"शहरीकरण"
संस्कृति
चीखती कराहती
बिलखती
अपने चिरंजीवी
होने के अभिशाप को लिए
नग्न पड़ी है
आधुनिकता के गुदगुदे बिस्तर पे
उसकी इज्ज़त तार तार करने वाले…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 13, 2012 at 2:03pm — 8 Comments
"मोर्निंग वाक्"
मंद मंद रौशनी
शीतल पवन के झोंके
पंछियों की चहक
कलरव है या संगीत
वसुधा का अनूठा गीत
नदियों झीलों पोखरों में
बिखरा पड़ा है स्वर्ण
कमल के…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 11, 2012 at 11:47am — 2 Comments
तुम हमारे बस हमारे हो गए कान्हा
इश्क वाले तुख्म दिल में बो गए कान्हा
तुम जिसे रखने को 'पा' भी कम पड़ी दुनिया
दिल में मेरे कैद कैसे हो गए कान्हा
याद तुझको जो कभी शैतान भी कर ले
पाप उस शैतान के सब धो गए कान्हा
जब तुम्हारे…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 9, 2012 at 12:00pm — 3 Comments
यहाँ आजाद है हर सख्स थोपा जा रहा है क्यूँ
लडूं अधिकार की गर जंग रोका जा रहा है क्यूँ
हुआ है आज का हर आदमी अब तो सलामत-रौ
बदन पे आज कपडा तंग होता जा रहा है क्यूँ
नहीं बेफिक्र है लोगो जिसे हालात है मालुम
जवाँ फिर आज मूंदे आँख सोता जा रहा है क्यूँ
सलीका इश्क करने का कभी आया नहीं लेकिन
जिसे देखो दिलों में आग बोता जा रहा है क्यूँ
खुदी मसरूफ है फिर भी शिकायत वक़्त से करता…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 7, 2012 at 11:44am — 14 Comments
जिक्र करना यार जब भी रू-ब-रू करना
हूँ मयस्सर खोल के दिल गुफ्तगू करना
एक दर उसका बिना मांगे मिला सब कुछ
भूल बैठा हूँ मुरादो आरजू करना
है सराफत शान औ ईमान है जलवा
मौत इनकी हो नहीं क्या हाय हू करना
याद में जब हो खुदा तो पाक दिल…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 1, 2012 at 1:37pm — 8 Comments
"करमजली"
गुलाबो की अम्मा
बचपन में ही छोड़ गयी थी
बचपन क्या १ दिन की थी
१ दिन की थी तभी
छोड़ गयी थी
इस करमजली को
ममत्व मर कैसे गया
उसकी माँ का…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 31, 2012 at 12:39pm — 1 Comment
"मुझे चाहिए ऐसी ही रौशनी "
लिखता हूँ
जो मन करता है
दिमाग की नशें नहीं खींचता
जोर आजमाइश कर कुछ नहीं निकलता
सिवाए तेल के
अब कोल्हू का बैल तो हूँ नहीं
मोती तो गहराई में होते हैं…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 30, 2012 at 2:00pm — 3 Comments
"स्याही"
पता है तुम्हे
तुम जानती हो
तुम हर्फ़ हर्फ़ की रूह हो
गलत कुछ भी नहीं
सफाह तुम बिन तन्हा है
खाली है, कोरा है
धूल जम चुकी है
डायरी में…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 30, 2012 at 1:08pm — No Comments
"चाय "
आज सुबह उठा तो सोचा चाय बना लूं
पानी लिया
श्याही सा
हर्फ़ हर्फ़
चाय के दाने
तैरने लगे
एहसासों की चीनी डाल
चढ़ा दिया पतीली को…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 29, 2012 at 9:48am — No Comments
"पल्लू"
मुख
मलीन हो रहा है
तेज नष्ट भ्रष्ट
मुझे छोड़ दिया न
तुमने
गोरी के पल्लू ने
धीरे से कानों में कहा
देखो सब घूर रहे हैं…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 3:56pm — 6 Comments
"किताबें "
किताबें
खटखटा रही हैं
दरवाजे दिमाग के
लायी हैं कुछ
सवाल कुछ जबाब
छू रहीं है
दिल को…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 3:13pm — 5 Comments
मैं शून्य का उपासक हूँ
मुझे मेले में भी सब अकेले लगते हैं
इसीलिए सबसे मिल के हँस बोल लेता हूँ
न जाने हंगाम के हंगामे में
कब मुझे मेरा इष्ट (खुदा) मिल जाए
मुकम्मल रास्ते इख्तियार करता हूँ
मंजिल तक जाने के लिए…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 2:42pm — 4 Comments
==========ग़ज़ल==============
दिलो जिगर निसार दूं है गर हसीन आपसा
किसे न चाहिए यहाँ 'प' महजबीन आपसा
बिना मिले बिना सुने दिलो के हाल जान लूं
हुनर कमाल का लिए न दूरबीन आपसा
बदल रहे अजीब रंग बात बात पर गुमा
नहीं दिखा अभी तलक…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 1:30pm — 5 Comments
"गाँव जायेंगे "
हरियाली ही हरियाली
चहुँ ओर
प्रकृति का अनुपम सौन्दर्य
हरी कारपेट आलौकिक माधुर्य
अहा
सोच रहा हूँ
क्यूँ न इन घटाओं को छू लूं
चूम लूं इस माटी…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 3:56pm — 5 Comments
महल-अटारी
या गाय दुधारी
सम्मोहन है
खूबसूरती का
अहा
ब्यूटीफुल
वाह
काश !!!!!!
फूलते पिचकते सीने
आह…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 2:00pm — 3 Comments
===============छन्द================
तुम राह हसीं तुम मंजिल हो, दिल सागर है तुम साहिल हो
महताब तुम्ही बनके चमको, इस चाहत का तुम हासिल हो
हद भी तुम हो तुम बेहद भी, रख शर्म हया तुम फाजिल हो
गुल हो तुम एक गुलिस्ताँ का, खुशबू बनके तुम शामिल हो
संदीप पटेल "दीप"…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 12:34pm — 1 Comment
ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना
था इतिहास में जो परिंदा सुनहरा, हिमालय जहाँ अब भी देता है पहरा
जहाँ चाँद बनता है बच्चों का मामा, वो भारत है मेरा वतन आशियाना
ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 25, 2012 at 12:51pm — 4 Comments
"ग़ज़ल"
मंजिलों को पा रहा हूँ, दूर खुद से जा रहा हूँ
आइने से रू-ब-रू होकर के धोखा खा रहा हूँ
इश्क हूँ मैं हूँ सनम भी, हू-ब-हू हूँ औ जुदा भी
रूह बनके मैं समाया फिर भी खोजा जा रहा हूँ
दर्द दे ऐ दोस्त मुझको, गमगुसारे यार हूँ मैं
बाँट ले हर दर्द अपना, नज्म मीठी गा रहा हूँ
जिंदगी भर प्यास ले के जी रहा था दीद की मैं
आज मेरा है खुदा वो प्यार उसका पा रहा हूँ
हूँ बड़ा ही भ्रष्ट लोगो, और हूँ मैं…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 24, 2012 at 2:00pm — No Comments
सब धर्मो का इक तीर्थ बनाएं भारत में
आओ ऐसा नव दीप जलाएं भारत में
अब छेड़ प्रेम की तान मिलाएं हाथ चलो
रख याद वतन की आन मिलाएं हाथ चलो
अब आपस का ये द्वेष भुलाएँ भारत में
सब धर्मो का इक तीर्थ बनाएं भारत में
आओ ऐसा नव दीप जलाएं भारत में
गंगा यमुना भी भेद नहीं करती लोगो
है सबकी पावन गोद यही धरती लोगो
ये जाति-पाति का रोग मिटाएं भारत में
सब धर्मो का इक तीर्थ बनाएं भारत में
आओ ऐसा नव…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 24, 2012 at 12:00pm — 3 Comments
"गांधी जी के बन्दर"
राहों में चलते जाइए
और चलिए
थोडा और
देखिये
देखिये न
देखा !!!!!!!!!!!!!!!
राम राम !!
ये राम को क्यूँ याद किया…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 24, 2012 at 10:55am — No Comments
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