Added by Veerendra Jain on January 13, 2011 at 11:30am — 13 Comments
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 13, 2011 at 10:52am — 4 Comments
Added by Bhasker Agrawal on January 13, 2011 at 9:56am — 5 Comments
अक्सर…
ContinueAdded by आशीष यादव on January 13, 2011 at 9:36am — 11 Comments
वो कौन है,
अतीत जैसा पास है,
या कि मेरा आज है,
व आगे का एहसास है|
मैं फंसा इन उलझनों में, सोचता,
वो कौन है|
जो गा सकूँ वो गान है,
कि मिला सकूँ वो तान है,
या कि मेरा सम्मान है|
ये सुलझ जाए पहेली, जान लूँ,
वो कौन है|
मधुरव भरा वो साज है,
या कि नवोढ़ा लाज है,
मेरे लिए क्यूँ राज है?
एक रूप सदिश बने तब, कह सकूँ,
वो कौन है|
गुल है वो कि बाग़…
ContinueAdded by आशीष यादव on January 13, 2011 at 9:32am — 14 Comments
फैज़ अहमद फैज़ की जन्मशती वर्ष के अवसर पर
भारतीय उपमहाद्वीप में इस साल फैज़ अहमद फैज़ की जन्मशती का जश्न चल रहा है। पाकिस्तान की सरजमीं के इस शानदार शायर को वस्तुतः संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप का शायर माना जाता है। फैज़ अहमद फैज़ की शायरी मंत्रमुग्ध करने वाली शायरी मानी जाती है। इसका अहम् कारण रहा कि फै़ज़ ने साहित्य और समाज की खातिर जीवनपर्यन्त कठोर तपस्या अंजाम दी। जिंदगी भर समाज के गरीब मजलूमों के लिए समर्पित रहने वाले फै़ज़ ने बेवजह शेर कहने की कोशिश कदाचित नहीं की। उनके कविता…
Added by prabhat kumar roy on January 13, 2011 at 7:30am — 3 Comments
फिर एक किनारा......? Copyright ©
फिर एक किनारा......?
इस ओर से उस ओर को जाने वाला एक खिवैया..
दो किनारों के बीच आवाजाही ही तो है जो समझ नहीं आती है..
रेत पर मेरे स्वागत को तत्पर..
बलुआ मिटटी और सीपियों से बनी तुम्हारी रंगोली..
मेरे आने से पहले ही बड़ी लहर उसे निगल…
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on January 12, 2011 at 11:32pm — 2 Comments
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on January 12, 2011 at 5:04pm — No Comments
Added by विवेक मिश्र on January 12, 2011 at 4:30pm — 10 Comments
Added by shalini kaushik on January 12, 2011 at 12:30pm — 2 Comments
कभी तो मेरी बेकरारी को देख लो
कहीं वक्त बीत न जाये नज़रें चुराने में
सहन होती है तन्हाई जिन्हें और गम नहीं जुदाई का
ऐसे दिलफेंक आशिक कहाँ मिलते हैं ज़माने में
मेरी नामोजूदगी को मेरी बेवफाई न समझना
नज़र आएगी मेरी चाहत मेरे बहाने में
रो कर लिपट जाती हो तुम…
ContinueAdded by Bhasker Agrawal on January 12, 2011 at 12:11pm — 3 Comments
Added by shikha kaushik on January 12, 2011 at 11:00am — 1 Comment
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on January 12, 2011 at 10:30am — 1 Comment
Added by Lata R.Ojha on January 11, 2011 at 11:30pm — 2 Comments
Added by rajkumar sahu on January 11, 2011 at 5:30pm — No Comments
लेख :-जाना बालेश्वर का
प्रख्यात लोक गायक बालेश्वर यादव का दिनांक ०९ जनवरी २०११ को लखनऊ में निधन हो गया | धन्य हो कुछ खबरिया चैनेलों का और अखबारों का जो उनके प्रशंसक इस समाचार वाकिफ हो सके | अन्यथा आज भोजपुरी संस्कृति जिस बाजारवाद की शिकार है उसमें इन पारंपरिक लोकगायकों को लोग भूल गये हैं | बालेश्वर १९४२ में मऊ जनपद में जन्में मुझे याद है मेरा गांव में गुज़रा बचपन जहां उनका 'निक लागे टिकुलिया…
ContinueAdded by Abhinav Arun on January 11, 2011 at 7:58am — 3 Comments
Added by Rash Bihari Ravi on January 10, 2011 at 3:00pm — No Comments
Added by Abhinav Arun on January 10, 2011 at 3:00pm — No Comments
फिर भी आँख है सूनी.. Copyright ©
फिर भी आँख है सूनी..
उस राह को तकते हुए..
जो जाती है सीधे तेरे दर पे..
तुमने कहा मैं भूल गया आना..
कहा तुमने मैं भूल गया तुमको..
सुना मैंने भी कुछ ऐसा ही था कि मैं..
पर तुम क्या जानो क्या बीती है मुझ पर..
सारा जमाना क्या , हम…
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on January 10, 2011 at 11:00am — No Comments
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