करूंगा याद तुम्हें इतना, मुझे भुला ना पाओगे
जपूँगा नाम मैं इतना, कि पानी पी ना पाओगे
हरेक आहट पर ये सोचोगे, मेरी आहट कहीं ना हो
दिखूँगा ख्वाब में इतना, कभी तुम सो ना पाओगे
रहूँगा पास मैं इतना, जुदा तुम हो ना पाओगे
रहूँगा सांस में ऐसे, अकेले रह ना पाओगे
कभी जो छोड़ना चाहो, मुझे तन्हा अंधेरे में
है मेरा वायदा तुमसे, अकेले चल ना…
ContinueAdded by AMAN SINHA on February 11, 2023 at 7:17am — No Comments
पग की गति हो चाहे मन्थर।
पथ पर चलते रहो निरंतर।।
*
सूनापन हो या निर्जन हो।
तमस भले ही बहुत सघन हो।।
विचलित थोड़ा भी ना मन हो।
मत पाँवों में कुछ अनबन हो।।
*
शूल चुभें या कंकड़ पत्थर।।
पथ पर चलते रहो निरंतर।।
*
जो भी इच्छित क्यों सपना हो।
चाहे जितना भी खपना हो।।
हर नूतन पथ बस अपना हो।
धैर्य न डोले जब तपना हो।।
*
मत करना जीवन में अन्तर।
पथ पर चलते रहो निरंतर।।
*
अंतिम परिणति जैसी भी हो।
जीवन से …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 10, 2023 at 12:24pm — No Comments
सूर्य कहलाएं पिता थे जिसके
माता सती कुमारी
जननी का क्षीर चखा न जिसने
वो वीर अद्भुत धनुर्धारी।।
निज समाधि में निरत रहा जो
स्वयं विकास किया था भारी
पालना बनी थी आब की धारा
बिछौना बनी पिटारी।।
ज्ञानी-ध्यानी, प्रतापी-तपस्वी
जिसका पौरुष था अभिमानी
कोलाहल से दूर नगर के
जो सम्यक अभ्यास का था पुजारी।।
नतमस्त्क करता प्रतिबल को
लगाता घात विजय की खूब दिखा
प्रचंडतम धूमकेतु-सा…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on February 10, 2023 at 11:00am — No Comments
रूठे हो बहनों से या फिर, मद में अपने चूर बताओ।
चन्दा मामा! हम बच्चों से, क्यों हो इतने दूर बताओ।।
*
जल भरकर थाली में माता, हमको तुमसे भले मिलाती।
किन्तु काल्पनिक भेंट हमें ये, थोड़ा भी तो नहीं सुहाती।।
हम बच्चों की इच्छा खेलें, यूँ नित चढ़कर गोद तुम्हारी।
लेकिन तुमको भला बताओ, कब आती है याद हमारी।।
*
कौन काम से निशिदिन इतने, हो जाते मजबूर बताओ।
चन्दा मामा! हम बच्चों से, क्यों हो इतने दूर बताओ।।
*
हमको भी तुम जैसा भाता, ये लुका छिपी का…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 8, 2023 at 11:07am — 2 Comments
उषा अवस्थी
मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?
वे घर ,जो दिखते नहीं
मिलते हैं धूल में, टिकते नहीं
पर "मैं" कहाँ मानता है?
विचारों के कुरुक्षेत्र में,खाक़ छानता है
एक के पश्चात दूसरा,तत्पश्चात तीसरा
ख़्यालों का समुंदर लहराता है
अनवरत प्रवाह में
डूबता, उतराता है
जीवन और मौत के बीच
झूल - झूल जाता है
मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?
मौलिमन क…
ContinueAdded by Usha Awasthi on February 4, 2023 at 7:14pm — 4 Comments
दोहा पंचक. . . .
साथ चलेंगी नेकियाँ, छूटेगा जब हाथ ।
बन्दे तेरे कर्म बस , होंगे तेरे साथ ।।
मिथ्या इस संसार में, अर्थहीन सम्बंध।
देह घरोंदा जीव का, साँसों का अनुबंध ।।
रह जाएगी जगत में, कर्मों की बस गंध ।
इस जग में है जिंदगी, दो पल का अनुबंध ।।
आभासी संसार के, आभासी संबंध ।
मिट जाता जब सब यहाँ, रहती कर्म सुगंध ।।
जब तक साँसें देह में, चलें देह सम्बंध ।
शेष रहे संसार में, जीव कर्म की …
Added by Sushil Sarna on February 3, 2023 at 2:00pm — 4 Comments
121 22 121 22 121 22
सिलाई मन की उधड़ रही साँवरे रफ़ूगर
कि ज़ख्म दिल के तमाम सिल दे अरे रफ़ूगर
उदास रू पे न रंग कोई उदास टांको
करो न ऐसा मज़ाक तुम मसखरे रफ़ूगर
हज़ार ग़म पे छटाक भर की ख़ुशी मिली है
तुझे अभी कुछ पता नहीं मद भरे रफ़ूगर
कहीं पलक से टपक न जाये हरेक आँसू
भला हो तेरा न और दे मशविरे रफ़ूगर
यही भरोसा है एक दिन फिर से आ मिलेंगे
यहीं कहीं खो गये सभी आसरे रफ़ूगर
कि 'ब्रज' इसी इक उधेड़बुन में रहे हमेशा…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 2, 2023 at 9:30pm — 5 Comments
जिस वसंत की खोज में, बीते अनगिन साल
आज स्वयं ही आ मिला, आँगन में वाचाल।१।
*
दुश्मन तजकर दुश्मनी, जब बन जाये मीत
लगते चहुँ दिश गूँजने, तब बसन्त के गीत।२।
*
आँगन में जिस के बसा, बालक रूप वसन्त
जीवन से उसके हुआ, हर पतझड़ का अन्त।३।
*
कहने को आतुर हुए, मौसम अपना हाल
वासन्ती संगत मिली, हुए मूक वाचाल।४।
*
करने कलियों को सुमन, आता है मधुमास
जिसके दम पर ही मिटे, हर भौंरे की प्यास।५।
*
आस बँधा कर पेड़ को, हवा…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2023 at 1:00pm — 3 Comments
22 22 22 22 22 2
पाँव कब्र में जो लटकाकर बैठे हैं।
उनके मन में भी सौ अजगर बैठे हैं।
'ए' की बेटी, 'बी' का बेटा, 'सी' की सास,
दुनियाभर का ठेका लेकर बैठे हैं।
कहाँ दिखाई देती हैं अब वो रस्में,
भाभीमाँ की गोद में देवर बैठे हैं।
मैं दरवाज़े पर ताला जड़ आया हूँ,
दुश्मन घर में घात लगाकर बैठे हैं।
अब हम सब सीसीटीवी की ज़द में हैं,
चित्रगुप्त कब खाते लेकर बैठे हैं।
अदबी…
ContinueAdded by Balram Dhakar on February 1, 2023 at 11:00pm — 8 Comments
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