221 2121 1221 212
ख़ुशबू, चमन, बहार से आगे की चीज़ है।
जो ज़िंदगी है, प्यार से आगे की चीज़ है।
जारी है एक जंग जो ग़म और ख़ुशी के बीच,
यह जंग जीत-हार से आगे की चीज़ है।
अक्सर उफ़ुक़ को देख के आता है ये ख़याल,
कुछ है जो इस हिसार से आगे की चीज़ है।
कैसे बताऊं किस पे टिकी है मेरी निगाह,
मंज़िल से, रहगुज़ार से आगे की चीज़ है।
हद्द-ए-निगाह से भी परे है कोई वजूद,
इक वह्म ऐतबार से आगे की चीज़…
Added by जयनित कुमार मेहता on September 15, 2022 at 10:30am — 7 Comments
2122 2122 2122 2122
इक भी आंसू क्यों गिरे जब आंख शोला-बार हो तो
कैसे कोई ख़ुश रहे जब दिल ही में आज़ार हो तो
आपसे है जंग तो मंज़ूर है ये सरफ़रोशी
क्या करें जब आपके ही हाथ में तलवार हो तो
लग रही है ज़िंदगी भी कुछ दिनों से अजनबी सी
लौट आना तुमको मुझसे थोड़ा सा भी प्यार हो तो
क्या किसी के सामने अब राज़े-ज़ख़्मे-पिन्हां खोलें
आपका ग़म-ख़्वार ही जब दुश्मनों का यार हो तो
तूने गरचे तोड़ डाले सारे नाते एक पल में
एक वहशी…
Added by Zaif on September 29, 2021 at 7:30pm — 2 Comments
Added by Zaif on September 28, 2021 at 6:46pm — 8 Comments
मेरी ज़िंदगी ग़म का जंगल रही है
खुशी तेरे पैरों की चप्पल रही है
कहीं कोई तो बात है साथ उसके
कमी बेवफ़ा की बड़ी खल रही है
इसी ग़म का तो बोझ है मेरे जी पे
इसी ग़म से तो शायरी फल रही है…
ContinueAdded by Rahul Dangi Panchal on September 21, 2021 at 10:42pm — 4 Comments
122 122 122 122
पड़े जब कभी बेज़बानों के पत्थर
चटकने लगे फिर चटानों के पत्थर
मुहब्बत तेरी दास्तानों के पत्थर
उठा लाये फिर हम फ़सानों के पत्थर
बड़ी आग फेंकी बड़ा ज़हर थूका
उगलता रहा वो गुमानों के…
ContinueAdded by Rahul Dangi Panchal on July 9, 2021 at 5:00pm — 9 Comments
2122 2122 2122 212
ज़िन्दगी गर मुझको तेरी आरज़ू होती नहीं
अपनी सांसों से मेरी फिर गुफ़्तगू होती नहीं
गर तड़प होती न मेरे दिल में तुझको पाने की
मेरी आँखों में, मेरे ख्वाबों में तू होती नहीं
उम्र गुज़री है यहाँ तक के सफ़र में, दोस्तो!
पर ये वो मंज़िल है, जिसकी जुस्तजू होती नहीं
ये जहाँ गिनता है बस कुर्बानियों की दास्ताँ
जाँ लुटाये बिन मुहब्बत सुर्ख-रू होती नहीं
दोस्तों के दिल मुनव्वर जो नहीं होते 'शकूर'
रौशनी भी…
Added by शिज्जु "शकूर" on July 13, 2020 at 1:09pm — 9 Comments
ख़ुद ही ख़ुद को निहारते हैं हम
आरती ख़ुद उतारते हैं हम
फिर भी वैसे के वैसे रहते हैं
ख़ुद को कितना सँवारते हैं हम
दूसरों का मजाक करते हैं
ख़ुद की शेखी बघारते हैं हम
सिर्फ़ अपनी किसी जरूरत में
दूसरों को पुकारते हैं हम
डाल कर दूसरों में अपनी कमी
दूसरों को विचारते हैं हम
जीतने से ज़ियादा आये मज़ा
जब महब्बत में हारते हैं हम
इस खुशी…
ContinueAdded by सूबे सिंह सुजान on March 22, 2020 at 2:02pm — 6 Comments
2122 1212 22
-
हौसला जिसका मर नहीं सकता
मुश्किलों से वो डर नहीं सकता
-
लोग कहते हैं ज़ख़्म गहरा है
मुद्दतों तक ये भर नहीं सकता
-…
Added by SALIM RAZA REWA on November 9, 2019 at 7:30pm — 3 Comments
1212 1122 1212 22
जो मेरी छत पे कबूतर उदास बैठे हैं
वो तेरी याद में दिलबर उदास बैठे हैं
तुम्हारी याद के लश्कर उदास बैठे हैं
हसीन ख़्वाब के मंज़र उदास बैठे हैं
तमाम गालियाँ हैं ख़ामोश तेरे जाने से
तमाम राह के पत्थर उदास बैठे हैं
बिना पिए तो सुना है उदास रिंदों को
मियाँ जी आप तो पी कर उदास बैठे हैं
ज़रा सी बात पे वो छोड़ कर गया मुझको…
Added by SALIM RAZA REWA on September 20, 2019 at 11:00pm — 4 Comments
ग़ज़ल
गण हुए तंत्र के हाथ कठपुतलियाँ
अब सुने कौन गणतंत्र की सिसकियाँ
इसलिए आज दुर्दिन पड़ा देखना
हम रहे करते बस गल्तियाँ गल्तियाँ
चील चिड़ियाँ सभी खत्म होने लगीं
बस रही हर जगह बस्तियाँ बस्तियाँ
पशु पक्षी जितने थे, उतने वाहन हुए
भावना खत्म करती हैं तकनीकियाँ.
