1222 1222 1222 122
ग़मों की दिन-ब-दिन क़िस्मत सँवरती जा रही है
उदासी इस क़दर मुझमें उतरती जा रही है
अभी तो वक़्त है पतझर के आने में,हवा क्यों
चली ऐसी कि मन वीरान करती जा रही है
बहारों ने चमन लूटा मगर बाद-ए-सबा ये
खिज़ाओं पे हरिक इलज़ाम धरती जा रही है
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 19, 2021 at 10:30am — 14 Comments
2122 1212 22
देख कर मुस्कुराना शर्माना
इश्क़ समझे न कोई दीवाना
है कयामत हर इक अदा इनकी
जुल्फ़ें बिखराना हो या झटकाना
सिर्फ़ आता है इन हसीनों को
दिल चुराना चुरा के ले जाना
क्यों किसी का यूँ दिल जलाते हो
क्यों बनाते हो यूँ ही दीवाना
कितना मुश्किल है चाहतों में सनम
पास रहकर भी दूर हो जाना
बेक़रारी में आहें भरता है
जी न पाता है कोई दीवाना
साल हा साल लम्हा…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 16, 2021 at 9:00pm — 11 Comments
२२१/२१२१/१२२१/२१२
चाहे कमाया खूब हो धन आपने जनाब
लेेेकिन ज़मीर करके दमन आपने जनाब।१।
*
तारीफ पायी नित्य हो दरवार में भले
मुजरा बना दिया है सुखन आपने जनाब।२।
*
ये सिर्फ सैरगाह रहा हम को है पता
माना नहीं वतन को वतन आपने जनाब।३।
*
उँगली उठायी नित्य ही औरों के काम पर
देखा न किन्त खुद का पतन आपने जनाब।४।
*
देखो लगे हैं लोग ये घर अपना फूँकने
ऐसी लगायी मन में अगन आपने जनाब।५।
*…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 16, 2021 at 8:30am — 9 Comments
2122 1212 22
आँख में भरके आब बैठा है।
खिड़की पे माहताब बैठा है।
**
रातभर वाट्सऐप पे है लड़ा
नोजपिन पे इताब बैठा है।
**
सुर्ख़ आँखें अफ़ीम हों गोया
पलकों को ऐसे दाब बैठा है।
**
यूँ ग़ुलाबी सी शॉल है ओढ़े
जैसे कोई गुलाब बैठा है।
**
धूप में खिल रही हैं पंखुरियाँ
खुश्बू में लिपटा ख़्वाब बैठा है।
**
सुब्ह से पढ़ रहा हूँ मैं उसको'
और वो लेके किताब बैठा…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 15, 2021 at 10:32pm — 16 Comments
रहते यारों संग थे, मस्ती में हम डूब
बचपन में होता रहा, गप्प सड़ाका खूब
गप्प सड़ाका खूब, नहीं चिंता थी कल की
आह! मगर वह नाथ' ज़िन्दगी थी दो पल की
आया अब यह दौर, जवानी जिसको कहते
अपने में ही मस्त, जहाँ हम सब हैं रहते
ऑफिस में गप मारना, बहुत बुरी है बात
देख लिया यदि बॉस ने, बिगड़ेंगे हालात
बिगड़ेंगे हालात, मिले टेंशन पर टेंशन
घट जाए सम्मान, कटे वेतन औ' पेंशन
भभके उल्टी आग, बन्द थी जो माचिस में
हर…
Added by नाथ सोनांचली on March 15, 2021 at 5:16am — 4 Comments
1212 1122 1212 22
निहाँ दिलों में यहां कितने राज़ गहरे हैं,
कि चश्म-ए-तर पे तबस्सुम के देखो पहरे हैं।
मिलो किसी से अगर फासला ज़रा रखना,
यहां मुखौटे लगाए हज़ार चहरे हैं।
ये इंतिजार हमें है सुने वो ख़ामोशी,
मगर ये इल्म नहीं था वो दिल से बहरे हैंl
ग़ज़ब का हौसला है देख मेरी आंखों का,
कि इनमें आज भी सपने कई सुनहरे है।
तुम्हारी याद जो महफ़िल में दफ़अतन आई,
इसी सबब से मेरे बहते अश्क ठहरे…
ContinueAdded by Pratibha Sharma on March 13, 2021 at 11:30am — 7 Comments
221--1221--1221--122
1
कैसे न सनम मचलें'गे जज़्बात हमारे
महफ़िल में अगर गाएंगे नग़्मात हमारे
2
दुनिया का वतीरा भी निभा सकते हैं लेकिन
इन सबसे अलहदा हैं ख़यालात हमारे
3
ईमान की बाज़ार में कीमत नहीं कुछ भी
किस तर्ह से फिर सुधरेंगे हालात हमारे
4
जल जल के बुझी जाती है उम्मीदों की शम्मा
दम तोड़ते हैं साथ सवालात हमारे
5
माज़ी को सिरहाने तले रख सोचते हैं हम
क्यों एक से रहते नहीं दिन रात…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 13, 2021 at 9:00am — 8 Comments
2212 - 1221 - 2212 - 12
जो दर्द रूह का है ज़बाँ पर न आयेगा
शिकवा भी कोई सुनने यहाँ पर न आयेगा
उसका पयाम ये है कि आयेगा 'दफ़्न' पर
ली थी क़सम जो उसने यहाँ पर न आयेगा
वो साथ मेरे यूँ तो रहा है तमाम उम्र
सुनता है मेरी आह-ओ-फ़ुग़ाँ, पर न आयेगा
जलकर ये ख़ाक़ हो भी चुका है वजूद अब
तुमको नज़र ज़रा भी धुआँ पर न आयेगा
नज़रों के रास्ते जो उतर दिल में करले घर
अब तीर ऐसा कोई कमाँ पर न…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 13, 2021 at 12:09am — 2 Comments
22 22 22 22 22 22 22
तुझसे मिलकर हम जो रो लेते तो अच्छा होता..
