For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डॉ. अनुराग सैनी's Blog – September 2013 Archive (12)

किसी सफ़र से कम नहीं है मेरी जिंदगी ----------------

किसी सफ़र से कम नहीं है मेरी जिंदगी !

कुछ पल ठहरी , और फिर चल दी!

ना राहो का पता , ना मंजिल की खबर !

भटक रहा हूँ कभी इस डगर, कभी उस डगर !

कभी सर्दी की ठिठुरन , कभी गर्म लू के थपेड़े !

कभी खुशियों की आहट , कभी गम के घेरे !

कभी बारिश का मौसम , कभी दिन के उजाले !

कभी विष के घूंट , कभी मय के प्याले !

ना कोई हमराह , ना कोई संगी साथी !

मगर बढ़ते कदम ये है की रुकते नहीं है !

मीलों चल चुके है मगर थकते नहीं है !

ना है कोई…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on September 30, 2013 at 4:38pm — 7 Comments

मेरी एक आरजू !-------------कविता

आरजू है माँ कि फिर लौट आऊँ तेरे आँचल की छाँव में !

उन बचपन की गलियों में , उस बचपन के गाँव में !

वो तेरी ममता के साए , वो रातो की लौरी !

वो गय्यियो का माखन , वो दूध की कटोरी !

वो बचपन के संगी साथी , वो गाँव के गलियारे !

लगते थे मुझको स्वर्ग से भी प्यारे !

वो राजा रानी के किस्से , परियो की कहानी !

याद है मुझको आज भी जबानी !

अमृत सा रस लिए वो तेरे हाथो का निवाला !

वो गर्मी का मौसम , वो सर्दी का पाला !

अपने सीने से…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on September 29, 2013 at 3:00pm — 5 Comments

हौंसला चाहिए ...........................

हौंसला चाहिए जहाँ में मोहब्बत पाने के लिए !

मोहब्बत जताने के लिए , मोहब्बत निभाने के लिए !

रुश्वायियाँ मिला नही करती खैरात में !

इज्ज़त से भी खेलना पड़ता है , इन्हें पाने के लिए !

बहुत मशहूर है शराबी अपने हाल पर !

हस्ती भी मिट जाती है , ये शोहरत पाने के लिए !

दिल का हाल कभी उस बाजारू नारी से पूछो !

मजबूर होती है जो बाज़ार में बिक जाने के लिए !

बस्ती मिटाने वालो पलभर को तो जरा सोच लो !

जवानी बुढापे में बदल जाती है एक आशियाँ बनाने…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on September 27, 2013 at 10:13pm — 6 Comments

निगाहें फेर लो .........

निगाहें फेर लो , कि पल भर सुकून मेरे तडपते दिल को मिले !

तेरी नजरों की तपिस मुझसे सही नही जाती !

 

मेरी  बेवफाई को हो रहा है शोर जमाने में , की तू भी मुझे बेवफा कहे !

बात सच है मगर लबों पर तेरे  नहीं आती ! 

 

होकर बेसुध सोये थे कभी तेरे बांहों के घेरो में, अब ना तु बांहे फैला !

ये सच है की गुजरी घडी कभी लौटकर नही आती ! 

 

सुना है कि गमजदा है तु बीते पलो की ख्वाईस में, कि अब उनको भुला दे !

मुझे तो पल भर के लिए भी याद तेरी…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on September 25, 2013 at 6:30pm — 4 Comments

भोर हो चुकी है

मन की अंतर्वेदना , कहीं बह ना जाए आंसुओ में !

बहुत टुटा हूँ ,समेट लो बाजुओं में !

अपमान के ना जाने कितने घूंट पी चूका !

पर प्यासा हूँ , डूब जाने दो आँखों में !

घना होता जाता है ये अन्धकार क्यों ?

एक दिया तो उम्मीद का जलाओ रातो में !

तिरस्कार किया गया , हिकारत से देखा गया !

ना जाने कैसा भाग्य है मेरे इन हाथो में !

लौट जाओ कि अब रंगीन जवानी गुजर चुकी !

हासिल होगा क्या  अब इन मुलाकातों में…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on September 24, 2013 at 5:00pm — 9 Comments

खिलखिला के आई जवानी ..............कविता

कामनाओ ने ली अंगडाई

होने लगी रुत मस्तानी,

बचपन बिता जागी उमंगें

खिलखिला के आई जवानी |…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on September 23, 2013 at 5:48pm — 6 Comments

बुरा लगता है

तुम से न हो अगर बात तो बुरा लगता है,

तुम से न हो अगर मुलाकात तो बुरा लगता है!