कम दिनों के लिए होते हैं वलवले
शांत हो जाएंगी कल यही आँधियाँ
अब न इंसानियत की हवा लग रही
इस तरफ आजकल बंद…
Added by सूबे सिंह सुजान on January 25, 2019 at 6:27am — 4 Comments
ग़ज़ल
गण हुए तंत्र के हाथ कठपुतलियाँ
अब सुने कौन गणतंत्र की सिसकियाँ
इसलिए आज दुर्दिन पड़ा देखना
हम रहे करते बस गल्तियाँ गल्तियाँ
चील चिड़ियाँ सभी खत्म होने लगीं
बस रही हर जगह बस्तियाँ बस्तियाँ
पशु पक्षी जितने थे, उतने वाहन हुए
भावना खत्म करती हैं तकनीकियाँ
कम दिनों के लिए होते हैं वलवले
शांत हो जाएंगी कल यही आँधियाँ
अब न इंसानियत की हवा लग…
ContinueAdded by सूबे सिंह सुजान on January 24, 2019 at 9:32pm — 7 Comments
2122 2122 2122 212
काँच के टुकडों में दे दे ज्यों कोई बच्चा मणी
आधुनिकता में कहीं खोया तो है कुछ कीमती।
हुस्न की हर सू नुमाइश़ चल रही है जिस तरह
बेहयाई दफ़्न कर देगी किसी की शायरी।
ताश, कन्चें, गुड्डा, गुड़िया छीन के घर मिट्टी के
लाद दी हैं मासुमों पर रद्दियों की टोकरी।
अब कहाँ हैं गाँव में वें पेड़ मीठे आम के
वे बया के घोसलें, वे जुगनुओं की रौशनी।
ले गयी सारी हया पश्चिम से आती ये हवा…
Added by Rahul Dangi Panchal on December 17, 2018 at 9:00pm — 6 Comments
2122 2122 2122 212
रोज के झगड़े, कलह से दिल अब उकता सा गया।
प्यार के बिन प्यार अपने आप घटता सा गया।
दफ़्न कर दी हर तमन्ना, हर दफ़ा,जब भी उठी
बारहा इस हादसे में रब्त पिसता सा गया।
रोज ही झगड़े किये, रोज ही तौब़ा किया
रफ़्ता रफ़्ता हमसे वो ऐसे बिछड़ता सा गया।
चाहकर भी कुछ न कर पाये अना के सामने
हाथ से दोनों ही के रिश्ता फिसलता सा गया।
छोडकर टेशन सनम को लब तो मुस्काते रहें
प्यार का मारा हमारा दिल तड़पता…
Added by Rahul Dangi Panchal on December 16, 2018 at 8:30pm — 4 Comments
2122 2122 2122 212
खुदकुशी बेहतर है ऐ दिल बेवफ़ा के साथ से
चाहो मत बढकर किसी को चाह की औकात से।
जिसकी ख़ातिर छोड़ दी दुनिया की सारी दौलतें
रख न पाया मन भी मेरा वो दो मीठी बात से ।
दे रहा है तुहमतें उल्टा मुझे ही बेवफ़ा
बेहया से क्या कहूँ मैं, क्या कहूँ इस जात से।
मैं समझता था मुहब्बत की सभी को हैं तलब
उसको तो मतलब है लेकिन और कोई बात से।
हैं मुसलसल शिद्दतें कुछ यूँ जुदाई की…
ContinueAdded by Rahul Dangi Panchal on December 1, 2018 at 3:30pm — 6 Comments
2122 2122 2122 2122
इस कदर बेबस हूँ मैं, लाचार हूँ इस ज़िन्दगी से
दोस्तों, मर भी नहीं सकता अभी, अपनी खुशी से।
क्या कहूँ, अपने लिए कुछ, दूसरों के वास्ते कुछ
कायदे तुमने लिखे है सोच बेहद दोगली से।
वक्त उन माँ-बाप को भी दे जरा, तेरे लिए
जो उभर पाये नहीं ताउम्र अपनी मुफ़लिसी से।
इश्क़ के सहरा में 'राहुल' प्यास से बदहाल यूँ हूँ
बूँद भर जल के लिए लिपटा हूँ काँटों की कली से।
मौलिक व अप्रकाशित ।
Added by Rahul Dangi Panchal on November 25, 2018 at 12:00pm — 6 Comments
फाइलातुन _मफाइलुन_फेलुन)
आप पर किस की मिह्ऱबानी है ,
हर ग़ज़ल में जो ये रवानी है !!
