For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,998)

नवगीत: अपना हर पल है हिन्दीमय... --संजीव वर्मा 'सलिल'

नवगीत:

संजीव 'सलिल'

*

*

अपना हर पल

है हिन्दीमय

एक दिवस

क्या खाक मनाएँ?



बोलें-लिखें

नित्य अंग्रेजी

जो वे

एक दिवस जय गाएँ...



*



निज भाषा को

कहते पिछडी.

पर भाषा

उन्नत बतलाते.



घरवाली से

आँख फेरकर

देख पडोसन को

ललचाते.



ऐसों की

जमात में बोलो,

हम कैसे

शामिल हो जाएँ?...



हिंदी है

दासों की बोली,

अंग्रेजी शासक

की… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on September 15, 2010 at 7:54am — 3 Comments

हिन्दी दिवस

आज हिन्दी दिवस है . लेकिन क्या हम सही मायने में हिन्दी को वो सम्मान दे पा रहे है जो चाहिये, आज हिन्दी केवल कहने मात्र की राष्ट्र भाषा रह गई है | आज के युग में जहाँ हर तरफ पश्चिमी सभ्यता का चलन है इसलिये हमे हिन्दी का अस्तित्व बचाने के लिए बहुत प्रयास करना होगा तभी हिन्दी की गरिमा बच सकेगी और हिन्दी सही मायने में भारत की राष्ट्र भाषा बन सकेगी |
जय हिंद |

Added by Pooja Singh on September 14, 2010 at 5:30pm — 2 Comments

देश की खातिर जान देते हैं हम हिन्दुस्तानी ,

कल की बाते हुई पुरानी ये तो दुनिया मानी ,

देश की खातिर जान देते हैं हम हिन्दुस्तानी ,

आलग थलग हम बटे हुए थे छोटे छोटे राजो में ,

दम थी अपनी अपनी अलग अलग आवाजो में ,

मगर न थी एकता जो सब हमपे की मनमानी ,

देश की खातिर जान देते हैं हम हिन्दुस्तानी ,



समझ में आई बीत चूका आये मुंगल और अंग्रेज ,

त्राहिमाम हम कर रहे थे भूलने लगे मतभेद ,

अलग अलग जो हम बटे थे आये एक धारा में ,

पूरा हिदुस्तान हमारा बुलंदी आई इस नारा में ,

मर मिटने पर तैयार हुई एक टोली… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 14, 2010 at 3:41pm — 5 Comments

::::: हिंदी दिवस (क्या इस दिवस का नाम लेने भर की भी हैसियत है हमारी ?) :::: ©

::::: हिंदी दिवस :::::

::::: (क्या इस दिवस का नाम लेने भर की भी हैसियत है हमारी ?) :::: ©



हिंदी हिंदी हिंदी !!!

► . . . आज सभी इस शब्द केपीछे पड़े हैं, जैसे शब्द न हुआ तरक्की पाने अथवा नाम कमाने का वायस हो गया l खुद के बच्चे अंग्रेजी स्कूल में चाहेंगे और शोर ऐसा कि बिना हिंदी के जान निकल जाने वाली है l अरे मेरे बंधु यह दोगलापन किसलिए ? स्वयं को धोखा किस प्रकार दे लेते हैं हम ? किसी से बात करते समय खुद को अगर ऊँचे… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 14, 2010 at 1:30pm — 9 Comments

दो शब्द हिन्दी दिवस पर...

दो शब्द हिन्दी दिवस पर: 14 सितम्बर की बधाई



हिम तुल्य शितल, न्याय तुल्य निश्चल, दीप तुल्य उज्जवल

तीन अक्षर का संगम हिन्दी! सुबोध भाव अति निर्मल



अभिन्न भेष-भुषा सस्ंकृति से मान बढ़े लोकप्रियता का

केवल नागरिकता नहीं उचित परिचय राष्ट्रीयता का

भारतीयता का पूर्णतः प्रतीक हिन्दी बोल विशिष्ट विमल



वर्णित भारतीय सविंधान में है प्रस्तावना का प्रालेख

स्वीकृति सम्पूर्ण भारत में हो हिन्दी नियमित उल्लेख

कारण कई उत्तमता का लिपि सहज सरस सरल



गगन… Continue

Added by Subodh kumar on September 14, 2010 at 7:00am — 4 Comments

तीन पद: संजीव 'सलिल'

तीन पद:

संजीव 'सलिल'

*

धर्म की, कर्म की भूमि है भारत,

नेह निबाहिबो हिरदै को भात है.

रंगी तिरंगी पताका मनोहर-

फर-फर अम्बर में फहरात है.

चाँदी सी चमचम रेवा है करधन,

शीश मुकुट नगराज सुहात है.

पाँव पखारे 'सलिल' रत्नाकर,

रवि, ससि, तारे, शोभा बढ़ात है..

*

नीम बिराजी हैं माता भवानी,

बंसी लै कान्हा कदम्ब की छैयां.

