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चौपाल:सार्वजानिक घटनाएँ और हमारा आचरणज्योति सिंह पांडे (छद्म नाम दामिनी) प्रकरण के साथ प्रेस, नागरिकों, नेताओं और पुलिस के असंयमित आचरण की कई बानगियाँ सामने आईं। हर चैनेल ने तथ्य पर चटपटेपन से परोसने…Continue
Tags: sanjiv, 'salil', conduct, social, charcha
Started Jan 9, 2013
चर्चा: अखबारों और दूरदर्शनी खबरियों का दायित्व कवरेज में जनता के असभ्य व्यवहार को कवरेज देकर भीड़ को उकसाया है। लाइव कवरेज के नाम पर अधिकांश टीवी चैनलों में संपादकीय नीति अनुपस्थित थी। मसलन् सरकारी…Continue
Tags: dayitv, ka, mediya, charcha
Started this discussion. Last reply by sanjiv verma 'salil' Dec 30, 2012.
विचार-विमर्श नारी प्रताड़ना का दंड?संजीव 'सलिल'*दिल्ली ही नहीं अन्यत्र भी भारत हो या अन्य विकसित, विकासशील या पिछड़े देश, भाषा-भूषा, धर्म, मजहब, आर्थिक स्तर, शैक्षणिक स्तर, वैज्ञानिक उन्नति या अवनति…Continue
Tags: sanjiv, 'salil', utpeedan, naree, vinarsh
Started this discussion. Last reply by sanjiv verma 'salil' Dec 26, 2012.
रोचक चर्चा : कौन परिंदा?, कौन परिंदी??... -विजय कौशल, संजीव 'सलिल' * * कौन परिंदा?, कौन परिंदी? मेरे मन में उठा सवाल.किससे पूछूं?, कौन बताये? सबने दिया प्रश्न यह टाल..मदद करी तस्वीर ने मेरी,बिन बूझे…Continue
Started this discussion. Last reply by Kavita Verma Oct 30, 2011.
दोहा मुक्तिका:
नेह निनादित नर्मदा
संजीव 'सलिल'
*
नेह निनादित नर्मदा, नवल निरंतर धार.
भवसागर से मुक्ति हित, प्रवहित धरा-सिंगार..
नर्तित 'सलिल'-तरंग में, बिम्बित मोहक नार.
खिलखिल हँस हर ताप हर, हर को रही पुकार..
विधि-हरि-हर तट पर करें, तप- हों भव के पार.
नाग असुर नर सुर करें, मैया की जयकार..
सघन वनों के पर्ण हैं, अनगिन बन्दनवार.
जल-थल-नभचर कर रहे, विनय करो उद्धार..
ऊषा-संध्या का दिया, तुमने रूप निखार.
तीर…
Posted on February 27, 2013 at 6:30am — 26 Comments
लघुकथा: बड़ा
*
बरसों की नौकरी के बाद पदोन्नति मिली.
अधिकारी की कुर्सी पर बैठक मैं खुद को सहकर्मियों से ऊँचा मानकर डांट-डपटकर ठीक से काम करने की नसीहत दे घर आया. देखा नन्ही बिटिया कुर्सी पर खड़ी होकर ताली बजाकर कह रही है 'देखो, मैं सबसे अधिक बड़ी हो गयी.'
जमीन पर बैठे सभी बड़े उसे देख हँस रहे हैं. मुझे कार्यालय में सहकर्मियों के चेहरों की मुस्कराहट याद आई और तना हुआ सिर झुक गया.
*****
Posted on February 20, 2013 at 6:30pm — 5 Comments
सामयिक लघुकथा:
ढपोरशंख '
*
कल राहुल के पिता उसके जन्म के बाद घर छोड़कर सन्यासी हो गए थे, बहुत तप किया और बुद्ध बने. राहुल की माँ ने उसे बहुत अरमानों से पाला-पोसा बड़ा किया पर इतिहास में कहीं राहुल का कोई योगदान नहीं दीखता.
आज राहुल के किशोर होते ही उसके पिता आतंकवादियों द्वारा मारे गए. राहुल की माँ ने उसे…
Posted on February 17, 2013 at 10:00am — 16 Comments
*
कुछ प्रश्नों का कोई भी औचित्य नहीं होता यह सच है.
