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Nilesh Shevgaonkar
  • Male
  • Indore
  • India
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे गोश्त से नाख़ुन। हाँ मगर दोनों को अलग किया जा सकता है, जबकि क़ुदरती तौर पर तो आपस में जुड़े ही होते हैं, :-)) ...सादर।"
Friday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है सादर "
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
Thursday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी शे'र  मे'यारी हुए हैं, सिर्फ़ "दूध मलाई" वाले तक मेरी रसाई नहीं हो सकी है। "
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
May 6
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आ. बृजेश ब्रज जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है. बधाई स्वीकार करें.मतले के ऊला में ये सर्द रात, हवाएं  उदास  हैं कितने रात और हवा दोनों स्त्रीलिंगी हैं अत: उदास हैं कितनीं आना चाहिए शायद.शेष शुभ सादर "
May 6
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. सौरभ सर,अजय जी ने उर्दू शब्दों की बात की थी इसीलिए मैंने उर्दू की बात कही.मैं जितना आग्रही उर्दू शब्दों के प्रति हूँ उतना ही हिंदी के शब्दों के प्रति भी हूँ. मेरी हाल की कोई ग़ज़ल मंच पर देख लें जहाँ मैंने दीया को दिया लिख दिया हो या दीपावली…"
May 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय, धन्यवाद.  अन्यान्य बिन्दुओं पर फिर कभी. किन्तु निम्नलिखित कथ्य के प्रति अवश्य आपज्का ध्यान चाहूँगा.  //धागे ज़ख़्मों के उधड़े हैं .... यहाँ पर भी मेरे पढ़ते अथवा सोचते समय जो पॉज आता है वो ज़ख़्मों पर अधिक फोकस करता है.// उर्दू गजल…"
May 5
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि शब्द ठीक से बरते जा रहे हैं अथवा मुहावरे, इस्तिआरे ठीक हैं या नहीं.इसी तारतम्य में उर्दू के अक्षरों, शब्दों  और वाक्य विन्यास की बारीकियों को…"
May 5
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"धन्यवाद आ. दयाराम मेठानी जी "
May 5
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
May 5
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. बृजेश कुमार जी.५ वें शेर पर स्पष्टीकरण नीचे टिप्पणी में देने का प्रयास किया है. आशा है आप संतुष्ट होंगे.सादर  "
May 5
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी से ग़ज़ल कहने का उत्साह बढ़ जाता है.तेरे प्यार में पर आ. समर सर ने भी फोन कर के मुझे बताया था कि इसे देख लूँ.. मैं अपनी मूल प्रति में यह बदलाव किये लेता हूँ..मिसरा अब यूँ पढ़ा जाए प्यार में अपने तर होने…"
May 5
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
May 5
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"अद्भुत है आदरणीय नीलेश जी....और मतला ही मैंने कई बार पढ़ा। हरेक शेर बेमिसाल। आपका धन्यवाद इतनी खूबसूरत ग़ज़ल के लिए..."
May 5
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आपकी ग़ज़लों पे क्या ही कहूँ आदरणीय नीलेश जी हम तो बस पढ़ते हैं और पढ़ते ही जाते हैं।किसी जलधारा का प्रवाह हो जैसे लेकिन ५वे शेर पे प्रवाह में अटका हूँ। सो अपने ज्ञानवर्धन के लिए जानना चाहता हूँ ऐसा क्यों? ​ग़ज़ल के ​लिए बधाई आदरणीय...."
May 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह लिया. कि पूरी गजल को ही एक साँस में पढ़ता चला गया. हार्दिक बधाई स्वीकार करें .. वाह वाह ...    वस्तुतः मात्रिक बहर के मिसरों की मुख्य विशेषता ही…"
May 5

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
May 4
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे प्यार में तर होने दे मुझ को माह-ए-जुलाई जैसा. . जोबन आया है, फिसलोगे ये रस्ता है काई जैसा. . साथ हैं हम बस कहने भर को दूध हूँ मैं वो मलाई जैसा.  …See More
May 4

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Male
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Indore-MP
Native Place
Indore-MP
Profession
Civil Engineer

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ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा

वो चेहरा पुरवाई जैसा.

.

तेरा होना क्यूँ लगता है

गर्मी में अमराई जैसा.

.