ये ग़ज़ल उसके नाम करता हूँ
शायरी जिसकी मेहरबानी है
शायरी में नहीं है कुछ मेरा
हर ग़ज़ल यार की निशानी है
आप को छोड़ कर कहाँ जाएँ ,
आप के साथ ज़िन्दगानी है !!
आप मक्ते में साथ होते हो ,
हर ग़ज़ल आप की निशानी है !!
प्यार के ही तो सारे किस्से हैं
प्यार की ही तो हर कहानी है
उसको भी…
ContinueAdded by राज लाली बटाला on July 8, 2018 at 8:30am — 7 Comments
221 1222 22 221 1222 22
जितना बड़ा जो झूठा है वो, उतना ही अधिक चिल्लाता है
आवाज़ के पीछे चुपके से, रस्ते से यूँ भी भटकाता है
तुम बाँच रहे हो जो इतना, अज्दाद के किस्से मंचों से
उन किस्सों को सुनने वाला अब, पत्थर पे जबीं टकराता है
इंसान फ़कत है इक ज़र्रा, मिट जाएगा खुद इक झटके में
आकाश को छूती मीनारें, बेकार ही तू बनवाता है
है रंग बदलने में माहिर, हर शख़्स सियासत के अंदर
कुछ भी कहे वो लेकिन मतलब, कुछ और…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on March 25, 2018 at 8:13am — 19 Comments
221 2121 1221 212
दे सोच कर सज़ाएं गुनहगार हम नहीं
ये तू भी जानता है ख़तावार हम नहीं
-
जिस पर किया भरोसा वही दे गया दगा
लेकिन किसी भी शख़्स से बे-ज़ार हम नहीं
-
दिल तो दिया था जान भी तुझपे निसार की
फिर क्यूँ तेरी नज़र में तेरा प्यार हम नहीं
-
जिनकी खुशी के वास्ते सब कुछ लुटा दिया
उफ़ वो ही कह रहे हैं वफादार हम नहीं
-
हैरत है दिल के पास थे जिनके सदा 'रज़ा'
अब तो उन्ही के प्यार के हक़दार हम नहीं
____________________
मौलिक व…
Added by SALIM RAZA REWA on March 8, 2018 at 2:58pm — 15 Comments
1222 1222 1222 1222
ज़मीन-ओ-आसमाँ के दरमियाँ रस्ता बनाता हूँ
इसी दुनिया में अपनी मुख़्तसर दुनिया बनाता हूँ
चढ़ाकर चाक पर मिट्टी कहा कुम्हार ने मुझसे
जहाँ जैसी ज़रूरत है इसे वैसा बनाता हूँ
बना लेता है अपने आप ही ये मुख़्तलिफ़ शक्लें
मेरा फ़न सिर्फ़ इतना है कि आईना बनाता हूँ
गुज़श्ता ज़िंदगी के तज़्रबों से वाकिए चुनकर
अकेला होता हूँ जब भी, कोई किस्सा…
Added by शिज्जु "शकूर" on February 22, 2018 at 11:24am — 5 Comments
2122 1122 1122 22
मेरा हमदम है तो हर ग़म से बचाने आए
मुश्किलों में भी मेरा साथ निभाने आए
oo
चाँद तारे भी यहाँ बन के दिवाने आए
उनकी खुश्बू के समन्दर में नहाने आए
oo
रश्क करते हैं जिन्हे देखकर सितारे भी
मस्त नज़रों से वही जाम पिलाने आए
oo
उनके दीदार से आंखों को सुकूं मिलता है
ख़ुद से कर-कर के कई बार बहाने आए
oo
उनकी निसबत से…
Added by SALIM RAZA REWA on February 14, 2018 at 8:00pm — 9 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |