कृष्ण तुमने छल किया है.
छलिया हो तुम
सारी दुनिया को काम पर लगा दिया
कह कर ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते’.
फ़ल की आशा किससे न करे?
तुमसे?
चलो, तुम तो सखा हो
मीत को सताना तुम्हारा हक है.
प्रेम भी तो करते हो.
पर तुम्हारे जो ये कारिन्दें है न,
जीना मुश्किल कर दिया है.
हक मांगने जाओ, तो तुम्हारी बात दुहराते हैं.
अब, तुम तो आओगे नही
हमसे काम लेने.
वैसे तुम्हारा काम तो मै बिना दाम भी कर देता.
तुम…
ContinueAdded by विजय कुमार अग्रहरि 'आलोक' on September 9, 2016 at 8:30pm — 2 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 9, 2016 at 7:33pm — 7 Comments
हे! सर्जक
मिट्टी,बालू,ईंट,पत्थर
जोड़ते, तुम्हारे हाथ
सड़क,पुल,बाँध बनाते-
तेरे हाथ
बड़े-बड़े फ्लैट-
मकान, होटल,
सुख-सुविधा
और ऐशो-आराम
जुटाते, तेरे हाथ
रिक्त-के-रिक्त०
बड़े और बड़े हो रहे
तुम और छोटे
गयी है तो सिर्फ प्रथा
बुर्जुआ सोच नहीं॰
तुम ठगे जाते हो-
नीतिगत प्रबंधन मे-
सड़े राशन और
खैराती अस्पतालों से
और तुम्हारा सम्मान
किया जाता है-
‘मजदूर दिवस’ मना कर०
मौलिक एवं…
Added by PARITOSH KUMAR PIYUSH on September 9, 2016 at 7:30am — 1 Comment
Added by Sheikh Shahzad Usmani on September 9, 2016 at 5:31am — 2 Comments
बह्र : २१२२ २१२२ २१२२ २१२
धूप से लड़ते हुए यदि मर कभी जाता है वो
रात रो देते हैं बच्चे और जी जाता है वो
आपको जो नर्क लगता, स्वर्ग के मालिक, सुनें
बस वहीं पाने को थोड़ी सी खुशी जाता है वो
जिन की रग रग में बहे उसके पसीने का नमक
आज कल देने उन्हीं को खून भी जाता है वो
वो मरे दिनभर दिहाड़ी के लिए, तू ऐश कर
पास रख अपना ख़ुदा ऐ मौलवी, जाता है वो
खौलते कीड़ों की चीखें कर रहीं पागल उसे
बालने…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 9, 2016 at 12:07am — No Comments
दोहे (एक प्रयास )
-.-
नैनन में ममता लिए,होंठों पर मुस्कान।
भिड़ जाए सन्सार से , जातक पे कुर्बान।।
-.-
अञ्चल में माँ सींचती,अमृत का भण्डार।
ऋषि हो चाहे देवता ,सीस झुकाते द्वार।।
-.-
संघर्षों से डरू नहीं ,माँ तुम हो जो पास ।
अंधेरे जब बढ़ गए,पाई तुमसे आस ।।
-.-
माता तुम जो बोलती, वहि मेरा है कर्म।
पाया भाव यहि तुमसे , जीवित रखना धर्म।।
-.-
कान्हा हो सुत रूप में ,चाहे हो बलराम।
मात यसोदा रूप है, नित्ये करो प्रणाम…
Added by अलका 'कृष्णांशी' on September 8, 2016 at 3:30pm — 7 Comments
Added by amod shrivastav (bindouri) on September 7, 2016 at 11:09pm — 5 Comments
तेरी ईंटें, न पत्थर हो के लौटें
1222 1222 122
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ये रिश्ते भी न बदतर होके लौटें
तेरी ईंटें, न पत्थर हो के लौटें
ये चट्टानें , न ऐसा हो कि इक दिन
मैं टकराऊँ तो कंकर हो के लौटें
इसी उम्मीद में कूदा भँवर में
मेरे ये डर शनावर हो के लौंटें
बनायें ख़िड़कियाँ दीवार में जब
दुआ करना, कि वो दर हों के लौटें
दिवारो दर, ज़रा सी छत औ ख़िड़की
मै छोड़ आया कि वो घर…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on September 7, 2016 at 9:15am — 29 Comments
बहर : २ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
आई जब तू जिन्दगी हँसने लगी
तू मेरे हर सपने में रहने लगी |
धीरे धीरे तेरी चाहत बढ़ गई
देखा तू भी प्रेम में झुकने लगी |
जिन्दगी का रंग परिवर्तन हुआ
प्रेम धारा जान में बहने लगी |
राह चलते हम गए मंजिल दिखा
फिर भी जीना जिन्दगी गिनने लगी |
देखिये शादी के इस बाज़ार में
हाट में दुल्हन यहाँ बिकने लगी |
शमअ बिन तो तम…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on September 7, 2016 at 7:30am — 8 Comments
Added by Pushpendra pushp on September 7, 2016 at 6:13am — 3 Comments
बिना तेरे हर एक लम्हा मुझे दुशवार है जानाँ
अगर ये प्यार है जानाँ, तो मुझको प्यार है जानाँ
हसीं चेहरे बहुत देखे फ़िदा होना भी मुमकिन था
फ़िदा हो कर फ़ना होना ये पहली बार है जानाँ
हमें कहना नहीं आया ,और समझा भी नहीं तुमने
मेरा हर लफ़्ज़ तुमसे प्यार का इज़हार है …
Added by saalim sheikh on September 7, 2016 at 5:30am — 3 Comments
Added by amod shrivastav (bindouri) on September 7, 2016 at 1:49am — 5 Comments
Added by amod shrivastav (bindouri) on September 7, 2016 at 1:30am — 7 Comments
"मैं संजू से शादी कर रही हूँ और हम लोग चेन्नई शिफ्ट कर रहे हैं", घर में घुसते ही उसने माँ से कह दिया| बैग को टेबल पर रखकर उसने फ्रिज से पानी की बोतल निकाली और पीने लगी, माँ उसे देखे जा रही थी|
"लेकिन चेन्नई शिफ्ट करने की क्या जरुरत है, मुझे तो कोई ऐतराज नहीं है तुम लोगों की शादी से", माँ ने पूछा|
"दर असल उसको एक बढ़िया जॉब मिल गयी है चेन्नई में और मैंने भी अपने ट्रांसफर की अर्जी लगा दी है", उसने सोफे पर बैठते हुए कहा|
"तो अब तुम उसके हिसाब से चलोगी, ख़त्म हो गयी सब बराबरी की…
Added by विनय कुमार on September 6, 2016 at 7:33pm — 12 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on September 6, 2016 at 4:00pm — 14 Comments
"सारी व्यवस्था आपको ही करना है। लोगों को बुलाना और कार्यक्रम का उद्देश्य को सफलता से प्रस्तुत करना है।"
"जी, लेकिन मैं अकेले कैसे कर पाऊँगी?"
" अकेले कहाँ हैं आप! मैं पीछे से समस्त इंतजाम कर दूँगा , पैसों की चिंता बिलकुल मत करना । बैनर आपका पैसा हमारा, अब सिर्फ हमारे लिये काम करेंगी आप ।"
वह चुप हो इत्मीनान से सुनती रही।जिंदगी अपना नया दाँव चल रही थी।
" अरे मैडम , हम आपको भी पेमेंट करेंगे।"
" मुझे " पे " करेंगे यानि मेरी कीमत देंगे ?"
"जी हाँ, आप अपना समय दे रही…
Added by kanta roy on September 6, 2016 at 2:30pm — 3 Comments
घुर्र्र घुर्र.. फट. फट..फट..फट ... “या अल्लाह आग लगे इसकी फटफटिया को मरदूद कहीं का जब देखो हमें फूँकने के लिए घर के सामने ही फट फट करता रहता है इसे दूसरे के सिर दर्द की क्या परवाह ” |
“बस करो.. बस करो.. बेगम, क्यूँ बिला बजह कोसती रहती हो, आग लगे.. आग लगे.. हरदम यही बददुआ देती रहती हो खुदा से डरो मोटरसाइकिल है तो आवाज तो करेगी ही”|
“बस बस!! तुम तो चुप ही रहो तुम्हें कुछ समझ नही आता| अब्बाजान को भी कितनी तकलीफ होती है ये तेज आवाज सुनकर मालूम है ” |
“किसी को…
ContinueAdded by rajesh kumari on September 6, 2016 at 11:31am — 29 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on September 5, 2016 at 11:45pm — 10 Comments
2221 21122 2222
गालों पर है रंग गुलाबी तौबा तौबा ।
मतवाली की चाल शराबी तौबा तौबा ।।
कातिल शम्मा रात जला कर लूटे हस्ती।
नयी अदा में बात नबाबी तौबा तौबा ।।
अंदाजों से हुस्न बयां वो आधा है अब ।
हुई हया से आँख हिजाबी तौबा तौबा ।।
खंजर दिल पे मार गई है हक से यारों ।
पढ़ती है वो रोज तराबी तौबा तौबा ।।
खैरातों में इश्क बटा कब उस के दर पे ।
निकली वह भी खूब हिसाबी तौबा तौबा ।।
अंगड़ाई न ले तू खुले दरीचों से अब…
Added by Naveen Mani Tripathi on September 5, 2016 at 9:30pm — 8 Comments
2122 2122 2122 212
एक दीये का अकेले रात भर का जागना..
सोचिये तो धर्म क्या है ?.. बाख़बर का जागना !
सत्य है, दायित्व पालन और मज़बूरी के बीच
फ़र्क़ करता है सदा, अंतिम प्रहर का जागना !
फ़िक्रमन्दों से सुना, ये उल्लुओं का दौर है
क्यों न फिर हम देख ही लें ’रात्रिचर’ का जागना ।
राष्ट्र की अवधारणा को शक्ति देता कौन है ?
सरहदों पर क्लिष्ट पल में इक निडर का जागना !
क्या कहें, बाज़ार तय करने लगा है ग़िफ़्ट भी
दिख रहा…
Added by Saurabh Pandey on September 5, 2016 at 1:30pm — 22 Comments
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