For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

January 2020 Blog Posts (72)

अहसास की ग़ज़ल -मनोज अहसास

1222   1222   1222   1222

हमारे सारे मिसरे मुख्तलिफ अर्थों में लिपटे हैं,

तुझे अब याद भी करते हैं तो डर कर ही करते हैं.

बहुत मुमकिन है इसमें फिर तुम्हारा ज़िक्र आ जाए,

नज़र में आज लेकिन दर्द सब दुनिया जहां के हैं.

जरा सा ध्यान से आ जाते हैं छोटे से मिसरे में,

मुहब्बत के सभी अफसाने रेशम के दुपट्टे हैं.

कई खुदगर्ज मछुआरों ने कब्जा कर लिया उस पर,

वह दरिया जिसमें अपनी नेकियां हम डाल आते हैं.

जहाँ से…

Continue

Added by मनोज अहसास on January 4, 2020 at 12:30am — 4 Comments

भारत दर्शन (प्रथम कड़ी) मत्त गयंद छंद

जन्म लिया जिस देश धरा पर वो हमको लगता अति प्यारा

वैर न आपस में रखते वसुधैव कुटुम्ब लगे जग सारा

पूजन कीर्तन साथ जहाँ सम मन्दिर मस्जिद या गुरुद्वारा

लोग निरोग रहे जग में नित पावन सा इक ध्येय हमारा।।1

पूरब में जिसके नित बारिश, हो हर दृश्य मनोरम वाला

लेकर व्योम चले रथ को रवि वो अरुणाचल राज्य निराला

गूढ़ रहस्य अनन्त छिपा पहने उर पादप औषधि माला

जो मकरन्द बहे घन पुष्पित कानन को कर दे मधुशाला।।2

उत्तर में जिसके प्रहरी सम पर्वत राज हिमालय…

Continue

Added by नाथ सोनांचली on January 3, 2020 at 5:00pm — 9 Comments

"तुम्हारे लिए"

तुम यूँ ही बीच राह में

रोज़ तरूवर क़ी छाँव में

मुझे यूँ ही रोक लेते हो 

और मैं भी रुक जाती हूँ

क्यों कि मैं भी रहती हूँ अधीर

तुमसे मिलकर बातें करने को!

 

तुम्हारा यूँ एकटक निहारना

मेरे दिल को भाता है बहोत*

मैं भी देखने लगती हूँ तुम्हें

सीधी कभी तिरछी नज़रों से

तुम मुस्कुरा देते हो शरारत से

मैं शर्माकर कुरेदती हूँ ज़मीन  

 

पर ये सब भी कब तलक

जब ये कुहासा नहीं होगा

बढ़…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on January 3, 2020 at 12:43pm — 2 Comments

रखकर वतन को आपने काँटों की सेज पर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'( गजल)

२२१/२१२१/२२२/१२१२



मिट्टी को जिसने देश की चन्दन बना लिया

जीवन को उसने हर तरह पावन बना लिया।१।



करते नमन हैं  उस को  नित छोटा भले सही

जिसने भी अपना सन्त सा यौवन बना लिया।२।



कहते  हैं  राह रच  के  ही  रहजन  हुए  मगर

अब तो वही है जिसने पथ भटकन बना लिया।३।



साधन हो साध्य से अधिक पावन ये रीत थी

पर अब फरेब  झूठ  को  साधन बना लिया।४।



जो उम्र पढ़ने लिखने की पत्थर हैं हाथ में

कैसा सुलगता देश का बचपन बना…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 3, 2020 at 6:32am — 4 Comments

मनुष्य और पयोनिधि

आओ और निकट से देखो

हिलोरें लेते इस पारावार को

हमारा जीवन भी ऐसा ही है

नीर जैसा स्वच्छ और निर्मल

 

जब पयोधि क़ी लहरें छूती हैं

रेत क़ी फ़ैली हुई कगार को

तब वह समेट लेती सब कुछ

और ले जाती है पयोनिधी में

 

हम मनुष्य भी तो ऐसे ही हैं

जब हम प्रेम में होते हैं तब

ढूंढते रहते हैं बस एक साहिल

ताकि समेट सकें स्वयं में सब कुछ

 

किंतु उदधि और मनुज क़ा प्रेम

उदर में ज्य़ादा काल नहीं…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on January 2, 2020 at 12:30pm — 6 Comments

छोड़ दो काफ़ी सियासत हो गयी है

2122 2122 2122

.

जानते हैं तुम में ताकत हो गयी है,

और किस-किस पे ये आफत हो गयी है।

झूठ है जो, झूठ बिन कुछ भी नहीं, पर

अब जमाने में सदाक़त हो गयी है।

जब चमन का फूल होने का भरो दम,

क्यों चमन से ही अदावत हो गयी है?

जिस्म पर ठंडा लबादा, आग मुँह में,

जिसने रक्खे उसकी शुहरत हो गयी है।

कौम के अच्छे की खातिर काम हो अब,

छोड़ दो काफ़ी सियासत हो गयी है।

हर खुशी पर, मेरी बोलो तो भला क्यों,…

Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on January 2, 2020 at 12:00pm — 14 Comments

कविता : चलो, विश्वास भरें

चलो, विश्वास भरें

गया पुरातन वर्ष

नवीन विचार करें

आपस के सब मनमुटाव कर दूर 

चलो, विश्वास भरें

बैर भाव से हुए प्रदूषित

जो मन, बुद्धि , धारणाएँ

ज्ञानाग्नि से , सर्व कलुष कर दग्ध

सभी संत्रास हरें

आपस के सब मनमुटाव कर दूर 

चलो, विश्वास भरें

है अनेकता में सुन्दर एकत्व

उसे अनुभूति करें

कर संशय, भ्रम दूर

नेह, सतभाव वरें

आपस के सब मनमुटाव कर दूर

चलो,…

Continue

Added by Usha Awasthi on January 1, 2020 at 9:12pm — 5 Comments

नव वर्ष गीत

हुआ है उजाला धरा पर नया अब। 

मिटा घन अँधेरा छटा ये धुआँ सब। 

नया साल आया नई आस लाया। 

करो काम दिल से न जो भी हुआ सब।।
रहे जग हमेसा ख़ुशी की सफ़र पे। 

न काटें मिले अब किसी की डगर पे। 

करो प्यार सबसे की जीवन है प्यारा। 

न कीचड़ उछालो हमारे नगर…
Continue

Added by Vivek Pandey Dwij on January 1, 2020 at 9:00pm — 7 Comments

नव विहान (नवगीत)

नव विहान का गीत मनोहर गाता चल।

जीवन में मुस्काता चल।।

मन मराल को कभी मनोहत मत करना ।

हो कण्टक परिविद्ध तनिक भी ना डरना।

गम को भूल सभी से नेह लगाता चल।

जीवन में मुस्काता चल।।

वैर भाव की ये खाई पट जाएगी।

वर्गभेद तम की बदली छँट जाएगी।

बनकर मयार मधुत्व रस छलकाता चल।

जीवन में मुस्काता चल।।

महदाशा रख मर्ष भाव अंतर्मन में

जानराय बन ओज जगाओ जनजन में।

हो भवितव्य पुनर्नव राह बनाता चल।

जीवन में मुस्काता…

Continue

Added by डॉ छोटेलाल सिंह on January 1, 2020 at 1:00pm — 8 Comments

उन्नीस-बीस (2019-2020) नूतन वर्ष

छोटी बातों से तू  इतना, विचलित क्यूँ कर होता है

जीवन धार नदी की, इसमें उन्नीस बीस तो होता है

दुनियाँ का दस्तूर है, ज्यादा  रोते को रुलवाने का

कितना समझाया तुझको तू, फिर भी नयन भिगोता है

जाने वाले साल को सारे, दुख अपने तू अर्पण कर दे                                                                                                              तेरे भाग्य में फिर वो कैसे, बीज खुशी के बोता है

अस्त हुआ उन्नीस का भानु, बीस का दिनकर…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on January 1, 2020 at 11:00am — 10 Comments

भूख गरीबी जाति धर्म से लड़ना नूतन साल यहाँ - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२/२२२२/२२२२/२२२

बर्षों  से  जब  रहते  आये  दुख  से  मालामाल  यहाँ

सुख आकर भी कर पायेगा फिर कितना कंगाल यहाँ।।



तुम रख लेना शायद तुमको उम्मीदों का साल मिले

हमने तो हर पल  है  खोया  उम्मीदों का साल यहाँ।।



शीष झुकाये रहे सहिष्णुता जैसे सब की दोषी हो

खूब मजहबी झगड़े रहते ताने अब तो भाल यहाँ।।



साल नया कितनी उम्मीदें…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2020 at 5:51am — 10 Comments

नव वर्ष तुम्हें मंगलमय हो

नव वर्ष तुम्हें मंगलमय हो 

घर आँगन में उजियारा हो

दुःखों का दूर अँधियारा हो

हो नई चेतना नवल स्फूर्ति

नित नव प्रभात आभामय हो

नव वर्ष तुम्हें मंगलमय हो 

नित नई नई ऊँचाई हो

हृद प्राशान्तिक गहराई हो

नित नव आयामों को चूमो

चहुँओर तुम्हारी जय जय हो

नव वर्ष तुम्हें मंगलमय हो 

जो खुशियाँ अब तक नहीं मिलीं

जो कलियाँ अब तक नहीं खिलीं

जीवन के नूतन अवसर पर

उनका मिलना-खिलना तय हो

नव वर्ष तुम्हे मंगलमय…

Continue

Added by आशीष यादव on January 1, 2020 at 12:31am — 13 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service