अक्सर सोच कर
समझ कर
चुप रह जाता हूँ ,
जब गहराई में
जाता हूँ ,
तो बस
इतना ही पाता हूँ ,
अक्सर सोच कर ,
समझ कर
चुप रह जाता हूँ ,
नेता बना हैं ,
देश को लुटने के लिए ,
मगर नेता जी की
बात सोचता हूँ ,
बहुत कुछ पाता हूँ
अक्सर सोच कर ,
समझ कर
चुप रह जाता हूँ ,
बेटा बना हैं ,
माँ बाप को चूसने के लिए ,
मगर सरवन कुमार को ,
सोचता हूँ तो ,
बहुत कुछ पाता हूँ
अक्सर सोच कर ,
समझ कर…
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Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:30pm —
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गड़बड़ मत कर समझकर ,
चल हरदम सत्य पथ पर ,
रख हरदम पकर मन पर ,
गड़बड़ मत कर समझकर ,
समझ मत (निर्णय) हर पल ,
कम कर गम हँस हँस कर ,
बढ़ चल डगर संभलकर ,
गड़बड़ मत कर समझकर ,
हरदम समय पर सब कर ,
अक्सर समय पकर सच कर ,
बढ़ बस बढ़ पथ बन कर ,
गड़बड़ मत कर समझकर ,
Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:17pm —
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1. समारू - कांग्रेस व डीएमके में खटास पैदा हो गई है।
पहारू - वर्चस्व की लड़ाई में ऐसा ही होता है।
2. समारू - लड़खड़ा कर जीत रही भारतीय टीम।
पहारू - यह तो पुरानी आदत है।
3. समारू - सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी पद से पीजे थामस को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
पहारू - चलो, भारतीय व्यवस्था में एक और दाग लगने से बच गया।
4. समारू - प्रधानमंत्री ने कहा है कि सीवीसी मामले में उन्हें कुछ पता नहीं था।
पहारू - आखिर, यहां…
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Added by rajkumar sahu on March 9, 2011 at 7:14pm —
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दिल का पंछी
बंद दिल के पिंजरे के पंछी
चल अब उड़ जा यहाँ से रे
उजड़ गया अब बाग़ बगीचा सब लगे बेगाना रे
कुदरत ने जिसे संवारा इंसान ने उसे काट डाला रे
सुनने वाला कोइ नहीं तेरे जीवन की कहानी रे
आने वाला पल तुझे दर्द ही दिए जाए रे
इस मतलब भरी दुनिया में तेरा दर्द न जाने कोई रे
नहीं कह सकता हाले दिल किसी को है कैसी तेरी जिंदगानी रे
तेरे ही लहू से विधाता ने लिखी तेरी कहानी रे
इस बंद ह्रदय में तू कब तक फडफाड़ाऐगा चल फुर्र हो जा रे
"अभिराजअभी"
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 9, 2011 at 6:43pm —
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सामयिक नव गीत
मचा कोहराम क्यों?...
संजीव वर्मा 'सलिल'
*
(नक्सलवादियों द्वारा बंदी बनाये गये एक कलेक्टर को छुड़ाने के बदले शासन द्वारा ७ आतंकवादियों को छोड़ने और अन्य मांगें मंजूर करने की पृष्ठभूमि में प्रतिक्रिया)
अफसर पकड़ा गया
मचा कुहराम क्यों?...
*
आतंकी आतंक मचाते,
जन-गण प्राण बचा ना पाते.
नेता झूठे अश्रु बहाते.
समाचार अखबार बनाते.
आम आदमी सिसके
चैन हराम क्यों?...
*
मारे गये सिपाही अनगिन.
पड़े…
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Added by sanjiv verma 'salil' on March 9, 2011 at 7:46am —
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मित्रों!
