For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

February 2014 Blog Posts (175)


सदस्य कार्यकारिणी
तीर शब्दों के चला ही दे

1222/1222/1222/1222

अरे नादान ये मय है जिगर को ये जला ही दे

मेरे इस दर्दे दिल के वास्ते कोई दवा ही दे

 

कभी जब खींच ले जाये समंदर साथ अपने तो

गुज़रती मौज कश्ती को किनारे पर लगा ही दे

 

तेरी आँखों में मेरे दर्द की तासीर है शायद       (तासीर= असर)

उदासी भी तेरी इस बात की पैहम गवाही दे      (पैहम= लगातार)

 

इरादों को किया मजबूत तेरे पत्थरों ने ही

तेरा हर वार मेरा हौसला आखिर बढ़ा ही दे

 

बचूँगा कब…

Continue

Added by शिज्जु "शकूर" on February 18, 2014 at 7:30am — 19 Comments

भूल थी - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

2122    2122    2122    212

**

बचपने  में  चाँद  को  रोटी  समझना  भूल थी

कमसिनी में एक कमसिन से लिपटना भूल थी

**

तात  ने डाटा  किताबें  पढ़, मुहब्बत  में न पड़

तात से  इस बात  पर मेरा  झगड़ना  भूल  थी

**

कोख में जब मात ने  पाला न माना कुछ उसे

इक कली  के द्वार पर  माथा रगड़ना भूल थी

**

मिट गया वो, पात ने कर ली हवा से प्रीत जब

बेखुदी  में  डाल से  उसका  बिछड़ना  भूल थी

**

लूटता इज्जत भ्रमर नित दोष उसको  कौन…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 18, 2014 at 7:30am — 11 Comments

लघुकथा - यह भी जीवन है

पत्नी जिस बस से आ रही थीं, उसे घर के पास से ही होकर गुजरना था. रात का समय था. हल्की ठण्ड थी. मैंने हाफ़ स्वेटर पहना और टहलता हुआ उस मोड़ तक पहुँच गया, जहाँ पत्नी को उतरना था. बस के वहाँ पहुँचने में अभी कुछ समय शेष था. ठंडी हवा शरीर में सिहरन पैदा कर रही थी इसलिए उससे बचने की खातिर मैं फुटपाथ के किनारे बनी दुकान के चबूतरे पर जा बैठा.

कुछ लोग वहीँ जमीन पर सो रहे थे. पास का व्यक्ति चादर ओढे, अभी जग रहा था.

मैंने उत्सुकता वश पूछा 'भैया, यहीं रोज सोते हो?’

'हाँ', वह…

Continue

Added by बृजेश नीरज on February 18, 2014 at 12:00am — 14 Comments

कह मुकरियां (-रमेश चौहान)

कह मुकरियां

1.

श्‍याम रंग तुम्हरो लुभाये ।

रखू नैन मे तुझे छुपाये ।

नयनन पर छाये जस बादल ।

क्या सखि साजन ? ना सखि काजल ।

2.

मेरे सिर पर हाथ पसारे

प्रेम दिखा वह बाल सवारे ।

कभी करे ना वह तो पंगा ।

क्या सखि साजन ? ना सखि कंघा

3.

उनके वादे सारे झूठे ।

बोल बोले वह कितने मिठे ।

इसी बल पर बनते विजेता ।

क्या सखि साजन ? ना सखि नेता ।।

4.

