२१२२ २१२२ २१२
खोजता तू रेत पर जिनके निशान
अब सभी वो मीत तेरे आसमान
हैं घरोंदे तेरे रोशन जुगनुओं से
उनके घर दीपक जले सूरज समान
उनके घर में तब जवाँ होती है शाम
तीरगी में जब छुपे सारा जहान
वक़्त का ही खेल है सारा यहाँ पे
देखते कब होता हम पर मिहरवान
वो नवाबों जैसी जीते हैं हयात
हम फकीरी को समझते अपनी शान
दौड़ कर ही तेज वो पीछे हुये थे
भूल बैठे गोल…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 16, 2013 at 3:30pm — 21 Comments
२२१२ १२१ १२२१ २२२१
पीने लगे हैं लोग पिलाने लगे हैं लोग
महफ़िल को मयकदों सा सजाने लगे हैं लोग
दिल में नहीं था प्रेम दिखाने लगे हैं लोग
जब भी मिले हैं, हाथ मिलाने लगे हैं लोग
आयी थी रूह बीच में जब भी बुरे थे काम
अब तो सदाये रूह दबाने लगे हैं लोग
कश्ती बचा ली, खुद को डुबो कहते थे मल्हार
खुद को बचा के नाव डुबोने लगे हैं लोग
रखनी जो बात याद किसी को नहीं थी याद
जो भूलना नहीं था भुलाने…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 14, 2013 at 9:00am — 19 Comments
१२२२ १२१२ १२१२ ११२
उठी जो पलकें तीर दिल के आर-पार हुआ
झुकी जो पलकें फिर से दिल पे कोइ वार हुआ
फकत जिसको मैं मानता रहा बड़ी धड़कन
नजर में जग की हादसा यही तो प्यार हुआ
गुलों को छू लें आरजू जवां हुई दिल में
लगा न हाथ था अभी वो तार –तार हुआ
हसीनों की गली में था बड़ा हँसी मौसम
मगर जो हुस्न को छुआ तो हुस्न खार हुआ
किया जो हमने झुक सलाम हुस्न शरमाया
नजर जो फेरी हमने हुस्न…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 11, 2013 at 9:00am — 14 Comments
पुष्प भावों के चढाने आया
आज मैं सर को झुकाने आया
बस रही है आप की ही तो कृपा
बात ये दिल की जताने आया
कर्ज में डूबा है कतरा कतरा
कर्ज किंचित वो चुकाने आया
एक रिश्ता है गुरु चेले में
आज वो रिश्ता निभाने आया
ज्ञान दाता हो बिधाता सम तुम
दीप दिल का मैं जलाने आया
ज्ञान रग रग में समाहित जिनका
उनको कुछ दिल की सुनाने आया
जग में महती है जो रिश्ता…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 4, 2013 at 12:30pm — 14 Comments
२१२२ १२२ २१२२
इक नजर इक नजर से मिल रही है
बात जग को भला क्यूँ खल रही है
वो हसी चाल कोई चल रही है
रोज हल्दी वदन पे मल रही है
सर्द मौसम तन्हाई का अलम है
चांदनी शब् भी हमें अब खल रही है
इस तरफ हैं तडपती बाहें मेरी
उस तरफ उम्र उनकी ढल रही है
हो रहा बस अलावों का जिकर् ही
आग कब से दिलों में जल रही है
बाहुपाशो में बंधे हैं वदन दो
अब घड़ी मौत की भी टल रही…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on August 24, 2013 at 2:30pm — 17 Comments
ल ला ला ला ल ला ला ला ल ला ला ला ल ला ला
वतन की कौन सोचेगा अगर तुम हम नहीं तो
पहन लो हाथ में चूड़ी अगर हो दम नहीं तो
लुटी है आबरू जिसकी वो बिटिया इस चमन की
वो है जल्लाद गर है आँख किंचित नम नहीं तो
हसी मंजर हसी रुत ये भला किस काम के हैं
सफ़र में साथ जब अपने हसी हमदम नहीं तो
मजा क्या आएगा हम को भला इस जिन्दगी का
खुशी के साथ थोडा सा कहीं गर गम नहीं तो
सुखा देती जिगर के घाव तेरी…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on August 12, 2013 at 9:49pm — 8 Comments
जलते रहे चिराग हवाओं से जूझकर
जिन्दा रहे थे हम भी गम में यूं डूबकर
