For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

केवल प्रसाद 'सत्यम''s Blog (210)

!!! कुण्डलियां !!!

!!! कुण्डलियां !!!

पत्थर जन मन धन चुने, जाति-पाति के संग।
इनके माथे पर लिखा, कामी-मत्सर-जंग।।
कामी - मत्सर - जंग, द्वेष का भाव बढ़ाते।
ढाई  आखर  छोड़,  धर्म  पर  रार  मचाते।।
निश-दिन करे कुकर्म, आड़ हो जन्तर-मन्तर।
बने  स्वयंभू  राम,  कर्म  का  डूबे  पत्थर।।

के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 29, 2013 at 8:36am — 21 Comments

!!! यही ‘सत्यम’ शिवम् सुन्दर हुआ है !!!

!!! यही ‘सत्यम’ शिवम् सुन्दर हुआ है !!!

बह्र- 1222 1222 122

सकल दुनिया दिखाता जा रहा हूं।

कयामत का सफर सुलझा रहा हूं।।

मेरे मौला मैं तुझको क्या बताऊं,

रूहानी पीर के जैसा रहा हूं।

तेरी चौखट सदा मुझको लुभाती,

कभी तीखा कभी मीठा रहा हूं।

जहां में और भी गम हैं कहूं क्या?

जहां मेला वहीं तन्हा रहा हूं।

मेरी मां ने कहा था सुब्ह उठकर,

पिलाना आब, वो दरिया रहा हूं।

अमीरी छोड़ कर मुफलिस…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 28, 2013 at 10:13am — 19 Comments

!!! बने हम भोर-संध्या से!!!

!!! बने हम भोर-संध्या से!!!

विभा अब ढूंढ़ती किससे,

पढ़ाएं प्रेम की

पाती!

चपल सी आ गयी आभा,

चमकते शब्द

उपवन से।

पढ़ें पंछी, चहक चिडि़यां

धुनों में

गा रहे भौंरे।

कहे कोयल सुने सविता,

चमक कर

आ गयीं किरनें।

धरा पर छा गई मस्ती,

पवन इठला रही

उड़कर।

सुमन-शबनम मिली खिलकर,

गुलाबों की हसीं

बढ़कर।

बुलाती रोज दिनकर को,

हंसाती खूब

सर्दी में।

तराने ढ़ूढ़ते झरने,

उछलती

कूदती लहरें।

मिली मछली…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 25, 2013 at 12:43pm — 16 Comments

!!! प्यार में सौगात सावन !!!

!!! प्यार का सौगात सावन !!!

2122 2122 2122 212

प्यार का मौसम सुहाना, शोख सावन भा गया।

पड़ गए झूले सखी री, कजरी गायन भा गया।।1

मेघ बरसे भूमि सरसे, मोर - पंछी नाचते।

बाग उपवन खूब झूमे, वायु सनसन भा गया।।2

फूल-शबनम मिल खिले हैं, खुशुबुओ का साथ है।

मस्त तितली उड़ रही है, भौंरा गुनगुन भा गया।।3

मन बड़ा संशय भरा है, राह पिउ की देखती।

फिर झरा छप्पर-घरौंदा टीन टनटन भा गया।।4

क्यों? उदासी प्रेम पाती,…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 25, 2013 at 12:00pm — 16 Comments

!!! वंदना !!!

वंदना......हरिगीतिका

हे!  ज्ञान  दाती   दुःख  हरती   प्रेम  ममता   वारती।

यम नियम नियमन दिशा दर्शन गगन गुरूता धारती।।

तुम सर्व हो  तुम गर्व हो  तुम आदि  गंगा गामिनी।

रति सौम्य सागर सती आगर मोक्ष वरदं दायिनी।।1

रघुवीर पूजें  कृष्ण कूंजे  शक्ति दुर्गा  दामिनी।

अभिमान ऐसा क्लेष जैसा पाप शापं नाशिनी।।

अरि नष्ट करती मित्र बनती हाथ सिर पर फेरती।

सुख सार भरणी कष्ट हरणी तोष निश-दिन टेरती।।2

मैं मूर्ख जातं आत्म…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 22, 2013 at 7:52am — 22 Comments

!!! पिया के घर चली रजनी !!!

