120 members
119 members
91 members
173 members
107 members
221 1222 221 1222
उसकी ये अदा आदत इन्कार पुराना है
बेचैन नहीं करता ये प्यार पुराना है ।
ये हुस्न नया पाया उसने है सताने को
ये जिस्म तमन्नाएं इसरार पुराना है ।…
ContinuePosted on June 4, 2020 at 10:30pm — 11 Comments
उठाओ नजर रहगुज़र देख लो ।
यहाँ जिन्दगी का सफ़र देख लो ।
नियम कायदे तो बने हैं कई
मगर भंग हैं सब जिधर देख लो ।
न भय है न चिंता न है शर्म ही
बना है बशर जानवर देख लो ।
कहीं लूट है तो कहीं क़त्ल है
किसी भी नगर की ख़बर देख लो ।
गले मिल रहे दोस्त खंजर लिए
बदलते समय का असर देख लो ।
करें फ़िक्र उनकी जो हैं नापसंद
सियासत का है ये हुनर देख लो ।
बिछा हर तरफ सिर्फ कंक्रीट…
ContinuePosted on October 2, 2019 at 10:00pm — 8 Comments
फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन
गुपचुप उसपर मन आया है
लगता है सावन आया है
महका है हर कोना-कोना
अम्बर से चन्दन आया है
देखो नभ पर छाये बादल
दूल्हा ज्यों बनठन आया है
भीग रही है प्यासी धरती
ज्यों बीता यौवन आया है
रह-रह नाच रही हैं बूँदें
राधा का मोहन आया है
झूला झूल रही हैं सखियाँ
सज रक्षा बंधन आया है
कागज़ की नैया ले आओ
याद मुझे बचपन आया…
ContinuePosted on November 30, 2018 at 9:00am — 9 Comments
जीवन विषम अबोध , जानकर ना डर मानव |
प्राप्त प्रथम कर ज्ञान, ज्ञान बिन पार न हो भव ||
अंतर तल अँधियार , दूर कर रोशन हो मग |
हो जगमग हर पंथ , पंथ अति रोशन हो जग ||
श्रेष्ठ जटिल हर कर्म, है मनुज उन्नति दायक |
भूल बिसर मत कृत्य, सत्य हर भूपति नायक ||
भूमि सतह पर स्वर्ग, कर्म बिन हो कब संभव |
जीवन पथ पर कर्म , धर्म सम भूल न मानव ||
मानव परहित कार्य , हैं न बस दाहकता दुख |
कष्ट सहन कर लाख, एक यदि जीवन का सुख…
ContinuePosted on September 22, 2017 at 1:30pm — 2 Comments
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी गीतिका : मन उस आँगन ले जाय को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र यथा शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
ashok ji apne Mujhe aur Om neerav ji ko FB par Block kar diya is baat se ham logon ko ateev kasht hua hai ham dono hi yah jaan lena chahtey hain ki kis apradh ke liye apne hame yah dand diya aur kavita lok group kyon chhoda,,,,uttar ki prateeksha me me vyagra hoon
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले सर हौंसला बढ़ाने के लिए आपका आभार !
आदरणीय इसी तरह आशीर्वाद बनाए रखें
आपके प्रोत्साहन भरे भावों के लिए शुक्रिया
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2021 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |