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Somesh kumar's Blog (121)

मुक्तक

मुक्तक

(आम आदमी)

1.सारी फिक्रें अभी उलझी हुईं हैं एक सदमें में

 मैं मर जाऊँ तो क्या !मैं खो जाऊँ तो क्या !

 

2.मैं रोज़ मरता हूँ कोई हंगामा नहीं होता

 सब सदमानसी है मुमताज़ की खातिर |

       (इस्तेमाल )

3.खम गज़ल लिखता हूँ दिल तोड़ कर उसका

 हुनर ज़ीना चढ़ता है बुलंदी हासिल होती है |

        (वापसी )

4.शराब ने टूटकर घर का पानी गंगा कर दिया

 उसने कपड़े उतारे मेरी सोच को नंगा कर दिया |

       …

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Added by somesh kumar on February 27, 2018 at 10:58am — 5 Comments

दो जिस्मों के मिलने भर से

दो जिस्मों के मिलने भर से

दो जिस्मों के मिलने भर से

प्यार मुकर्रर होता तो

टूटे दिल के किस्सों का

दुनियाँ में बाज़ार न होता

सागर की बाँहों में जाने

कितनी नदियाँ खो जाती हैं

एक मिलन के पल की खातिर

सदियाँ तन्हा हो जाती हैं

तस्वीरें जो भर सकती

इस घर के खालीपन को

उसके आने की खुशबू से

दिल इतना गुलज़ार ना होता |

 

दो जिस्मों के मिलने भर से---

 

बाँहों में कस लेना…

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Added by somesh kumar on February 26, 2018 at 12:41pm — 6 Comments

पर मोहब्बत

पर मोहब्बत---

वह आदमी जो अभी-अभी

मेरे जिस्म से खेल कर

बेपरवाह उघड़ के सोया है

और जिसके कर्कश खर्राटे

कानों में गर्म शीशे से चुभते है

और जो नींद में भी अक्सर

मेरी छातियों से खेलता है

सिर्फ मेरी बात करता है

मैं उससे नफ़रत तो नहीं करती

पर मोहब्बत ----------------

 

मेरी तकलीफ़ उसे बर्दाश्त नहीं

एक खाँसी भी उसकी साँस टाँग देती है

मेरे आँसू सलामत रहें इसलिए

वो प्याज काटने लगा…

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Added by somesh kumar on February 24, 2018 at 10:31pm — 5 Comments

सोचता हूँ (ख्याल )

उस औरत की बगल में लेट कर

सोचता हूँ तुम्हारे बारे में अक्सर

रोज जिंदगी का एक पेज भरा जाता है

दिमाग अधूरे पेज़ पर छटपटाता है  

सोचता हूँ अगर वह औरत तुम होती

तो कहानी क्या इतनी भर होती !

या तब भी अटका होता किसी अधूरे पन्ने पर

भटक रहा होता पूरी कहानी की तलाश में |

सोचता हूँ इस कहानी के अंत के बारे में

सोचता हूँ उस अनन्त के बारे में

सोचता हूँ प्यार अगर अधूरेपन की तलाश है

तो ये कहानी कभी पूरी ना हो !

कई बार एक…

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Added by somesh kumar on February 23, 2018 at 9:30am — 4 Comments

ख्याल

 ख्याल-1

1 तुम मेरी ज़िन्दगी से निकल जाओ

तुम्हारे रहते दिल सम्भाला ना जाए

रोशनी कोई कैसे कोई जले अंगने में

यादों का जब तक उजाला ना जाए

खुशबुएँ तर हो महके कोना कोना

किताबों से वो फूल निकाला ना जाए

प्यार है उसे रिश्ते का नाम ना दो

सितम हद करे नाम उछाला ना जाए |

_---------------------------------------------

ख्याल-2

यूँ जो चुपके से तुम अब भी बात करती हो

मुझे महसूस होता है अब भी…

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Added by somesh kumar on February 22, 2018 at 11:32am — 3 Comments

ख्याल

यकीन

यही सोच कर रुठीं हूँ मना लेगा वो

गलतफहमियाँ जो हैं मिटा देगा वो

प्यार से खींचकर भींच लेगा मुझे

गलतियाँ जो की हैं भुला देगा वो |

 

     पहली गुफ्तगू

पहला जाम पी लिया खोलकर ये दिल

जाम की आरज़ू है तू रोज़ यूँ ही मिल

मझधार में भटकी सफीना दूर है साहिल

बन जा पतवार मेरी ले चल मुझे मंजिल

 

 

         बुढ़ा

वो जो एक शख्स झुका-झुका सा बैठा है

उसकी  पीठ  पर यह घर टिका  बैठा है

छातियाँ…

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Added by somesh kumar on February 16, 2018 at 11:31pm — 5 Comments

तितली और सफ़ेद गुलाब

“भाई अरविन्द ,कब तक ताड़ते रहोगे ,अब छोड़ भी दो बेचारी नाजुक कलियाँ हैं |”

“मैंsए ,नहीं तो -----“

वो ऐसे सकपकाया जैसे कोई दिलेर चोर रंगे हाथों पकड़ा जाए और सीना ठोक कर कहे –मैं चोर नहीं हूँ |

“अच्छा तो फिर रोज़ होस्टल की इसी खिड़की पर क्यों बैठते हो  ?”

“यहाँ से सारा हाट दिखता है |”

“हाट दिखता है या सामने रेलवे-क्वार्टर की वो दोनों लडकियाँ --–“

“कौन दोनों !किसकी बात कर रहे हो !देखों मैं शादी-शुदा हूँ ---और तुम मुझसे ऐसी बात कर रहे हो –“ उसने बीड़ी को झट से…

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Added by somesh kumar on February 11, 2018 at 7:30am — No Comments

वो छू के गई ऐसे

हौले से हिला कर के

नींद से जगा कर के

बहती है पवन जैसे

वो छू के गई ऐसे |

प्यारी सी एक लड़की

थी सांवले कलर की

एक ख़्वाब जगा करके

मुझे अपना बता कर के

वो छू के गई ऐसे-----

रात भर मुझे जगाना

बिन बात मुस्कुराना

सिर मेरा ही खाना

कहने पे रूठ जाना

वो छू के गई ऐसे----

दुनियाँ भली लगी थी

वो जब मुझे मिली थी

शायद थी भागवत वो

था मुझको गुनगुनाना |

वो छू के गई…

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Added by somesh kumar on February 8, 2018 at 9:30am — 4 Comments

पुआल बनती ज़िन्दगी(कहानी )

पुआल बनती ज़िन्दगी

 

जब मैं गाँव से निकला तो वह पुआल जला रही थी | ठीक उसी तरह जिस तरह वह पहले दिन जला रही थी,जब मैंने उसे इस बार,पहली बार देखा था | ना तो मैं उससे तब मिला था ना आज जाते हुए | पर मैं संतुष्ट था |मेरी अभिलाषा काफ़ी हद तक तृप्त थी |मेरे पास एक उद्देश्य था और एक जीवित कहानी थी |

 पहली बार जब मैं स्टेशन के लिए निकला तभी पत्नी ने फोन करके कहा की गाड़ी का समय आगे बढ़ गया है और जैसे ही मैं गाँव में लौटा मैंने खुशी मैं शोर मचाया और वह भी चिड़ियों की…

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Added by somesh kumar on January 15, 2018 at 8:29pm — No Comments

कंधों का तनाव(कहानी )

कंधों का तनाव

जो आज हुआ वो अप्रत्याशित था |साढ़े नौ बजे जब में उतरा तो यकीन था कि भोजन आ रहा होगा |बाइक लॉक करके और टी.वी. चलाकर मैं भोजन का इंतजार करने लगा |जिस निशिचिंत्ता से पिताजी सोए थे मुझे यकीन था कि वो खा चुके होंगे |माताजी चूँकि नीचे बैठीं थी इसलिए ये विश्वास था कि या तो वो खा चुकी होंगी या खा रही होंगी |इसी बीच पिताजी ने करवट ली और टी.वी. देखने लगे |मैं निश्चिन्त था कि पिताजी खा चुके होंगे |घड़ी सवा दस बजा चुकी थी और मैं उहापोह में था |सुबह और दोपहर का…

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Added by somesh kumar on January 12, 2018 at 9:48pm — 5 Comments

आउट ऑफ़ कवरेज़

आउट ऑफ़ कवरेज़

साथ-साथ बैठे हैं और दूर कहीं इंगेज हैं

4जी के दौर में घर आउट ऑफ़ कवरेज़ है |

लाइक है पॉक है ट्रेल है जोक् है ना कोई रोक है

बैठे-बैठे सारी दुनिया मुट्ठी में कर लेने का क्रेज़ है |

अंधी दौड़ है या भेड़ो का दौर है किसे किसका गौर है

अस्मिता की लड़ाई ना मालूम कौन रियल कौन फ़ेक है |

सोमेश कुमार(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Added by somesh kumar on December 24, 2017 at 10:15pm — 5 Comments

सरदी की पहली बारिश

सरदी की पहली बारिश- - - -

सरदी की पहली बारिश में

पेड़ इस तरह नहाएँ

जैसे कोई औघड़ नहाकर

गंगा से चला आए |

सरदी की पहली बारिश- - - -

धूल में साधनारत कब से

बैठा था तपस्वी !

साँसों में गरल लेकर

अमृत कलश लुटाए |

सरदी की पहली बारिश- - - -

पत्तों से यूँ गिरता पानी

ज्यों शिव की जटाएँ

पीकर गगन का अमृत

 ये धरती मुस्कुराए |

सरदी की पहली बारिश- - -…

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Added by somesh kumar on December 23, 2017 at 8:11pm — 6 Comments

भंडारे में भंडारी(कहानी )

भंडारे में भंडारी

दोपहर पाली का एक स्कूल(दिल्ली )

“जिन बच्चों को लिखना नहीं आता कॉपी लेकर मेरे पास आओ |-----------अरमान,मोहित,रितिश और शंकर तू भी |” अध्यापक सुमित ने क्लास की तरफ देखते हुए कहा

“क्या लिखवाया जाए ?” फिर अरमान की तरफ देखते हुए

“सुबह नाश्ते में क्या खा कर आए हो?”

“चाय-रोटी |”अरमान ने सपाट सा जवाब दिया

 ठीक है लो ये “चाय” लिखो,ठीक-ठीक मेरी तरह बनाना |

“और मोहित तुमने क्या खाया ?”

“रात का…

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Added by somesh kumar on December 22, 2017 at 8:22pm — 3 Comments

तौल-मोल के “लव यू “(कहानी )

तौल-मोल के “लव यू “

10 अक्टूबर 2009

 

मुझे लगता है-“अब हमें उठना चाहिए |”

उसने सहमति में सिर हिलाया और पुनीत वापस परिवार वालों के पास आ बैठा |

“क्या पसंद है !” दीदी ने धीरे से कानों में पूछा  और पुनीत ने ‘ना’ में सिर हिलाया |

रास्ते में पिताजी ने झल्लाते हुए कहा-“नवाब-साहब कौन सी परी चाहिए ,बाप अच्छा खासा बुलेरो दे रहा था तीन तौला सोना |ये कहते हैं कि नौकरी-नौकरी |बड़े घर की औरतें क्या नौकरी करती जँचती है |वो आदमी ही…

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Added by somesh kumar on December 14, 2017 at 1:30am — 3 Comments

नंगे सच का द्वंद

नंगे सच का द्वंद

मुझे सड़क पार करने की जल्दी थी और मैं डीवाईडर पर खड़ा था |मेरी दृष्टी उसकी पीठ पर पड़ी और मैं कुछ देर तक चोरों की भांति उसे देखता रहा |क्षत-विक्षत शाल से ढकी और पटरी की दो समांतर ग्रील से कटती उसकी पीठ  रामलीला का टूटा शिव-धनुष प्रतीत हो रही थी |

