!!!-ः दोहे:-!!!
पानी - पानी हो रही, लोकतंत्र सरकार।
हर क्षेत्र में असफल है, देश विदेश करार।।1
पानी नकसिर चढ़ गया, लोक तंत्र बेहाल।
जल संसाधन लूटता, बोतल भर कर माल।।2
जल संकट से घिर गया, अब यह पृथ्वी लोक।
जन मन रंजन कर रहा, नहि भविष्य का शोक।।3
सुबह बाल रवि तेज है, प्रखर प्रचण्डहि धूप।
सलिल अंबु जीवन लिए, मिलते नहि नल कूप।।4
जल ही जीवन जान लें, नीर वारि पय तोय।
पानी बिना सृष्टि नहीं, धरा हवा नभ…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 15, 2013 at 10:10pm — 9 Comments
एक कली प्यारी सी
मासूम सी
खिलना चाहती थी
वह भी
इस खूबसूरत दुनिया
देखना चाहती थी
पर लोगों को कुछ
और चाहिए था
इसलिए मार दिया उसको
आखिर क्यों
वे ऐसा कदम उठाते हैं
जन्म लेने से पहले ही
उस कली को उखाड़ फेंकते हैं
प्रश्न पूछता हूँ उनसे
क्यों वे ऐसा करते हैं
किस चीज़ की चाह है उनकी
जो लडकियां नहीं कर सकती
इतिहास के पन्नो को उठाकर…
ContinueAdded by SAURABH SRIVASTAVA on June 15, 2013 at 9:00pm — 7 Comments
मुझे क्यूं लगता है , तुम्हे खो दुंगा ,
तुम्हें पा लिया है ,
ये भी तो मात्र एक भ्रम है !
जाने क्यूं लगता है ,रो दुंगा ,
ये भी तो मात्र एक भ्रम है !
नदी के किनारों सा,
साथ चलते चलते ,
क्यूं समझता हूँ ,मिलन होगा !
अनवरत साथ बह पा रहा हूँ ,
ये भी तो मात्र एक भ्रम है !
जाने क्यूं समझता हूँ ,
तुम, ये, वो सब मेरा है !
शाशवत सच ये कहता है ,
जो भोग लिया वो सपना है ! ,
जो उकेर दिया भाव ,वो अपना है !
प्रकृति का मात्र यही एक क्रम…
Added by D P Mathur on June 15, 2013 at 2:30pm — 6 Comments
आशा के सहारे इंसान अपनी सारी उम्र गुजार देता हैI यही कि अब अच्छा होने वाला है अब सब सही हो जाएगा1 मैं सोचती हूँ क्या सचमुच सब सही हो जाएगाIजिंदगी की गाड़ी पटरी पर चलने लगेगी1भगवान देता है माना पर मुझे दिया अस्त-व्यस्त बिखरा हुआI अब उसे समेटना हैI यहाँ संभालो तो वहाँ की चिंता,वहाँ संभालो तो यहाँ की चिंता क्या करूं?पता नही कब सब कुछ सही होगा,होगा की नही1 जीवन के इस करूक्षेत्र में आशा और निराशाके इस महाभारत में कहीं कौरव न जीत जाए1भगवान कृष्ण तुम कहाँ हो? सुनते क्यों नही ?पुकारते-पुकारते थक गई…
ContinueAdded by Pragya Srivastava on June 15, 2013 at 11:41am — 4 Comments
!!!ःः! दोहे !ःः!!!
पानी - पानी हो रही, लोकतंत्र सरकार।
हर क्षेत्र में असफल है, देश विदेश करार।।1
पानी नकसिर चढ़ गया, लोक तंत्र बेहाल।
जल संसाधन लूटता, बोतल भर कर माल।।2
जल संकट से घिर गया, अब यह पृथ्वी लोक।
जन मन रंजन कर रहा, नहि भविष्य का शोक।।3
क्षीण बाल रवि तेज है, प्रखर प्रचण्डहि धूप।
सलिल अंबु जीवन लिए, मिलते नहि नल कूप।।4
जल ही जीवन जान लें, नीर वारि पय तोय।
सृष्टि पानी बिना नहीं, धरा हवा नभ…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 15, 2013 at 9:11am — No Comments
वो दिखे ही नहीं इन दिनों
दूज का चन्द्रमा हो गए
इतने बीमार हम भी नहीं
अपनी खुद ही दवा हो गए
हैं सु-फल आपकी दृष्टि के
क्या थे हम और क्या हो…
ContinueAdded by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 14, 2013 at 11:51pm — 13 Comments
!!! कुण्डलियां !!!
