For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SANDEEP KUMAR PATEL's Blog – February 2013 Archive (13)

ग़ज़ल

======ग़ज़ल=======

 

मौसमे गुल से अदावत सीखी

कैसे ढाना है क़यामत सीखी

 

हर कोई चोर नज़र में जिनकी

उनकी नज़रों से नजारत सीखी

 

हम गरीबों के लिए दिल दौलत   

बेच के जिसको तिजारत सीखी

 

उसको हाथी से क्या डराते हो

जिसने चींटी से बगावत सीखी

 

वक़्त से तुम तो हुए संजीदा

हमने बस “दीप” शरारत सीखी

 

संदीप पटेल “दीप”

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 23, 2013 at 11:36pm — 13 Comments

"ग़ज़ल "

"ग़ज़ल "

आज बेमौत मर रहा होगा,

जो सवालों से डर रहा होगा ।

बाग़ की झुरमुटों में हलचल है,

नव युगल प्यार कर रहा होगा ।

अपने होने लगे हैं बेगाने,

कोई तो कान भर रहा होगा ।…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 3:30pm — 46 Comments

एक प्रयोग “चौपाई-त्रिभंगी” गीत

एक प्रयोग “चौपाई-त्रिभंगी” गीत

 

दृग सरिता मुख चन्द्र चकोरी, केश मेघ तन स्वर्ण किशोरी

कैसे करूँ कल्पना कोरी, होय नहीं समता भी थोरी

 

अधरों में रस भर, लाज शर्म धर, नैन झुकाए, मुस्काती

सकुचाती काया, लगती माया, दूर खड़ी हो, इठलाती

मन आह भरे है, चाह करे है, चंचल मन अस, उकसाती

हर रात जगे हम, भर भर कर दम, चैन नहीं है, दिन राती

 

अंतर्मन की जोरा जोरी, कहूँ दशा क्या तुमसे गोरी

दृग सरिता मुख चन्द्र चकोरी, केश मेघ तन स्वर्ण…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 17, 2013 at 6:00pm — 11 Comments

"बसंत"

"बसंत"

मैंने देखा है 

आज दीवार के पीछे से 

*ढूंक रहा था 

कहीं कोई देख न ले 

उसको ऐसे नग्न 

इस बार प्रेम की 

तेज हवाएं 

उतार के ले गयीं 

उसके पीले वस्त्र 

और 

बदले में दे गयीं थी 

कुछ ताज़ा गुलाब 

जिनकी पंखुड़ी पंखुड़ी …

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 16, 2013 at 12:00pm — 12 Comments

"माँ शारदा स्तुति" बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं

सभी आदरणीय सदस्यों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं 

"माँ शारदा स्तुति" 



दोहा-

विद्या दाती शारदे, दो विद्या का दान 

मोह लोभ का नाश हो , मिटे दंभ अभिमान 



चौपाई- 

वागीश्वरि माँ शारद प्यारी|  पूजें तुमको सब नर नारी ।।

माँ सब तुमसे वाणी पाते|  देव दनुज नर सारे ध्याते ।।

श्वेत वर्ण सम चन्द्र सुशोभित| चार भुजा मुख मंडल…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 15, 2013 at 4:00pm — 8 Comments

दोहा-रोला गीत

आदरणीय अम्बरीश सर के मार्गदर्शन से दोहा गीत को
दोहा-रोला गीत में परिवर्तित कर नए स्वरुप में प्रस्तुत कर रहा हूँ



सब ऋतुओं से है भला, मोहक परम उदंत

"आराधन रस का लिए, ये ऋतुराज बसंत"



अति जाड़े का अंत, माघ शुक्ला जब आये,

नव दुर्गा का ध्यान, करें ऋतुराज सुहाये,

मना रहे सब संत, जन्म उत्सव वागीश्वरि, …

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 13, 2013 at 8:35am — 24 Comments

ग़ज़ल"हसीन पल बहार के"

दोस्तों बहार के इस हसीन प्रथम सप्ताह पे पेशेखिदमत है इक ग़ज़ल

 

जवाँ दिलो में प्यार के, हसीन पल बहार के  

दिलों में इक खुमार के, हसीन पल बहार के  



नयी नयी हयात औ, खिलि खिली सी कायनात

हैं रौनक-ए-बज़ार के,  हसीन पल बहार के



नज़र नज़र में है खुदा, महक रही है ये फजा

हैं नूर औ निखार के, हसीन पल बहार के



खुदी से एक जंग है , दिलों में इक उमंग है

हैं मौज में शुमार के , हसीन पल बहार के



कली कली है खिल रही, नज़र नज़र से मिल…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 11, 2013 at 6:42pm — 4 Comments

