ग़ज़ल:- अपने शहर में झूठ के चर्चे आम बहुत हैं
अपने शहर में झूठ के चर्चे आम बहुत हैं ,
सच कहने वालों के सर इलज़ाम बहुत हैं…
ContinueAdded by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 2:55pm — No Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 13, 2011 at 2:34pm — 2 Comments
Added by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 1:30pm — 6 Comments
ग़ज़ल : - अपना घर आप जलाने का हौसला कर लूं
वक्त वीरान है निशानियां फ़ना कर लूं ,
अपना घर आप जलाने का हौसला कर लूं |
आपकी बज़्म में अशआर कई लाया हूँ…
ContinueAdded by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 1:00pm — 6 Comments
Added by rajkumar sahu on March 13, 2011 at 1:20am — 1 Comment
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on March 13, 2011 at 12:30am — No Comments
Added by rajkumar sahu on March 13, 2011 at 12:00am — No Comments
Added by Lata R.Ojha on March 12, 2011 at 10:30pm — 3 Comments
(1)
मै तेरे खयालो मै खोया हु अकसर
तू रातो को मुझको सताने लगी है
तू छोड़ ना देना साथ मेरा
तू खुद से ज्यादा याद आने लगी है
(2)
उसको देखू तो लगे चाँद को देखा
मेने आज फिर मेरे भगवान को…
Added by Tapan Dubey on March 12, 2011 at 1:30pm — 2 Comments
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 12, 2011 at 2:30am — 7 Comments
Added by rajkumar sahu on March 12, 2011 at 1:00am — No Comments
मै खुद की बेबसी से मजबूर हैरान हूँ
खबर क्या तुम्हें कैसे चल रही है जिंदगी
हर सुबह हर शाम अधूरी एक आश में,
दिल के विरह की आग में जल रही है जिंदगी
किससे करे शिकवा,और क्युओं करूँ
अटूट प्रेम में छली गयी मेरी जिंदगी
क्या खबर कब थमेगा जिंदगी का कारवाँ
बेमतलब की ईन राहो पर खल रही है जिंदगी
तेरी दगाबाजी से दिल यूँ चूर-चूर हो गया क्यूँ ये
बेवफा तेरे दर्द का सितम सह रही है जिंदगी तू
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 11, 2011 at 10:08pm — 3 Comments
गजल
औरों पे कभी, बोझ न बन,
बहरहाल जाँ सोज न बन।
कायम इज्जत रखनी हो तो,
मेहमां किसी का रोज न बन।
जो किश्ती को ही ले डूबे,
दरिया की वो मौज न बन।
बगैर दावतनामा कभी,
कही शरीके-भोज न बन।
अपने गिरेबाँ में रहा करो ‘चंदन‘
बेखुदी में राजा भोज न बन।।
Added by Nemichand Puniya on March 11, 2011 at 8:00pm — 2 Comments
मैं ख्वाबों मे तुझको देख पाउ तो कैसे,
मैं नजरों से तुझको हटाऊ तो कैसे ,
कई जिम्मेदारियाँ हे कंधे पर मेरे,
दो घड़ी हि सही,सो जाऊँ तो कैसे,
प्यार करते है जिसको दिलों जां से हम,
हाल-ए-दिल उसको मै बताऊँ तो कैसे,
जल रही हे ये आग…
Added by Tapan Dubey on March 11, 2011 at 6:00pm — 4 Comments
Added by Rash Bihari Ravi on March 11, 2011 at 12:33pm — 1 Comment
Added by neeraj tripathi on March 11, 2011 at 11:30am — 3 Comments
Added by rajkumar sahu on March 11, 2011 at 11:22am — 1 Comment
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 11, 2011 at 12:00am — 6 Comments
Added by आशीष यादव on March 10, 2011 at 2:25pm — 15 Comments
प्रभु ये क्या गजब कर डाला ....
एक बार एक भक्त ,
भगवान शिव की ,
लगातार आराधना की ,
उसने भगवन शिव की ,
मन जीत ली ,
एक दिन भगवन शिव ,
दर्शन दिए ,
उससे बोले ,
एक वर मांगने के लिए ,
उसने सोचा ,
फिर बोला ,
भगवन मुझे किसी भी ,
त्रिसंकू बिधानसभा का ,
निर्दलीय सदस्य बना दो ,
प्रभु यही एक वर दो ,
भगवान शिव ने कहा ,
ऐसा ही होगा ,
इतना बोल भगवन कैलाश गए ,
तब माँ पार्बती ने कहा ,
प्रभु ये क्या गजब कर…
Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:30pm — 1 Comment
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