तुमसे मिलने की तारीखें तो तय कर लूँ,

मगर हो जाये फिर बरसात तो बुरा लगता है!

हर पल है चाह तेरी हर पल तेरी ही आरजू है,

तेरे दीदार की दिल में कोई जुस्तजू जगी है,

न समझो तुम मेरे  जज्बात तो बुरा लगता है!

सदियों से चाह है तेरे दीदार की,

अब तो हद हो गयी मेरे इंतज़ार की,

ये दिन तो बीत जाते है सदियों से लम्बे,

मगर…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on September 13, 2013 at 10:16pm — 8 Comments

आग की एक चिंगारी

आग की एक चिंगारी

सियासत के तूफानी थपेड़े झेल ,

फैली मीलो एक चिंगारी,

मिटाने को आतुर ,

निगल लेने को सबकुछ,

अंतर न अपने का ना पराये का ,

ना जातिवाद कोई ना ही कोई धरम ,

मुंह खोल आगे को बढ़ी आती ,

ना देखती दोष किसी का ,

न निर्दोष की चिंता ,

ना कोई लालच न कोई गम ,

चिरनिंद्रा में सुलाने को आतुर ,

एक छोटी सी चिंगारी ,

ये दोष है हम सबका ,

या नियति का लिखा ,

एक भूल है हम सबकी ,

जो इसके शिशु…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on September 13, 2013 at 4:30pm — 4 Comments

मौन

मौन !

ये कैसा मौन ?

अन्तर्मन में ,

कुछ टूटता सा ,

सुनाई देती जिसकी गूंज देर तक !

हर घटना पर छोड़ जाता कई यक्ष प्रशन !

आँखों में ये कैसा मौन ?

लबो पे ये कैसा मौन ?

दिल में बरछी की तरह गड़ता ,

तीर की तरह चुभता ये मौन ,

ये गवाह है एक बड़े विनाश का !

और जवाब है खुद ही अबूझ सवालों का ,

दिल की हर भावना से जुड़ा ,

मन के किसी कोने में पला ,

पल पल गहराता जाता,

ये कैसा अबूझ मौन ?

जो पहेली बन…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on September 12, 2013 at 4:30pm — 6 Comments

यादें

यादें

भूली बिसरी यादें ,

कुछ मिट गयी कुछ है अमिट,

एक पल मिल जाये तो संजो लूँ इन्हें ,

कुछ खुबसूरत

कुछ दर्द छेडती,

लबो पे मुस्कान सजाती यादें ,

जख्मो को उघाडती यादें ,

मन के किसी कोने में बसी यादें ,

जिंदगी का इम्तिहान बनी यादें ,

एक पल मिल जाए तो संजो लूँ इन्हें ,

कुछ में उभरता उसका अक्स ,

कुछ कोहरे सी छाई होशोहवास पे ,

खुद में खुशियाँ अपार लिए ,

कुछ गमो का एक संसार लिए ,

धुंधली सी…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on September 11, 2013 at 8:08pm — 5 Comments

उसको भुलाऊं कैसे ?

गरूर से उठा ये सर मैं झुकाऊ कैसे ?

अपनी यादों से उसके साए मिटाऊं कैसे ?

गुजरा है जिंदगी का हर पल उसी के पहलूँ में !

उसकी साँसों की महक को मैं  भुलाऊं कैसे ?

शिकवा रहा है उसको मेरे न मनाने का यारो ,

मालुम नही ये फन मुझे उसको ये बताऊँ कैसे ?

बड़ा बेगैरत होकर निकला हूँ उसके कूंचे से मैं ,

फिर उससे मिलने उसी दर पे मैं जाऊं कैसे ?

दिलके अरमानो की किश्ती तो  तूफ़ान में बह गयी ,

अब टूटी पतवार को साहिल पे लाऊं कैसे ?

दिल तडपता है…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on September 10, 2013 at 5:09pm — 5 Comments

तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए

दिल की धड़कन को कुछ तो आराम हो जाए,

मेरे दिल की वादियों में तेरी जिंदगी की शाम हो जाए,

न हो हासिल कुछ भी अगर  इस मोहब्बत में मुझे ,

तो खुदा करे की तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए!

वक़्त भर ही देगा वो जख्म जो मिले है मुझे तेरी चाहत में ,

बर्बाद ही हो गया हूँ मैं तेरी झूठी मोहब्बत में ,

इससे ज्यादा और मिलना भी क्या था इस उल्फत में ,

सजदे किये थे मैंने तेरे लिए खुदा की इबादत में ,

वक़्त की आँधियों में तू कहीं गुमनाम हो जाए…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on September 10, 2013 at 4:00pm — 7 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service