फिर भी समय-यक्ष प्रश्नों से प्राण-पांडवी रहा बेधता...
*
ढाई आखर की पोथी से हमने संग-संग पाठ पढ़े हैं.
शंकाओं के चक्रव्यूह भेदे, विश्वासी किले गढ़े है..
मिलन-क्षणों में मन-मंदिर में एक-दूसरे को पाया है.
मुक्त भाव से निजता तजकर, प्रेम-पन्थ को अपनाया है..
ज्यों की त्यों हो कर्म चदरिया मर्म धर्म का इतना जाना-
दूर किया अंतर से अंतर, भुला पावना-देना सच है..
कुछ प्रश्नों का कोई भी औचित्य…
Posted on February 16, 2013 at 7:30pm — 10 Comments
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Comment Wall (41 comments)
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bhai sanjiv verma "salil" ji ,
Namasty,
aapki rachnayen dekhi - pasand aayi
badhai ho,
delhi ke prof. kuldip salil, (English professor, Hans Raj College, Delhi University) bhi bahut bare shayar hain, aap bhi salil hain, shayad aap un se parichit hoen.
kabhi dlehi aap ayen to avashay milen,
-om sapra, delhi-9
09818180932
आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!
सलिल जी इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति एवं हौसला बढ़ाने के लिए आपको नमस्कार के साथ धन्यवाद
आदरणीय संजीव वर्मा 'सलिल' सर, आपको सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ......
चंदा मामा आओ न,
तारे भी संग लाओ ना।
गिल्ली-डंडा कल खेलें-
आज पतंग उड़ाओ ना।।
आदरणीय श्री सलिल जी आपके "शिशु गीत " को माह की श्रेष्ठ रचना का पुरस्कार प्रदान किये जाने पर हार्दिक बधाई !!
आदरणीय श्री सलिल जी आपके "शिशु गीत " को माह की श्रेष्ठ रचना का पुरस्कार प्रदान किये जाने पर हार्दिक बधाई !! आपकी हर कृति हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है सादर नमन आपका !!
आदरणीय संजीव सर, सर्वश्रेष्ठ रचना चुने जाने की हार्दिक बधाई स्वीकारें
आदरणीय संजीव सर , सादर नमस्कार ..
"महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना पुरस्कार" से सम्मानित होने के लिए आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं/
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh said…
आदरणीय संजीव जी,
सादर प्रणाम!
शिशु गीत सलिला को माह नवम्बर की सर्वश्रेष्ठ कृति का सम्मान मिलने पर आपको हार्दिक बधाई.
आपकी तो हर रचना सुन्दर भाव अभिव्यक्ति लिए पढने में आनंद देने वाली होती है
और फिर शिशु गीत सलिला से तो बल साहित्य और समरद्ध हुआ है, यह प्रबंधक
मंडल के निर्णय से और पुष्ट हो गया । मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारे भाई संजीव वर्मा 'सलिल' जी
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
आदरणीय श्री संजीव वर्मा "सलिल" जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना "शिशु गीत सलिला १" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना पुरस्कार के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको पुरस्कार राशि रु ५५१/- और प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस नामित कृपया आप अपना नाम (चेक / ड्राफ्ट निर्गत हेतु), तथा पत्राचार का पता व् फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
आदरणीय आचार्यवर, आपके सहर्ष और उदार अनुमोदन पर हृदय से धन्यवाद.
आपने ’अपरूप’ की वैज्ञानिक परिभाषा उद्धृत कर मेरे कहे को स्वर और मेरी टिप्पणी-रचना को मान दिया है. इसी तथ्य को में संकेतों में कह चुका था. किन्तु, इशारे तो किन्हीं और के लिये मान्य हुआ करते हैं.
ब्रह्मसृष्टि का सार समाहित, सम्मुख विष्णु अलौकिक माया.
गीत आपका सरस्वती सा, इसमें जीवन सिंधु समाया..
निर्मल तन मन ज्ञान गंग से, प्रेषित करता हृदय बधाई-
स्वीकारें यह काव्य सुमन प्रभु, रूप आपका यह मन भाया..
खेतों में अब छंद उगेंगें, प्रखर शिल्प की धूप खिली है
आसों की चिड़िया का कलरव, सुनकर गहरी नींद खुली है..
janamdin mubarak ho sir ji
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
प्रणाम
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