ग़मगीन
तक़दीर ही अपनी ऐसी थी
अपने हिस्से में गम निकले
जब भी कोशिश की हँसने की
आँख से आँसू बह निकले
अतीत नें पीछा छोड़ा न
न अपनों नें ही जीने दिया
खुदा से अब तो यही दुआ है
हँसते हँसते ही दम निकले
दीपक…
ContinueAdded by Deepak Sharma Kuluvi on July 7, 2012 at 1:01pm — 3 Comments
ज़रा सी बात बोलो तो बताना हैं बना लेते,
उठा - गिरा कर पलकें फ़साना हैं बना लेते,
कहानी रच लेते हैं, जुबां से लम्बी चौड़ी वो,
पत्थरों को ज़रा छूकर, खज़ाना हैं बना लेते,
निगाहें रूठ जाएँ तो, बस्तियां लुट जाती हैं,
अपने आगे पीछे इक, जमाना हैं बना लेते,
यादों के बीते पल जब - जब जाग जाते हैं,
मेरी सारी खुशियों का हर्जाना हैं बना लेते.....
Added by अरुन 'अनन्त' on July 7, 2012 at 12:00pm — No Comments
इस बार बारिशें देर से हुई है। हुई भी तो क्या न खेत खलिहान भीगे, न डबडबाया बड़ा बाला ताल । उमगती रह गई घाघरा इधर से उधर। न नानी का कवनों टोटका काम आया न नंग-धरंग बच्चों का अनुष्ठान । कभी उत्तर से तो कभी दक्षिण से, कभी पूरब से तो कभी पश्चिम से रह-रहके एक ही आवाज आती रही ‘‘काल-कलौती-पीयर-धोती मेघा सारे पानी दे’’। बच्चों के अनुरोध पर पानी तो दिया इंद्र भगवान ने मगर मूत के बराबर । कायदे से न ढोर-डांगर भीगे न ताल-तलैया । चारो तरफ बस कीचड़ हीं कीचड़ । जिस तरह से बादर उमड़ घुमड़ आये थे, लग रहा था झम के…
ContinueAdded by Ravindra Prabhat on July 7, 2012 at 11:26am — 5 Comments
Added by प्रवीण कुमार श्रीवास्तव on July 6, 2012 at 11:25pm — 2 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on July 6, 2012 at 8:40pm — 5 Comments
समाधान चाहिए
बढ़ती हुई समस्याओं का, समाधान चाहिए,
इंसान के अवतार में, फिर भगवान चाहिए,
मुश्किलों से घिरी हुई है,अपनी जन्म-भूमि,
अब एक जुझारू योद्धा,बड़ा बलवान चाहिए,
बैठे हैं भ्रष्ठाचारी, हर मोड़ हर कदम पर,
अब इनकी खातिर,एक नया शमशान…
Added by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2012 at 5:30pm — No Comments
रात आई
काली चुनरी ओढ़ के
नीले व्योम को ढँक लिया
घुप्प अँधेरा,
सन्नाटे बातें करते हैं
हवाओं से
दूर से आती हैं कुछ आवाजें
डरावनी सी भयानक सी
कानों में खुसफुसाती…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 6, 2012 at 3:30pm — 5 Comments
रात के तेवर जब - जब बदले नज़र आये,
तेरी यादों के मौसम बड़े उबले नज़र आये,
तसल्ली दे रहे हैं, हालात मुझे लेकिन,
आँखों से सारे मंजर दुबले नज़र आये,
भभकते अश्कों को कोई साथ न मिला,
न रुके और न…
ContinueAdded by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2012 at 12:44pm — 8 Comments
ख्वाब आँखों के कोई भी मुकम्मल हो नहीं पाए,
खाकर ठोकर यूँ गिरे फिर उठकर चल नहीं पाए,
खिलाफत कर नहीं पाए बंधे रिश्ते कुछ ऐसे थे,
सवालों के किसी मुद्दे का कोई हल नहीं पाए,
बड़े उलटे सीधे थे, गढ़े रिवाज तेरे शहर के,
लाख कोशिशों के बावजूद हम उनमे ढल नहीं…
Added by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2012 at 12:09pm — 6 Comments
नीर भरी थी
विष्णुपदी निर्मल
Added by sangeeta swarup on July 6, 2012 at 10:45am — 4 Comments
दोहा सलिला:
संजीव 'सलिल'
*
कथ्य, भाव, रस, शिल्प, लय, साधें कवि गुणवान.
कम न अधिक कोई तनिक, मिल कविता की जान..
*
मेघदूत के पत्र को, सके न अब तक बाँच.
पानी रहा न आँख में, किससे बोलें साँच..
ऋतुओं का आनंद लें, बाकी नहीं शऊर.
भवनों में घुस कोसते. मौसम को भरपूर..
पावस ठंडी ग्रीष्म के. फूट गये हैं भाग.
मनुज सिकोड़े नाक-भौं, कहीं नहीं अनुराग..
