ऋतु शीत रवानी में अपने
ऊर्ध्वगी जवानी में अपने
चहुँओर सर्द को बढ़ा रही
जीवन वह्निः तक बुला रही
थी जगह जगह जल रही आग
प्रमुदित होकर जन रहे ताप
कौड़े में जैसे उठी ज्वाल
मन मोह लिया इक अधर लाल
रति जैसी जिसकी छाया थी
वह थी समक्ष या माया थी
पहने थे वसन तरीके से
सब सज्जित स्वच्छ सलीके से
कुंतल को उसने झटक दिया
मनसिज प्रसून पर पटक दिया
कितने उद्गार उठे मन में
ताड़ित से कौंध रहे तन…
ContinueAdded by आशीष यादव on January 19, 2023 at 11:10am — No Comments
2122 2122 2122 2122
क्या पता उस लोक में दिखती हैं कैसी अप्सराएँ
किस तरह चलतीं मचल कर किस तरह से भाव खाएँ
कौन सा जादू लिए फिरतीं सभी पर मार देतीं
किस तरह पुचकारती हैं किस तरह से प्यार देतीं
क्या महावर और मेहँदी आँख में काजल अनोखा
केशिनी मृगचक्षुणी हैं सत्य, या उपमान धोखा
किस तरह श्रृंगार रचती किस तरह गेशू सजाएँ
क्या पता कितनी सही है आमजन की कल्पनाएँ
आज देखी थी परी जो हाल कुछ उसका सुनाऊँ
देखता ही रह गया…
ContinueAdded by आशीष यादव on January 19, 2023 at 6:32am — 1 Comment
सदियों पावन धाम रहा जो खोते देख रहा हूँ
बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ !
*
केवल अपनी पीड़ा से जो, दरक नहीं रहा है
पूर्ण हिमालय की पीड़ा को, उसने आज कहा है।।
पानी रिसना बोल रहे सब, देख फूटतीं धमनी
खोद खोद कर देह सकारी, जब कर बैठे छलनी।।
नयी सभ्यता के प्रलय को होते देख रहा हूँ
बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ।।
*
सिर्फ़ सैर के लिए हिमालय, सबने मान लिया है
इसीलिए तो अघकचरा सा हर निर्माण किया है।।
जो संचालक देश - राज्य के,…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 18, 2023 at 6:30pm — 6 Comments
असल कामयाबी जीवन की
सहज सरल सादा जीवन हो
बचना होगा वासना लिप्सा
अतिशय कामना नहीं मन हो
चल सकता काम अगर दो रोटी
तो एक गाय कुत्ते को दे दो !
पेट भरा होने पर भैया
उसे कभी अवकाश भी दो
असल कामयाबी जीवन की
सहज सरल सादा जीवन हो
होता सूर्य है उत्तरायण
सुनहला है अब वातावरण
निकली है अब धूप धुंध से
क्षमा भाव अपनाते सज्जन
सहने की सामर्थ्य बढ़ा लो
असल कामयाबी जीवन की
सहज…
Added by Chetan Prakash on January 17, 2023 at 10:00pm — 2 Comments
221--1221--1221--122
1
आँखों में भरे अश्क गिरा क्यों नहीं देते
है दर्द अगर सबको बता क्यों नहीं देते
2
है जुर्म मुहब्बत तो सज़ा क्यों नहीं देते
गर रोग है तो इसकी दवा क्यों…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on January 16, 2023 at 1:30pm — 14 Comments
कभी मैं दासतां दिल की, नहीं खुल के बताता हूँ
कई हैं छंद होंठो पर, ना उनको गुनगुनाता हूँ
अभी तो पाया था मैंने, सुकून अपने तरानों से
उसे तुम भी समझ जाओ, चलो मैं आजमाता हूँ
जो लिखता हूँ जो पढ़ता, हूँ वही बस याद रहता है
बस कागज कलम हीं है, जो मेरे पास रहता है
भरोसा बस मुझे मेरी, इन चलती उँगलियों पर है
ज़हन जो सोच लेता है, कलम वो छाप देता है
भले दो शब्द हीं लिक्खु, पर उसके मायने तो हो
सजाने को मेरे घर में , कोई एक आईना…