बाहर से सदा रूखा दिखता ।

भीतर मुलायम हृदय रखता ।।

ईश्‍वर भी…

Continue

Added by रमेश कुमार चौहान on February 17, 2014 at 9:28pm — 11 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
लफ़्ज़ कब जज़्बात को पूरे पड़े ? ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122     2122        212 ( पूरा ) 

 

इस फ़िज़ा के शोख नज़्ज़ारे भी देख

बाग  मे  पानी के  फौव्वारे भी देख

 

सिर्फ  सूखे  तू शज़र   देखा  न  कर

हो  रहे  पत्ते   हरे   सारे  भी   देख  

 

तू अमा में चाँद  खातिर , ज़िद  न कर…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on February 17, 2014 at 6:00pm — 32 Comments

ग़ज़ल- सारथी || इशारों से दिल का जलाना तेरा ||

इशारों से दिल का, जलाना तेरा

अजब! हुस्नवाले, बहाना तेरा /१ 

हमें क्या फ़िकर, ग़र जमाना कहे

दीवाना- दीवाना, दीवाना तेरा /२ 

हुआ जब से रिश्ता, हयाई बढ़ी

यूँ साड़ी पहन के, लजाना तेरा /३ 

अभी तो जवां हूँ, है गुंजाइशें

जिगर पे उठा लूँ, निशाना तेरा /४  

न नासाज कर दे, कहीं आपको

सनम सर्दियों में, नहाना तेरा /५  

बड़प्पन कहीं से, दिखे तो कहूँ

सुना तो, बड़ा है घराना तेरा /६ 

ये तेवर, ये अंदाज़, आसां नहीं

ग़ज़ल, 'सारथी'…

Continue

Added by Saarthi Baidyanath on February 17, 2014 at 5:00pm — 11 Comments

फिर बसंत आया (गीत) - कल्पना रामानी

रंग-रँगीले रथ पर चढ़कर।

रस-सुगंध की झोली भरकर। 

फिर बसंत आया।

 

आज नई फिर धूप खिली है।

दिशा दिशा उजली उजली है।

कुहरे वाली बीती रातें।

नया सूर्य है, सुबह नई है।

 

नई इबारत फिर गढ़ने को   

परिवर्तन लाया।

 

गाँव गाँव में झूल पड़ गए।

अमराई के भाग्य खुल गए।  

अँबुआ पर नव अंकुर फूटे।

कुहू कुहू के बोल घुल गए।

 

मृदुल तान मृदु साज़ छेड़कर

कुंज-कुंज गाया। 

 

देख-देख…

Continue

Added by कल्पना रामानी on February 17, 2014 at 10:30am — 17 Comments

वो मिल ही गयी.......

वो मिल ही गयी.......

जिंदगी के हर मोड़ पर

बरसों से मै उसे देख रहा था

और वो मुझे देखती रहती थी

वक्त ही ना मिला जो उससे पूछता

क्यूँ वो मेरा इंतज़ार कर रही थी

अब थक सा गया था

धीरे धीरे दोड रहा था

आज मुझे वो ज्यादा करीब लगी

पूछ ही लिया रुक कर

मुद्दतों से देख रहा हूँ

तुम यूँ ही खड़ी हो

क्यूँ मुझसे मिलने की जिद्द पर अड़ी हो

मुस्कुरा कर बोली बस

तुम्हारा ही इंतज़ार था

मेरी भी मज़बूरी है,

इसलिए कंही नहीं…

Continue

Added by pawan amba on February 16, 2014 at 1:30pm — 10 Comments

ऐ जिन्‍दगी मुझ पे भरोसा ना करना गीत

ऐ जिन्‍दगी मुझ पे भरोसा ना करना

हमें तो है किसी की चाहत पे मरना

 

सवाँर पाओ ना तु बिखर जायेगे हम

आपकी दुनिया से चले जायेगें हम

हँसते रहेगें वो तुम रोते रहना

हमें तो है किसी की चाहत पे मरना

ऐ जिन्‍दगी मुझ पे भरोसा ना करना



आँख मे अश्‍क उसके दे जायेगें हम

तड़पते रहो तुम चले जायेगें हम

हमे हैं जमाने से कभी कुछ न कहना

हमें तो है किसी की चाहत पे मरना

ऐ जिन्‍दगी मुझ पे भरोसा ना करना

 

बैठा करे हम कभी नदीया किनारे

लेकर वो…

Continue

Added by Akhand Gahmari on February 16, 2014 at 12:18pm — 12 Comments

जिन्दगी

ज़िंदगी कसौटियों पर कस कर

निखरती सी गई

जितनी ये तबाह हुई

उतनी संभरती सी गई

आदमियत और गद्दारी में आकर

घुलती सी गई

कभी ये राम,रहीम ,नानक

में बँटती सी गई…

Continue

Added by kalpna mishra bajpai on February 16, 2014 at 10:25am — 12 Comments

जमीं पर आसमां उतर आया...

मेरे जब वो करीब आती है
सांस रुककर हमें सताती है
बात दिल की जो कहना चाहूं तो
बात कुछ और निकल जाती है।।

ये जो चिट्ठी किसी की आई है
अब वो अपनी नहीं पराई है
खाक मिलता है मुझे जिंदगी से
जिंदगी जून है जुलाई है।।

उनका चेहरा जब नजर आया
मेरी बातों में तब असर आया
करने इजहार अपनी प्रेयसी से
जमीं पर आसमां उतर आया।।

- मौलिक व अप्रकाशित

Added by atul kushwah on February 15, 2014 at 11:30pm — 13 Comments

ताँका

1-

हुआ प्रभात

उपासना मे लीन

ऋषी तल्लीन

कर जल अर्पण

हुआ प्रशन्न चित

2-

ऋतु बसंत

खिले कमल दल

स्वर्णिम धरा

पुष्प-पुष्प भ्रमर

करते रसपान

3-

रति-अनंग

नृत्य प्रेम मगन

शिव प्रचंड

भष्मित तन-मन

भयभीत हैं गण

४-

पाँव पखारें

कृष्ण गोपियों संग

देखते रास

शूल विधे असंख्य

नारी वेश में शिव

५-

कर श्रृंगार

नाग,देव,असुर

हरी में हर

नृत्य हुआ…

Continue

Added by Meena Pathak on February 15, 2014 at 7:55pm — 6 Comments

“ गुनाहों से सुकून है मुझे “

तन्हा क्यूँ हूँ मैं

तेरे होने के बाद भी,

प्यासी क्यूँ है सांस

इतना पीने के बाद भी..

 

दर दर की शराब

उतारी है हलक से,

तर…

Continue

Added by DRx Ravi Verma on February 15, 2014 at 4:00pm — 6 Comments

वो होठ दांत से यूं अपने दबाता क्यूँ है

१२१२    १२१२     ११२२    २२

 

वो मुझसे पेश रोज रोज यूं आता क्यूँ है

चरागे दिल जला जला के बुझाता क्यूँ है

 

निगाह से ही बात दिल की बताता क्यूँ है

वो बज्म में नजर यूँ हमसे चुराता क्यूँ है

 

निगाहों में छुपी है कोई पहेली उसके

घरौंदा मुझ को देखकर वो बनाता क्यूँ है

 

है बात कुछ,  नही पता है मुझे खुद जिसका

 वो मुझको देख नजरें अपनी झुकाता क्यूँ है

 

रचा हिना से नाम मेरा हथेली पर वो

ज़माने से…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on February 15, 2014 at 3:00pm — 12 Comments

संसद की गरिमा घटी (कुंडलिया छंद)

चुन गुण्डे संसद गये, करते हैं उत्पात।

लोकतंत्र के माथ पर, यह कलंक की बात॥

यह कलंक की बात, लात घूँसा चलता है।

मिर्च पाउडर फेंक, नोंच माइक देता है॥

देना हमें जवाब, आज गुण्डों को सुन।

भेजें सज्जन लोग, देश हित में हम चुन॥



भारत के इतिहास में, है काला अध्याय।

संसद में फेंका गया, जूता चप्पल हाय॥

जूता चप्पल हाय, नहीं क्यों उनको मारे।

चुनकर नमक हराम, गये संसद जो सारे॥

करते हैं खिलवाड़, तनिक न आये लज्जत।

पापी पामर नीच, कलंकित करता… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 15, 2014 at 12:56pm — 7 Comments