जख्मी दिल को नमक से धो लेते तो अच्छा होता।
हम अपने सर को रखकर कुछ पल तेरे दामन में..
कतरा कतरा आँसू बो लेते तो अच्छा होता।
सहरा सहरा दरिया दरिया पर्वत पर्वत वन वन..
पल भर खुद को खुद से खो लेते तो अच्छा होता।
हर पल है जब आंखों में तेरे सपनों का जगना.
कोई दिन हम तुझमें सो लेते तो अच्छा होता।
जब अपनों के हो न सके,तेरा होना हो न सका …
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 12, 2021 at 8:00am — 4 Comments
2122 - 1122 - 22/112
इक जहाँ और बसाओ तो चलें
फिर मुझे अपना बनाओ तो चलें
उम्र भर साथ निबाहो तो चलें
फ़ासिले दिल के मिटाओ तो चलें
चन्द क़दमों की रिफ़ाक़त क्या है
हर क़दम साथ बढ़ाओ तो चलें
ज़िन्दगी हम ने गवाँ दी यूँ ही
हासिल-ए-इश्क़ बताओ तो चलें
जितने पर्दे हैं उठा दो न सनम
राज़ उल्फ़त के सुनाओ तो चलें
ज़िन्दगी ! ऐसी भी क्या उजलत…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 12, 2021 at 12:13am — 4 Comments
Added by Sushil Sarna on March 11, 2021 at 8:00pm — 10 Comments
221 - 1222 - 221 - 1222
हम जिनकी मुहब्बत में दिन रात तड़पते हैं
होते ही ख़फ़ा हमसे दुश्मन से जा मिलते हैं
गुलशन में तेरे हर दिन नए ग़ुंचे चटकते हैं
गिर जाते हैं कुछ पत्ते कुछ फूल महकते हैं
माली है तू हम सबका हम भी हैं तेरी बुलबुल
हमको ये शरफ़ हासिल हम यूँ ही चहकते हैं
आँखों में मुहब्बत भर देखा जो हमें तुम ने
छाया है सुरूर ऐसा हम ख़ुद ही बहकते हैं
कुछ ऐसी तपिश तेरे पैकर की हुई…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 11, 2021 at 3:53pm — 8 Comments
2122 1212 22
बे सबब हाव-हू सी रहती है
दाँव पर आबरू सी रहती है
इश्क़ जब भी किसी से होता है
इक अजब जुस्तजू सी रहती है
लम्हा दर लम्हा दिल मचलता है
हर पहर आरज़ू सी रहती है
यूँ लगे की हर एक चहरे पर
सूरत इक हू-ब-हू सी रहती है
मन भटकता है वन हिरन बनकर
खुशबु इक रू-ब-रू सी रहती है
ख़ुद से ही अब वो बात करता है
दिल में इक गुफ़्तगू सी रहती है
जलके सब ख़ाक हो…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 11, 2021 at 1:00pm — 7 Comments
तात के हिस्से में कोना आ गया
चाँद को भी सुन के रोना आ गया।१।
*
नींद सुनते हैं उसी की उड़ गयी
भाग्य में जिसके भी सोना आ गया।२।
*
खेत लेकर इक इमारत कर खड़ी
कह रहा वो बीज बोना आ गया।३।
*
डालकर थोड़ा रसायन ही सही
उसको आँखें तो भिगोना आ गया।४।
*
पा गये जगभर की खुशियाँ लोग वो
एक दिल जिनको भी…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2021 at 5:00pm — 12 Comments
221 2122 221 2122
1
दरिया है आँसुओं का कूचे में बेवफ़ा के
जाना वहाँ से यारा दामन ज़रा बचा के
2
इक बात ये बता दे मेरे हसीन क़ातिल
लेता है जान कैसे तू यार मुस्कुरा के
3
पूछेगी इक न इक दिन तुमसे भी ज़िन्दगानी
हासिल हुआ तुम्हें क्या ईमान को गँवा के
4
उल्फ़त की वादियों से रूठे रहेंगे कब तक
