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हिंदी उदभवभारत के संविधान के अनुच्छेद 343 (i) के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी भारत संघ की राजभाषा है । यह लिपि संस्कृत के…Continue
Started Jul 24, 2011
दूर है चाँद बंदगी हो क्या
दिल की बस्ती में रौशनी हो क्या
और के ख्वाब को न आने दिये
ख्वाब में ऐसी नौकरी हो क्या
मुड़के देखा हमें न जाते हुये
तल्ख़ इससे भी बेरुखी हो क्या
…
ContinuePosted on March 31, 2014 at 6:00pm — 16 Comments
अपने हाथों के लकीरों को बदल जाऊंगा
यूँ लगा है की सितारों पे टहल जाऊंगा ll
जर्रे-जर्रे में इनायत है खुदाया अब तो
तू है दिल में बसा मैं खुद में ही ढल जाऊंगा ll
रो लिया चुपके जरा हस लिया हमनें ऐसे
ज़ख्म तो दिल के दबाकर मैं बहल जाऊंगा ll
प्यार में गम है मिला दिल हो गया ये घायल
ठोकरें खा के मुहब्बत में संभल जाऊंगा ll
है कशिश तीरे नज़र टकरा गयी हमसे जो
इक छुवन से ही जरा उसके मचल जाऊंगा ll
तू खुदा, बंदा मैं हूँ , हाथ जो सर पे रख…
Posted on February 13, 2014 at 5:30pm — 8 Comments
2122 2122 1222 12
चल दिया है छोड़, क्या जुल्म ये काफी नहीं
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अब हमारी याद भी क्यूँ तुम्हें आती नहीं
चल दिया है छोड़,क्या जुल्म ये काफी नहीं //१//
तू हमारे दिल बसा , इसमें है कैसी खता
हो गया हमसे जुदा याद क्यूँ जाती नहीं //२//
वो हवायें वो फिजायें बुलाती हैं तुम्हें
आ तो जाओ फिर कोई बात यूँ भाती नहीं //३//
मुडके भी देखा नहीं तुम गये जाने…
ContinuePosted on December 8, 2013 at 9:30pm — 7 Comments
2212/2212/2122/212
दिल में तुम्हारे है जो मुझको बताना प्यार से
यूँ भूल कर हमको भला क्या मिला संसार से
यूँ जानकर रुसवा किया आज महफ़िल में भला
जो तोड़कर नाता चले क्यूँ भला इस पार से
चुप सी है धड़कन मेरी अब दिल भी है खामोश तो
घायल हुआ दिल मेरा खंज़र चुभा किस धार से
नादान हूँ मैं या कि अहसान उनका है जरा
वो रोक देते हैं मुझे शर्त कि दीवार से
वो प्यार के मंजर हमें आज भी भूले नहीं
दिल भी…
ContinuePosted on October 22, 2013 at 9:30pm — 22 Comments
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Comment Wall (15 comments)
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अतेन्द्र कुमार जी धन्यवाद रचना पढ्ने एवम टिप्पणी के लिये. वो स्त्री रस्ते मे नईहर है अतः मिलने जाने के लिये कह रही है ! वहां पहुंचाने के लिये नही ! पति के साथ कुछ समय नईहर मे बिताना सुखद लगता है. ! दामाद की भी आवभगत होने से उन्हे भी अच्छा लगता है ! बस इसी भाव से मैने लिखा है.
जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
आपकी रचना को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना चुने जाने पर बधाई|
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
नाटिका ’शौक’ को विगत माह की सर्वश्रेष्ठ रचना चयनित होने पर अतेन्द्रजी को मेरी हार्दिक बधाई. ..
आदरणीया अतेन्द्र कुमार सिंह "रवि" जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना शौक (झलकी) को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है |
इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे,धन्यवाद,
आपका
एडमिन
ओपन बुक्स ऑनलाइन
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
आपको मेरी बधाइयाँ.
परन्तु, मुझे उक्त रचना को लेकर आपके इस व्यक्तिगत संदेश का अर्थ समझ में नहीं आया. आप इन पंक्तियों को वहीं चस्पाँ कर दें, बेहतर होगा.
दूसरे, आपका ध्यान आपकी रचना के प्रस्तुतिकरण ढंग में हुए परिवर्तन पर गया होगा. इस पर मनन करें और नाटिका शैली तथा प्रस्तुतिकरण की गुणवत्ता में आवश्यक सुधार करने का प्रयास करें. देखिये नाटिका के प्रस्तुतिकरण के क्रम में और क्या-क्या परिवर्तन हुए दीखते हैं.
धन्यवाद.
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
शुक्रिया अतेन्द्र जी ग़ज़ल आपको पसंद आयी आभारी हूँ !!
अतेंद्र जी, इतनी सुंदर तरीके से शुभकामना देने के लिये आपको लाखों धन्यबाद.
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