प्रस्तुत हैं कोलकाता निवासी श्रेष्ठ-ज्येष्ठ हिंदीसेवी आचार्य श्यामलाल उपाध्याय की कुछ रचनाएँ
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Added by sanjiv verma 'salil' on March 9, 2011 at 7:32am —
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देश में अलग-अलग विधाओं व उपलब्धियों पर पुरस्कार दिए जाने की परिपाटी है। इन पुरस्कारों के लिए चुनिंदा नाम पर मुहर लगती है, मगर भ्रष्टाचार के दानव के मुखर होने के बाद इन दिनों मैं सोच रहा हूं कि देश में एक और पुरस्कार दिए जाने की जरूरत है और वो है, धनपशु पुरस्कार। देश में एक-एक कर भ्रष्टाचार की हांडी फूट रही है और टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कामनवेल्थ घोटाला, आदर्श सोसायटी घोटाला तथा इसरो घोटाला के भ्रष्टाचार लोक से धनपशुओं का पदार्पण हो रहा है। भ्रष्टाचार कर देश को खोखला करने वाले ऐसे धनपशुओं को…
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Added by rajkumar sahu on March 9, 2011 at 12:11am —
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हर अँधेरा ठगा नहीं करता
हर उजाला वफा नहीं करता
देख बच्चा भी ले ग्रहण में तो
सूर्य उसपर दया नहीं करता
चाँद सूरज का मैल भी ना हो
फिर भी तम से दगा नहीं करता
बावफा है जो देश खाता है
बेवफा है जो क्या नहीं करता
गल रही कोढ़ से सियासत है
कोइ अब भी दवा नहीं करता
प्यार खींचे इसे समंदर का
नीर यूँ ही बहा नहीं करता
झूठ साबित हुई कहावत ये
श्वान को घी पचा नहीं…
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Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 8, 2011 at 11:30pm —
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(("महिला-दिवस" पर महिलाओं को 'समर्पित'...))
----…
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Added by Julie on March 8, 2011 at 8:38pm —
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दिन-प्रतिदिन स्वयं में ही ध्वस्त हो
विच्छेद हो कण-कण में बिखर जाती हूँ
आहत मन,थका तन समेटे दुःसाध्यता से…
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Added by Venus on March 8, 2011 at 5:30pm —
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नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
तुम्ही माता तुम्ही बहना ,
तुम्ही बेटी तुम्ही दादी-नानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
तुम्ही आदि शक्ति माता ,
तुम्ही ने ही धरती पे लाई बिधाता ,
सब जाने ये ना जुबानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
आज सब कुछ बदल गया ,
जुल्म में आगे निकल गया ,
तुम्ही सास ननद और जेठानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
नारी जलाई जाती है ,
नारी का नाम नारायणी हैं ,
ये बड़ी दुखद कहानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
Added by Rash Bihari Ravi on March 8, 2011 at 5:30pm —
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सृष्टि की अनमोल कृति
कभी दुलारती मां बन जाती
कभी बहन बन स्नेह जताती
बेटी बन जब पिया घर जाती
आँसू की धारा बह जाती
कभी पत्नी बन प्यार लुटाती
बहु बन घर को स्वर्ग बनाती
नारी तेरे बहुविध रूपों से
यह संसार चमन है
महिला दिवस पर हर नारी को बारम्बार नमन है
दुष्यंत...
Added by दुष्यंत सेवक on March 8, 2011 at 12:00pm —
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क्या जाने
अब मेरे ज़ब्र के है क्या माने
तू कहे क्या,करे ,ये क्या जाने
आँख को मूंदना अदा गोया
पाँव छाती पे,कब हो,क्या जाने
फैलना इक नशा शहर का है
गाँव कब खो गया ये क्या जाने
मंद कंदील तुम ने बाले तो
रोशनी हो न हो ये क्या जाने
हम मुसाफिर है तो चलेंगे ही
राहे मंजिल है क्या,ये क्या…
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Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 8, 2011 at 8:30am —
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छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिला अंतर्गत ग्राम नरियरा में स्थापित किए जा रहे 36 सौ मेगावाट के केएसके महानदी पावर प्लांट का जैसे लगता है, विवादों से ही नाता है। अतिरिक्त मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर कुछ दिनों पहले हुई किसानों की भूख-हड़ताल तथा धरना-प्रदर्शन का विवाद जैसे-तैसे थम पाया था, उसके बाद अब रोगदा बांध को बेचे जाने के मामले विधानसभा में गूंज उठा। हालात यहां तक बन गए कि विपक्षी पार्टी के विधायकों को विधानसभा में हंगामा करना पड़ा और कार्रवाई तक स्थगित करनी पड़ी। अंततः पांच सदस्यीय समिति…
