आग की तरह के शब्द,
मेरी आत्मा में जलाते है ,
मैं अपने आप को खोया पाता हूँ ,
नियंत्रण, रखना प्रतीत नहीं हो सकता है,
इरादे लटक जाते
फांसी पे एक ध्रुव की ,
और प्यार धुंधला हो जाता है,
आँखों की कालिमा से
"मौलिक व अप्रकाशित"
Posted on November 24, 2018 at 3:35pm — 5 Comments
मेरी आँखें बंद करो
और इस तरह से
दुनिया को बंद करना
मैं तुम्हें फिर मिलूंगा
तुम शानदार हो
जीवित और ज्वलंत
मेरे सीने से गहरी सांस लेना
मैं तुम्हारी मुस्कान की तस्वीर बना लूँगा
तुम्हारी आंखों के पीछे का नरम प्रकाश
मेरे दिमाग में यादों का मीलो चलना
इच्छा है कि मैं एक चील की तरह झपट के
और तुम्हें उस जगह ले जाऊ
जिस जगह जहां आँसू गिरते थे
जबकि हम आमने-सामने बैठे थे
एक दूसरे के गाल पर हाथ
फुसफुसाते हुए "सब ठीक…
Posted on November 3, 2018 at 2:30pm — 2 Comments
मैं
एक पंख
बिना उद्देश्य से उड़ता
भाग्य की हवा की चोटी पर अनियंत्रित
हवा की धाराओं पर
मुझे
कृपया प्रेरित करे
शायद एक दिन
भाग्य एक यादृच्छिक हवा
मुझे ले जाये
जहां मैं कभी नहीं उड़ा
उस दिशा में
जो अंततः
मुझे पहुचाये
आपके करीब
अमोलिक अप्रकाषित
Posted on September 4, 2018 at 12:28pm — 3 Comments
पेंसिल या पेन
किस तरह का स्याही
आप फैल रहे हैं?
आग पर कीबोर्ड
सपने और इच्छाएं
कुछ हास्य
कुछ आँसू
गंभीरता एक खुराक
जीतने वाले शब्द
शब्दों को विभाजित करना
शब्द जो हमें एक साथ लाते हैं
शब्द जो जीवन बोलते हैं
कोई बात नहीं कविता या टुकड़ा
कविता है
और हमेशा जीवित रहेगी
मौलिक व अप्रकाशित.
Posted on March 22, 2018 at 1:13pm — 4 Comments
मित्रता का हाथ बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।
हरि ॐ.
विजय निकोर
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