उजालों की पनाहों में अंधेरे ढूँढ़ लाया है ।
ये दिल नादाँ बुरे हालात मेरे ढूँढ़ लाया है ।
के बीती रात जो यादें भुलाकर सो गया था मै ,
उन्हें जाने कहाँ से फिर सवेरे ढूँढ़ लाया है ।
ये अरमाँ ये तमन्नायें ये ख्वाहिश और ये सपने ,
मेरे चैनों सुकूनों के लुटेरे ढूँढ़ लाया है ।
ख़यालों कल्पनाओं की अज़ब दुनिया में खोया है ,
हकीकत से परे पहलू घनेरे ढूँढ़ लाया है ।
कभी सीखा न था हमने ग़ज़ल गीतों का ये दमखम ,
मेरी जानिब…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 1:32pm — 11 Comments
कभी गिरते कभी उठते कभी सभलना सीख जाते हैं ।
मंज़िल उनको मिलती है जो चलना सीख जाते हैं ।
नये हर एक मौसम में नया आगाज़ करते हैं ,
वक्त के साथ जो खुद को बदलना सीख जाते हैं ।
बनके दरिया वो बहते हैं और सागर से मिलते हैं ,
जो बर्फीले सघन पत्थर पिघलना सीख जाते हैं ।
उन्होंने लुत्फ़ लूटा है बहारों कि इबादत का ,
बीज मिट्टी में मिट मिट कर जो मिलना सीख जाते हैं ।
अजब सौन्दर्य झलकाते बिखेरें रंग और खुशबू ,
जो काँटों और…
Added by Neeraj Nishchal on November 23, 2013 at 12:48pm — 22 Comments
एक सिवा मै प्रेम के , करूँ न दूजी बात ।
प्रेम मेरी पहचान हो , प्रेम हो मेरी जात ।
आती जाती सांस में , आये जाये प्रेम ।
प्रेम हो मेरी साधना , प्रेम बने व्रत नेम ।
प्रेम कि लहरें जब उठें , बहे अश्रु की धार ।
प्रेम की वीणा जब बजे , जुड़े ह्रदय के तार ।
प्रेम कि पावन धार में, मेरा मै बह जाय ।
मेरी अंतरआत्मा , प्रीतम से मिल जाय ।
नाची मीरा प्रेम में , प्रेम में मस्त कबीर ।
प्रेम खजाना जब मिला , हुए फ़कीर…
Added by Neeraj Nishchal on November 22, 2013 at 8:13pm — 7 Comments
आँख से आँख वो ऐसे कुछ लड़ा गयी ।
नज़र पे अज़ीब सी कशिश वो चढ़ा गयी ।
झोकें सी गुज़री जब मेरे करीब से ,
साँसों को थामकर धड़कनें बढ़ा गयी ।
आरज़ू बड़ी थी पर कुछ भी न कह सका ,
बोलने के वक्त आवाज़ लड़खड़ा गयी ।
के घायल खड़ा रहा बनके शिकार मै ,
तीरे नज़र मेरे जिगर पे गड़ा गयी ।
लगा एक पल जैसे कयामत करीब हो ,
मेरी बायीं आँख तभी फड़फड़ा गयी ।
मुड़ के मेरी ओर फिर यूँ मुस्करायी ,
ज्यूँ मेरी बेबसी हंसी में उड़ा…
Added by Neeraj Nishchal on November 22, 2013 at 11:30am — 4 Comments
हाले दिल जो छुपाने के काबिल न था ।
क्या कहूं मै सुनाने के काबिल न था ।
इस ज़माने ने मुझको नकारा नहीं
मै तो खुद ही ज़माने के काबिल न था ।
इस लिए वो मुझे आज़माते रहे ,
मै उन्हें आज़माने के काबिल न था ।
रंग तनहाइयों में ही भरने लगा ,
वो जो महफ़िल सजाने के काबिल न था ।
बोझ रस्मों रिवाज़ों के कुछ भी न थे ,
पर उन्हे मै उठाने के काबिल न था ।
सूख कर दरिया वो राह में खो गया ,
जो सागर को पाने के…
Added by Neeraj Nishchal on November 20, 2013 at 7:30pm — 12 Comments
एक शाम खड़ा था अपने घर के बाहर तभी एक गाड़ी मेरे घर के करीब आ रुकी, मेरे पडोसी कि गाड़ी थी ,अभी कल ही उनके घर में उनकी एक घनिष्ठ रिश्तेदार जो उनके यहाँ रहकर ही अपना इलाज करा रही थीं उनका निधन हो गया था जिसकी सूचना मुझे भी मिली थी , खैर कार का दरवाज़ा खुला और वो लोग बाहर निकले अपने हालचाल को व्यवस्थित किये हुए और मुझे देख कर हलकी सी मुस्कान में मुस्कराये मैंने पूछा ," कहीं बाहर गए थे आप लोग ? "
उन्हों ने कहा ," तनाव बहुत ज्यादा हो गया था तो सोचा चलो फ़िल्म देख कर आते हैं ।…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on November 18, 2013 at 4:30pm — 8 Comments
पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को ।
कण कण में देखें अपने सरबस को ।
शीश मोर मुकुट गले पुष्प माला ।
बड़ो प्यारो लागे मेरा नन्द लाला ।
ललचाये दिल मेरा उनके दरस को |
पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को ।
रेशम सी बालों कि लट प्यारी प्यारी ।
चन्दा से मुखड़े पे घटा कारी कारी ।
होंठ छलकाते हैं मधुर मय रस को ।
पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को ।
एक हाथ वंशी है तो दूजे लकुटिया ।
मोहताज़ उनकी…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on November 9, 2013 at 10:51pm — 22 Comments
मोहब्बत आग का दरिया भरोसा तोड़ देती है ।
खुदी आधी जलाकर ही भला क्यों छोड़ देती है ।
छलावा इस से बढ़कर ना कहीं देखा ज़माने में ।
समंदर गम के भर लाये ख़ुशी कि बूँद पाने में ।
लिए नादान सी हसरत किसी मासूम से दिल को ,
ख़ुशी का आसरा देकर ग़मों से जोड़ देती है ।
अच्छा था खुदी मेरी ये खुद में ही समा लेती ।
कहीं अपनी पनाहों में ये मुझको भी छुपा लेती ।
लुटा बैठा ये दीवाना कहाँ अपना मकां ढूढे ,
ये सबकुछ छीनकर मेरा मुझे क्यों…
Added by Neeraj Nishchal on November 5, 2013 at 10:30am — 7 Comments
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