तपता सूरज देख कर, मौसम है बेहाल।
तरू, उपवन, जन ताप से, नित.नित हुए हलाल।।
नित.नित हुए हलाल, निरूत्तर ठगे खडे़ हैं।
निर्वस्त्रहि भी ढाल, धर्म में डटे अड़े है।।
अब कालहु का काल, इन्द्र भगवन को जपता।
धरा करे चित्कार, जेठ सूरज सा तपता।।
के0पी0सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 14, 2013 at 9:00pm — 16 Comments
मन की किताब के कुछ पन्ने
तुमको सुनाती हूँ मैं
कहीं पे हैं खुशियाँ खुद को समेटे
और गम हैं देखो चादर में लिपटे
सलवटें हजारों दर्द की पड़ी हैं
आशा की किरण पट खोले खड़ी है
खिड़कियों से उमंगें पवन बन के आती
देखो झरोखों से फिर जा रही हैं
कमरे के कोने में छिपी बैठी चाहत
लाल सुर्ख साड़ी में मुस्कुराहट शरमा रही है
हंसी फूलों में खिलखिला रही…
ContinueAdded by Pragya Srivastava on June 14, 2013 at 8:00pm — 4 Comments
Added by Sarita Bhatia on June 14, 2013 at 7:00pm — 24 Comments
Added by Amod Kumar Srivastava on June 14, 2013 at 5:13pm — 14 Comments
प्रेम तुम्हारी कविता है…
ContinueAdded by राजेश 'मृदु' on June 14, 2013 at 2:01pm — 11 Comments
वक़्त लगता है गहरा जख्म भरने में | |
वर्षों लगता है जिन्दगी सँवरने में | |
जिन्दगी के मोड़ पर मिलते हैं राही , |
पर सभी हिचकते हैं मदद करने में |… |
Added by Shyam Narain Verma on June 14, 2013 at 1:28pm — 10 Comments
Added by बसंत नेमा on June 14, 2013 at 1:16pm — 10 Comments
Added by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on June 14, 2013 at 4:00am — No Comments
आपने चाहा ही नहीं दर्द का दरमां होना
कितना आसान था दुश्वार का आसां होना
.
आपका हुस्न तो खुद होश उड़ा देता
आपको ज़ेब नहीं देता है हैरां होना
.
नाम ए मर्ग है फूलों के लिए काली घटा
दोशे गुलनार पे ज़ुल्फों का परेशां होना
.
वक़्त वो दोस्त है जो पल में बदल जाता है
भूल से भी न कभी वक़्त पे नाजां होना
.
दिल पे अज्ञात के जो गुजरा है वो ज़ाहिर है
इस तरह आप का लहरा के पेरीजां होना
.
ज़ेब = शोभा , नाजाँ =…
Added by Ajay Agyat on June 13, 2013 at 9:00pm — 9 Comments
जिन्हें जन्म दिया
पाला-पोसा बड़ा किया
उन्हीं जिगर के टुकड़ों ने
माँ –बाप को घर से निकाल दिया
संगम पर मिली मुझे इक बेबस माँ
वो मेरे साथ होली
इक रोटी मांगी और बोली
“ मैं अनपढ़ हूँ भिखारिन नहीं हूँ ,
पिछले बरस मेरा बेटा मुझको यहाँ छोड़ गया है ,
तबसे उसका इंतज़ार करती हूँ ,
हर आने जाने वाले से रोटी मांगकर ,
उसका पता पूछती हूँ ”
हाय ! वृद्धा माँ से छुटकारा पाने के लिए
बेटा माँ…
ContinueAdded by vijayashree on June 13, 2013 at 5:00pm — 17 Comments
Added by Sumit Naithani on June 13, 2013 at 4:00pm — 21 Comments
कल ही की तो बात है
अध्यापन शुरू किया था मैंने
आज आया है एक नया सवेरा
विदाई समारोह होना है मेरा
समय चक्र घूमता ही रहता
हमें इसका आभास न होता
पर सच्चाई यही थी
सहकर्मियों व कर्मस्थली से
होनी मेरी आज विदाई थी
जीवन में आनेवाली शून्यता का
अहसास हो रहा था
इस पीड़ा को व्यक्त करना
शब्दों में असंभव था
खैर ..विदाई तो होनी थी हो गई
मेरी कर्मस्थली मुझसे जुदा हो गई
अब क्या करूँ ..कैसे करूँ…
ContinueAdded by vijayashree on June 13, 2013 at 12:56pm — 11 Comments
सच एक सवाल हो गया
झूठ का धमाल हो गया
कमाल हो गया, कमाल हो गया
नोट है तो वोट है
हर चीज में खोट है
चोट पर चोट है, चोट पर चोट है
धूप है छाँव है
अनकहे,अनछुए घाव ही घाव हैं
नोचता ,कचौटता मन को मसौसता
राह का पता नही ढ़ूढ़ता फिर रहा
कोई तो बता दे
ये सच कहाँ रहता है
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Pragya Srivastava on June 13, 2013 at 12:33pm — 7 Comments
यूँ तो तक़दीर ने देखे हैं मोड़ कई ...
जिंदगी यूँ ही मुड़ेगी कभी सोचा न था..
कई ज़माने से प्यासा हूँ में यहाँ ..
ओस से प्यास बुझेगी कभी सोचा न था..
यूँ तो फिरते हैं कई लोग यहाँ ..
गुदड़ी में लाल मिलेगा कभी सोचा न था ..
किस्मत ने दी है हर जगह दगा ..
मुकद्दर यूँ ही चमकेगा कभी सोचा न था ..
खून करे हैं सभी के अरमानों के हमने..
खून मेरा भी होगा कभी सोचा न था..…
Added by Amod Kumar Srivastava on June 13, 2013 at 10:35am — 6 Comments
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