!!! पिया के घर चली रजनी !!!

गजल बह्र- 1 2 2 2, 1 2 2 2

सुहानी रात की रजनी,

सुमन सुख बेल सी रजनी।

बना है चांद दूल्हा जब,

सजी दुल्हन तभी रजनी।

चली बारात तारों की,

मगन आकाश सी रजनी।

करे परछन यहां आभा,

वहां सकुचा रही रजनी।

हवन आदित्य में पूरे,

किए फेरे जगी रजनी।

विदाई कर रहीं किरनें,

सिमट कर रो पड़ी रजनी।

किरन-आभा मिली जैसे,

फफक कर चीखती…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 21, 2013 at 8:46am — 14 Comments

!!! प्याज मंहगे आ गए !!!

!!! प्याज मंहगे आ गए !!!

बह्र- 2122 2122 2122 212

पत्थरों के शहर में ये जीव कैसे आ गए।

लोभ है सत्ता से इनको होड़ करके आ गए।।1

श्वेत पोशाकों में सजते, खून से लथपथ सने।

रोज मरते सत से राही, कंस जब से आ गए।।2

धर्म बीथीं भी हिली है, भू कपाती हलचलें।

भाई से भाई लड़े हैं, जाति जनने आ गए।।3

नफरतों की आग फैली, द्वेष फलते पीढि़यां।

अम्न जिंदा जल रही है, घी गिराने आ गए।।4

वक्त ने हमको पढ़ाया,…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 18, 2013 at 7:32am — 26 Comments

!!! बृज की बाला श्याम पुकारे !!!

बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।

सावन है मन भावन अब तो,आजा मन के चोर।

बदरा बरसे रिमझिम हरषे, मन सरसै तन मोर।।

मेरी  करूण  सुने  बनवारी, मेह  बड़े  चितचोर।

बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।1

गोरी का साजन मन झूठा, कैसा यह परदेश।

जग के बन्धन-संशय भरते, तू सत्य अनमोल।।

तन की माटी तुझे बुलाए, भ्रम में करता शोर।

बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।2

जीवन बड़ा जुगाड़ु पग-पग, निश-दिन करता…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 13, 2013 at 10:30pm — 10 Comments

!!! गीत !!!

!!! गीत !!!



तुम राष्ट् के कर्णधार देवदूत हो,

यदि शांति का, मार्ग दर्शन कर सकोगे?

नित नये नूतन किसलय अरूणिमा में,

या सांझ की श्याम धुन बांसुरिया हो।

धूप भी चन्दन लगेगा दोपहरिया में,

राष्ट् को यदि कीर्ति गौरव दे सकोगे? 1

तुम मनुष्य हो कर्म का फल भूल जाओ,

देश-धर्म हित लड़ो स्व भूल जाओ।

प्यार की पवि़त्र गंगा हर कहीं हो,

राष्ट् को यदि एक भगीरथ दे सकोगे? 2

सत्यम आहिंसा प्रेमु धन खूब लुटाओ,

राजपथ का मार्ग…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 11, 2013 at 4:51pm — 14 Comments

!!! निरगुन !!!

!!! निरगुन !!!

मन है मेरा गंगा-जमुना,

तन वृन्दावन भाए।

नील गगन से नयनागर मे,

नटवर की छवि पाऊं प्रियतम!

नयन नीर छलकाए।

मन मन्दिर में मनमोहन सी,

मूरत सदा बसाऊं प्रियतम!

मन चंचल भरमाए।

सुध-बुध खोकर बुध्दि विचारूं,

ज्ञान-विराग लुटाऊं प्रियतम!

पग-पग नृत्य कराए।

निश-दिन तेरी ज्योति निहारूं,

लौ आत्मा से पाऊं प्रियतम!