देखें तो आप इक दिन दिल इनसे भी लगा के
5
पूछा है आसमाँ से कल रात छत पे आ कर
जीता है किस तरह वो…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 10, 2021 at 1:30pm — 12 Comments
२२१/ २१२१/१२२१/२१२
पत्थर ने दी हैं रोज नजाकत को गालियाँ
जैसे नशेड़ी देता है औरत को गालियाँ।१।
*
भाती हैं सब को आज ये चतुराइयाँ बहुत
यूँ ही न मिल रही हैं शराफ़त को गालियाँ।२।
*
ये दौर नफरतों को फला इसलिए जनाब
देते हैं सारे लोग मुहब्बत को गालियाँ।३।
*
दूल्हे को बेच सोचते खुशियाँ खरीद लीं
देता न कोई ऐसी तिजारत…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 9, 2021 at 5:30am — 8 Comments
मुखरता से हो रहा बदलाव..... और बदल रही तस्वीर...!
विश्व की अन्य महिलाओं की तरह भारत की महिलाओं को आजादी से जीने और अधिकारों का उपयोग कर सर्वांगीण विकास करने के लिए संघर्ष नही करना पड़ा।समय के साथ सकारात्मक बदलाव भी हुये।पुरूषवर्चस्व क्षेत्रों में अपना उपस्थिति दर्ज कराके अपनी आजादी की नई ईबारत लिखती हौसले बुलंद महिलाओं ने देश-विदेश में अपनी सफलता, उपलब्धियों का परचम फहराया। अपने संघर्ष, मेहनत,जज्बा,जुनून से हर सीमाओं को लांघकर कामयाबी हासिल कर नई ऊंचाईयां छूकर प्रेरणा…
Added by babitagupta on March 8, 2021 at 12:30pm — 3 Comments
किसे सुनाऊँ अपनी पीड़ा, किसको मैं समझाऊँ
सब पत्थर के देव यहाँ हैं, किस से सर टकराऊँ
युग कोई भी यहाँ रहा हो, सबने हमें ठगा है
माँ ममता की मूरत कहकर, देता रहा दगा है
कल जैसी ही आज हमारी, वैसी भाग्य निशानी
जुड़ी उसी से सुन लो यारा, अपनी एक कहानी
शादी के दस साल हुए थे, पर ना गोद भरी थी
बाँझ न रह जाऊँ जीवन भर, इससे बहुत डरी थी
देख किसी बच्चे को सोचूँ, झट से गले लगा लूँ
छाती का मैं दूध पिलाकर, अपनी …
Added by नाथ सोनांचली on March 7, 2021 at 8:14pm — 6 Comments
अरकान- 2122 1212 22
सिर्फ़ इतना हुनर जो पा जाते
काश हम भी किसी के हो पाते
क्यों तुम्हें इतनी जल्दी रहती है
मेरी सुनते कुछ अपनी फ़रमाते
हर किसी से अदब से मिलते हो
अच्छा होता जो थोड़ा इतराते
चारा गर ही हमारा रूठा है
हम किसे ज़ख़्म अपने दिखलाते
फ़िर कहाँ कोई दिल में यूँ चुभता
गर जो रिश्ता सभी से तोड़ आते
चाहतों में भी यूँ तो दीवाने
जी ही पाते हैं की न मर…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 7, 2021 at 1:30pm — 4 Comments
बच्चे सरायों में नहीं
घरों में पलते हैं
व्यक्तित्व आया से नहीं
माँओं से बनते हैं
कितनी जल्दी लोग
पाला बदल लेते हैं
आज गँठजोड़ किसी से
कल,किसी और से कर लेते हैं
क्या कहें वक्त के सफ़र को हम
जहाँ निजता की चाह होती है
एक ही घर के बन्द कमरों में
अब,मोबाइल से बात होती है
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on March 6, 2021 at 1:25am — 8 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
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