संकर बेल के पत्र बिराजे,

तुलसी में सालिगराम रमैया.

सदा सुहागन अँगना की सोभा-

चम्पा, चमेली, जुही में… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on September 13, 2010 at 11:33pm — 3 Comments

तुम्हें नरसिंह बनना होगा

तुम मुझे जो भी कह लो

सुन लूंगा चुपचाप

चाहे मुझे तुम

पाखंडी /देशद्रोही /बलात्कारी

व्यवस्थाओ को तोड़ने वाला

या फिर उग्रवादी विचारों वाला कह लो

तुम जानते हो /इन बातों से

मैं तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता ॥





भला , सिर्फ विचारों के प्रहार से

क्या बिगड़ेगा तुम्हारा

जरा ,..एक चोर को चोर कह कर देखो

कुरूरता के भयानक पंजे

चीथड़े -चीथड़े कर देगी तुम्हें

अरे ..छोड़ो ....

सच का सामना कितने लोग करते है ॥



जानता हूँ… Continue

Added by baban pandey on September 13, 2010 at 10:45pm — 5 Comments

देखो ना यार मेरा दिल खो गया ,

देखो ना यार मेरा दिल खो गया ,

प्यार प्यार प्यार प्यार प्यारहो गया ,

आखो में मेरे ओ आके बसे हैं ,

ना जाने क्यू ये मन यु झूमे हैं ,

लगता हैं ये दिल उनका हो गया ,

प्यार प्यार प्यार प्यार प्यारहो गया ,



उनके ही संग ये दिल चलना चाहे ,

उनकी ही राह देखे ये मेरी बाहे ,

ओ आये तो मौसम सुहाना ,

खुसबू से दिल हो जाये दीवाना ,

जानू ना यार मुझे क्या हो गया ,

प्यार प्यार प्यार प्यार प्यारहो गया ,



उनके ही चाहत में जियेंगे मरेंगे ,

उनके… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 13, 2010 at 8:30pm — 3 Comments

इंसानियत का फ़र्ज़

इंसानियत का फ़र्ज़



डेंगू का कहर देखकर

बेचारे मच्छर भी शरमा गए

अपनें तो पीछे हट गए

बेचारे मच्छर मदद को आ गए

कहनें लगे ना घबराना

हम इंसानियत का फ़र्ज़ निभाएँगे

आपके अपनें तो धोखा दे गए

हम ब्लड डोनेशन को ज़रूर आएँगे

अपना खून देकर भी

हम आपको ज़रूर बचाएँगे

जितना आपसे चूसा था

उससे दुगुना देकर जाएंगे

अपनी तो मज़बूरी थी

ना पीते तो कैसे जीते

लेकिन आपकी खातिर हम

बिन पिए मर जाएंगे

लेकिन आपके अपनों की तरह

पीठ… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 13, 2010 at 2:56pm — 1 Comment

पैरोडी :भाई मीडिया तो सच ही दिखात है !

पैरोडी



सखी सैयां तो खूब ही कमात है,महंगाई डायन खाए जात है की धुन पर आधारित



भाई मीडिया तो सच ही दिखात है

शीला जलत भुनत जात है

हत्थनी कुण्ड करे बँटाधार है

बरसात कहर ढाए जात है

भाई मीडिया तो सच -----

सारी दिल्ली है बेहाल

आई फ्लू ,डेंगू की है मार

डाक्टर हो रहे मालामाल

कॉमनवेल्थ सुसरी सर पे सवार है

बरसात कहर ढाए जा-------

भाई मीडिया तो सच ही-----

जहाँ भी देखो जाम ही जाम

सड़कों पर भी चल रही नाव

दिल्ली का जीवन… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 13, 2010 at 2:30pm — 3 Comments

एक शायर की अभिलाषा !!

आग हूँ कुछ पल दहक जाने की मोहलत चाहता हूँ ,



दर्द को पीकर बहक जाने की मोहलत चाहता हूँ.





फिर बिखर जाऊँगा एक दिन पिछले मौसम की तरह ,



फूल हूँ कुछ पल महक जाने की मोहलत चाहता हूँ,





पहले कीलें ठोकिये पहनाईए काँटों का ताज ,



फिर मैं सूली पर लटक जाने की मोहलत चाहता हूँ.





आपकी इन बूढ़ी आँखों का सहारा बन सकूं ,



इसलिए बाबा शहर जाने की मोहलत चाहता हूँ.





कतरा कतरा चूसकर हर शख्स मीठा हो गया… Continue

Added by Abhinav Arun on September 12, 2010 at 10:38pm — 14 Comments

मेरी चाहत

इस तरह से तेरी मुहब्बत दिल में समाई है

यूं जिन्दगी मेरी है पर तेरी लगे परछाई है



चाहे शमा की रोशनी चाहे नूर आफताब की

बगैर तेरे हरसू ता़रीकी हर जगह सियाही है



दौलत शोहरत आगोश में रहे सियासत दुनिया का

जब तुं नहीं दिल में हर मोड़ पर तन्हाई है



तुझे यकीं हो न शायद है दिल को एहसास मगर

बदले करवट मेरे जज़्बात जब लेती तुं अंगराई है



धड़कन तेरे दम से है बरकरार सांस सीने में

वजूद मेरी निशां तेरी उल्फत की खुदनुमाई है



और क्या कहे शरद… Continue

Added by Subodh kumar on September 12, 2010 at 9:30pm — 2 Comments

bewafai

उनकी यादो से हमने दोस्ती कर ली,
उसकी परछाई से मोहब्बत कर ली,
उन्होंने बेवफा समजा तो क्या गम है,
बेवफाई से भी हमने वफ़ा कर ली.

Added by rohit kumar sahu on September 12, 2010 at 6:16pm — 2 Comments

ये जानता हूँ मैं

ये जानता हूँ मैं कि जिंदगी में जिंदगी मिलती नहीं है कभी,

पर फिर भी जिंदगी भर जिंदगी को तलाश रहा हूँ मैं ,



ये जनता हूँ मैं कि वो आसंमा से उतरी परी है,

फिर भी आदमी हो कर उसे छु लेना चाहता हूँ मैं,



ये जानता हूँ मैं कि इजहारे मुहब्बत एक तूफ़ान है ,

पर फिर भी इस तूफ़ान से गुजर जाना चाहता हूँ मैं,





ये जनता हूँ मैं इस जहां से तनहा ही जाऊंगा मैं,

पर फिर भी हर लम्हा उसे याद करता हूँ मैं,



ये जानता हूँ मैं कि उस से लब्ज दो लब्ज भी कह नहीं… Continue

Added by vinay sharma on September 11, 2010 at 2:30pm — 3 Comments

भजन : एकदन्त गजवदन विनायक ..... संजीव 'सलिल'

भजन :



एकदन्त गजवदन विनायक .....



संजीव 'सलिल'

*

*

एकदन्त गजवदन विनायक, वन्दन बारम्बार.

तिमिर हरो प्रभु!, दो उजास शुभ, विनय करो स्वीकार..

*

प्रभु गणेश की करो आरती, भक्ति सहित गुण गाओ रे!

रिद्धि-सिद्धि का पूजनकर, जन-जीवन सफल बनाओ रे!...

*

प्रभु गणपति हैं विघ्न-विनाशक,

बुद्धिप्रदाता शुभ फलदायक.

कंकर को शंकर कर देते-

वर देते जो जिसके लायक.

भक्ति-शक्ति वर, मुक्ति-युक्ति-पथ-पर पग धर तर जाओ रे!...

प्रभु गणेश की… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on September 11, 2010 at 9:09am — 2 Comments

“महँगाई महारानी”

यह ब्लॉग लिखकर मैने इन महाकवियो के महा कुंभ मे सिर्फ़ एक डुबकी लगाने की कोशिस की है.





यह एक ऐसी महारानी है जिनका नाम शायद ही किसी के मधुर वाणी का मोहताज हो.मतलब सॉफ है की द्देश् के हर मध्यम और निम्न वर्ग के लोग के मुह से अक्सर ही इनका नाम निकल ही जाती है, आख़िर महारानी जो है, भाई पूरे देश पर राज करती है यह महारानी.

पहले तो इनकी चर्चाए या नाम चुनाव के समय ही सुनने को मिलते थे, पर आजकल तो… Continue

Added by Ratnesh Raman Pathak on September 10, 2010 at 6:30pm — 3 Comments

क़दम

क़दम


उन्ही के कदमों में जा गिरा ज़माना है
इश्क़-ओ-मुहब्बत का जिनके पास ख़ज़ाना है
वफ़ा की सूली पे जो हँसता हुआ चढ़ जाए
नाम-ए-बेवफ़ाई से बिल्कुल जो अंजाना है
ईद और दीवाली में जो फ़र्क़ नहीं करता
अल्ला और राम को एक जिसने माना है
आसां नहीं है जीना ऐसे जनू वालों का
शॅमा की मुहब्बत में हँसकर जल जाते परवाने हैं
'दीपक कुल्लवीउन सबको करता है सलाम
इंसानियत का बोझ जो हंसकर उठाते हैं


दीपक शर्मा कुल्लवी
09136211486

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 10, 2010 at 4:25pm — 2 Comments

गरीब के आंसू

कहते हैं
बड़ा दम होता है
गरीब की आंखों से
निकलने वाले आंसुओ में ॥
भष्म कर देते है
पत्थरो से बने महलों को ॥

ठीक उसी तरह
जैसे नदी का बहता
शीतल -कोमल जल
बालू कर देती है
तोड़ -तोड़ कर
पत्थरो को॥

Added by baban pandey on September 10, 2010 at 10:00am — 3 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service