शर्मा जी की यूँ तो आदत बहुत खाने की है, बुराई एक है अपने खाने में से वो किसी को पूंछते नहीं कि भैया जी थोडा सा आप भी खा लो. धार्मिक इतने कि कार्यालय कभी प्रातः साढ़े ग्यारह से पहले नहीं आते और चार बजे कार्यालय छोड़ देते . कारण पूछो तो बताते कि पूजा पर बैठते हैं.
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 18, 2013 at 4:00pm — 19 Comments
नारी तू नहीं है अबला
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नारी तू नहीं है अबला
है शक्ति स्वयं पहचान
खुद को शोषित मान ले
फिर कौन करे सम्मान
दूषित जग से लड़ना होगा
खुद ही आगे बढ़ना…
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 13, 2013 at 6:00pm — 25 Comments
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 1, 2013 at 5:00pm — 11 Comments
प्रतिष्ठान के मालिक ने
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 1, 2013 at 4:20pm — 10 Comments
घोर कलियुग आ गया
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 21, 2013 at 5:26pm — 2 Comments
भोला संग चली भवानी
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 21, 2013 at 3:58pm — 6 Comments
जीवन-मृत्यु
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एक अदृश्य सी रेखा
जीवन मृत्यु के मध्य
चुनना अत्यंत कठिन
दोनों में से एक को
जीवन क्षणभंगुर
अकाट्य सत्य है
मृत्यु भी असत्य नहीं
जान लें इस भेद को
मृत्यु की छाती पर
नर्तन करता जीवन
पकड़ना चाँद लहरों में
बाँधना रेत का कठिन
चेत रे मन होश न खोना
जीवन है अमूल्य खरा सोना
सुन्दर जीवन जिया जाये
होय वही जो पिया मन भाये…
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 20, 2013 at 6:30pm — 16 Comments
धन्य धरा भारत की जहाँ पग पग लगते मेले
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 14, 2013 at 1:08pm — 16 Comments
डा . तुकबंद की तबाहियां
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निकला मेरा जनाजा उनके इश्क की छाँव में
फूल बिछाए हमने बिखेरे कांटे उन्होंने राह में
भूल गए वो कि जनाजा तो काँधे पे जाएगा
गुजरेंगी इस राह से कोई बहुत याद आएगा
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आशिक और शायरों की है अलग पहचान
जानते हैं सब फिर भी बनते हैं अनजान
आशिकी में आशिक बस करते हैं आह आह
पढ़े गजल शायर लोग करते हैं वाह…
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 11, 2013 at 5:57pm — 9 Comments
दहक उठे अंगारे धरती हुई रक्त से फिर पग पग लाल
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 2:01pm — 6 Comments
आदिकाल से नारी स्वयं में है पहचान,
क्यों कर अबला बनी है सर्वशक्तिमान,
दुर्गा अहिल्या शबरी सावित्री रूप भाता,
दुष्ट दलन श्रृष्टि कर्ता दुःख भंजन माता,
बहना बेटी भार्या बन परिवार में आती,
उड़ेल स्नेह कई रूपों में संस्कार जगाती,
धरती सा सीना इसका वात्सल्य की मूर्ति,
त्याग समर्पण स्नेह से करती इच्छा पूर्ति,
नाहक पुरूष पुरुषार्थ दिखाते लज्जा न आती,
न कोई और रिश्ता हो ये माता तो कहलाती|
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
९-१-२०१३
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 9, 2013 at 4:00pm — 10 Comments
मूँछ
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मूँछ की भी अजब कहानी
खिले आनन् दिखे जवानी
कद लम्बा और चौड़ा सीना
पहने उस पर कुरता झीना
चलता राह रोबीली चाल
काला टीका औ उन्नत भाल
कभी तलवार कभी मक्खी कट
छोटी बड़ी कभी सफा चट
बगैर मूँछ लगता चेहरा खुश्क …
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 27, 2012 at 12:19pm — 6 Comments
पुकार
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 23, 2012 at 12:52pm — 17 Comments
बलात
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 22, 2012 at 4:00pm — 14 Comments
कृषक
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कृषि प्रधान भारत अपना फसलों की बहार है
भूख कुपोषण जन है मरते कैसा पालन हार है
खेत से खलिहान तक फैली जिसकी सरकार है
उसका तो बस नाम मात्र ईश्वर पालन हार है
काट रहा निश दिन अपने स्वेदाम्बू लिए माथ है
हाथ न आये लाभ उसे कछु भूख मात्र साथ है
काढ़े कर्ज उत्पादन करते सेठ भरे तिजोरी है
बच्चे उसके भूखे मरते शासन की कमजोरी…
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 20, 2012 at 3:47pm — 13 Comments
आरक्षण की नेता तुमने
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 14, 2012 at 2:39pm — 8 Comments
पिकहा बाबा ----प्रेस वार्ता
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 2, 2012 at 5:58pm — 6 Comments
जल प्रपात
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 25, 2012 at 2:36pm — 10 Comments
नाना नाती उवाच -------पिकहा बाबा अवतार
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 19, 2012 at 5:18pm — 9 Comments
मच्छर
इस युग के दो महान प्राणी
जिनकी महिमा सबने जानी
लेता सब कुछ न कुछ देता
एक मच्छर दूसरा है नेता
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गली नुक्कड़ हो या चौबारा
हर जगह है इनकी पौ बारा
जिनके बूते जग में हैं पलते
अवसर पा शरीर में डंक भरते
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सूरत सीरत पे इनकी न जाओ
लाख बचो इनसे पर बच न पाओ
भुनभुना के मीठा संगीत सुनाते
चुपके से जनता का खून पी…
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 16, 2012 at 5:02pm — 16 Comments
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