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Abhinav Arun
  • Male
  • Varanasi,Uttar Pradesh
  • India
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Abhinav Arun's Discussions

नवोदित रचनाकारों की उपेक्षा क्यों ?
96 Replies

            साथियों यह सच है कि लेखन का आरम्भ स्वान्तः सुखाय होता है | रचनाकार की साहित्यिक अभिव्यक्ति वास्तव में उसका भोगा हुआ यथार्थ होता है जो एक सुनिश्चित स्वरुप और शिल्प में सामने आता है | यह…Continue

Tags: फोरम

Started this discussion. Last reply by aashukavi neeraj awasthi Mar 14, 2012.

 

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Profile Information

Gender
Male
City State
Varanasi,Uttar Pradesh
Native Place
Ghazipur (U.P.)
Profession
Senior Announcer, All India Radio, Writer ,Broadcaster, Journalist
About me
विसंगतियां ख़ामोश रहने नहीं देतीं | सो कहने और लिखने को ध्येय बनाया | अभिनव अरुण नाम से सक्रिय सकारात्मक बदलाव हेतु लेखन | मंचों , पत्र - पत्रिकाओं , आकाशवाणी - दूरदर्शन और नेट पर ब्लॉग रूप में रचनाएँ प्रशंसित | आरंभिक शिक्षा लौह नगरी जमशेदपुर में | मूल निवास गाजीपुर \ बनारस (उत्तर प्रदेश , भारत) | बचपन से ही लेखन की विविध विधाओं में सक्रियता | साहित्य कला संगीत संस्कृति और पत्रकारिता से लगाव आकाशवाणी तक ले आया | अन्य अख़बारों और पत्रिकाओं में छिटपुट सेवा और दैनिक "आज " जमशेदपुर में १९८९ से १९९६ तक उप-संपादक पद पर कार्य के उपरान्त सम्प्रति करीब दो दशक से इसी रेडियो में रोज़ी | आकाशवाणी के जमशेदपुर , ओबरा और विविध भारती मुंबई केन्द्रों पर सेवा के पश्चात अभी आकाशवाणी वाराणसी में वरिष्ठ उदघोषक |बनारस की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ाव | " कथ्य - शिल्प "और " परिवर्तन " के सक्रिय रचनाकार | प्रगतिवादी ग़ज़ल लेखन के लिए २००९ में " परिवर्तन के प्रतीक " सम्मान से विभूषित | आगमन साहित्य सम्मान २०१४ |ग़ज़ल लेखन हेतु दुष्यंत कुमार स्मृति सम्मान २०१५ (‘संभाव्य’संस्था एवं त्रैमासिक पत्रिका भागलपुर की और से )| अखिल भारतीय नागरिक कल्याण परिषद् द्वारा भी साहित्यिक पत्रकारिता के लिए सम्मानित , विश्विद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से श्री बलदेव पी .जी. कालेज , वाराणसी और विद्याश्री न्यास के संयुक्त तत्वावधान में १४ से १६ जनवरी २०१२ तक वाराणसी में आयोजित भारतीय लेखक शिविर एवं " इतिहास परंपरा और आधुनिकता " पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतर्गत आयोजित काव्य प्रतियोगिता में कविताओं की प्रस्तुति को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ | विश्व फोटोग्राफी दिवस १९ अगस्त २०१३ के अवसर पर दैनिक ''अमर उजाला''समूह नॉएडा द्वारा आयोजित फोटोग्राफी प्रतियोगिता के प्रथम उप - विजेता का पुरस्कार दिनांक २३अक्टूबर २०१३ को समारोहपूर्वक प्राप्त हुआ | आकाशवाणी वाराणसी के लोकप्रिय कार्यक्रम प्रस्तोता | भारत के राष्ट्रपति माननीय डॉ प्रणव मुखर्जी एवं नेपाल के राष्ट्रपति डॉ राम बरन यादव की उपस्थिति में 25 दिसंबर 2012 को महामना मालवीय की 150 वी जयंती के उपलक्ष्य में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह का आकाशवाणी के राष्ट्रीय नेटवर्क पर आँखों देखा हाल \ सजीव प्रसारण सायं 04-30 से 06-30 तक मेरे द्वारा (कमेंट्री) किया गया । मंचों के चर्चित रचनाकार | प्रकाशित कृतियाँ - ''सच का परचम '' ( ग़ज़ल संग्रह ) |

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Abhinav Arun's Blog

तरही ग़ज़ल //अभिनव अरुण- बारिशों का ख्व़ाब था..

ग़ज़ल -

फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन

२१२२ २१२२ २१२२ २१२

 

मौत का आना है तय उससे बचा कोई नहीं |

काम आ पायेगी अब शायद दुआ कोई नहीं |…

Continue

Posted on June 23, 2014 at 7:30am — 22 Comments

तरही ग़ज़ल- आयेंगे कब अच्छे दिन तू ही बता !

ग़ज़ल –

फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन

२१२२ २१२२ २१२



एक रत्ती कम न ज़्यादा चाहिए |

मांगते हैं हक़ हमारा चाहिए |





कौन कहता है कि राजा चाहिए |

इस सियासत को पियादा चाहिए |





आयेंगे कब अच्छे दिन तू ही बता ,

कब तलक रखना भरोसा चाहिए |





वो मदारी हम जमूरे हैं फकत ,

हम मरें उनको ये वादा चाहिए |





वायदों के गीत गाये पांच साल ,

खेलने को वो खिलौना चाहिए |





उनकी आँखों ने मुझे बतला… Continue

Posted on June 22, 2014 at 7:15am — 25 Comments

ग़ज़ल – द्रौपदी नोच डाली गयी घर से सीता निकाली गयी (अभिनव अरुण)

ग़ज़ल –

फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन

२१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२



द्रौपदी नोच डाली गयी घर से सीता निकाली गयी |

आज या कल के उस दौर में मैं कहाँ कब संभाली गयी |



सब्र तक मुझको मोहलत मिली कब कली अपनी मर्ज़ी खिली ,

एक सिक्का निकाला गया मेरी इज्ज़त उछाली गयी |



लड़का लूला या लंगड़ा हुआ गूंगा बहरा या काला हुआ ,

मुझसे पूछा बताया नहीं सबको मैं ही दिखा ली गयी |



दौर कैसा अजब आ गया एक सबको नशा छा गया ,

सब हैं पैसे के पीछे गए सबकी… Continue

Posted on June 10, 2014 at 5:53pm — 23 Comments

ग़ज़ल – फूल की ख़ुशबू को हम यूं भी लुटा देते हैं

ग़ज़ल



फाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फैलुन 

२१२२   ११२२    ११२२   २२ 



फूल की ख़ुशबू को हम यूं भी लुटा देते हैं |

करते हैं इश्क़ ज़माने को बता देते है |



एक चिंगारी है सीने में हवा देते हैं |

हम ग़ज़ल कहते हुए ख़ुद को सज़ा देते हैं |



जिसकी शाखों पे घरौंदों में मुहब्बत ज़िंदा ,

ऐसे पेड़ों को परिंदे भी दुआ देते हैं |



इश्क़ लहरों से अगर है तो क़िला गढ़ना क्या ,

रेत के घर को बनाते हैं मिटा देते हैं |…



Continue

Posted on March 22, 2014 at 7:30am — 20 Comments

Comment Wall (83 comments)

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At 10:29am on January 17, 2014, जितेन्द्र पस्टारिया said…

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें आपको आदरणीय अभिनव अरुण जी

At 11:10am on January 11, 2014, अरुन 'अनन्त' said…

हार्दिक आभार आदरणीय अरुण अभिनव भाई जी

At 10:26pm on January 7, 2014, अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव said…

आदरणीय  अभिनव अरुण भाई  , 

हार्दिक धन्यवाद , आभार और आपके पूरे  परिवार के लिए मंगलमय नव वर्ष की शुभकामनायें ॥ 

At 9:54pm on November 18, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
sharadindu mukerji
said…

आदरणीय अभिनव अरुण जी, पुरस्कार के लिये बधाई हेतु आपका हार्दिक आभार. कृपया स्नेह बनाए रखें. सादर, शरदिंदु.

At 2:30pm on October 6, 2013, शकील समर said…

इस जुड़ाव की वजह क्या है? क्या आप भी जमशेदपुर से है?

At 10:26am on October 6, 2013, D.K.Nagaich 'Roshan' said…

बहुत बहुत  दिली शुक्रिया, आदरणीय  अभिनव  अरुण  जी ..ये आप सभी की हौसला अफज़ाई और मुहब्बतों का असर है जो आज इस मुकाम पे आ पाया हूँ ... एक बार फिर दिली शुक्रिया..

At 10:52am on October 2, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

आदरणीय अभिनव भाई , आपका बहुत बहुत आभार !!!!

At 12:29pm on September 27, 2013, CHANDRA SHEKHAR PANDEY said…

अग्रजवत आशीर्वाद व मित्रवत प्रेम के लिए नमन।

At 8:08am on September 27, 2013, CHANDRA SHEKHAR PANDEY said…

अपनी मित्रता का उपहार प्रदान करने के लिए, आपका कोटिश: आभार, आदरणीय। आपका मित्र होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। सादर अभिनंदन।

At 7:43pm on September 23, 2013, Lata R.Ojha said…

धन्यवाद आदरणीय अभिनव जी  :)

 
 
 

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"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
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"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
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"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
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"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
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