अभिनेता नेता बने, रखे हास्य का मान ।
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 25, 2013 at 5:00pm — 20 Comments
मिला राज्य सम्मान- (दोहे)
-लक्ष्मण लडीवाला
तामस सात्विक राजसी, तीनो ही अभिमान,
रावण और कुम्भ करण, तामस राजस जान।
सात्विक मन से आदमी, करे प्रभु गुणगान,
देख विभीषण को जरा, वे इसके प्रतिमान ।
कुम्भ करण सोता रहा, दिल में भरा प्रमाद,
अहंकार था तामसी, जीवन भर अवसाद ।
राजसी अहंकार वश, आजाये अभिमान,
अभिमानी…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 17, 2013 at 12:00pm — 28 Comments
ऋतु बसंत का आगमन,खुशियों का उन्माद,
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 14, 2013 at 10:26pm — 14 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 11, 2013 at 12:30pm — 3 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 6, 2013 at 11:29am — 15 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 4, 2013 at 10:00am — 9 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 2, 2013 at 12:30pm — 17 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 30, 2013 at 6:30pm — 10 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 26, 2013 at 6:30pm — 6 Comments
जयपुर के दिग्गी हाउस में चल रहे लिटरेचर फेस्टिवल जावेद अख्तर और प्रसून जोशी सहित कई साहित्यकारों ने विभिन्न विषयों पर अपनी राय और अनुभव साझा करते हुए सेशन को गरमाया ।
ओ बी ओ के सुधि पाठकों के लिए दूसरे दिन (दि 25-1-13)के कुछ प्रमुख अंश प्रस्तुत है :-
जावेद अख्तर के छोटे से जुमले ने लोगो के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी । अलग अलग जुबां भी कैसे रिश्ते और लोगो को जोड़ती है जावेद ने इसकी कई मिसाल दे डाली । इस गजल सत्र में वे हिंदुस्तानी जुबान की पहचान पर तल्ख़ दिखे तो उर्दू…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 26, 2013 at 2:30pm — 6 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 25, 2013 at 5:49pm — 2 Comments
मकर संक्रांति पर्व है, चौदह जनवरी जान
उत्तरायण सूर्य का है, देख शास्त्रीय विज्ञान
पित्त कफ़ वायुप्रकोपहै,शुष्क ठण्ड के रोग .
ओजस्वी उर्जावान सूर्य किरणे करे निरोग
छत पर, खुले में जा लोग पतंग खूब उड़ाते
दूर उडती पतंग निहार नयन ज्योति बढ़ाते
मानसिक संतोष,औ तंदुरस्ती चाहे बढ़ाना
गरीब औ अनाथ को ठण्ड में वस्त्र…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 12, 2013 at 2:00pm — 12 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 31, 2012 at 7:30pm — 13 Comments
दामिनी गयी दुनिया से देख,
क्या विधाता का यह लेख है |
बेटी पूछती अपना कसूर,
क्यां इंसानियत कुछ शेष है।
बेटे में ऐसा क्या है अलग,
जो देता दर्जा उसे विशेष है।
क्यों न सख्त सजा अपराध की,
गर तराजू करता इन्साफ है ।
मूक है शासक चादर ताने,
हैवानियत छू रही आकाश है ।
मानवता पर लग रहा कलंक,
सभ्य समाज का पर्दाफाश है ।
कानून बना है, और बन जाएगा,
उससे क्या संस्कार आ जायेगा।
समाज और सरकार अब जानले,
नैतिक शिक्षा जरूरी यह…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 29, 2012 at 6:30pm — 8 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 22, 2012 at 11:00am — 18 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 20, 2012 at 3:46pm — 8 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 16, 2012 at 2:25pm — 2 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 14, 2012 at 12:30pm — 4 Comments
निज मकान प्राप्त करे,कर कर्जे का भार,
क्रेडिट कार्ड से भी ले,अब आसान उधार।
क्रेडिट कार्ड बोझ तले,नित दबता ही जाय ,
इस…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 11, 2012 at 6:30pm — 10 Comments
धरती माँ ही पालती, रख नारी का मान,
यही रहेगी संपदा, कर नारी के नाम ।
बहती नदी सी नारी, दूजे घर को जाय,
अपनावे ता उम्र ही, घर उसका हो जाय ।
ममता भाव की भूखी, केवल चाहे मान,
रुखी सूखी पाय भी, घर की रखती शान ।
झेल रही है बेटियाँ, अपना सब अपमान,
बाँध टूटता सब्र का, तुझे न इसका भान ।
नारी का सम्मान करे, तब घर का तू नाथ,
दूजे घर को छोड़ कर, पकड़ा तेरा हाथ ।
लड़के की ही चाह में, सहन किया है पाप,
भ्रूण हत्या पाप करे, झेले फिर संताप…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 7, 2012 at 11:00am — 12 Comments
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