चलते रहे थे हम भी लिए दिल में आस ही
वरना ठहर से जाते कभी हम भी टूटकर
बहने लगे थे हम भी लहरों के साथ ही
अब करते भी भला क्या कश्ती से छूटकर
वो हमसफ़र थे अपने मगर फिर भी मौन थे
कटती नहीं हयात मेरे यारों रूठकर
ले जायेगा मुझे भी इक दिन वो दूर यूं
अपनों के नाम होंगे नहीं लव पे भूलकर
जब से हुई हवा ये हवादिश की ही…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on August 8, 2013 at 3:13pm — 13 Comments
इक दिया तुमने जलाया होता
तम जरा सा ही हटाया होता
हिन्द में रहते सभी हिंदी हैं
भेद मजहब का मिटाया होता
साथ जीने में मजा आता है
पाठ सबको ये पढ़ाया होता
गर खता हमसे हुई माफ़ करो
वाकया गुजरा भुलाया होता
कुछ खुदा की यूं इबादत करते
रोते बच्चे को हसाया होता
चीरते हो बस मही का सीना
गुल से आँचल भी सजाया होता
दूध जिस माँ का पिया है तुमने
कर्ज कुछ उसका…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on July 31, 2013 at 6:30pm — 12 Comments
खिड़कियाँ घर की तुम खुली रखना
नजरें दर पे ही तुम टिकी रखना
फिर से परवाना न मिटे कोई
बज्म में शम्मा मत जली रखना
दिल मेरा रहता बेक़रार बड़ा
तुम जरा सी तो बेकली रखना
कैद मुझको तू कर ले दोस्त मेरे
जुल्फ की ही पर हथकड़ी रखना
है हवाओं में अब जहर बिखरा
तू मगर आदत हर भली रखना
आरजू दिल में बस मेरे इतनी
अपने दिल में ही अजनबी रखना
आशु वो देगा सौं न पीने…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on July 24, 2013 at 1:00pm — 10 Comments
जो नजर है कमाल की साहिब
वो नजर क्यूँ झुकी हुई साहिब
.
आज फिर दिल मेरा बेचैन सा है
आज फिर हमने पी रखी साहिब
.
जुल्फ की छाँव तले गुजरे दो पल
दो घड़ी ज़िंदगी ये जी साहिब
.
मरने में आएगा मज़ा हमको
क़त्ल कर दे हंसी नजर साहिब
.
जाम हाथों में इक बहाना है
हम कहाँ करते मयकशी साहिब
.
मैं नहीं बज्म में कभी आया
बात उसको ये खल गयी साहिब
.
डूब जायेंगे हम समंदर में
हो समंदर…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on July 11, 2013 at 3:30pm — 3 Comments
याद दिन हम को सुहाने आ रहे हैं
फिर से उन यादों के बादल छा रहे हैं
हमने घर अपनें बनाये रेत पर जब
याद वो बचपन के मंजर आ रहे हैं
कोयलों नें धुन सुरीली छेड़ दी है
गीत भी दीवानें भौंरे गा रहे हैं
कर दिया है आज टुकड़े टुकड़े दिल
छोड़ कर हम बज्म सारी जा रहे हैं
माल पूआ खाए मुद्दत हो गयी थी
ख्वाब में देखा अभी हम खा रहे हैं
आशु ये महफ़िल हसीनो से भरी…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on July 2, 2013 at 5:00pm — 13 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on June 20, 2013 at 12:00pm — 13 Comments
दास्ताँ इक तुम्हे सुनानी है
आज पीने को मय पुरानी है
मेरी आँखों में सूनापन सा है
सूनेपन की कोई कहानी…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 11, 2013 at 4:30pm — 14 Comments
जिंदा है आदमी यहाँ उम्मीदों के सहारे
मझधार फंसी कश्ती भी लगती है किनारे
देखे नहीं गए हैं कभी मुझसे दोस्तों
यारों की आँखों बहते हुए अश्कों के धारे
पागल भी, शराबी भी, दीवाना…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 6, 2013 at 12:27pm — 11 Comments
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