इक प्रयोग "पञ्च चामर ग़ज़ल"

इक प्रयोग "पञ्च चामर ग़ज़ल"



बुरा न बोलिए उसे अगर कठिन गुजर हुआ

सिवाय वक़्त के बता न कौन हमसफ़र हुआ



तलाशते रहा जिसे रखे मिलन कि तिश्नगी

सुनी नहीं सदा अजीज यार बे-खबर हुआ



बदल नहीं सके उसे कहा सनम जिसे कभी

सनम रहा सनम बने न प्यार का असर हुआ



बढीं तमाम गर्दिशें चली हवा गुमान की

बुझा चिराग प्यार का निजाम बेअसर हुआ



गुरूर जिस्म पे कभी न कीजिये हुजूर यूँ

उसूल सुन हयात का मनुज नहीं अमर हुआ



न राह दिख रही मुझे न "दीप" मंजिलें…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 7, 2013 at 8:17pm — 13 Comments

इक प्रयोग "पञ्च चामर ग़ज़ल"



इक प्रयोग "पञ्च चामर ग़ज़ल"



झुके कभी कभी उठे नज़र बड़ी कमाल है

अदायगी ग़ज़ब कि बेनजीर बेमिसाल है



इधर उधर घुमा घुमा अजीब घूर घूर के

जबाब मांगती नज़र बड़ा गहन सवाल है



तराश नाजुकी भरी कि लब लगें गुलाब से

महक रही नफस नफस हसीं शबे विसाल है



नदी नहीं दिखे यहाँ समा रहा जिगर जहाँ

सियाह चश्म झील से गुमा हुआ गजाल है



सदैव सत्य बोलना बुरा भले रहे मगर  

जरूर आजमाइए असर भरा ख़याल है



जहर भरा हरेक हर्फ़ चख सकीं न दीमकें  

इसी…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 7, 2013 at 7:51pm — 10 Comments

"छंद त्रिभंगी "(एक प्रयास)

"छंद त्रिभंगी "

उठ नींद से गहरी , अर्जुन प्रहरी, नयना अपने, खोल ज़रा
पद साथ बढ़ा के , चाप चढ़ा के , इन्कलाब तो, बोल ज़रा
या छोड़ दिखावा, ये पहनावा, भगवा धारण, तुम कर लो
बन संत तजो सब, मौन रहो अब, मन का मारण,तुम कर लो

,,,,,,,दीप ............

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 5, 2013 at 9:42pm — 16 Comments

इक प्रयोग "दुर्मिल ग़ज़ल "

इक प्रयोग "दुर्मिल ग़ज़ल "



सपने किसके किससे कम हैं

सबके अपने अपने गम हैं



पर पीर नहीं दिखती अब तो

हर मानव पत्थर के सम हैं



अपने अफई बन के डसते

बस सोच यही अँखियाँ नम हैं



भरते दम ख्वाब सजा कल के

मन दंभ भरे सब बेदम हैं



खुद को कह वारिस संस्कृति के

फिरते कितने अब गौतम हैं …

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 5, 2013 at 4:30pm — 23 Comments

बुन्देलखंडी लोकगी "बैरन हुई मँहगाई मैं का करूँ"

दोस्तों इक बुन्देलखंडी लोकगीत लिखने का प्रयास किया है 

आप सभी से स्नेह की आशा है 



बैरन हुई मँहगाई मैं का करूँ

नैयाँ इतनी कमाई मैं का करूँ 



पाला पड़ो है जम के भैया 

फसल अकड के लैय जम्हैया 



खितवा सादा उगाई मैं का करूँ 

बैरन हुई मँहगाई मैं का…
Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 2, 2013 at 10:22pm — 5 Comments

ग़ज़ल "संदली सा बदन है क्या कहिये"

========ग़ज़ल=======



संदली सा बदन है क्या कहिये

फूल जैसी छुअन है क्या कहिये



जल उठा है बदन तुझे छूकर

हुश्न है या अगन है क्या कहिये



सर से पा तक तुझे वो छूता है

आपका पैरहन है क्या कहिये



तीर…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on February 2, 2013 at 3:47pm — 16 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service