रपट - बनारस को मिला ''मेरा शहर मेरा गीत''

            दैनिक जागरण के राष्ट्रीय आयोजन ‘’ मेरा शहर मेरा गीत ‘’ के लिए गत वर्ष अप्रैल २०१३ में वाराणसी शहर से प्राप्त करीब पांच सौ प्रविष्टियों में से बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी के नेतृत्व वाली ज्यूरी द्वारा चयनित गीत की दिनांक ०९ फरवरी २०१४ को वाराणसी के संपूर्णानंद स्टेडियम में समारोहपूर्वक भव्य लॉन्चिंग की गयी | इस गीत को दिल्ली एन. सी. आर.…

Continue

Added by Abhinav Arun on February 15, 2014 at 7:16am — 13 Comments

ग़ज़ल - बारिश के ख़त लाते हैं , बादल बंद लिफ़ाफे हैं

ग़ज़ल –

फैलुन फैलुन फैलुन फा

२२ २२ २२ २

 

बारिश के ख़त लाते हैं |

बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं |

 …

Continue

Added by Abhinav Arun on February 15, 2014 at 7:08am — 19 Comments

तड़प रहा मन

बासंती बयार

होले होले

बह रही है



तड़प रहा मन

दिल पर

लिये एक गहरा घाव

यादो का झरोखा

खोल रही किवाड़

आवरण से ढकी भाव



इस वक्त पर

उस वक्त को

तौल रही है



नयन तले काजल

लबो पर लाली

हाथ कंगन

कानो पर बाली



तेरे बाहो पर

मेरी बदन

झूल रही है



ईश्‍वर की क्रूर नियति

सड़क पर बाजार

कराहते रहे तुम

अंतिम मिलन हमारा

हाथ छुड़ा कर

चले गये तुम



तन पर… Continue

Added by रमेश कुमार चौहान on February 14, 2014 at 10:54pm — 9 Comments

खुशियों का तोहफा

आज सुबह पूजा कर के कल्याणी देवी कमरे मे बैठ गयीं | ठण्ड कुछ ज्यादा थी तो कम्बल ओढ़ कर आराम से कमरे मे गूंज रही गायत्री मन्त्र का आनंद ले रही थी | आँखे बंद कर के वो पूरी तरह से गायत्री मन्त्र मे डूब चुकी थीं तभी अचानक खट-खट की आवाज से उन्होंने आँखे खोली | कोई दरवाजा खटखटा रहा था | बहू रसोई मे थी और पतिदेव पूजा कर रहे थे सो उनको ही मन मार कर कम्बल से निकलना पड़ा | अच्छे से खुद को शाल मे लपेटते हुए उन्होंने गेट खोला तो चौंक गईं | एक मुस्कुराता हुआ आदमी सुन्दर सा गुलाब के फूलों का गुलदस्ता लिए खड़ा…

Continue

Added by Meena Pathak on February 14, 2014 at 5:18pm — 15 Comments

ग़ज़ल- रंग हैं क्यों सात मत पूछो - पूनम शुक्ला

2122. 2122 2



कहनी क्या थी बात मत पूछो

कब ढ़लेगी रात मत पूछो



जिन्दगी ने खेल है खेला

किसने दी है मात मत पूछो



थाम कर तुम को चले थे हम

कब थमेगी रात मत पूछो



बैठ हँसते हर तरफ जाबिर

देश के हालात मत पूछो



देखना तासीर भी उनकी

आदमी की जात मत पूछो



जौफ़ ही है हर तरफ बरहम

रंग हैं क्यों सात मत पूछो



है यहाँ हर राह सरगश्ता

क्यों नहीं प्रभात मत पूछो



तासीर- गुण ,प्रभाव

जाबिर -…

Continue

Added by Poonam Shukla on February 14, 2014 at 10:00am — 9 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service