एक दिन पहले ही आई बरसात से मुख्य मार्ग की किनारियाँ कीचड़ से पटी पड़ी थी और सभ्य और जागरूक समाज द्वारा यहाँ-वहाँ फैलाया गया कचरा ऐसे लग रहा था मानों किसी प्लेन काली साड़ी के स्लेटी बार्डर पर जगह-जगह…

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Added by somesh kumar on December 13, 2017 at 9:53am — 4 Comments

जीवन कविता

 

जीवन-कविता

बिटिया बैठी पास में

खेल रही थी खेल

मैं शब्दों को जोड़-तोड़

करता मेल-अमेल |

उब के अपने खेल से

आ बैठी मेरी गोद

टूट गया यंत्र भाव

मन को मिला प्रमोद |

बिना विचारे ही पत्नी ने

दी मुझको आवाज़

मैं दौड़ा सिर पाँव रख

ना हो फिर से नाराज़ |

लौटा सोचता सोचता

क्या जोड़ू आगे बात

पाया बिटिया पन्ना फाड़

दिखा रही थी दांत…

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Added by somesh kumar on December 12, 2017 at 10:30am — 5 Comments

सो गया बच्चा (कविता )

सो गया बच्चा

नींद की पालकी में सवार

        सो गया बच्चा

शरारती बन्दर बना बछड़ा

     लगा बहुत अच्छा |

------------सो गया बच्चा

दिन भर की चपलता

     लेटा आँख मलता

“सोना है मुझे “

    भाव सीधा-सच्चा |

­­­--------------सो गया बच्चा |

गीत में उमंग नहीं

      फूल में सुगंध नहीं

चित्र में रंग नहीं

     घर ना लगे अच्छा

----------------सो गया बच्चा |

सपनों का…

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Added by somesh kumar on December 10, 2017 at 11:42pm — 7 Comments

चिलबिल और कैमर

तेज़ अंधड़ के साथ खिड़कियों से पत्ते ,कीट-पतंगे और धूल कम्पार्टमेंट में घुस आई |जैसे ही हवा शांत हुई ट्रेन ने चलने का हार्न दिया |सीट पर आए पत्तों को साफ़ करने के लिए उन्होंने ज्यों ही हाथ बढ़ाया उनकी आँखे चमक उठी |हाँ ये वही वस्तु थी जिससे इर्द-गिर्द उनके बचपन का ग्रामीण जीवन पल्लवित-पोषित हुआ था |हृदयाकृति के बीचों-बीच जीवन का गर्भ यानि चिलबिल का बीज |

कुछ समय तक वो उस सुनहले बीज को निहारते रहे…

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Added by somesh kumar on December 9, 2017 at 4:38pm — 3 Comments

बापमाँ (संस्मरण कथा )

बापमाँ (संसमरण-कथा)

19 मार्च 2017

एम्स के नेत्र वार्ड में दाखिल होने की सोच ही रहा था कि फ़ोन फिर से बज उठा |

बिटिया गोद में थी पत्नी ने फ़ोन जेब से निकाला,देखा और काट दिया |

“ कौन था ? ” “लो,खुद देखों -- -“

बिटिया को हाथ से छिनते हुए उसने फ़ोन बढ़ा दिया |

“विवेक-मधु |” स्क्रीन पर नाम दिखा |

पहले भी मिसकॉल आई थी | मैंने माहौल को हल्का करने के लहज़े से कहा |

“तीन-चार रोज़ से तो यही सिलसिला है |” पत्नी ने तीर छोड़ा

“वो…

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Added by somesh kumar on December 8, 2017 at 12:50am — 4 Comments

दोहरा

दोहरा

पत्नी पर पराई-दृष्टी से

होकर खिन्न

डांट कर कहता

तू लोक लाज विहीन

“चल भीतर |”

_______________

पड़ोसिन को सामने पा

स्वागत में मुस्कुरा

गाता हूँ-तिनक धिन-धिन

आप सा कौन कमसिन !

खड़ा रहता हूँ-बाहर |

सोमेश कुमार(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Added by somesh kumar on December 4, 2017 at 6:07pm — 5 Comments

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