तेरे प्यार में तर होने दे

मुझ को माह-ए-जुलाई जैसा.

.

जोबन आया है, फिसलोगे

ये रस्ता है काई जैसा.

.

साथ हैं हम बस कहने भर को

दूध हूँ मैं वो मलाई जैसा.  

.

जाते जाते उस का बोसा

जुर्म के बाद सफ़ाई जैसा.

.

ज़ह’न है मानों शह्र का एसपी  

और ये दिल बलवाई जैसा.

.

तेरा आना पल दो पल को

सरकारी…

Continue

Posted on May 3, 2025 at 4:22pm — 12 Comments

ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा

1212 1122 1212 112/22

 .

गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा

नशा उतार ख़ुदाया नशा उतार मेरा.

.

बना हुआ हूँ मैं जैसा मैं वैसा हूँ ही नहीं   

मुझे मुझी सा बना दे गुरूर मार मेरा.

.

ये हिचकियाँ जो मुझे बार बार लगती हैं

पुकारता है कोई नाम बार बार मेरा.  

.

मेरी हयात का रस्ता कटा है उजलत में

मुझे भरम था फ़लक को है इंतज़ार मेरा.

.

पड़े जो बेंत मुझे उस की, दौड़ पड़ता हूँ

मैं जैसे हूँ कोई घोड़ा ये मन सवार मेरा.

.…

Continue

Posted on April 29, 2025 at 3:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.

तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो.

.

ये रौशन ज़मीरी अमल एक माँगे

नदामत के अश्कों से दिल का वुज़ू हो.

.

जो तख़लीक़ सब की सभी से जुदा है

भला राह मुक्ति की क्यूँ  हू-ब-हू हो.

.

कभी हो ख़यालात से ज़ह’न ख़ाली

ख़लाओं से भी तो कभी गुफ़्तगू हो.

.

वो मुल्हिद नहीं हो मगर ये है मुमकिन

उसे बस सवालात करने की ख़ू हो.

(मुल्हिद--नास्तिक) (ख़ू -आदत)

.

निलेश "नूर"

मौलिक/…

Continue

Posted on September 18, 2024 at 4:51pm — 5 Comments

ग़ज़ल नूर की -कुछ थे अधूरे काम सो आना पड़ा हमें.

.

कुछ थे अधूरे काम सो आना पड़ा हमें.

फ़ानी बदन में ख़ुद को समाना पड़ा हमें

.

जश्न-ए-जहान था ही नहीं अपने वास्ते

आ ही गए तो जश्न मनाना पड़ा हमें.

.

फिर जब पहेली मौत…

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Posted on January 11, 2024 at 11:53am — 6 Comments

Comment Wall (7 comments)

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At 2:21pm on September 16, 2017, Afroz 'sahr' said…
आदरणीय निलेश जी आपने ख़ाकसार की बात की ताईद की बहुत आभार प्रकट करता हूँ !सादर
At 9:50pm on March 3, 2017, Hemant kumar said…
आदरणीय सर प्रणम ! मै ओ बी ओ मे काफीया पढ़ रहा हूं पर पल्ले कुछ भी नही पड़ रहा है ।
सर आपसे विनम्र आग्रह है काफीया निर्धारण पर पुनः प्रकाश डालने की अनुकंपा करें ।सादर..
At 2:37am on June 29, 2014, Adesh Tyagi said…
जनाबे-मोहतरम निलेश शेव्गाँवकर साहब, अल्फ़ाज़े-तहसीन का तहे-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
At 4:47am on November 11, 2013, Abhinav Arun said…

महीने का सक्रिय सदस्य (Active Member of the Month)चुने जाने पर आ. नीलेश जी आपको दिली मुबारकबाद !

At 1:45pm on November 7, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ0 नीलेश भाई जी, आपको महीने का सकिय सदस्य चुने जाने पर आपको हार्दिक बधाई।  सादर,

At 1:14pm on November 6, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

आदरणीय नीलेश भाई , सक्रिय सदस्य चुने जाने के लिये आपको हार्दिक बधाईयाँ  !!!!!!

At 12:32pm on November 6, 2013,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे | कृपया अपना पता और नाम (जिस नाम से ड्राफ्ट/चेक निर्गत होगा), बैंक खता विवरणी एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |

सादर । 


आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

 
 
 

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