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ग़ज़ल की कक्षा

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ग़ज़ल की कक्षा

इस समूह मे ग़ज़ल की कक्षा आदरणीय श्री तिलक राज कपूर द्वारा आयोजित की जाएगी, जो सदस्य सीखने के इच्‍छुक है वो यह ग्रुप ज्वाइन कर लें |

धन्यवाद |

Location: OBO
Members: 376
Latest Activity: Sep 27

Discussion Forum

ग़ज़ल संक्षिप्‍त आधार जानकारी-10 39 Replies

मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रेंइस बार हम बात करते हैं मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रों की। इन्‍हें देखकर तो अनुमान हो ही जायेगा कि बह्रों का समुद्र कितना बड़ा है। यह जानकारी संदर्भ के काम की है याद करने के काम की नहीं। उपयोग करते करते ये बह्रें स्‍वत: याद होने लगेंगी। यहॉं इन्‍हें देने का सीमित उद्देश्‍य यह है जब कभी किसी बह्र विशेष का कोई संदर्भ आये तो आपके पास वह संदर्भ के रूप में उपलब्‍ध रहे। और कहीं आपने इन सब पर एक एक ग़ज़ल तो क्‍या शेर भी कह लिया तो स्‍वयं को धन्‍य…Continue

Tags: बह्र, विवरण, पाठ, ज्ञान, ग़ज़ल

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by मनोज अहसास Sep 27.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-9 6 Replies

(श्री तिलक राज कपूर जी द्वारा मेल से भेजे गए पोस्ट को हुबहू पोस्ट किया जा रहा है.....एडमिन) जि़हाफ़:जि़हाफ़ का शाब्दिक अर्थ है न्‍यूनता या कमी। बह्र के संदर्भ में इसका अर्थ हो जाता है अरकान में मात्राओं की कमी। ग़ज़ल का आधार संगीत होने के कारण यह जरूरी हो गया कि मात्रिक विविधता पैदा की जाये जिससे बह्र विविधता प्राप्‍त हो सके। इसका हल तलाशा गया मूल अरकान में संगीतसम्‍मत मात्रायें कम कर उनके नये रूप बनाकर। मात्रायें कम करना कोई तदर्थ प्रक्रिया नहीं है, इसके निर्धारित नियम हैं।मुख्य…Continue

Started by Admin. Last reply by आवाज शर्मा Jul 20, 2011.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-8 7 Replies

बह्र विवरण-अगला चरण:पिछली पोस्‍ट में जो जानकारी दी गयी थी उससे एक स्‍वाभाविक प्रश्‍न उठता है कि सभी मुफ़रद बह्र एक ही रुक्‍न की आवृत्ति से बनती हैं तो वो प्रकृति से ही सालिम हैं और मुरक्‍कब बह्र अलग-अलग अरकान से बनती हैं तो सालिम हो नहीं सकतीं फिर सालिम परिभाषित करने की आवश्‍यकता कहॉं से पैदा हुई। जहॉं तक मूल अरकान की बात है उनके लिये सालिम परिभाषित करने की वास्‍तव में कोई आवश्‍यकता नहीं थी लेकिन अरकान के जि़हाफ़़ से मुज़ाहिफ़ बह्र बनती हैं और उनमें एक ही जि़हाफ़़ की आवृत्ति होने पर सालिम की…Continue

Tags: पाठ, विवरण, ज्ञान, ग़ज़ल, कक्षा

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by Tilak Raj Kapoor May 14, 2011.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-7 6 Replies

ग़ज़ल की विधा में रदीफ़ काफि़या तक बात तो फिर भी आसानी से समझ में आ जाती है, लेकिन ग़ज़ल के तीन आधार तत्‍वों में तीसरा तत्‍व है बह्र जिसे मीटर भी कहा जा सकता है। आप चाहें तो इसे लय भी कह सकते हैं मात्रिक-क्रम भी कह सकते हैं।रदीफ़ और काफि़या की तरह ही किसी भी ग़ज़ल की बह्र मत्‍ले के शेर में निर्धारित की जाती है और रदीफ़ काफिया की तरह ही मत्‍ले में निर्धारित बह्र का पालन पूरी ग़ज़ल में आवश्‍यक होता है। प्रारंभिक जानकारी के लिये इतना जानना पर्याप्‍त होगा कि बह्र अपने आप में एकाधिक रुक्‍न…Continue

