इसकी शान है //

................मौलिक व अप्रकाशित ..............

Added by Sarita Bhatia on September 17, 2013 at 11:00am — 12 Comments

हिंदी दिवस [दोहावली]

हिंदी मेरे हिन्द की ,संस्कृति की पहचान

मिसरी घोले कान में ,इसमें बसती जान //

संस्कृत की दिव्या सुता ,जन जन का आचार

लाकर अब व्यवहार में ,दो इसको विस्तार //



मातृभूमि की शान है ,देश का स्वाभिमान

हिंदी बिंदी मात की ,यह मेरा अभिमान //



पर्व एक हिंदी दिवस, मनालो संग प्यार

वारें इस पर जान हम ,दें सम्मान अपार //



हिंदी भाषा देश को करती है धनवान

अंग्रेजी को छोड़ कर ,इसको देना मान //

हिंदी दिन है आ गया ,ख़ुशी…

Continue

Added by Sarita Bhatia on September 14, 2013 at 10:00am — 23 Comments

शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं

पहला गुरु माँ है इसको करते हैं हम नमन

जिसने संस्कार दिए चलने को बिना विघ्न

दूसरा गुरु शिक्षक जिसने संस्कारों को सींचा

हमेशा उन्नति ही पाई ना कभी देखा नीचा|

उनकी डाँट और प्यार ने ऐसे हमें सँवारा

गिरेगें,फिर उठेंगे,पर ना हटना लक्ष्य से गँवारा

गुरु हमेशा पूजनीय देना उन्हें सत्कार

उनके श्रम लगन से ही बनता है आधार

आओ याद करें उस महान शिक्षक को,

सर्वपल्ली राधाकृष्णन था जिसका नाम!

राष्ट्रपति बनकर जो देश को सँवारा,

बढ़िया…

Continue

Added by Sarita Bhatia on September 5, 2013 at 12:30pm — 9 Comments

नारी [ कुण्डलिया ]

नारी सबला जानिए ,देकर अनुपम प्यार
नारी से नर उपजिया ,मानस पटल सुधार |
मानस पटल सुधार , जान नारी जस माता
जैसे करता करम ,फल वैसा तभी पाता |
नारी माँगे मान,जान ना उसको अबला
देकर अनुपम प्यार,जान लो नारी सबला ||

.................

मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Sarita Bhatia on August 31, 2013 at 9:57am — 15 Comments

जन्माष्टमी दोहे

आई है जन्माष्टमी , धूम मची चहुँ ओर

जन्मदिन मनाओ सखी, मनवा नाचे मोर ||

विष्णु जी बाद आठवें ,कृष्ण हुए अवतार

ब्रज भूमि अवतरित हुए, दिया कंस को मार ||

जन्मोत्सव की आज तो, मची हुई है धूम

गोकुलवासी हैं सभी, रहे ख़ुशी से झूम ||

पूत देवकी वासु के ,यशोदा लिया पाल

तारे सबकी आँख के,गोकुल के हैं लाल ||

आतताई खत्म किया,छाया ब्रज उल्लास

चमत्कार कर नित नए,बढ़ा रहे विश्वास ||

राधा अदभुत प्रीत की ,दे रही…

Continue

Added by Sarita Bhatia on August 27, 2013 at 2:30pm — 9 Comments

माँग भरकर सुहागन खड़ी रह गई

ख़्वाब पूरे हुए आस भी रह गई

जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गई

फ़ौज से लौट कर आ सका वह नहीं   

माँग भरकर सुहागन खड़ी रह गई 

खैर तेरी खुदा से रही मांगती  

चाह तेरी मुझे ना मिली रह गई 

छोड़ कर तुम भँवर में न होना खफा 

घाव दिल को दिए जो छली रह गई 

आजमाइश तूने की अजब है सबब 

मांगने में कसर जो कहीं रह गई 

प्यार गुल से निभा बुल फिरे पूछती  

आरजू में बता क्या कमी रह गई 

घाव…

Continue

Added by Sarita Bhatia on August 23, 2013 at 1:30pm — 13 Comments

प्यारे भैया आ जाना

भाई है मेरा अटूट विश्वास

भाई संग रहे सुंदर अहसास

यही अहसास करा जाना

प्यारे भैया आ जाना



भाई मेरे कल का उज्जवल सपना

बनाए रखना सदा साथ अपना

सपना पूर्ण करा जाना

प्यारे भैया आ जाना



भाई हो दूर तो सूना मुझे लगे

बीते बचपन की यादें हैं जगे

बचपन याद दिला जाना

प्यारे भैया आ जाना



माँ के आंचल की छांव हो आप

हाथ हो सर पे जैसे माँ और बाप

फर्ज अपना निभा जाना

प्यारे भैया आ जाना



भाई मेरी…

Continue

Added by Sarita Bhatia on August 18, 2013 at 7:00pm — 10 Comments

शिव महिमा [दोहे]

गँगा जल की कुण्डलियां, भर लाए शिव भक्त

कावड़ ले मनमोहिनी ,सब को करें आसक्त||



शिव नगर हरिद्वार की, महिमा अपरमपार

कावड़ मेले हैं लगे , सजे हुए बाजार||



नारे बोल बम बम के ,गूँज रहे चहुँ ओर

मस्त मलंग घूम रहे, मिल सब करते शोर||



आए पूरे देश से , बम बम करते आज

त्रिलोचन महादेव का , तिलक कर रहे आज||



लाखों भक्त शंकर का, करते हैं अभिषेक

शिवरात्री है आ गई, माथा तू भी टेक||



बम बम करते आ गए ,शिव के सेवादार …

Continue

Added by Sarita Bhatia on August 5, 2013 at 11:00am — 5 Comments

कुण्डलिया छंद [ तीज]

खुशियाँ लाया तीज है , गाएं गीत मल्हार
आंगन पींगों से सजे , झूलें कर श्रृंगार||
झूलें कर श्रृंगार ,ओढ के लाल चुनरिया
चूड़ियाँ हरी लाल , पहन झूमती गुजरिया||
आया श्रावण माह ,माँ ने पीहर बुलाया
मिले प्रेम उपहार, तीज है खुशियाँ लाया||

******************

मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Sarita Bhatia on July 31, 2013 at 9:30pm — 9 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service