वक्त के सिरहाने पर .........
वक्त के सिरहाने पर बैठा
देखता रहा मैं देर तक
दर्द की दहलीज पर
मिलने और बिछुड़ने की
रक्स करती परछाइयों को
जाने कितने वादे
कसमों की चौखट पर
चरमरा रहे थे
अरसा हुआ बिछड़े हुए
मगर उल्फ़त के
ज़ख्म आज भी हरे हैं
तुम्हारी बात
शायद ठीक ही थी कि
मोहब्बत अगर बढ़ नहीं पाती
माहताब की मानिंद घटते-घटते
एक ख़्वाब बनकर रह जाती है
और
वक्त…
Added by Sushil Sarna on September 22, 2021 at 8:30pm — 7 Comments
Added by Ashok Kumar Raktale on September 22, 2021 at 8:00pm — 9 Comments
कुछ बदला-बदला सा ये जहां नज़र आता है,
राह अब भी है वही पर, अजनबी सा नज़र आता है
तन तो हमेशा ही अपना था मगर,
न जाने क्यों अब पराया सा नज़र आता है
ज़िंदगी को हमने कुछ यूं गुज़रते देखा
जैसे रेत को बंद मुट्ठी से फिसलते देखा
ज़ोर जितना भी लगाया रोकने मे उसे
छोटे से छेद से जिंदगी को निकलते देखा
एक आहट सी हुई किसी के आने की जैसे
साँसो मे घुल सी गयी किसी की खुशबू जैसे
इस खुशबू से मेरा वास्ता एक अरसे से रहा
रूह…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 22, 2021 at 10:00am — 5 Comments
मेरी ज़िंदगी ग़म का जंगल रही है
खुशी तेरे पैरों की चप्पल रही है
कहीं कोई तो बात है साथ उसके
कमी बेवफ़ा की बड़ी खल रही है
इसी ग़म का तो बोझ है मेरे जी पे
इसी ग़म से तो शायरी फल रही है…
ContinueAdded by Rahul Dangi Panchal on September 21, 2021 at 10:42pm — 4 Comments
Added by Saurabh Pandey on September 21, 2021 at 5:03pm — 12 Comments
दर्द है तो दिखने दो, आँख से आँसू बहने दो
किसने रोका है तुमको, जो रोना है तो रो लेने दो
कब तक तुम रोके रखोगे, उन भूली बिसरी यादों को
दिल के कोने मे दबी है जो, न रोको उस चिंगारी को
रोकोगे दिल भर जाएगा, घुट-घुट के दम घुट जाएगा
गुब्बारे सा है दिल अपना, भर गया जो फिर फट जाएगा
अरमानों की कोई गठरी हो, या तेज़ घोर दोपहरी हो
चिंता मे तुम जो ना घिरे, तुम अपने जाल के मकड़ी हो
बस कर खुदको दोष न दे, जो गुम है खुदको होश…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 21, 2021 at 10:20am — 4 Comments
तुम्हारे इन्तज़ार में ........
देखो न !
कितने सितारे भर लिए हैं मैंने
इन आँखों के क्षितिजहीन आसमान में
तुम्हारे इन्तज़ार में ।
गिनती रहती हूँ इनको
बार- बार सौ बार
तुम्हारे इन्तज़ार में ।
तुम क्या जानो
घड़ी की नुकीली सुइयाँ
कितना दर्द देती हैं ।
सुइयों की बेपरवाह चाल
हर उम्मीद को
बेरहमी से कुचल देती है।
अन्तस का ज्वार
तोड़ देता है
घुटन की हर प्राचीर को
और बहते- बहते ठहर जाता है
खारी…
Added by Sushil Sarna on September 20, 2021 at 11:46am — 4 Comments
बेबसी ........
निशा के श्यामल कपोलों पर
साँसों ने अपना आधिपत्य जमा लिया ।
झींगुरों की लोरियों ने
अवसाद की अनुभूतियों को सुला दिया ।
स्मृतियाँ किसी खिलौने की भाँति
बेबसी के पलों को बहलाने का
प्रयास करने लगीं ।
आँखों की मुंडेरों पर
बेबसी की व्यथा तरल हो चली ।
आँखों के बन्द करने से कब दिन ढला है ।
मुकद्दर का लिखा कब टला है ।
मृतक कब पुनर्जीवित हुआ है ।
प्रतीक्षा की बेबसी के सभी उपचार
किसी रेत के महल से ढह गए…
Added by Sushil Sarna on September 17, 2021 at 5:55pm — 4 Comments
बयालीस हैं जा चुके,बीत रहा है काल।
सुखदुख चलते साथ में,जीवन इक जंजाल।।
यारों की ये कामना,रहे सदा ही साथ।
यार सलामत हों सदा, हे नाथों के नाथ।।
उन्यासी उन्नीस सौ,माह सितंबर जान।
सोलहवीं तारीख थी, जब जन्मे 'कल्याण'।।
गुरु आभे ने लिख दई,यही जन्म तारीख।
गुरु न देते ज्ञान तो, फिरूं मांगता भीख।।
मौलिक एवम् अप्रकाशित
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 17, 2021 at 12:01pm — No Comments
खाली हो गई हूँ
इच्छाओं से, आशाओं से
व्यर्थ विचारों से
निरर्थक प्रवाहों से
अस्थिर लगावों से
अनर्गल खिंचावों से
आधुनिक चकाचौंध से
कौन जाने, मौत
कब दरवाजा खटखटा दे
साथ ले जाने को
किन्तु वह क्या साथ
ले जा पाएगी ?
वह तो पंच तत्वों में
तन को मिलाएगी
मुझे ना मार पाएगी
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on September 16, 2021 at 10:59pm — 6 Comments
तू खुद ही जुदा हो जा मुझसे अब यही बेहतर है
इश्क़ किया था तुझसे नफरत मुमकिन नहीं होगी
तेरे यादों का आशियाँ बनाए बैठे है हम कब से
प्यार की दुनिया को जलाने की हिम्मत नहीं होगी
कैसे करूँ नफरत तुझसे, बता ऐ ज़िंदगी
तुझे भूलने की हमसे कोशिश भी नहीं होगी
अब तू ही मेरी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 16, 2021 at 10:30am — No Comments
221-1221-1221-122
हालत जो तेरी देखी है हैरान हूँ मैं भी
कोने में पड़ा घर के परेशान हूँ मैं भी (1)
गर आप सरल होंगे तो आसान हूँ मैं भी
ज़ालिम हैं अगर आप तो हैवान हूँ मैं भी (2)
ये सूनी दिवारें ही मुझे घूर रहीं हैं
खाली है मकाँ भी मिरा सुनसान हूँ मैं भी (3)
गर मिल भी गए हम भी तो आबाद न होंगे
उजड़ा है अगर तू भी तो वीरान हूँ मैं भी (4)
आएगा किसी दिन वो लगाएगा ठिकाने
कमरे में पड़ा फालतू सामान हूँ मैं भी…
Added by सालिक गणवीर on September 16, 2021 at 8:30am — 5 Comments
परत घटे ओजोन की, बढ़े धरा का ताप
काटे हम ने पेड़ जो, बने वही अभिशाप।१।
*
छन्नी सा ओजोन ही, छान रही है धूप
घातक किरणें रोक जो, करती सुंदर रूप।२।
*
गोला सूरज आग का, विकिरण से भरपूर
पराबैंगनी ज्वाल को, ओजोन रखे दूर।३।
*
जीवन है ओजोन से, करो न इस को नष्ट
बिन इसके धरती सहित होगा सबको कष्ट।४।
*
क्लोरोफ्लोरोकार्बन, है जिन की सन्तान
एसी फ्रिज ये उर्वरक, दें उसको नुकसान।५।
*
कर इनका उपयोग कम, करना अच्छा काम…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 15, 2021 at 5:30pm — 4 Comments
उम्मीद .......
मैं जानती हूँ
बन्द साँकल में
कोई आवाज नहीं होती
मगर होती हैं उसमें
उम्मीद की सीढ़ियों पर सोयी
अनगिनत प्यासी उम्मीदें
किसी के लौट आने की
मैं ये भी जानती हूँ
कि उम्मीद के दामन में
दर्द के सैलाब होते हैं
कुछ हसीन ख़्वाब होते हैं
साँझ के साथ
उम्मीद भी जवान होती है
शब
इन्तज़ार के पैरहन में रोती है
जानती हूँ
उम्मीद झूठी होती है
मगर दिल की बसती में
उम्मीद…
Added by Sushil Sarna on September 15, 2021 at 4:00pm — 6 Comments
राह में मैं एक दफा, खुद से हीं टकरा गया
अक्स देखा खुद का तो, होश मुझको आ गया
दूसरो को दूँ नसीहत, काबिलियत मुझमे नहीं
आँख औरों को दिखाऊं, हैसियत इतनी नहीं
आईने में खुद का चेहरा, रोज ही तकता हूँ मैं
मैं भला हूँ झूठ ये भी, खुदसे ही कहता हूँ मैं
अपने फैलाये भरम में, हर घडी रहता हूँ मैं
सोच की मीनारों पर, बस पूल बांधता हूँ मैं
बातों में मेरी सच की, दूर तक झलक नहीं
इस जमी मिलता जैसे, दूर तक फलक नहीं
क्या गलत है…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 15, 2021 at 12:00pm — 2 Comments
अगर है एक तो है एक हिंदुस्तान हिंदी सेI
ज़माने में बनी है हिंद की पहचान हिंदी सेI
.
ये दुनिया एक ही कुनबा सदा इसने सिखाया है,
मोहब्बत का सदाक़त का मिला वरदान हिंदी सेI
.
जो तुलसी जायसी के लाल, अंग्रेजी के अनुयायीI
उन्हें तुम दूर ही रखना मेरे भगवान हिंदी सेI
.
तुम हिंदी काव्य को रसहीन होने से बचा लेना,
नहीं तो फिर न निकलेगा कोई रसखान हिंदी सेI
ये उर्दू फ़ारसी अब तक दिवंगत हो गई होतीं,
मिला भारत में दोनों को…
Added by योगराज प्रभाकर on September 14, 2021 at 11:00am — 10 Comments
गा रहा हूँ मैं आज, अपने ग़म सभी भुलाने को
हौसला शराब का है, हाल-ए-दिल सुनाने को
राज दिल में लाखो अपने, आज सबको खोलना है
लोग रुस्वा हो भले ही, एक- एक कर बोलना है
मर गए तो क्या मरेंगे, जी कर भी करना है क्या?
कुछ ना उससे राबता है, अब भला डरना है क्या?
आज अपनी बेहयायी, सबको…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 14, 2021 at 10:12am — No Comments
संप्रभू भाषा हिन्दी भारत की मिट्टी से उपजी है जो किसी की मोहताज नहीं है। इसकी अपनी प्राणवायु, प्राणशक्ति व उदारभाव होने के कारण ये शब्दसंपदा का अनूठा उपहार हैं। 130 करोड़ की आबादी वाले भारत देश में करीब 44% से ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाने वाली राष्ट्र भाषा हिन्दी को दुनिया में बोलने वालों का प्रतिशत 18.5% हैं। दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली हिन्दी भाषा विश्व की पांच भाषाओं में से एक है।
भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने 2006 में दस जनवरी को विश्व हिन्दी…
ContinueAdded by babitagupta on September 14, 2021 at 7:30am — 3 Comments
निज भाषा को जग कहे, जीवन की पहचान
मिले नहीं इसके बिना, जन जन को सम्मान।१।
*
बड़ा सरल पढ़ना जिसे, लिखना भी आसान
पुरखों से हम को मिला, हिन्दी का वरदान।२।
*
हिन्दी के प्रासाद का, वैज्ञानिक आधार
तभी बनी है आज ये, भाषा एक महान।३।
*
जैसे धागा प्रेम का, बाँध रखे परिवार
उत्तर से दक्षिण तलक, एका की पहचान।४।
*
नियमों में बँधकर रहे, हिन्दी का हर रूप
भाषाओं में हो गयी, इस से यह विज्ञान।५।
*
गूँजे चाहे विश्व में, हिन्दी कितना…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 13, 2021 at 11:08pm — 3 Comments
उस रात .......
उस रात
वो बल्ब की पीली रोशनी
देर तक काँपती रही
जब तुम मेरी आँखों के दामन में
मेरे ख्वाबों को रेज़ा-रेज़ा करके
चले गए
और मैं बतियाती रही
तन्हा पीली रोशनी से
देर तक
उस रात
मुझसे मिलने फिर मेरी तन्हाई आई थी
मेरी आरज़ू की हर सलवट पर
तेरी बेवफाई मुस्कुराई थी
और मैं
अन्धेरी परतों में
बीते लम्हों को बीनती रही
देर तक
उस रात
तुम उल्फ़त के दीवान का
पहला अहसास…
Added by Sushil Sarna on September 13, 2021 at 3:42pm — 6 Comments
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