Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 4, 2012 at 7:00pm — 13 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2012 at 1:30pm — 14 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 25, 2012 at 5:57pm — 6 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 24, 2012 at 10:00am — 13 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 23, 2012 at 1:08pm — 12 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2012 at 11:00am — 2 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 18, 2012 at 4:36pm — 4 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 15, 2012 at 10:30am — 2 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 13, 2012 at 7:18pm — 6 Comments
दीप-ज्यौति के पावन पर्व पर
मुझको, माँ लक्ष्मी ऐसा वर दे |
उज्जवल वस्त्र, सुरभित तन-मन,
सुगन्धित मधुवन सा घर-आँगन दे |
सरस-मलाई मधुमय-व्यंजन दे |
तिमिर छट जाये जीवन में.
जीवन ज्योतिर्मय हो जाये |
आगंतुक का स्वागत करने
पलक पावडे बिछे नयनों में,
दिल में अपनापन हो,
ऐसा मुझको मन-मयूर दे |
सरस्वती के साधक
"लक्ष्मण" पर माँ शारदे,
तेरा वरदहस्त रखदे ।
ध्यान करू मै तेरा और-
आनंदित करू जन-जन को,
कोकिल कंठी स्वर देकर,
मेरे मन गीतों…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 12, 2012 at 10:00am — 6 Comments
सात साल का मेरा पोता-
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 6, 2012 at 6:24pm — 10 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 4, 2012 at 5:30pm — 5 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2012 at 11:23am — 2 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 30, 2012 at 9:30pm — No Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 26, 2012 at 3:00pm — 13 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 24, 2012 at 5:00pm — 12 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 22, 2012 at 6:54pm — 7 Comments
हमने चुना था सोंचकर, इनमे उनके वंश का ही खून है
वे स्वर्ग से बहाते आंसू, लजाया इसने मेरा ही खून है |
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 17, 2012 at 4:51pm — No Comments
पिता की मृत्यु के चार वर्ष बाद बड़े लड़के निर्मल की शादी के समय छोटा भाई सबल 13 वर्ष का था । नयी बहु आये दिन साँस से झगडती रहती थी | निर्मल अन्दर से परेशान | भाई भाभी के बेरुखे व्यव्हार से और गलत संगत के कारण सबल देर रात तक आने लगा |एक दिन निर्मल ने अपने जीजा को कहने लगा "जीजाजी मेरी पत्नी को न मै समझा सकता हूँ, और न ही उसको डांटकर अशांति फैलाना चाहता हूँ" | परेशान हो माँ ने अलग रसोई करने का निर्णय स्वीकार कर लिया |
माँ को अल्प पारिवारिक पेंशन से अपना और छोटे लड़के सबल का निर्वाह…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 13, 2012 at 3:30pm — 7 Comments
पाप का ना भागी बन,मौन रहा क्यों साध,
मौन साध हामी भरे, वह भी है अपराध |
अपराध अगर यूँ करे, कौन करेगा माफ़,
वक्त लिखेगा एक दिन, दोषी तुझको साफ |
जान बूझ गलती करे, उसको दोषी मान
दोषी वह उतना नहीं,जिसे नहीं था भान |
मानव में न भेद करे, प्रभु सभी के साथ,
प्रभु सभी के साथ है,पकड़ कर्म का हाथ |
कर्म का फल देना ही, प्रभु के लेख माय,
प्रभु करेगा भला ही, गुरु भी यही बताय |
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 4, 2012 at 8:00pm — 12 Comments
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