8 मार्च -अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
जंग ए आजादी के दौर में राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त ने आंख के आंसूओं में अपनी कलम डूबाकर इन पंक्तियों की रचना की थी
अबला जीवन तेरी हाय यही कहानी !
आंचल में है दूध और आंखों में पानी
आज़ादी के दौर में यह कहानी बहुत कुछ बदल चुकी है। देश की महिलाएं सातवें आसमान में देश का झंडा गाड़कर कल्पना चावला बन रही हैं। किरन बेदी बनकर अपराधियों से लोहा ले रही हैं। अरुणा राय और मेधा…
ContinueAdded by prabhat kumar roy on March 7, 2011 at 7:00am — No Comments
Added by rajkumar sahu on March 7, 2011 at 12:46am — No Comments
तुमसे कितना प्यार किया ऐ कभी समझा नहीं
तुम्हारे न आने पर हम कितने उदास होते थे
तुम्हें हम कितना याद करते थे,
आपने ओ कभी महसूस नहीं किया
आप पे हमने कितना…
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 6, 2011 at 8:00pm — No Comments
कहावत है की प्यार जहाँ, दर्द, वहाँ , आखिर ऐसा क्यूँ ?
प्यार, दर्द, एहसास, सच और झूठ सब मिलकर ' छुपा -छुपी ' का खेल खेलने का फैसला किया ! और जैसे ही दर्द ने छुपाने को कहा सब अपने-अपने जगह छुप गए, फिर दर्द ने गिनती सुरु की और सब पकडे भी गए, पर प्यार पकड़ा नहीं गया, क्यूंकि प्यार गुलाब की झाड़ियों में जा छुपा था, सब ने मिलकर प्यार को खोज निकाला, फिर दर्द ने प्यार को खीचा, गुलाब की झाड़ियों में छुपे होने से दर्द को जोर लगाकर खीचने से गुलाब के कांटे प्यार की…
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 6, 2011 at 7:30pm — No Comments
अभिराजभी..................................
तुम्हारा चेहरा जब आँखों के सामने होता है
जो कभी मेरे इस ह्रदय के राजदार थे
आज तेरे वियोग में ह्रदय मेर तड़पता है
तेरे ओ वादे इरादे तेरी ओ कसमे
आज मेरे ह्रदय के यादगार है,
गलत मै हूँ जो तुम्हें भुला न सका
तुम तो किये लाख बहाने
दिल लगाने से पहले तैयार थी
तुम्हारी…
ContinueAdded by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 6, 2011 at 12:53pm — No Comments
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 6, 2011 at 12:00pm — No Comments
Added by arvind yogi on March 5, 2011 at 11:43pm — 3 Comments
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 5, 2011 at 5:00pm — No Comments
Added by rashmi prabha on March 5, 2011 at 3:38pm — 1 Comment
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 5, 2011 at 10:55am — 5 Comments
पाषाण समाज के सीने पे पडी नन्ही अश्रु की बूँद गाती है अनसुना गीत ,सुनाती है अजन्मी कहानी .|
उसकी गिरेबां को पकडे रोती ,बिलखती , कोसती, झकझोरती , सवाल करती , पता पूछती हैं उस भ्रूण हत्यारे का|
फिर सहसा आंसू पोछती .सोचती कहती की अच्छा हुआ जन्म से पहले मिटा दी गयी पैदा होती तो जाने क्या हश्र होता |…
Added by Anand Vats on March 5, 2011 at 10:21am — 3 Comments
बहुत मुमकिन है ख़्वाबों को हकीकत नाम मिल जाए
Added by Lata R.Ojha on March 5, 2011 at 9:03am — 2 Comments
Added by Dr Nutan on March 5, 2011 at 1:00am — 4 Comments
विश्व-कप में
टीम इंडिया आई
आस जगाई.....१
इंतजार में
जोरदार तैयारी
है बेक़रारी ...२
माही! तुम में
ज़ज्बा है हिम्मत भी
सामने आओ ...३
देश का मान
विश्व-कप जीत के
भारत लाओ ....४
अब सचिन!
शतकों के शतक
का इंतजार .....५.
खेलो न पूरे
जी जान से निराली
टीम इंडिया ....७
BRIJESH
Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on March 4, 2011 at 10:00pm — No Comments
अपने औदें पर इतना अक़ड़ता क्यूं हैं
तू बात बात पर यूं बिगड़ता क्यूं हैं
क्या संसद का पानी पी आया हैं
तू बार बार यूं रंग बदलता क्यूं हैं
लिबास तो बड़ा ही सफ़्फ़ाख है…
Added by अमि तेष on March 4, 2011 at 3:30pm — 4 Comments
Added by neeraj tripathi on March 4, 2011 at 2:25pm — 4 Comments
जिसने बांटे दर्द सभी के, मिलते उसको छाले हैं !
एक पिता का हाल देखिए, इस नफरत की दुनिया में,
जिसने धन दौलत तक दे दी, रोटी तक के लाले हैं !
अब प्यार के जहाँ में पैगाम नहीं मिलते !
Added by gaurav uphar on March 4, 2011 at 1:00pm — 2 Comments
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 4, 2011 at 9:20am — No Comments
जहाँ फ़ैल रहा प्रकाश वहाँ, क्यों फैला रहे अंधेरा,
खुशियों को छीन लो ना उनसे, होने दो वहाँ सवेरा,
जालिम कहर तुम्हारी, बरसे जहाँ जहाँ पर ,
रहते थे शान्ति के पुजारी,बंजर है अब वहाँ पर,
कितनो के चमन उजाड़ दिए, कितनो का लूटोगे डेरा,
खुशियों को छीन लो ना उनसे, होने दो वहाँ सवेरा.
अन्दर तुम्हारे है क्या , लेते सदा सहारा,
खुद की जमीं बचा न सके तो, दूसरों का घर उजाड़ा,
कब तक बनोगे सांप तुम,नचाएगा तुम्हे संपेरा,
खुशियों…
Added by Dhananjay Pathak on March 4, 2011 at 12:00am — No Comments
यादें.................
मन की उदासी को ह्रदय में,
बसा के रख लिया ,
आप की बेवफाई को,
जीवन अंग समझ लिया !
मैंने की बेहद मुहब्बत मगर,
आपको क्या फर्क पडा,
तुमने लिए जो फैसले प्यार में,
उस दर्द से दिल मेरा रो पडा !
मिलेंगे तुम्हें हज़ारो दौलतमंद पर,
प्रीत की होगी वहां न भनक,
राह भूल मेरे अनमोल प्रेम को,
तोड़ देगी पैसे की खनक !
अपने सारे गमो को मै छुपा लूंगा,
एक तुम्हारी ख़ुशी के लिए
अब ना आयेंगे…
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 3, 2011 at 7:30pm — 2 Comments
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