Tags: बह्र, कक्षा, ग़ज़ल, ज्ञान, पाठ

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jul 21.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-6 15 Replies

काफि़या को लेकर अब कुछ विराम लेते हैं। जितना प्रस्‍तुत किया गया है उसपर हुई चर्चा को मिलाकर इतनी जानकारी तो उपलब्‍ध हो ही गयी है कि इस विषय में कोई चूक न हो। रदीफ़ को लेकर कहने को बहुत कुछ नहीं है फिर भी कोई प्रश्‍न हों तो इस पोस्‍ट पर चर्चा के माध्‍यम से उन्‍हें स्‍पष्‍ट किया जा सकता है। लेकिन रदीफ़ और काफि़या को लेकर कुछ महत्‍वपूर्ण है जिसपर चर्चा शेष है और वह है रदीफ़ और काफि़या के निर्धारण में सावधानी। यह तो अब तक स्‍पष्‍ट हो चुका है कि रदीफ़ की पुनरावृत्ति हर शेर में होती है और काफि़या का…Continue

Tags: पाठ, ज्ञान, ग़ज़ल, कक्षा

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by kanta roy Jan 27, 2016.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-5 36 Replies

पिछले आलेख में हमने प्रयास किया काफि़या को और स्‍पष्‍टता से समझने का और इसी प्रयास में कुछ दोष भी चर्चा में लिये। अगर अब तक की बात समझ आ गयी हो तो एक दोष और है जो चर्चा के लिये रह गया है लेकिन देवनागरी में अमहत्‍वपूर्ण है। यह दोष है इक्‍फ़ा का। कुछ ग़ज़लों में यह भी देखने को मिलता है। इक्‍फ़ा दोष तब उत्‍पन्‍न होता है जब व्‍यंजन में उच्‍चारण साम्‍यता के कारण मत्‍ले में दो अलग-अलग व्‍यंजन त्रुटिवश ले लिेये जाते हैं। वस्‍तुत: यह दोष त्रुटिवश ही होता है। इसके उदाहरण हैं त्रुटिवश 'सात' और 'आठ' को…Continue

Tags: पाठ, ज्ञान, ग़ज़ल, कक्षा

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by Nilesh Shevgaonkar Apr 22, 2017.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-4 33 Replies

काफि़या को लेकर आगे चलते हैं।पिछली बार अभ्‍यास के लिये ही गोविंद गुलशन जी की ग़ज़लों का लिंक देते हुए मैनें अनुरोध किया था कि उन ग़ज़लों को देखें कि किस तरह काफि़या का निर्वाह किया गया है। पता नहीं इसकी ज़रूरत भी किसी ने समझी या नहीं।कुछ प्रश्‍न जो चर्चा में आये उन्‍हें उत्‍तर सहित लेने से पहले कुछ और आधार स्‍पष्‍टता लाने का प्रयास कर लिया जाये जिससे बात समझने में सरलता रहे।काफि़या या तो मूल शब्‍द पर निर्धारित किया जाता है या उसके योजित स्‍वरूप पर। पिछली बार उदाहरण के लिये 'नेक', 'केक' लिये गये…Continue

Tags: पाठ, ज्ञान, ग़ज़ल, कक्षा

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by Rachna Bhatia Apr 27, 2019.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-3 53 Replies

एक बात जो आरंभ में ही स्‍पष्‍ट कर देना जरूरी है कि यह आलेख काफि़या का हिन्‍दी में निर्धारण और पालन करने की चर्चा तक सीमित है। उर्दू, अरबी, फ़ारसी या इंग्लिश और फ्रेंच आदि भाषा में क्‍या होता मैं नहीं जानता।पिछले आलेख पर आधार स्‍तर के प्रश्‍न तो नहीं आये लेकिन ऐसे प्रश्‍न जरूर आ गये जो शायरी का आधार-ज्ञान प्राप्‍त हो जाने और कुछ ग़ज़ल कह लेने के बाद अपेक्षित होते हैं।प्राप्‍त प्रश्‍नों पर तो इस आलेख में विचार करेंगे ही लेकिन प्रश्‍नों के उत्‍तर पर आने से पहले पहले कुछ और आधार स्‍पष्‍टता प्राप्‍त…Continue