मन भाये हेमंत जब, प्यारा लगे बसंत.
मिले शिशिर से जो गले,…
Added by sanjiv verma 'salil' on July 6, 2012 at 10:20am — 5 Comments
Added by Neelam Upadhyaya on July 6, 2012 at 10:00am — 6 Comments
Added by प्रवीण कुमार श्रीवास्तव on July 6, 2012 at 7:49am — 7 Comments
जो आदमी ज़मीं से जुड़ा रह नहीं सका।
वो ज़ोर आंधियों का कभी सह नहीं सका॥
हिकमत1 से चोटियों पे पहुँच तो गया…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 5, 2012 at 11:30pm — 7 Comments
मासूम सी एक सूरत,
बन गई वो मेरी जरुरत,
होता है कुछ देखकर उसे,
क्या कहू वो है कितनी खूबसूरत....
........
अब सब कुछ फ़साना एक लगता है,
उसका दूर जाना भी, पास आना लगता है,
सोचा न था, एक दौर ऐसा आएगा,
जब ये दिल, किसी को चाहेगा,
फिर भी चुप रहेगी ये जुबाँ, ऐसी कोशिस है,
आँखों से समझे वो प्यार, ये साजिस है,
अब समझाना है उसको इन आँखों की भाषा,
वो होगी मेरे रूबरू,है इस दिल को आशा,
पा लेंगे उसको खुदपर विस्वास है,
मिलेगी वो, क्योकि वो…
Added by Pradeep Kumar Kesarwani on July 5, 2012 at 11:30pm — 3 Comments
भैय्या मोरे मैन हीं दलाली खायो ...भैय्या मोरे मै नहीं दलाली खायो
ये पार्टी और वो पार्टी मिलकर ...म्हारे मुख लपटायो ..
रे भैय्या मोरे मैनहीं दलाली खायो
देश को ऊंचो नाम करन को
भाइयो के पेट भरण को
कामन वेल्थ करवायो .. रे भैय्या मोरे मैन हीं घपलों करवायो
उनकी गाड़ी पेट्रोल पियत है
म्हारी तो मुफ्त मा चलत है
म्हारी बहु ने पुत्र वधु कह कर
ठेकों मैंने दिलवायो .....पर भैय्या मोरे मै नहीं दलाली खायो
जब जब जरुरत उनको पड़ी…
ContinueAdded by UMASHANKER MISHRA on July 5, 2012 at 10:25pm — 7 Comments
जिनके लिए हमने दिल औ जान लुटाई .
Added by Rekha Joshi on July 5, 2012 at 8:30pm — 14 Comments
(१)
मोहब्बतों से विनती
मोहब्बतों से विनती दिलों से निवेदन,
नहीं दिल्लगी में मिले, कोई साधन,
नाजुक बहुत हैं ये रिश्तों के धागे,
नहीं फिर जुड़ेगा, जो टूटा ये बंधन,
संभालेंगे कैसे लडखडाये कदम जब,
फ़िसलेंगे हाथों से अपनों के दामन,
पनप नहीं पाते ज़ज्बात फिर दिलो में,
सूना हो गया जो निगाहों का आँगन,
आँखों का बाँध छूटा तो कैसे बंधेगा,
अश्को से हो जायेगी इतनी अनबन,
(२)
मैं तो…
ContinueAdded by अरुन 'अनन्त' on July 5, 2012 at 1:30pm — No Comments
हो गयी चाँद को हैरानी, सागर हुआ है प्यासा,
निगाहों ने मेरी खातिर ऐसा चेहरा है तलाशा,
उजड़े हुए चमन में फिर से फूल खिल गया हो,
मेरे रब ने, जैसे खुद किसी, हीरे को हो तराशा,
यारों दिन में भी हो जाए अंधेरों का इजाफा,
उसकी सूरत जो न दिखे तो बढ जाती है निराशा,
ये पहाड़ सी जिंदगानी चुटकी में गुजर जाए,
तेरा साथ जो मिले, मुझको राहों में जरा सा,
तू ही दिल की आरजू, तू ही प्यार की परिभाषा,
तूफाँ में बुझ रहे चरागों की तू है आशा.......
Added by अरुन 'अनन्त' on July 5, 2012 at 1:00pm — No Comments
बिखरे हुए पन्ने किताबों के आगे,
जिंदगी रुक गयी हिसाबों के आगे,
सवालों के पीछे सवालों के तांते,
उलझी जवानी जवाबों के आगे,
जीने में जद्दोजहद हो गयी है,
सुधरे हुए हारे खराबों के आगे,
कोई चोट देकर कोई चोट खाकर,
सब लेटे पड़े हैं शराबों के आगे,
आँखों में सजाये जिसे बैठे सभी हैं,
मंजिल नहीं है उन ख्वाबों के आगे.......
-------------------------------------------------------
Added by अरुन 'अनन्त' on July 5, 2012 at 12:00pm — 5 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |