Added by rajkumar sahu on March 17, 2011 at 10:54pm — No Comments
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 17, 2011 at 10:19pm — 1 Comment
Added by Pranjal Mishra on March 17, 2011 at 9:55pm — No Comments
Added by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on March 17, 2011 at 6:49pm — No Comments
इन अकेली वादियों में चले आये
(मधु गीति सं. १७१७, दि. १० मार्च, २०११)
इन अकेली वादियों में चले आये, भरा सुर आवादियों का छोड़ आये;
गान तुम निस्तब्धता का सुन हो पाये, तान नीरवता की तुम खोये सिहाये.…
ContinueAdded by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on March 17, 2011 at 1:06pm — 2 Comments
Added by Lata R.Ojha on March 17, 2011 at 1:34am — 1 Comment
OBO पर आकर बहुत अच्छा लगा. यहाँ पर एक से एक उस्ताद शायर और कवियों की रचनाएं पढ़कर आनंद आ गया.
अपनी एक नयी ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ, आप सब से मार्गदर्शन की आशा है.
अँधेरा है नुमायाँ बस्तियों में
उजाले कैद हैं कुछ मुट्ठियों में
ये पीकर तेल भी, जलते नहीं हैं…
Added by Saahil on March 16, 2011 at 8:07pm — 11 Comments
Added by rajkumar sahu on March 15, 2011 at 1:52am — No Comments
1. समारू - जाटों ने ओबीसी आरक्षण के लिए आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है।
पहारू - आरक्षण का झमेला तो राजनीतिक पार्टियों ने वोट के लिए पाल रखी है।
2. समारू - टैक्स पर इनकम बटोरने वाला एक और नाम आया।
पहारू - जितनी कमाई, उतनी टैक्स चोरी, खुली छूट है।
3. समारू - छग विधानसभा में कांग्रेस, भाजपा सरकार को घेरने में सफल नजर आ रही है।
पहारू - इतनी एकजुटता दिखाकर चुनाव में मेहनत करते तो विपक्ष में नहीं रहते।
4. समारू - पूर्व राज्यपाल एनडी तिवारी की…
Added by rajkumar sahu on March 15, 2011 at 12:10am — No Comments
प्रिय अभी
मै न चाहते हुए भी आज उन स्थानों पर कभी-कभी पहुँच जाता हूँ,जहां कभी अपने प्रेम के बहारो के फूल खिले थे , ना जाने कितने आरजुओ ने जन्म लिए थे जब कभी मै उन जगहों पर जाता हूँ तो हमेशा मेरी नज़र उन जगहों को देखती है जहां हम साथ चले थे , मेरे होठो पर तुम्हारा नाम बरबस ही आ जता है,मेरी नज़रे शायद तुम्हारे पद चिन्हों को ठुंठती है ! पर उसे असफलता ही हाँथ लगाती…
ContinueAdded by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 14, 2011 at 8:05pm — 3 Comments
मैं रहूँ न रहूं ,यादें मेरी रह जाएंगी..
Added by Lata R.Ojha on March 14, 2011 at 12:30pm — 3 Comments
Added by jagdishtapish on March 13, 2011 at 8:13pm — 1 Comment
Added by अमि तेष on March 13, 2011 at 7:30pm — 3 Comments
गजल
ईमानदार मैदाॅं में, बाजी मार जाते हैं।
बेईमानों के घोडे, आखिरी हार जाते हैं।।
परस्तिश करती है, उनकी सल्तनत दोस्तों।
वतन की राह में,जो जांॅ निसार जाते हैं।।
हथियारों पे कायम है, कायनात जिनकी।…
Added by nemichandpuniyachandan on March 13, 2011 at 7:26pm — 1 Comment
रंग अपना अपना ..
हर आदमी में होता है, रंग अपना अपना ।
उड़ान भर रहे हैं, लेकर के अपनी कल्पना।।
पूरी हुई न अबतक, इस जिंदगी में राहें।
यदि थक गया है कोई, तो भर रहा है आहें।
कुछ और आगे चलने का, रह गया है सपना।।
हर आदमी में…
Added by R N Tiwari on March 13, 2011 at 6:00pm — 1 Comment
ग़ज़ल :- ऐ खुदा क्योंकर तेरे सागर में सुनामी हुई
आपदा की हद हज़ारों ज़िंदगी पानी हुई ,
ऐ खुदा क्योंकर तेरे सागर में सुनामी हुई |
है नहीं कूवत लखन सी दौर के इंसान में…
ContinueAdded by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 3:30pm — 3 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on March 13, 2011 at 3:09pm — 3 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on March 13, 2011 at 3:05pm — No Comments
ग़ज़ल :- खार में भी कली खिला देगा
खार में भी कली खिला देगा ,
आदमी जब भी मुस्कुरा देगा |
यह तो दस्तूर है ज़माने का ,
नाम लिख कर कोई मिटा देगा…
ContinueAdded by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 3:00pm — 17 Comments
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