Added by दिनेश कुमार on August 15, 2015 at 5:30pm — 7 Comments
Added by दिनेश कुमार on August 9, 2015 at 6:30am — 18 Comments
Added by दिनेश कुमार on August 2, 2015 at 6:30am — 13 Comments
2122-2122-2122-212
.
मुस्कुरा कर कह रही कुछ झुर्रियाँ बरसात में
देखीं थीं हमने कभी रंगीनियाँ बरसात में
.
आज का बचपन न जाने कौन सी चिन्ता में गुम
अब नहीं कागज़ की दिखतीं कश्तियाँ बरसात में
.
ज़ेह्न में रच बस गया है अब तो उनका ज़ायका
माँ खिलाती थी हमें जो पूरियाँ बरसात में
.
आज घर में शाम को चूल्हा जलेगा किस तरह
कह रही मजदूर की मजबूरियाँ बरसात में
.
मेरे घर की छत गिरी थी या गिरा था आसमाँ
जो हुईं उस रात थीं दुश्वारियाँ बरसात…
Added by दिनेश कुमार on June 17, 2015 at 8:34am — 14 Comments
2122-1122-22.
अपनी मंज़िल की जो हसरत करना
घर से चलने की भी हिम्मत करना
.
कोई तुझको जो अमानत सौंपे
जान देकर भी हिफ़ाजत करना
.
कहना आसान है करना मुश्किल
दुश्मनों से भी मुहब्बत करना
.
आज बचपन में है वो बात कहाँ
वक़्त बे-वक़्त शरारत करना
.
तेरे भीतर का ख़ुदा जाग उठे
इतनी शिद्दत से इबादत करना
.
सिर्फ कहने को ही तेरा न हो वो
उसके दुख दर्द में शिरक़त करना
.
फ़र्ज़ औलाद का यह होता 'दिनेश'
अपने माँ बाप की…
Added by दिनेश कुमार on June 10, 2015 at 10:46am — 16 Comments
१२१२-११२२-१२१२-२२
निग़ाहे नाज़ से देखो, करो शिकार मेरा
तुम आजमाओ सनम दिल ये एक बार मेरा
.
तू आरज़ू है मेरी और तू है प्यार मेरा
तेरी वफ़ा पे है अब जीने का मदार मेरा
.
तेरे शबाब को नज़रों से क्यूँ पिया मैंने
तमाम उम्र न उतरेगा अब ख़ुमार मेरा
.
मुआमलात-ए-जवानी कहे नहीं जाते
न पूछ कौन है हमदम, कहाँ क़रार मेरा
.
वो मुझसे बात तो करता है, पर वो बात नहीं
" बहुत सलीक़े से रूठा हुआ है यार मेरा "
.
वो बदगुमाँ है जो, कमज़र्फ़ मुझको…
Added by दिनेश कुमार on June 9, 2015 at 2:21pm — 20 Comments
Added by दिनेश कुमार on June 2, 2015 at 11:30pm — 18 Comments
Added by दिनेश कुमार on May 17, 2015 at 9:34pm — 22 Comments
Added by दिनेश कुमार on April 21, 2015 at 8:30pm — 24 Comments
Added by दिनेश कुमार on April 14, 2015 at 10:39am — 22 Comments
Added by दिनेश कुमार on April 6, 2015 at 8:20am — 23 Comments
Added by दिनेश कुमार on March 24, 2015 at 8:03pm — 9 Comments
Added by दिनेश कुमार on March 22, 2015 at 8:00pm — 23 Comments
Added by दिनेश कुमार on March 19, 2015 at 5:00pm — 16 Comments
Added by दिनेश कुमार on March 15, 2015 at 3:59pm — 12 Comments
Added by दिनेश कुमार on March 15, 2015 at 1:19pm — 10 Comments
Added by दिनेश कुमार on March 5, 2015 at 10:00am — 2 Comments
सब कुछ न आज आदमी किस्मत पे छोड़ तू
दरिया की तेज धार को हिम्मत से मोड़ तू
इस जिन्दगी की राह में दुश्वारियाँ बहुत
रहबर का हाथ छोड़ न रिश्तों को तोड़ तू
मेहनत के दम पे आदमी क्या कुछ नहीं करे
अपने लहू का आखिरी कतरा निचोड़ तू
जो कुछ है तेरे पास वही काम आएगा
बारिश की आस में कभी मटकी न फोड़ तू
मन की खुशी मिलेगी, तू यह नेक काम कर
टूटे हुए दिलों को किसी तर्ह जोड़ तू
दो गज कफन ही अंत में सबका नसीब है
अब छोड़ भी 'दिनेश'…
Added by दिनेश कुमार on March 1, 2015 at 1:00am — 12 Comments
Added by दिनेश कुमार on February 23, 2015 at 6:30am — 17 Comments
Added by दिनेश कुमार on February 22, 2015 at 12:30pm — 11 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |