शोर होता रहा रोशनी के लिये |
लोग लड़ते रहे चाशनी के लिये |
बेबसी का नज़ारा न देखा कोई ,
मार होती रही चाँदनी के लिये |
लूट मचती रही चीख होता रहा ,
अश्क गिरते रहे ज़िंदगी के लिये |
हाथ बाँधे खड़े देखते रह गये ,
घर जला आग में दोस्ती के लिये |
नाव डूबी वहीँ आब ना था जहाँ ,
यार बैरी बना…
Added by Shyam Narain Verma on November 22, 2014 at 5:00pm — 7 Comments
सुना है सितारे सजाने लगे हैं |
सभी को गले से लगाने लगे हैं |
वहीँ जो लिए सात फेरे ख़ुशी में ,
जुदा हो ग़मों में जलाने लगे हैं |
नदी में नहा के किनारे खड़े हैं ,
जिगर से लगा के भुलाने लगे हैं |
जिसे देव माना सहारा समझ के ,
बेगाना बनाके सताने लगे हैं |
कहानी पुरानी वहीँ है ए वर्मा ,
निगाहें अभी भी…
Added by Shyam Narain Verma on November 15, 2014 at 11:30am — 2 Comments
अजीब बात है ये प्यार की , भूले वो सारा संसार |
सारा यौवन बर्बाद करे , मिल गया बेवफा जो यार |
शादी बंधन अपवित्र करे , रिश्ते को गड्ढे में डाल |
जिंदगी ही डूबे नर्क में , आगे का अब कौन हवाल |
माता पिता जब करे शादी , जा कर ही देखे घर बार |
जान पानी छान कर पीते , तब कहीं करते ऐतबार |
शादी पावन है जीवन में , इसी से चलता संसार |
राह चले शादी हो जाती , दूसरे दिन पड़ता दरार |
गोद में जब बालक आये , आशिक हो जाता फरार |
मुँह…
Added by Shyam Narain Verma on August 25, 2014 at 5:00pm — 8 Comments
| जीवन के अनजाने पथ पर , मोड़ अनेको आते हैं | |
| पथिक अकेला चलता रहता , मिल लोग बिछड़ जाते हैं | |
| कुछ तो मिलकर मन बहलाते , कुछ मौन चले जाते हैं | |
| कोई दे सर्द हवा झोंका , कोई ग़म दे जाते हैं | … |
Added by Shyam Narain Verma on May 17, 2014 at 12:00pm — 11 Comments
सार छंद | १६-१२ पर यति , अंत दो गुरु |
|
Added by Shyam Narain Verma on August 14, 2013 at 1:00pm — 12 Comments
| कागज़ के फूलों को सजाया जा रहा है | |
| हरे भरे बागों को मिटाया जा रहा है | |
| क्या होगा हाल उन कश्तियों का , |
| जिन्हें सुर्ख रेत पर चलाया जा रहा है | |
| कैसे सूखे आँसू उन ग़मगीन आँखों का … |
Added by Shyam Narain Verma on August 3, 2013 at 3:54pm — 8 Comments
| आती है जब ग़म की आँधी , डूबता खुशी का किनारा | |
| मंजिल पाने की चाहत में , कोई जीता या हारा | |
| कुछ सोचें कुछ हो जाता है , मारा जाता है बेचारा | |
| हार जीत के लालच में ही , बस… |
Added by Shyam Narain Verma on August 1, 2013 at 2:26pm — 9 Comments
| जब घिर बदरा रिम झिम बरसे , तब दादुर नाचे बन मोर | |
| पवन बहे जब झूम झूम के , तब घासें झूमें झकझोर | |
| चाँद छुप छुपआये गगन में , जनु चाँदनी छुपे हर ओर | |
| आया है मन भावन सावन , सब कजरी गावें चहुओर | |
| डाली झूम जनु गुनगुनायें , कोयल भी गाये दिल… |
Added by Shyam Narain Verma on July 27, 2013 at 5:30pm — 5 Comments
| आगे आओ हाथ बढाओ , साथी फँसे मुसीबत में | |
| बूँद बूँद से सागर भरता , हाथ बँटाओ आफत में | |
| एक चना भाड़ नहीं फोड़े , मदद चाहिए विपदा में | |
| हर देशवाशी दें सहारा , आगे आयें… |
Added by Shyam Narain Verma on June 22, 2013 at 11:22am — 4 Comments
| है रुत मन भावन , वर्षा पावन , आयें हैं घन , खुश दिल से | |
| जब आये फुहार , भिगे दिल तार , गावें मल्हार , सब दिल से | |
| हरे भये उपवन , खिले बाग़ वन , खुश हैं हर जन , सब दिल से | … |
Added by Shyam Narain Verma on June 18, 2013 at 12:52pm — 13 Comments
| वक़्त लगता है गहरा जख्म भरने में | |
| वर्षों लगता है जिन्दगी सँवरने में | |
| जिन्दगी के मोड़ पर मिलते हैं राही , |
| पर सभी हिचकते हैं मदद करने में |… |
Added by Shyam Narain Verma on June 14, 2013 at 1:28pm — 10 Comments
मेरा देश स्वर्ग से सुन्दर, जग में सबसे महान है |
वक्ष पर शोभें गंगा यमुना, प्रहरी हिमालय शान है |
जलधि हिन्द आ पाँव पखारे, सागर करें नित गान हैं |
हरदम रहे सुहाना मौसम, खेत की फसलें जान हैं |
सब मिलकर हर पर्व मनाते, भेद भाव का नाम नहीं |
साथ साथ रहते जनु भाई, मिलकर करते काम कहीं…
Added by Shyam Narain Verma on June 8, 2013 at 3:30pm — 3 Comments
| एक मीन गंदा करती है , पर सारे होते बदनाम | |
| सच्चाई कोई ना जानें , लग जाता सब पर इलजाम | |
| नकली ही बन जाता असली , झूम कर घूमे खुलेआम | |
| पुलिस वाले ढूढते रहते , असली का ना… |
Added by Shyam Narain Verma on June 6, 2013 at 12:30pm — 12 Comments
| हार जीत का खेल अजब है , यारों निराश ना होना | |
| मेहनत से कभी ना डरना , देखो साहस ना खोना | |
| बिना पसीना खेती ना हो , फिर बदले मौसम का रोना | |
| बिना पसीना खेती ना हो , … |
Added by Shyam Narain Verma on June 5, 2013 at 6:01pm — 5 Comments
| झमाझम गिरे बारिश , राहत मिला मिली तपन से | |
| लू का घेरा बंद हुआ , मलय शीतल पवन से | |
| आँखों में पड़े ना धूल , कीचड से पाँव… |
Added by Shyam Narain Verma on May 31, 2013 at 4:00pm — 3 Comments
| मानव जब दानव बन जाता , खो देता आचार विचार | |
| घूमता है जानवर जैसे , कुछ भी समझाये परिवार | |
| जान की परवाह ना करता , भूल जाता भरा संसार | |
| पाप का घडा जब भरता है , कोई ना मिले… |
Added by Shyam Narain Verma on May 25, 2013 at 11:50am — 2 Comments
| जब कली ही मुरझाने लगी , फूल कहाँ से आयेगा | |
| फिर निर्जन विरान मरूस्थल में , फूल कहाँ से लायेगा | |
| सब तोड़ते रहेंगे कली , पौधा कौन बनाएगा | |
| वो दिन भी ऐसा आयेगा , जब गुलशन… |
Added by Shyam Narain Verma on May 14, 2013 at 4:23pm — 7 Comments
| चाँद बसे आकाश में , फिर भी लगता पास | |
| मंजिल कितनी दूर हो , रहे मिलन की आस | |
| जब ऊँची उडान भरो , दुनिया में हो नाम | |
| सब को अच्छी राह का , सदा मिले पैगाम… |
Added by Shyam Narain Verma on April 30, 2013 at 12:01pm — 8 Comments
| जागो भारत माँ के जवान , सीमा पर बैरी आया | |
| और अधिक पाने की चाहत , बढ़ने का राह दिखाया | |
| दोस्त का दिखावा करके ही , अपना वो जाल बिछाया | |
| सखा की ही नियत बिगड़ी जब , भाई को भी भूलाया | … |
Added by Shyam Narain Verma on April 29, 2013 at 3:27pm — 6 Comments
| दहाड़ते चलो सभी रण में , मारो दुश्मन को ललकार | |
| आगे बढ लक्ष्मी बाई सा , रोको इनका अत्याचार | |
| मानव ना ये दानव सा हैं , करते पशुवो सा व्यवहार | |
| रोने धोने का काम नहीं , देख करो इनका संहार | … |
Added by Shyam Narain Verma on April 26, 2013 at 11:38am — 5 Comments
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