Tags: पाठ, ज्ञान, ग़ज़ल, कक्षा

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by Rajeev Bharol Feb 22, 2012.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-2 12 Replies

ग़ज़ल की आधार परिभाषायें जानने के बाद स्‍वाभाविक उत्‍सुकता रहती है इन परिभाषित तत्‍वों के प्रायोगिक उदाहरण जानने की। ग़ज़ल में बह्र का बहुत अधिक महत्‍व है लेकिन उत्‍सुकता सबसे अधिक काफि़या के प्रयोग को जानने की रहती है। आज प्रयास करते हैं काफि़या को उदाहरण सहित समझने की।सभी उदाहरण मैनें आखर कलश पर प्रकाशित गोविन्‍द गुलशन जी की ग़ज़लों से लिये हैं। एक मत्‍ला देखें:'दिल में ये एक डर है बराबर बना हुआमिट्टी में मिल न जाए कहीं घर बना हुआ'इसमें 'बना हुआ' तो मत्‍ले की दोनों पंक्तियों के अंत में आने…Continue

Tags: पाठ, ज्ञान, ग़ज़ल, कक्षा

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by विनोद 'निर्भय' Nov 17, 2018.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-1 56 Replies

यह आलेख उनके लिये विशेष रूप से सहायक होगा जिनका ग़ज़ल से परिचय सिर्फ पढ़ने सुनने तक ही रहा है, इसकी विधा से नहीं। इस आधार आलेख में जो शब्‍द आपको नये लगें उनके लिये आप ई-मेल अथवा टिप्‍पणी के माध्‍यम से पृथक से प्रश्‍न कर सकते हैं लेकिन उचित होगा कि उसके पहले पूरा आलेख पढ़ लें; अधिकाँश उत्‍तर यहीं मिल जायेंगे। एक अच्‍छी परिपूर्ण ग़ज़ल कहने के लिये ग़ज़ल की कुछ आधार बातें समझना जरूरी है। जो संक्षिप्‍त में निम्‍नानुसार हैं:ग़ज़ल- एक पूर्ण ग़ज़ल में मत्‍ला, मक्‍ता और 5 से 11 शेर (बहुवचन अशआर) प्रचलन…Continue

Tags: पाठ, ज्ञान, कक्षा, ग़ज़ल

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by Asif zaidi Jan 22, 2019.

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Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 9, 2015 at 8:44pm

हा हा हा 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 9, 2015 at 8:38pm

मेरे पास मुहम्मद मुस्तफ़ा ख़ान मद्दाह की लुगत ’उर्दू-हिन्दी शब्दकोश’ है. यह एक प्रामाणिक लुगत है. मद्दाह साहब ने खिलौना शब्द का शुमार किया ही नहीं है.
:-))

(समझे?)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 9, 2015 at 8:35pm

//कवि सम्मेलन या मुशायरे में पढ़ते समय सही उच्चारण क्या हो किसी शब्द का ये मूल प्रश्न है मेरा.//

यह नितान्त अलग विषय है.

इस संदर्भ एक बात जाननी और रोचक है कि हम तथाकथित हिन्दी प्रदेश के लोग (उत्तर भारत, पुराना मप्र, उप्र और पुराना बिहार) वस्तुतः हिन्दी भाषी हैं ही नहीं. करीब सभी आंचलिक भाषा से ही अपना बोलना प्रारम्भ करते हैं और हिन्दी भाषा एक काल खण्ड के बाद उनकी बोलचाल में आती है. तबतक आंचलिक भाषा में प्रयुक्त हो चुके या अपना लिये गये शब्दों के उच्चारण की आदत इतनी अधिक प्रभावी हो चुकी होती है कि हिन्दी बोलते समय भी वही उच्चारण प्रभावी होते हैं. शुद्ध उच्चारणके लिए विशेष प्रयास करना पड़ता है.
यही कारण है कि आंचलिक भाषा (अवधी, भोजपुरी, काशिका, बज्जिका आदि) के उच्चारणों के आदी लोग स्मित, स्त्री, स्नान, स्कूल आदि-आदि जैसे शब्दों का उच्चारण कर ही नहीं पाते और रचनाओं में उनकी मात्रा तक से खिलवाड़ करते हैं. यदि वे तथाकथित ’नाम-धाम’ वाले रचनाकार हो गये तो फिर कहना ही क्या ! जबकि तनिक अभ्यास से सही जानकारों के निर्देशन में इन शब्दों का शुद्ध उच्चारण अवश्य किया जा सकता है.