यह तन दीप सुहाए।

प्रेम दया करूणाकर तुम हो,

सदा प्रेम…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 10, 2013 at 2:42pm — 22 Comments

!!! हरिगीतिका !!!

!!! हरिगीतिका !!!



2+3+4+3+4+3+4+5= 28

चौकल में जगण-121 अतिनिषिध्द है। चरण के अन्त में रगण-212 कर्ण प्रिय होता है।

जब मेघ बरसे रात तड़फे पीर है मन वेदना।

तन तीर धसती घाव करती राह निश-दिन देखना।।

अब आव प्रियतम भोर होती भ्रमर तन-मन छेदता।

रति-सुमन हॅसकर हास करती सुर्ख सूरज देवता।।1

चिडि़यां चहक कर तान कसती बांग मुर्गा टीसते।

बन-बाग-उपवन खूब झूमें मोर-दादुर रीझते।।

घर नीम छाया धूप माया उमस करती ताड़ना।

नय नीर छलके भाव बहके…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 8, 2013 at 9:45pm — 18 Comments

!!! हाथ नर मलता गया है !!!

!!! हाथ नर मलता गया है !!!

बह्र-----2122  2122

भोर जो महका गया है।

सांझ को उकसा गया है।।

रास्ते का ढीठ पत्थर,

पैर से टकरा गया है।

चोट लगती दर्द होता,

आह पहचाना गया है।

ऐ खुदा अब तो बता दे!

राह क्यों रोका गया है?

जान कर अति दर्द उसका,

आंख जल ढरका गया है।

हाय ये तकदीर खेला,

खेल कर घबरा गया है।

कल यहां यमराज देखो,

काल को धमका गया…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 5, 2013 at 8:00pm — 16 Comments

!!! शोर है सागर में तूफां !!!

छोटी बह्र में गजल-2122, 2122

तुम मुझे अच्छी लगी हो।

मन से तुम सच्ची लगी हो।।

रोज गुल की कामना सी,

शहर की बच्ची लगी हो।

शाम की मुश्किल घड़ी में,

जीत की बस्ती लगी हो।

हुस्न की मलिका सुनो तुम,

आज फिर हस्ती लगी हो।

बाग के हर बज्म में तुम,

राग सी मस्ती लगी हो।

शोर है सागर में तूफां,

मौज की कश्ती लगी हो।

चढ़ गया छत पर पकड़ कर,

सांप सी रस्सी लगी हो।

तुम…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 22, 2013 at 8:51pm — 9 Comments

भीगे घर-तन हाय! सहेली

!!! चौपाई !!!

//प्रत्येक चरण में 16 मात्राएं, अन्त में दो गुरू या एक गुरू दो लघु होता है। जगण-121 तथा तगण-221 निषेध है//

मेघ तुम्हारा तन है काला।

मन है निर्मल गंगा वाला।!

चाल तुम्हारी गड़बड़ झाला।

बोल कड़क बिजली भय वाला।।

बरसे झम-झम हवा झकोरे।

रिसता तरल अमी वन भोरे।।

खेत खलिहान हुए विभोरे।

कृषक चले तन हल धर जोरे।।

हरषे रिम-झिम सावन जैसे।

छपरा झर-झर झरता…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 20, 2013 at 10:12am — 12 Comments

!!! जमीं-फलक में हैं तारें, निकल के देखते हैं !!!

!!! जमीं-फलक में हैं तारें, निकल के देखते हैं !!!

1212    1122     1212     112

लहर-लहर में कशिश है, मचल के देखते हैं।

हवा हवाई सफर से, बहल के देखते है।।

नदी कहे कि सितारें भरी हैं रेत हसीं।

लहर चमक के किनारे उछल के देखते हैं।।

हवा दिशा से कहे कामना सकल शुभ हो।

मगर तुफान कहे तो संभल के देखते हैं।।

ये अग्नि-वारि गगन में, धरा भुलाए नफरत।

प्रलय से कष्ट मिले हैं, संभल के देखते हैं।।

गगन से बरसे है…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 17, 2013 at 8:34pm — 16 Comments

!!! भोर बड़ी चंचल री !!!

