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" अनजानी दस्तक " से....************************' उनके हिस्से के गम नहीं देखते,घर के बाहर , हम नहीं देखते.फूलों को खिलना था खिल गए,अच्छा बुरा मौसम नहीं देखते.'----माधुरी…Continue
Started this discussion. Last reply by AVINASH S BAGDE Aug 25, 2012.
आज़ादी के पचास साल बाद भी अगर हम भ्रूण-हत्या के विरोध में आन्दोलन करने के लिये बाध्य है तो ये बड़ी शोचनीय बात है.खाप पंचायत और फतवों के नाम पर तथा-कथित सामाजिक संकीर्णता के सामने आज भी हमारा पंगु …Continue
Started Jul 31, 2012
नेताओं की अंतरात्मा केवल चुनाओं के समय ही क्रियाशील क्यों होती है ,ये बात बिलकुल गले नहीं उतरती .कहीं नेताओं की अंतरात्मा 'हाथी के दांत खाने के और दिखाने केऔर'की तर्ज़ पर तो नहीं होती!!!!!!!!! Continue
Started this discussion. Last reply by AVINASH S BAGDE Jan 27, 2012.
एडमिन ..ओ बी ओ.समय-समय पर आयोजित की जाने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओ के माध्यम से निरंतर स्वस्थ साहित्य का निर्माण कर ओ बी ओ बखूबी अपना सामाजिक दायित्व निभा रहा है.ये है इन्टरनेट का पोसिटिव …Continue
Tags: आलेख
Started this discussion. Last reply by aashukavi neeraj awasthi Jan 23, 2012.
मेरे शहर का मौसम !
Posted on August 5, 2014 at 3:30pm — 19 Comments
सामायिक गीत !
==========
मन से मन की बात चलेगी
सहज भाव अपनापन होगा।
जुड़े नहीं जो तार ये मन के
सूखा और सूनापन होगा !
छद्म ,छल-कपट छलिया बन के
मेघदूत आये सावन के !
किसका ये सब रचा हुआ है /
मुद्दे का सत्यापन होगा !
मन से मन की बात चलेगी
सहज भाव अपनापन होगा …।
हर मौसम को धरा सह…
Posted on July 19, 2014 at 9:19pm — 15 Comments
जाने कहाँ गईं ?
Posted on June 22, 2014 at 12:30am — 9 Comments
६ - हाइकु !
Posted on June 18, 2014 at 3:07pm — 6 Comments
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Comment Wall (16 comments)
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आदरणीय अविनाश बागड़े जी आपका हार्दिक स्वागत है ।
धन्यवाद अविनाश बागडे जी ! कजरी आपको अच्छी लगी ! आप सबका आशीर्वाद सिर आंखों पर !
जन्म दिन की मंगलमय हार्दिक शुभ कामनाए,
प्रोत्साहन हेतु आभार.
बहुत बहुत धन्यवाद अविनाश जी .
बहुत उम्दा व्यंग ,व्यंग विधा का सार्थक उपयोग जन मानस के अवचेतन को जागृत करने के लिए ,बहुत बहुत साधुवाद ....लोकेश सिंह
अविनाश जी सादर नमस्कार ! ग़ज़ल आपको पसंद आयी और आपकी सुंदर प्रतिक्रिया मिली इसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।
अविनाश भाई आपकी नज़ारे इनायत हुई अच्छा लगा। इतनी करीब से ग़ज़ल को आँकने और दाद देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
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