नारी तो केवल है नारी है
नर भी तो केवल है नर
दोनोँ के विचार अलग हैं
दोनोँ के किरदार अलग
ना इसका कुछ हिस्सा ज्यादा
ना ही उसका है कुछ कम
कभी…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on April 2, 2019 at 6:30pm — 4 Comments
"अरे पागल हो गए हो क्या, उस ऑटो को क्यों जाने दिया. इतना टेंशन हैं चारोतरफ और हम लोग यहाँ फंसे हुए हैं जहाँ तीन दिन पहले ही दंगे हुए थे", राजेश एकदम बौखला गया.
"चिंता मत करो, अब स्थिति कुछ ठीक हैं, दूसरा आ जायेगा", उसने इत्मीनान से कहा और सामने सड़क पर देखने लगा.
तभी एक दूसरा ऑटो आता दिखाई पड़ा, ऑटो ड्राइवर को देखकर ही राजेश को समझ आ गया कि यह गैर मज़हबी है और वह थोड़ा पीछे हो गया.
"आ जाओ, चलना नहीं हैं क्या", कहते हुए वह राजेश का हाथ खींचते हुए ऑटो में बैठ गया.
कुछ समय बाद…
Added by विनय कुमार on April 2, 2019 at 5:36pm — 10 Comments
ओ बी ओ को 9वीं सालगिरह की सौगात
ग़ज़ल (फाइलुन _फाइलुन _फाइलुन _फाइलुन /फाइलात)
मेरा दिल दे रहा है दुआ ओ बी ओ l
तू फले फूले यूँ ही सदा ओ बी ओ l
कोई सीखे कथा, छंद या शायरी
इन सभी का है तू रहनुमा ओ बी ओ l
भाई सौरभ हों राना या मिथलेश हों
इनके दम से तू आगे बढ़ा ओ बी ओ l
सीखने का दिया मंच तूने हमें
क्यूँ न तेरा करूँ शुक्रिया ओ बी ओ l
आज ख़ुश हैं बहुत यूँ नहीं योगराज
गोद में इनकी फूला फला ओ बी…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2019 at 12:01pm — 10 Comments
ओबीओ को समर्पित एक क़त'आ
----------------------------------
जब से तेरी मेहरबानी हो गई
ख़ूबसूरत ज़िन्दगानी हो गई
हम हुए तेरे दिवाने इस तरह
जिस तरह 'मीरा' दिवानी हो गई
...........
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
--------
जिंदगी को गुनगुना कर चल दिए
मौत को अपना बना कर चल दिए
oo
उम्र भर की दोस्ती जाती रही
आप ये क्या गुल खिलाकर चल…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on April 2, 2019 at 10:00am — 6 Comments
मतदाता को फाँसने, डाल रहे हैं जाल।
नेता आपस में सभी, कीचड़ रहे उछाल।।
कीचड़ रहे उछाल, मची है ता ता थैया।
नागनाथ हैं एक, दूसरे साँप नथैया।।
हर नेता ही रोज, निराले ख्वाब दिखाता।
सारे नटवरलाल, करे अब क्या मतदाता।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**
Added by Hariom Shrivastava on April 1, 2019 at 11:31pm — 8 Comments
मौज ख़ुद आपको साहिल पे लगाने से रही
और क़ुदरत भी कोई जादू दिखाने से रही
***
हौसला आपका दे साथ करम हो रब का
फिर किसी सिम्त बला कोई सताने से रही
***
हो सके जितना हक़ीक़त ये समझ लो सारे
मौत मर्ज़ी से कभी आपकी आने से रही
***
इम्तिहाँ रोज़ ही देने हैं यहाँ जीने को
रोने धोने से तरस ज़िंदगी खाने से रही
***
हो…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 1, 2019 at 11:00pm — 4 Comments
ग़ज़ल (यही ज़माने को खल रहा है )
(मफा इलातुन _मफा इलातुन)
यही ज़माने को खल रहा हैl
वो मेरे हम राह चल रहा है l
वो हैं मुखातिब तो मुझसे लेकिन
कलेजा यारों का जल रहा है l
नज़र में है सिर्फ उसके मंज़िल
जो गिरते गिरते संभल रहा है l
रखें निगाहों पे कैसे काबू
वो सामने से निकल रहा है l
बदल के शीशा है फायदा क्या
तेरा भी अब हुस्न ढल रहा है l
खयाल में आ रहा है दिलबर
न यूँ…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 1, 2019 at 8:25pm — 4 Comments
तुझे इस वर्ष नौवें की ओ बी ओ बधाई है,
हमारे दिल में चाहत बस तेरी ही रहती छाई है।
मिला इक मंच तुझ जैसा हमें अभिमान है इसका,
हमारी इस जहाँ में ओ बी ओ से ही बड़ाई है।
सभी इक दूसरे से सीखते हैं और सिखाते हैं,
हमारी एकता की ओ बी ओ ही बस इकाई है।
सभी झूमें, सभी गायें यहाँ ओ बी ओ में मिल के,
सभी हम भक्त तेरे हैं तू ही प्यारा कन्हाई है।
लगा जो मर्ज लिखने का, दिखाते ओ बी ओ को ही,
उसी के पास इसकी क्यों कि इकलौती दवाई…
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on April 1, 2019 at 12:00pm — 6 Comments
है उजागर ये हक़ीक़त ओ बी ओ
मुझको है तुझसे महब्बत ओ बी ओ
तेरे आयोजन सभी हैं बेमिसाल
तू अदब की एक जन्नत ओ बी ओ
कहते हैं अक्सर ,ये भाई योगराज
तू है इक छोटा सा भारत ओ बी ओ
सीखने वाले यही कहते सदा…
ContinueAdded by Samar kabeer on April 1, 2019 at 11:00am — 40 Comments
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