है ज़मी पर शोर कितना , आसमाँ खामोश है ।
मन में लाखों हलचलें हैं , आत्मा खामोश है ।
ना कभी करता सवाल , ना कभी देता जवाब ,
हमको देकर ज़िन्दगी , परमात्मा खामोश है ।
आदमीयत सड़ रही , लुट रहा बागे जहाँ ,
पर कहीं चुप चाप बैठा , बागबाँ खामोश है ।
चाहतें दुनिया की ज्यादा , देर तक चलती नहीं,
ताज़ की बरबादियों पर , शाहजहाँ खामोश है ।
जो हकीकत थे कभी, बनकर फ़साने रह गए ,
वक्त के हाथों लुटा , हर कारवाँ खामोश है…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on July 20, 2013 at 6:00pm — 18 Comments
रचना ओ बी ओ नियमानुसार न होने और लेखक के अनुरोध पर हटा दी गई है |
एडमिन
2013071407
Added by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 11:30am — 12 Comments
दोस्तों अपने इस के साथ आप सबको
रमजान की मुबारक वाद देता हूँ ...................................
खुदा की धरती खुदा का अम्बर ,
खुदा की कुदरत पे किसका हक़ है ।
वो ही बनाये वो ही मिटाए ,
कि उसकी रहमत पे किसको शक है ।
कमाये तुमने यहाँ पे लाखों ,
मगर तमन्ना चुकी नही है ।
ये सुन लो जिस पे है नाज़ तुझको ,
वो जिंदगानी तेरी नही है ।
ज़रा तो सोचो जो तुमने पायी ,
वो तेरी शोहरत पे किसका हक़ है…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on July 11, 2013 at 11:30am — 8 Comments
मेरे सीने में तेरी जुदाई का गम ।
मुझको जीने न दे बेवफाई का गम ।
बदले दुआ के दगा दे गये ।
मोहब्बत की ऐसी सजा दे गये ।
कोई जाकर उन्हें ये बताये ज़रा ,
क्या माँगा था हमने वो क्या दे गये ।
ये हाल दिल का मै किस से कहूँ ,
कौन समझेगा दिल की दुहाई का गम ।
मेरे टूटे दिल की वफ़ा के लिए ।
इन धडकनों की सदा के लिए ।
तुझको कसम है कि मिलने मुझे ,
बस एक बार आजा खुदा के लिए ।
जिसको मिला…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on July 10, 2013 at 11:12am — 16 Comments
चुरा लेता है दिल सबका ,
बड़ा चित चोर है मोहन ।
कि हर जर्रे में बसता है ,
नही किस ओर है मोहन ।
निगाहोँ में भरा हो जब ,
प्रभू के प्रेम का प्याला ।
दिखायी हर जगह देगा ,
तुम्हे वो बांसुरी वाला ।
हर सच्चे दीवाने को
यही महसूस होता है ,
है छाया हर जगह उसकी
बसा हर ठौर है मोहन ।
न दौलत का वो भूखा है ,
न रिश्वत से ही बिकता है ।
हमारी आँख का तारा ,
मोहब्बत से ही बिकता है ।
ज़माना कुछ…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on July 9, 2013 at 11:44am — 18 Comments
ऊद्धव कन्हैया से जाकर सिर्फ इतना बता दीजियेगा ।
हे कृष्ण प्रेमी जनों की अब कुछ तो खबर लीजियेगा ।
उनकी खातिर दिलों जाँ लुटाया ।
और ज़माने को दुश्मन बनाया ।
उनके पीछे ये दुनिया भुलायी ।
उनकी राहों में पलकें बिछायी ।
उनके बिन बृज में क्या हो रहा है हाल सारा सुना दीजियेगा ।
हे कृष्ण प्रेमी जनों की अब कुछ तो खबर लीजियेगा ।
उनके बिन अपनी हालत न पूछो ।
कैसी है दिल में चाहत न पूछो ।
हम तो मर मर के जीने लगे हैं ।…
Added by Neeraj Nishchal on July 6, 2013 at 8:00am — 4 Comments
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