सितारों जड़ी चुनरी नित-निश

लहर दिशा महके री।

झांक रही केसर

मुख नारी,

पर्वत ओट लिए

दृग कारी।

काजल रेख दूर

तक पारी,

गाल गुलाल

मुस्कान प्यारी।

अधर बीच बिजली री !

स्वर्ण किरन ने

ली अंगड़ाई,

शबनम करती

चली रूषाई।

कल कल धुन सुन

सरिता मचले,

गिरि से गिर कर

झरना उछले।

बांह बॅधें नहि मछरी !

पानी में केसर

मुख धोए,

हर हर गंगे

बोल सुहाए।

निखरा रूप

सलोना सुन्दर,

जल रक्त…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 17, 2013 at 8:19am — 14 Comments

!!! दुर्मिल सवैया !!!

!!! दुर्मिल सवैया !!!   ......8 सगण

बदरा बरसे हरषे धरती, नदिया-सर-खेत भरे जल से।

वन-बाग झकोर हवा पहिरे, फल जामुन-आम पके जल से।।

हर ओर घटा घन घोर घिरी, मन-मोर-चकोर कहे जल से।
विरही मन नारि छली मचली, नहि प्यास बुझे बरखा जल से।।

के0पी0सत्यम/ मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 16, 2013 at 9:27pm — 10 Comments

!!! प्रकृति अमरता लाए !!!

अन्तर्मन की लौ अति उज्ज्वल

निश-दिन प्रेम बढ़ाए, प्रकृति अमरता लाए।

गुलमोहर की चुनरी ओढ़ी

पटका अमलतास पीताम्बर

लचकारा लटकाए, झूम-झूम हरषाए।

धानी वाली साड़ी झिल-मिल

घूंघट में आभा छवि पाकर

गाल गुलाल उड़ाए, आंचल किरन सजाए।

सुन्दर सूरत प्यारी मूरत

माथे की बिन्दी चन्द्राकर

घुंघर केश मुख छाए, शबनम भाल थिराए।

अंधड़-लू से कांवरि दौड़े

सांय-सांय शहनाई संजर

डोली जिय धड़काए, मछली मन…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 12, 2013 at 10:00pm — 15 Comments

!!! जीव-प्रकृति से प्यार करें !!!

जीव-प्रकृति से प्यार करें,

बनकर धरा हितेश!

पहाड़ों की शिखाओं पर

हरियाली से केश

कुछ घुंघराले

कुछ लट वाले

कुछ तने-तने रेश।1

बहे पवन पुरवाई या

पछुवा चले बयार

इठलाती औ

बलखाती ज्यों

झूमें मस्त दिनेश।2

गूंजें वन में कलरव धुन

ठुमरी औ मल्हार

नृत्य उर्वशी

रम्भा करती

किरने अर्जुन वेश।3

तितली-भौरें-पाखी-जन

करें सुमन से नेह

चूम-चूम तन

कण पराग मन

मिटे तमस औ…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 10, 2013 at 8:20am — 14 Comments

!!! अभिनव प्यार !!!

!!!  अभिनव प्यार  !!!

 

प्रिया! जब तुम भूली,

तो मैं क्या लिखता ?

जब तुम थीं सब मेंरा था,

मैं याद भला क्या करता ?..... प्रिया! जब......



अब तुम नहीं पर प्यार तेरा,

मुझे बार बार दोहराता।

मैं भूल चला जीवन के पथ को,

स्मृति रोशन क्या करता ?...... प्रिया! जब...

पूर्ण अंधकार में इक जुगुनू,

इस झिलमिल जीवन को-

या अपनों से भूले रिश्तों का,

पथ प्रदर्शन क्या करता ?....... प्रिया! जब...

इस अभिनव प्यार संग,…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 3, 2013 at 7:52pm — 17 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
55 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
57 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
1 hour ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
1 hour ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service