ContinueAdded by AMAN SINHA on January 16, 2023 at 11:30am — No Comments
महक उठा है देखो आँगन, सुनकर ये संदेश।
साजन अपने घर लौटेंगे, छोड़ छाड़ परदेश।।
*
जाने कितने पुष्प पठाये सुनके वनखण्डी ने।
जिन से गूँथे गाँव सकारे सर्पिल पगडण्डी ने।।
पतझड़ में आया है गाने फागुन हँसकर गीत।
सूने मन के आँगन होगा अब ऋतुराज प्रवेश।।
*
पोंछ पसीना अँगड़ाई ले जगकर थकी क्रियाएँ।
सौंप रही मीठे सम्बोधन फिर से खुली भुजाएँ।।
करने को उद्यत मनुहारें, झील किनारे चाँद।
बनजारा सूरज ठहरा है, फिर सुलझाने केश।।
*
सब खुशियाँ हैं सेज सजाती, करती नव…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 13, 2023 at 5:05am — 4 Comments
212 1212 1212 1212
थामती नहीं हैं पलकें अश्कों का उबाल तक
भूल-सा गया है दिल भी, धड़कनों की ताल तक
दो दिलों की दास्ताँ न कोई समझा है यहाँ
अपना इश्क़ आ ही पहुँचा जुर्म के मलाल तक
ऐ ख़ुदा, रखूँ मैं तुझसे रहमतों की आस क्या
मैं पहुँचता ही नहीं कभी तेरे ख़याल तक
हाय! आ रहा है प्यार झूठे ग़ुस्से पर तेरे
लाल शर्म से पड़े हैं यार, तेरे गाल तक
आशना तुझे कहा है मैंने जाने किसलिए
पूछता…
ContinueAdded by Zaif on January 12, 2023 at 7:30pm — 2 Comments
( सरसी छंद)
***
धीरे-धीरे जब आती है, घर आँगन में शीत।
नाना रूपों में रक्षा को, ढल जाती है प्रीत।।
माँ के हाथों स्वेटर में ढल, दे बचपन में साथ।
युवा हुए तो ऊष्मा देता, बन अनजाना हाथ।।
*
पत्नी होकर सदा चूमता, स्नेह शीत में माथ।
होते वंचित सिर्फ शीत में, लोगो यहाँ अनाथ।।
बचपन, यौवन रहे बुढ़ापा, सर्द शीत की रात।
उष्मित करती तन्हाई में, सिर्फ प्रीत की बात।।
*
प्रेम रहित तनमन करता है, जीवन से परिवाद।
सर्द शीत की रातों की तो, ला मत कोई…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 12, 2023 at 6:22am — 1 Comment
अपनों को खो देना का ग़म, रह रह कर हमें सताएगा
चाहे मरहम लगा लो जितना, ये घाव ना भरने पाएगा
कैसे हम भुला दे उनको, जो अपने संग हीं बैठे थे
रिश्ता नहीं था उनसे फिर भी, अपनो से हीं लगते थे
कैसे हम अब याद करे ना, उन हँसते-मुस्काते चेहरों को
एक पल में हीं जो तोड़ निकल गए, अपने सांस के पहरों को
हम थे, संग थे ख्वाब हमारे, बाकी सब दुनियादारी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on January 10, 2023 at 9:54am — No Comments
उषा अवस्थी
"नग्नता" सौन्दर्य का पर्याय
बनती जा रही है
फिल्म चलने का बड़ा आधार
बनती जा रही है
"तन मेरा मैं
जो भी चाहे सो करूँ"
की विषैली सोच का उन्माद
गहती जा रही है
आधुनिकता शब्द का
नव अर्थ गढ़
संक्रमण का बीज धरती पर
सतत बिखरा रही है
मार्ग मध्यम छोड़कर
है दिन-ब-दिन
अमर्यादित आचरण
विस्तार करती जा रही है
"नग्नता" सौन्दर्र का…
ContinueAdded by Usha Awasthi on January 7, 2023 at 11:30am — 4 Comments
अजब मौसम हुआ है आज वो सूरज नहीं है
है बर्फीली फज़ा जारी साज़ तो सूरज नहीं है !
मरें मुफ़लिस अभी ठंडी उन्हें घर क्या क़मी है
लगे हैं लाव लश्कर दर अमीरों क्या ग़मी है
अजब मौसम हुआ है आज वो सूरज नहीं है !
दरीचों पर जमी है बर्फ ठिठुरन हड्डियों है
है बिस्तर गर्म नेताओं के गरमी गड्डियों है
बुलाकर अफसरों को घर अभी फाइल पढ़ी है
है मौसम ये पकोड़ो का अभी दारू उड़ी है
गरीबों को लगे अब ठंड चढ़ती फुरफुरी…
Added by Chetan Prakash on January 6, 2023 at 9:00pm — No Comments
2122 1212 22/112
इश्क़ में दिल-जले नहीं होते
काश के तुम मिरे नहीं होते
बस ज़रूरत बिगाड़ देती है
लोग वर्ना बुरे नहीं होते
यूँ चमत्कार रोज़ होते हैं
बस हमारे लिए नहीं होते
दोष मत दो नसीब को अपने
दुनिया में ग़म किसे नहीं होते
एक बिजली जला गई थी यूँ
ये शजर अब हरे नहीं होते
तोड़ना दिल मुझे भी आता है
काश तुम फूल-से नहीं होते
'ज़ैफ़' उनका तो हो गया लेकिन
वो…
Added by Zaif on January 6, 2023 at 7:27pm — 7 Comments
ग़ज़ल
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
उजाला इसलिए कमरे में पहले सा नहीं रहता
हमारे साथ अब वो चाँद सा चहरा नहीं रहता
ग़िलाज़त ही ग़िलाज़त है सियासत तेरी बस्ती में
यहाँ आकर कोई भी शख़्स पाकीज़ा नहीं रहता
जूनूँ के दश्त में जिस दिन से दाख़िल हो गया हूँ मैं
मेरी दीवानगी पे दोस्तो पहरा नहीं रहता
उसी को मंज़िल-ए-मक़सूद मिलती है ज़माने में
जो सर पर हाथ रख कर दोस्तो बैठा नहीं…
ContinueAdded by Samar kabeer on January 6, 2023 at 3:41pm — 18 Comments
गीत-११
*
स्वार्थ के विधान अब और यूँ गढ़ो नहीं।
अर्थ के अनर्थ कर प्रपंच नित पढ़ो नहीं।।
*
आप यूँ अनीति को लोभवश न मान दो।
छीन निर्बलों से मत सशक्त को जहान दो।।
मार्ग हो कठिन भले हर परोपकार का।
सिर्फ हित स्वयं के ही मत कभी वितान दो।।
*
अशक्त पर प्रहार कर क्रूर दर्प से बिहँस।
मानकर अनाथ हैं दोष निज मढ़ो नहीं।।
*
आह हर अशक्त की वज्र जब रचायेगी।
कौन शक्ति पाप का घट भला बचायेगी।।
हर तमस के अन्त को दीप जन्मता सदा।
सूर्य की…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 6, 2023 at 2:23pm — 2 Comments
दोहा ग़ज़ल- चाय
प्याली से हो चाय की ,जाड़े का सत्कार ।
फिर चुस्की से नेह का, बढ़े प्रणय संसार ।
नैन मिले जब नैन से, स्वरित हुआ संदेश,
किया अधर अभिसार ने,जाड़े का शृंगार ।
रैन अलावों में हुए , क्षीण सभी अनुबंध ,
अन्धकार की कैद में, हार गए इंकार ।
बढ़ी शीत होने लगा , मन में मिलन प्रभात,
दम तोड़ा इंकार ने, जीत गए स्वीकार ।
मौन चरम मुखरित हुए, चली प्रेम की नाव ,
वाह्य अगन …
Added by Sushil Sarna on January 4, 2023 at 3:45pm — No Comments
भाल जिसका है हिमालय औ तिरंगा शान है
देश प्यारा वह हमारा नाम हिन्दुस्तान है
हर सुबह जिसकी सुहानी सुरमई औ' शाम है
स्वर्ग सा यह देश अपना मोक्ष का यह धाम है
खेत गिरि मैदान जंगल लहकतीं हरियालियाँ
भोर की आहट मिले तो स्वर्ग सी हो वादियाँ।
पूर्व में आसाम मेघालय मिजोरम ख़ास है
साथ में बंगाल सिक्किम का अमर इतिहास है
गन्ध फूलों की बिखरती है हवाओं में वहाँ
गीत गाते खग ख़ुशी के …
Added by नाथ सोनांचली on January 2, 2023 at 7:42am — No Comments
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