लेकिन यह सारा कुछ एकदम से अलग विषय का संदर्भ है.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 9, 2015 at 8:31pm

और उर्दू में ?


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 9, 2015 at 8:22pm

आ. नीलेशभाई, खिलौना ही सही उच्चारण है.

रेफ़ेरेन्स - प्रभात प्रकाशन के बृहत हिन्दी शब्दकोश [प्र.सं. डॉ. श्यामबहादुर वर्मा, सं. - डॉ. धर्मेन्द्र वर्मा] - यह संस्कृत के खेलन तथा प्राकृत के खिल्लण से हमारे तक खिलौना के रूप में पहुँचा है.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 9, 2015 at 8:11pm

उर्दू या हिंदी या रोमन..सभी स्क्रिप्ट्स की अपनी लिमिटेशन्स हैं. ख़ास कर टैब जब भाषाएँ एक स्क्रिप्ट से दूसरी स्क्रिप्ट में जा रही है. देवनागरी में मराठी के शब्द च (लाइट sound) नुखे वाला के लिए कोई अक्षर नहीं है. न ही नुक्ते के लाइट साउंड्स का कोई मूल अक्षर है. वैसे ही अंग्रेज़ी में त नहीं है ट है ..द नहीं है ड है ...
मेरा उद्देश्य ये कतई नहीं था.
मैं तो सिर्फ जानना चाहता हूँ कि मिश्र हिंदी उर्दू में हम अक्सर ऐसे शब्द इस्तेमाल करते हैं जो दोनों भाषाओं के सामान है. कवि सम्मेलन या मुशायरे में पढ़ते समय सही उच्चारण क्या हो किसी शब्द का ये मूल प्रश्न है मेरा. पढने से इसका सम्बन्ध नहीं था.
खैर ... 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 9, 2015 at 8:03pm

मेरा प्रश्न सिर्फ इतना है कि सही उच्चारण क्या होगा, खिलोना या खिलौना...एक क्षण के लिए भूल जाएँ हिंदी / उर्दू के अंतर को ..सही उच्चारण क्या है ये जानना चाहता हूँ मैं?


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 9, 2015 at 7:20pm

//इस बात को इस प्रकार से भी समझ सकते हैं कि कई शायर के काफिये में कारण और रावण का इस्तेमाल कर लेते हैं पर देवनागरी लिपि के अनुसार यह दोषपूर्ण है //

अक्षरशः सत्य ..

इस क्रम में एक बात और जोड़ना चाहूँगा, ग़ज़ल के अरूज़ का सम्मान करते हुए न सिर्फ़ तवर्ग के न को टवर्ग के ण से अलग रखा जाय बल्कि स श ष भी अलग-अलग हैं. इसका भी ध्यान रखा जाय. यह तथ्य देवनागरी लिपि की सीमाओं में ही संतुष्ट हो रहा है.

Comment by ASHISH ANCHINHAR on May 9, 2015 at 7:17pm

ज्ञानवर्धक बहस इसे ही कहते हैं


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 9, 2015 at 7:10pm

کھلونا.
سونا
 

अब आप द्वारा उद्धृत शब्दों को देखा जाय -


१. खलोना को देखिये - क़ाफ़ दोचश्मी हे के साथ ज़ेर नहीं है. लाम के साथ वाब है. फिर नून के साथ अलिफ़ आया. फिर भी खलोना न हो कर खिलोना या खिलौना पढ़ा जा रहा है.
२. यही बात सोना के साथ है. वाब ओ की तरह उच्चारित हो रहा है. नून के साथ अलिफ़ सोना बना रहा है. सौना नहीं.

उपर्युक्त दोनों शब्द खिलोना खिलौना या सोना या सौना हो सक्ते हैं. यह छूट देवनागरी लिपि के साथ लिखे गये शब्दों के साथ संभव नहीं है.

उर्दू लिपिके अनुसार सौरभ का सौ और सोहन का सो एक ही हैं. मगर हिन्दी और देवनागरी लिपि में सौ और सो दो भिन्न मात्राओं के साथ दो वर्ण हैं.

 
 
 

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