Added by Rash Bihari Ravi on June 29, 2011 at 4:30pm — 15 Comments
Added by rajkumar sahu on June 29, 2011 at 1:27pm — 1 Comment
नन्हा सा, अल्हड़ सा, वो प्यारा बचपन,
ज़िंदगी की धूप से अछूता बचपन
बचपन के वो दिन कितने अच्छे थे
जब संग सबके हम खेला करते थे
दुखी होते थे एक खिलौने के टूटने पर
और छोटी सी ज़िद्द पूरी होने पर,खुश हो जाया करते थे
हँसता, खिलखिलता वो निराला बचपन
ज़िंदगी की धूप से अछूता बचपन
वो बारिश के मौसम का भीगना याद आता…
ContinueAdded by Vasudha Nigam on June 29, 2011 at 10:00am — 15 Comments
-: हिंदी सलिला :-
विमर्श १
भाषा, वर्ण या अक्षर, शब्द, ध्वनि, व्याकरण, स्वर, व्यंजन
-संजीव वर्मा 'सलिल'-
औचित्य…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on June 28, 2011 at 11:29pm — No Comments
Added by Prabha Khanna on June 28, 2011 at 6:50pm — No Comments
ज़िन्दगी तुझे जी लूंगी मैं...
नाकामियों से ऊपर उठते हुए,
समय के आगे न झुकते हुए,
मुश्किलों से हंस कर मिलूंगी मैं!
ज़िन्दगी तुझे जी लूंगी मैं...
रुठेंगी कब तक मंजिलें मुझसे,
मायूस होगी कब तक महफ़िलें मुझसे,
तूफ़ान भी अब डिगा न सकेंगे,
लहरों के वेग से अब न डरूँगी मैं!
ज़िन्दगी तुझे जी लूंगी मैं...
भिगोया हैं बहुत आँचल को अपने,
अरसा गुज़र गया मुस्कुराहटो की तलाश में,
अब भीगी पलकों पर…
ContinueAdded by Vasudha Nigam on June 28, 2011 at 2:30pm — 4 Comments
Added by Prabha Khanna on June 28, 2011 at 10:30am — No Comments
मेरे साहित्यिक आदर्श डा. रामविलास शर्मा
डा॰ महेन्द्रभटनागर
प्रारम्भ से ही, साहित्य-लेखन के क्षेत्र में डा.रामविलास शर्मा जी ने मुझे प्रोत्साहित किया। उनसे मेरा परिचय सन् 1945 से है; जब मैं ‘विक्टोरिया कालेज’, ग्वालियर में बी.ए. के अंतिम वर्ष का छात्र था। तब कालेज में, डाक्टर साहब का भाषाण आयोजित था। वे प्रो.…
ContinueAdded by MAHENDRA BHATNAGAR on June 27, 2011 at 7:35pm — 1 Comment
जाने कैसा दौर गुज़र रहा है ये ,
खुदा का घर दहशत में है
जन्नत लिपटी पड़ी है नुकीले तारों में
खूब चलता है ब्योपार इन दिनों नुकीली तारों का |
बर्फ की चादर अब तो मैली हो चली है
खून के धब्बों से ,
जख्मी हो गए हैं
बन्दूक की नोक पर कदम…
ContinueAdded by Veerendra Jain on June 27, 2011 at 12:13pm — 6 Comments
विश्वासघात, क्या होता हैं यह विश्वासघात,
जो हिला देता हैं आपका संपूर्ण वजूद!
या फिर वो जो खोखला कर देता हैं आपकी जड़ो को,
और उठा देता हैं आपका विश्वास दुनिया से,
और क्या परिभाषा होता है विश्वास की,
जो बना देती हैं गिरो को भी अपना!…
ContinueAdded by Vasudha Nigam on June 27, 2011 at 12:00pm — No Comments
Added by sangeeta swarup on June 26, 2011 at 3:58pm — 3 Comments
निस्शब्द स्वरों के कानफोड़ू शोर
चिलचिलाते मौन की बेधती टीस
लगातार भींचती जाती दंत-पंक्तियों में घिर्री कसावट
माज़ी का गाहेबगाहे हल्लाबोल करते रहना..... ....
जब एकदम से सामान्य हो कर रह जाय..
तो फिर...
कागज़ के कँवारेपन को दाग़ न लगे भी तो कैसे?
आखिर जरिया भर है न बेचारा ..
/एक माध्यम भर../
कुछ अव्यक्त के निसार हो जाने भर का
महज़ एक जरिया ... ...और....
किसी जरिये की औकात आखिर होती ही क्या है ?
उसके…
ContinueAdded by Saurabh Pandey on June 24, 2011 at 8:09pm — 11 Comments
स्मृतियों के अनगढ़ कमरे से
अचानक बाहर फुदक आयी हैं कुछ नम रोशनियाँ... /आज फिर.. ..
एक बार फिर
मासूम सी कोशिश की है इनने..
कि, मनाँगन में
कशिशभरी आवारा धूप बन लहर-लहर नाचेंगी..
तुम मेरे साथ हो न हो.... ..
इन रोशनियों के साथ जरूर होना.. ..
...............कोशिश तो करना.. ..
मुझे पता है .. गया समय उल्टे पाँव नहीं चलता..
किन्तु इन भोली-निर्दोष रोशनियों को अब कौन समझाये..
और देखो.. ..
तुम भी मत समझाना..…
ContinueAdded by Saurabh Pandey on June 24, 2011 at 7:30pm — 12 Comments
ज़बां फूलों सी रखता है ......
अना पत्थर सी रखता है ......
अधूरी दास्तां दिल मे छिपा कर वो भी रखता है ......…
Added by Prabha Khanna on June 24, 2011 at 7:02pm — 6 Comments
Added by rajkumar sahu on June 24, 2011 at 5:16pm — No Comments
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 24, 2011 at 3:05pm — 1 Comment
ऐसा लगता है, जैसे छत्तीसगढ़ की परीक्षाओं का, फर्जीवाड़ा और विवादों से चोली-दामन का साथ है। तभी तो प्रदेश में होने वाली अधिकांश परीक्षाओं में किसी न किसी तरह से धब्बा लगा ही जाता है। छग में शिक्षा नीति जिस तरह लचर है, उसी का खामियाजा होनहार छात्रों व उनके अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश के लिए परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा की बात कोई नई नहीं रह गई है, यही कारण है कि छग से दूसरे राज्यों में जाकर पढ़ने वाले प्रतिभावान छात्रों को ‘हेय’ की दृष्टि से देखा जाता है, यह किसी भी सूरत में विकास पथ पर आगे…
ContinueAdded by rajkumar sahu on June 24, 2011 at 2:00am — No Comments
Added by Julie on June 23, 2011 at 9:54pm — 9 Comments
Added by Bhasker Agrawal on June 23, 2011 at 7:30pm — 4 Comments
Added by sangeeta swarup on June 23, 2011 at 12:34pm — 5 Comments
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