नूतन बर्ष
आओ करें अमृत मंथन
जीवन के संघर्ष मे
दिल मे कुछ संकल्प ले
इस नूतन वर्ष में
सोचें सदा वतन हित में
देशभक्ति हो मन चित में
परस्पर सदभाव हो
विकाश से लगाव हो
देश को खुशहाल बनाएँ
भ्रष्टाचार दूर भगाएँ
खुशियों से भरा हो दामन
फिंजा देश की हो मनभावन
प्रगतिशील बढ़ चले कारवाँ
निकृष्ट से उत्कर्ष में
कल्याणकारी बयार बहे
इस नूतन बर्ष में
Dr.Ajay Khare Aahat
Added by Dr.Ajay Khare on December 28, 2012 at 12:29pm — 4 Comments
फुसलाने निकले
हम जिनको समझाने निकले
वो हमसे भी सयाने निकले
अनजाना समझा था जिनको
सब जाने पहचाने निकले
चेहरों पर लेकर खुशी
दर्द को छिपाने निकले
जिनको हमदम मान लिया था
दुश्मन वही पुराने निकले
जब पीने की दिल मे ठानी
बंद सभी मयखाने निकले
स्वांग ग़रीबी का करते थे
उनके घर तहख़ाने निकले
अब चुनाव जब सर पे आया
तो लोंगो को फुसलाने निकले
Dr. Ajay Khare Aahat
Added by Dr.Ajay Khare on December 24, 2012 at 12:00pm — 11 Comments
सब बिकाऊ हे
बाज़ार में आज सब बिक रहा है
होता हे कुछ और कुछ दिख रहा है
दाम हो तो बोली लगाओ चाँद की
आसमान भी शर्म से अब झुक रहा है
बाज़ार में आज--------------
ईमान बिक रहा हे जमीर बिक रहा है
मजहव के नाम पर दाँव फिक रहा है
सम्मान की तो सरेआम होती नीलामी
सदभाव बहा देती सम्प्रदायिकता की सुनामी
बाजारू दलाल फलफूल रहा है
बाज़ार में आज-----------
बदन बिक रहा हे सदन बिक रहा है
लोकतंत्र की नई परिभाषा लिख रहा…
Added by Dr.Ajay Khare on December 19, 2012 at 12:00pm — 2 Comments
बदलती दुनियां
आज कितनी बदल रही दुनियां
गिर के संभल रही दुनियां
अपनों से दिल की दूरियां बनाकर
गेरो के संग बहल रही दुनियां
चुराकर अपनी ऑखो से हकीकत
भरम के साथ पल रही दुनियां
प्यार की राहों से मुह मोड़कर
साथ नफरत के चल रही दुनिया
जलाकर झूठी आशाओं के चिराग
रौशनी को मचल रही दुनियां
डॉ अजय आहत
Added by Dr.Ajay Khare on December 18, 2012 at 12:45pm — 2 Comments
पड़ोसी
वर्मा, हो शर्मा, हो सिंह, हो या जोशी
किस्मत से मिलते हे, सज्जन पड़ोसी
पड़ोसी भले हो, ये किस्मत का खेल
नहीं तो घर भी, लगता हे जेल
पड़ोसी से न करें कोई शरम
कुछ ऐसे निभाएं पड़ोसी धरम
पडोसी की सब्र से करें समीक्षा
समय समय पर लेते रहे. अग्नि परीक्षा
पड़ोसी के घर के सामने पार्क करे गाड़ी
बक्त बेबक्त उसे करते रहे काडी
समय असमय उसकी घंटी बजाएं
ऊलजलूल बातों से उसे पकाएं
देर रात संगीत से…
Added by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 2:00pm — 7 Comments
में दरिया हूँ
प्यार हर दिल के अंदर ढूढता हूँ
नहीं कोई मेरा अपना ठिकाना
मगर घर सबको सुन्दर ढूढता हूँ
टूट जाते हे जब सपने महल के
पिटे खुआबो में खंडहर ढूढता हूँ
भरा दहशत अंदेशो से जमाना
में चेनो अमन के मंजर ढूढता हूँ
नहीं आंधी तूफानों का भरोसा
हरेक कश्ती को लंगर ढूढता…
ContinueAdded by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 1:41pm — 4 Comments
अथिति देबोभवा
पहले की सोच
अथिति होता था भगवान्
घर में होती थी खुशियाँ
और बनते थे पकबान
बदला अब परिवेश और…
ContinueAdded by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 1:30pm — 4 Comments
इजहारे मुहब्बत
प्यार करना पहिले हिम्मत का काम था
दर्दे दिल लेना मुहब्बत का नाम था
बर्षो करते थे केवल दीदार
हो नहीं पता था प्यार का इजहार
जब चारो और फ़ैल जाती थी, प्यार की खुशबु…
ContinueAdded by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 1:30pm — 4 Comments
बदलते रिश्ते
बचपन की मेरी मेहबूबा
मिली मुझे बाजार में
मियां और बच्चों के संग
बैठी थी बो कार में
नजरे चार हुई तो बो
होले से मुस्कुरा पड़ी
उतर कार से झट फुर्ती से
सम्मुख मेरे आन खड़ी
स्पंदित हुआ तन बदन मेरा
पहले सा अहसास हुआ
सामने थी मेरे बो बाजी
हारा जिससे मुहब्बत का जुआ
किम्कर्ताब्यविमूढ़ खड़ा था में
ध्यान मेरा उसने खीचा
आओ मिलो शौहर से मेरे
आपके हे ये जीजा
दिल में मेरे मचा हुआ था
कोलाहल…
Added by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 1:30pm — 2 Comments
एक्सचेंज मेला
दीपावली में खरीददारी की मची हुई थी जंग
खरीददारी करने गए हम बीबी के संग
बदला पुराना टीबी नया टीबी ले आये
दिल में कई बिचार आये
काश बीबी एक्सचेंज का कोई ऑफर पायें
नई नबेली…
ContinueAdded by Dr.Ajay Khare on December 14, 2012 at 12:00pm — 10 Comments
खुदगर्जी
मेरा जन्म, हर्सौल्लास, जलसा
मां बाबू जी मुराद पूरी, खुशियाँ, चर्मोत्कर्ष
लालन पालन, उत्कर्ष
हर ख़ुशी, मुहैया
हट पूरी ,हर हाल में
मां कई रातें जागी, में सोया
मां सोते से जागी, में रोया
बाबू जी नई स्फूर्ति, उत्साह से ओतप्रोत
में प्रेरणास्रोत
सने सने मेरी बढती काया, बुद्धि,सोच…
Added by Dr.Ajay Khare on December 13, 2012 at 1:00pm — No Comments
कवि का आक्रोश
में भी आप सभी सा हूँ
बस थोडा सा बीसा हूँ
बाहर से में फौलादी हूँ
अंदर से में शीशा हूँ
ह्रदय से में कवि सा हूँ
जन्म हुआ तभी से हूँ
बहर से जुगनू लगता हूँ
अंदर से रवि सा हूँ
मेरी कविताओं में वो दम है
जो लोहे को पिघला देंगी
मेरी जोशीली रचनाएँ
मुर्दे को जिला देगीं
कविता पाठ से में
धरती को हिला दूंगा
अपने मार्मिक छंदों से,
कुम्भकर्ण को जगा दूंगा
रोक…
Added by Dr.Ajay Khare on December 12, 2012 at 4:00pm — 3 Comments
Added by Dr.Ajay Khare on December 12, 2012 at 12:00pm — No Comments
Added by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 4:00pm — 1 Comment
रावण संबाद
रावण दहन हेतु जेसे ही नेता जी आगे बढे
दशानन बोल पड़े मुझे
मुझे जलाने के लिए क्या उपयुक्त हे
क्या आप बुराई से पूरी तरह मुक्त हे
फिर क्यों कर रहे हे मुझे अग्नि के हबाले
जबकि आपने किये हे कई घपले घोटाले
आपके कारनामे संगीन हे
आप पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लीन हे
राम बनकर हमारी नीतियों पर छलते हे
सफेदपोश बनकर देश को छलते हे
अतः रावण कौन हे पहले हो संज्ञान
फिर कराएँ मुझे अग्नि स्नान
में बुराई का…
Added by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 2:00pm — 7 Comments
चमन देखा हे
हमने दुनिया का चमन देखा हे
मुश्किल में अपना बतन देखा
बक्त की मार से हो के तबाह
इन्सान को नगे बदन देखा हे
मतलबी यारी निभाने को
दोस्त दुशमन का मिलन देखा हे
देश की सम्पदा मिटाने को
चोरी से होते खनन देखा हे
हर हुनर से यूँ धन कमाने को
लोगो को करते जतन देखा हे
औरो के लिए मोम सा पिघलते
जीवन को हबन करते देखा हे
सही गलत का भेद मिटाते.
हमने पेसो का बजन देखा हे
डॉ अजय आहत
Added by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 1:00pm — 5 Comments
Added by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 11:30am — 9 Comments
Added by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 11:30am — 10 Comments
पत्नी चालीसा
जय जय जय पत्नी महरानी
महिमा आपकी किसी ने न जानी
जबसे घर में व्याह के आई
मची हुई हे खीचातानी
जय जय जय पत्नी महरानी
सास ससुर भये भयभीत
देवर ननद से जुडी न प्रीत
घर की बन बैठी तुम आका
फहरा दी हे विजय पताका
भोली भली दिखती थी आप…
ContinueAdded by Dr.Ajay Khare on December 10, 2012 at 4:30pm — 7 Comments
ब्यूटी
मेरे आफिस में आई एक ब्यूटी
देख कर उसको, में भूल गया ड्यूटी
मुस्कुरा के किया उसने ,निबेदन
नोकरी के लिए सर, किया था आवेदन
पास किया हे सर, मेने शीघ्र लेखन…
ContinueAdded by Dr.Ajay Khare on December 10, 2012 at 4:30pm — 6 Comments
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