एक क्षणिका :
कल
फिर एक कल होगा
भूख के साथ
छल होगा
आसमान होगा
फुटपाथ होगा
आस गर्भ में
बिलखता
कोई पल
विकल होगा
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on January 1, 2019 at 7:32pm — 6 Comments
समय की होती अद्भुत चाल I गया कुछ लेकर-देकर साल II
बिछाकर पलक पांवड़े द्वार I किया हमने जिसका सत्कार II
वर्ष नव यह आया अभिराम I लिए सुन्दर सपने अविराम II
पूर्ण होंगे संभावित कार्य I कृपा बरसाएंगे सब आर्य II
सभी को शुभ हो नूतन वर्ष I सभी का मंगल, हो उत्कर्ष II
सभी के सपने हों साकार I सभी का हुलसित हो संसार II
सभी का मुखरित हो उल्लास I सभी के अधरों पर हो हास II
वर्ष भर हो जय-जय का शोर I वर्ष भर हो आँगन में रोर II
वर्ष भर उत्सव रहे वदान्य I वर्ष भर पूरित हो…
Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 1, 2019 at 4:56pm — 3 Comments
बह्र : 2122 2122 2122
याद आ आ कर तुम्हारी, जानते हो?
रात भर मुझको नचाती, जानते हो?
प्यार करने वाला होता है जमूरा
इश्क़ होता है मदारी, जानते हो?
शाइरी में चाँद को कहते हैं सूरज
आग को कहते हैं पानी, जानते हो?
हर किसी को मैं समझ लेता हूँ अपना
मुझ में है ये ही ख़राबी, जानते हो?
बन्द कमरे की तरह अब हो गया हूँ
मुझमें दरवाज़ा न खिड़की,…
ContinueAdded by Mahendra Kumar on January 1, 2019 at 2:30pm — 10 Comments
122, 122, 122 122
नज़्म - नया साल
*************
उमंगों भरा हो ये मौसम सुहाना
नया साल लाये खुशी का तराना
सभी के दिलों में ये रौनक़ जगाए
गली गाँव बस्ती सभी मुस्कुराए
सफों में हमेशा रहे जो किनारे
नया साल उनकी भी किस्मत सँवारे
दिलों से कभी भी न मग़रूर हों हम
ख़ुदी के नशे में नहीं चूर हों हम
सभी को गले से लगाते चलें हम
जो रूठे हैं उनको मनाते चले हम
रहे प्यार का बोलबाला जहाँ…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on January 1, 2019 at 1:39pm — 3 Comments
2122, 1122, 1122, 22/112
ग़ज़ल
*****
ज़िन्दगी है तो हसीं ख़्वाब सजाने होंगे
यूँ तो रोने के हज़ारों ही बहाने होंगे//१
पास आएगा नहीं चल के हिमालय ख़ुद ही
ज़ौक़ से अपने क़दम तुमको बढ़ाने होंगे//२
रेंगना है जो ज़मीं पे तो किनारे बैठो
आसमां छूना है तो पंख लगाने होंगे//३
आरज़ू कर तो नई सुब्ह मचल जाएगी
रात के ग़म भी मगर थोड़े भुलाने होंगे//४
पास में घर ही बना लेने का मतलब क्या है
फ़ासले दिल में जो हैं जड़ से…
Added by क़मर जौनपुरी on January 1, 2019 at 1:34pm — 2 Comments
2122, 2122, 2122
ग़ज़ल
******
प्यार को वो आज़माना चाहता है
आसमाँ धरती पे लाना चाहता है//१
बांधकर जंज़ीर वो पंछी के पर में
इश्क़ का कलमा पढ़ाना चाहता है//२
बात दिल की जब ज़ुबाँ पे आ गई तो
और अब वो क्या छिपाना चाहता है//३
आंखों में उसकी जफ़ा दिखने लगी तो
मुझपे वो तोहमत लगाना चाहता है//४
इश्क़ में जलकर के मैं कुन्दन हुआ, वो
आग से मुझको डराना चाहता है//५
क़त्ल पहले कर दिया वो…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on January 1, 2019 at 1:00pm — 5 Comments
२२१२ १२१२ २२१२ १२
नाकामे इश्क़ होके अपने दर पहुँच गया
सहरा पहुँच के यूँ लगा मैं घर पहुँच गया //१
दिल टूटने की शह्र को ऐसी हुई ख़बर
दरवाज़े पे हमारे शीशागर पहुँच गया //२
उसको भी मेरे होंठ की आदत थी यूँ लगी
साक़ी के हाथ मुझ तलक साग़र पहुँच गया //३
जब भी हुई जिगर को तुझे देखने की चाह
ख़ुद चल के आँख तक तेरा मंज़र पहुँच गया…
Added by राज़ नवादवी on January 1, 2019 at 12:30pm — 13 Comments
ग़ज़ल (रब से कीजिए दुआएं नए साल में)
(फाइ लुन _फाइ लुन _फाइ लुन _फाइ लुन _)
रब से कीजिए दुआएं नए साल में l
अच्छे दिन लौट आएँ नए साल में l
पास आएं न आएं नए साल में l
पर न हम को भुलाएं नए साल में l
जिन अज़ी ज़ों ने उनको किया बद गुमां
उनको मत मुँह लगाएँ नए साल में l
उस पे फिरक़ा परस्तों की है बद नजर
भाई चारा बचाएँ नए साल में l
इम्तहाने वफ़ा तो बहुत हो चुके
और मत आज़मा एँ नए साल में…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on January 1, 2019 at 12:28pm — 10 Comments
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