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Added by rajkumar sahu on March 8, 2011 at 1:50am —
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वैसे तो महिलाएं सड़क पर उतरकर बहुत कम ही लड़ाई लड़ती हैं, मगर अपनी मांग को लेकर जब नारी-शक्ति अपने पर उतर आती हैं, तो फिर किसी को भी झुकना पड़ जाता है। ऐसा ही कुछ आंदोलन कर रही हैं, नगर पंचायत नवागढ़ की सैकड़ों महिलाएं। ब्लाक मुख्यालय में संचालित शराब दुकान को हटाने नवागढ़ समेत क्षेत्र के कई गांवों की महिलाएं लामबंद हो गई हैं और वे पखवाड़े भर से तहसील कार्यालय के सामने भूूख-हड़ताल करते हुए धरना प्रदर्शन कर रही हैं। अफसरों को हर दिन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के नाम ज्ञापन सौंपा जा रहा है, लेकिन अब तक न तो…
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Added by rajkumar sahu on March 8, 2011 at 1:14am —
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कल ही था कि जब छिपाकर, फेंक देते थे हम दातुन,
नीम क़ी कड़वी तबीयत, अब दवाई हो गयी है;
कल ही था जब जेठ क़ी, दुपहरी में हम गुल खिलाते,
गर्मियों क़ी दोपहर, अब बेईमानी हो गयी है;
आमों क़ी वे अम्बियाँ, थे हम कल जिनको चुराते,
बिकती हैं बाज़ार में वो, मेहरबानी हो गयीं हैं;
और ईखों की बदौलत, राब थे हम कल बनाते,
ताज़े गुड़ की भेलियाँ अब इक कहानी हो गयीं हैं.
वक़्त कुछ बदला है ऐसे,
जैसे फ़िल्मी गीतों में अब, नृत्य के अंदाज़ बदले;
कल तक लिखे जिन खतों…
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Added by neeraj tripathi on March 7, 2011 at 5:48pm —
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द्वादश ज्योतिर्लिंग / बारह ज्योतिर्लिंग
हिंदी अनुवाद: संजीव 'सलिल'
*
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम.
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरं.१.
सोमनाथ सौराष्ट्र में, मलिकार्जुन श्रीशैल.
ममलेश्वर ओंकार में, महाकाल उज्जैन.१.
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरं.
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने.२.
भीमशंकर डाकिन्या, परलय वैद्येश.
नागेश्वर दारुकावन, सेतुबंध रामेश.२.
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं…
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Added by sanjiv verma 'salil' on March 7, 2011 at 5:39pm —
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एक कविता
धरती
संजीव 'सलिल'
*
धरती काम करने
कहीं नहीं जाती
पर वह कभी भी
बेकाम नहीं होती.
बादल बरसता है
चुक जाता है.
सूरज सुलगता है
ढल जाता है.
समंदर गरजता है
बँध जाता है.
पवन चलता है
थम जाता है.
न बरसती है,
न सुलगती है,
न गरजती है,
न चलती है
लेकिन धरती
चुकती, ढलती,
बंधती या थमती नहीं.
धरती जन्म देती है
सभ्यता को,
धरती जन्म देती है
संस्कृति को.
तभी ज़िंदगी
बंदगी बन पाती है.
धरती…
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Added by sanjiv verma 'salil' on March 7, 2011 at 5:38pm —
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मुक्तिका:
बड़े नेता...
संजीव 'सलिल'
*
बड़े नेता.
सड़े नेता. .
मरघटों में
गड़े नेता..
स्वहित हेतु
अड़े नेता..
जड़, बिना जड़
जड़े नेता..…
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Added by sanjiv verma 'salil' on March 7, 2011 at 5:30pm —
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" ARUNA shanbhag " -A most sorrowful story in the world
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किस लिए मासूम रूहों को तड़पने की सज़ा...
अपने बंदों की ख़ुशी से क्यूँ जला करता है तू...
मुंसिफ़े-तक़दीर मिल जाएगा तो पूछेंगे हम...
किस बिना पे…
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Added by Dinesh Choubey on March 7, 2011 at 5:00pm —
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